फ्यूचर्स ग्रिड ट्रेडिंग ऑटो पैरामीटर गाइड
बायनेन्स फ्यूचर्स में पूर्व निर्धारित अंतराल और पूर्व निर्धारित मूल्य सीमा पर ऑर्डर खरीदने और बेचने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग एक रणनीतिक उपकरण है। यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को छोटे मूल्यों में उतार-चढ़ाव पर लाभ कमाने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है क्योंकि यह अस्थिर और साइडवे बाजारों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती है।
मूल्य में चंचलता (वोलेटिलिटी) से लाभ की सीमा तय करने के लिए ट्रेडर अपने आप ग्रिड पैरामीटर को अनुकूलित और सेट कर सकते/सकती हैं।
हम मानते हैं कि बहुत से उपयोगकर्ता अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए पैरामीटर सेट करना नहीं जानते/जानती हैं। इस कारण से, हम उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाने और सीखने की प्रक्रिया को कम करने में मदद करने के लिए अनुशंसित पैरामीटर प्रदान करते हैं। इनमें कम मूल्य सीमा, ऊपरी मूल्य सीमा और ग्रिड गणना शामिल हैं।
नए ऑटो पैरामीटर फंक्शन के साथ, कोई भी केवल एक क्लिक के साथ ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति बनाने में सक्षम होगा।
ग्रिड ट्रेडिंग ऑटो पैरामीटर का उपयोग कैसे करें?
1. बायनेन्स फ्यूचर्स ट्रेडिंग इंटरफेस के ऊपरी-बाएं कोने में स्थित [रणनीति ट्रेडिंग] - [फ्यूचर्स ग्रिड] पर क्लिक करें।
2. फ्यूचर्स ग्रिड ट्रेडिंग इंटरफेस के दाहिने साइडबार पर नेविगेट करें। [ऑटो] टैब पर, अनुशंसित पैरामीटर सत्यापित करें और अपना [प्रारंभिक मार्जिन] सेट करें।
3. एक बार जब आप तय कर लें कि आप अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति के लिए कितना मार्जिन आवंटित करना चाहते/चाहती हैं, तो [बनाएं] पर क्लिक करें, और अपने ग्रिड ऑर्डर की पुष्टि करें ताकि सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित मूल्यों पर ऑर्डर खरीद या बेच सके। यह ध्यान देने योग्य है कि अनुशंसित पैरामीटर एक तटस्थ दिशा में और डिफॉल्ट रूप से अरिथमेटिक मोड में सेट रहते हैं।
कृपया ध्यान रखें कि ऑटो पैरामीटर फंक्शन तब काम नहीं करेगा जब किसी दिए गए असेट पर पर्याप्त ट्रेडिंग इतिहास न हो। ऐसी परिस्थितियों में, आपको यहां बताए गए पैरामीटर को मैन्युअल रूप से सेट करना होगा या न्यूनतम मूल्य, उच्चतम मूल्य और ग्रिड संख्या को संशोधित करने के लिए [मैन्युअल सेटिंग्स में पैरामीटर कॉपी करें] पर क्लिक करना होगा।
उच्चतम और न्यूनतम मूल्य
- अपर बैंड = MA + bbm * मानक विचलन
- लोअर बैंड = MA - bbm * मानक विचलन
ग्रिड संख्या
जोखिम फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने जोखिम पर किया जाता है। सुविधा के आपके उपयोग से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके लिए उत्तरदायी नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि आपको ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए। पूर्ण रणनीति व्यापार अस्वीकरण के लिए, कृपयायहांदेखें।
निफ्टी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस से कैसे कमाएं मुनाफा?
हाल में हमने आपको फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के बारे में बताया था. अब हम आपको निफ्टी फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के बारे में बता रहे हैं.
अगर कारोबार के बारे में आपका ठोस नजरिया है और आप जोखिम ले सकते हैं तो थोड़ी कीमत चुका कर आप निफ्टी ऑप्शंस और फ्यूचर्स पर दांव खेल सकते हैं.
कॉल ऑप्शन इस खरीदने वाले को तय अवधि के दौरान पहले से तय कीमत पर निफ्टी खरीदने का अधिकार देता है. बायर को चाहे तो अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है. वह चाहे तो अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं भी कर सकता है. इसी तरह पुट ऑप्शन इसे खरीदने वाले को इंडेक्स बेचने का अधिकार देता है. इंडेक्स फ्यूचर्स के सौदों का निपटारा कैश में होता है.
प्रश्न: निफ्टी फ्यूचर्स एंड ऑप्शन सौदा कैसे काम करता है?
उत्तर: इसे उदाहरण के साथ समझते हैं. मान लीजिए ट्रेडर ए को लगता है कि निफ्टी 10,7000 के स्तर तक चढ़ेगा. इसके लिए वह कुछ मार्जिन चुकाता है, जो कॉन्ट्रैक्स की कुल लागत का छोटा हिस्सा होता है. वह जिससे सौदा करता है, वह ट्रेडर बी है, जो इस स्तर पर निफ्टी बेचता है.
यदि निफ्टी 10,8000 के स्तर तक चढ़ जाता है, तो ए के पास अधिकार होगा कि वह अपने बी से 10,700 के भाव पर ही निफ्टी खरीद सके और उसके मौजूदा भाव यानी 10,800 के स्तर पर बेच सके. इस तरह उसे 7,500 रुपये (75x100) का फायदा होगा.
इसी तरह यदि निफ्टी फ्यूचर्स 10,600 तक लुढ़क जाता हैं, तो बी निफ्टी फ्यूचर्स को ए को 10,700 के स्तर पर ही बेचेगा. ऐसे में ए को 100 रुपये प्रति शेयर का नुकसान होगा.
ए को 10,700 के स्तर पर कॉल ऑप्शन खरीदने के लिए 200 रुपये का प्रीमियम (शुक्रवार का क्लोजिंग प्राइस) प्रति शेयर चुकाना होगा. यदि निफ्टी 100 अंक की छलांग लगाकर एक्सपाइरी से पहले 10,800 तक पहुंच जाता है तो ऑप्शन की वैल्यू में 100 रुपये इजाफा होगा.
ऐसे सौदों में विक्रेता का पैसा ज्यादा फंसा हुआ माना जाता है. हालांकि, कॉल खरीदार को भी घाटा हो सकता है, यदि निफ्टी उसकी उम्मीद से अधिक लुढ़क जाए. यदि स्टॉक एक्सचेंज की कोई खास शर्त या नियम न हो, तो इन सौदों का सेटलमेंट नकद में होता है.
प्रश्न: फ्यूचर्स और ऑप्शंस में किसे खरीदने में ज्यादा फायदा है?
उत्तर: दोनों ही प्रकार के सौदों के अपने लाभ और हानि हैं. एक ऑप्शन विक्रेता को अधिक जोखिम और मार्जिन रखना पड़ता है, जो खरीदार द्वारा उसे मिलने वाले प्रीमियम से अधिक होता है. हालांकि, फ्यूचर सौदा खरीदने या बेचने के लिए खरीदार और विक्रेता को समान मार्जिन रखना होता है.
अमूमन यह पूरे सौदे की वैल्यू के 10 फीसदी तक होता है. एक ऑप्शन को लंबे समय तक अपने पास रखना वैल्यू कम कर देता है.फ्यूचर्स के साथ ऐसा नहीं होता क्योंकि उन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है.
हालांकि, फ्यूचर्स में फायदा और नुकसान असीमित हो सकता है. ऑप्शन के मामले में (खरीदार के लिए) घाटे सिर्फ चुकाए गए प्रीमियम तक ही सीमित होता है, जबकि मुनाफा काफी अधिक हो सकता है.
प्रश्न: इन सौदों का कारोबार कहां और कैसे होता है?
उत्तर: इन सौदों के के लिए आप ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग खाता खुलवा सकते हैं. कैश सेटलमेंट के चलते इन सौदों के लिए डीमैट जरूरी नहीं होगा. इन सौदों का कारोबार बीएसई और एनएसई पर होता है.एनएसई पर इन सौदों की लिक्विडिटी अधिक होती है.
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कमोडिटी फ्यूचर्स पर CFDs
कुछ नजदीकी पर CFDs प्रत्येक कमोडिटी पर प्रदान की जा रही हैं .इसके अतिरिक्त , प्रत्येक भविष्य पर ट्रेडिंग के अंत और वर्तमान स्थिति संकेत कर रहे हैं . तीन स्थिति मान उपलब्ध हैं :
- ट्रेडिंग - (कारोबारी सत्रों के दौरान) किसी भी सीमाओं के बिना सौदों और सेट के आदेश बनाने के लिए एक अवसर .
- केवल बंद होने के – बंद करने के पहले खोला पदों की केवल (कुछ दिन पहले ट्रेडिंग के अंत दिनांक सेट है) .
- ट्रेडिंग बंद हो चुका है - ट्रेडिंग के अंत आ गई है, ,लेकिन फ्यूचर ट्रेडिंग के इतिहास का विश्लेषण के दौरान निर्दिष्टीकरण तालिका में कई बार के लिए ग्राहकों की सुविधा के लिए (30 दिनों के लिए) छोड़ दिया जाता है . बाद में साधन टेबल से हटा दिया जाता है .
इस तरह एक CFD ट्रेडिंग फ्यूचर्स की ट्रेडिंग सत्र के दौरान प्रदर्शन किया है. प्रत्येक CFD की कारोबार के अंत की तारीख भविष्य की समाप्ति से पहले भविष्य और प्रसव अवधि की शुरुआत की तरलता के आधार पर सेट है . इस समूह के उपकरणों के टिकर के साथ शुरू “#F-“.
सर्च इंस्ट्रूमेंट, नाम या प्रकार
कृपया, metatrader 4 और metatrader 5 खाता प्रकार चुनें
* # F-BRN ..के लिए . और # F-CL . 10 लॉट या उससे अधिक की खुली स्थितियों की कुल मात्रा वाले उपकरण, अधिकतम खाता लाभ 1:4 तक कम किया जा सकता है; खुले पदों की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा 75 लॉट है।
तुम व्यापार और मार्जिन लाभ/हानि कैलकुलेटर और मार्जिन कैलकुलेटर का उपयोग कर के परिणाम की गणना कर सकते हैं। आप नियमित रूप से कंपनी की आय विज्ञप्ति में कंपनी की आय कैलेंडर के दिनांक देख सकते हैं.
future & option क्या होता हे ?
future and option ट्रेडिंग ये एक डेरीवेटिव होते हे। और ये कॉन्ट्रैक्ट होता हे जिसकी एक्सपायरी होती हे। फ्यूचर और ऑप्शन को मार्किट में लानेका उदेश्य risk managment के लिए हे ,लेकिन दोनों में बहुत फरक हे ,फ्यूचर और ऑप्शन दोनों अलग अलग कॉन्ट्रैक्ट्स या derivetives हे। और ये सिर्फ ट्रेडिंग के लिए बनाये गए हे।
future market
फ्यूचर मार्किट एक फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जैसे की हमें लगता हे शेयर का प्राइज फ्यूचर में बढ़ेगा तो हम उस स्टॉक को खरीद लेते हे और फायदा होने पे बेच देते हे। लेकिन इसकी एक्सपायरी होती हे जोकि हमें हमारा शेयर एक्सपायरी के पहले बेचना होता हे। चलो अभी इसे एक उदाहरन लेके समजते हे –
example
जैसे की एक किसान ने अपने खेत में आलू लगाया हे। और आलू की कीमते घटती बढाती रहती हे तो उस किसान को चिंता रहती हे की मेरे आलू को बाजार में क्या भाव मिलेगा। क्युकी उसको आलू उगने में १० रु का खर्च्या आया हे. तो उसे लगता हे की मुझे २० या २५ रु मिल जाये तो बहुत बढ़िया रहेगा। यह सोचकर वो बाजार में चला जाता हे। और उसी बाजार में व्यापारी भी होते हे। उन्हें भी आलू लेने होते हे उनको लगता हे की कम से कम दाम में हमें आलू मिल जाये तो अच्छा रहेगा। क्युकी उन्हें भी आगे बाजार में उन आलू को ज्यादा भाव में बेचकर प्रॉफिट कमाना हे।
अब वह व्यापारी उस किसान से वो आलू ३० रु के भाव में खरीद लेता हे। अभी किसान का तो काम हो गया उसको उसके मुताबिक जितना चाहता था उतने से अच्छा भाव मिल गया। अभी वो बाजार से बहार हो गया। अभी बारी आती हे व्यापारी की अभी उसका जो प्रॉफिट हे वो तो अभी बाजार पैर निर्भर हे. जैसे बाजार में भाव बढ़ा उसको प्रॉफिट मिलेगा। और अगर बाजार का भाव गिरा तो उसको नुकसान होता , अब यही संकल्पना शेयर मार्किट में समझते हे।
शेयर मार्किट में जो खरीदने (buyers) वाले होते हे वो होते हे व्यापारी। इसका मतलब buyers ने अभी शेयर्स खरीद लिए अभी उनका प्रॉफिट मार्किट पे निर्भर रहता हे. जब मार्किट में शेयर का भाव ऊपर जायेगे फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है तब उनको प्रॉफिट होगा। और अगर मार्किट निचे गिरा तो buyers को नुकसान होगा। और ये सिमित रहता हे एक्सपायरी दीन तक, इस पूरी संकल्पना को ही फ्यूचर मार्किट या फ्यूचर ट्रडिंग कहते हे।
फ्यूचर मार्किट ये eqity market एडवांस लेवल होता हे। फ्यूचर मार्किट एक standerlized कॉन्ट्रैक्ट होता हे। जो मार्किट के एक्सपायरी पे निर्भर होता हे और उसकी एक्सपायरी निच्छित होती हे। फ्यूचर मार्किट में हम स्टॉक की खरेदी और विक्री मार्जिन लेकर कर सकते हे इसके लिए हम पुरे पैसे देने की कोई जरुरत नहीं होती।
फ्यूचर मार्किट में और भी सकल्पनाये होती हे जैसे की स्टॉक की लॉट साइज,कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी ,mark to market . फ्यूचर मार्किट में फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है हर एक स्टॉक की एक फिक्स लॉट साइज (lot size) होती है.मतलब जितना किसी स्टॉक की लॉट साइज होती हे उतनी ही हमें लेनी पड़ती हे। और कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी में कॉन्ट्रैक्ट के तीन तरह के प्रकार होते हे पहला near month ,दूसरा mid month ,तीसरा far month . और near month की एक्सपायरी महिले महीने के आखरी गुरुवार को होती हे। mid month की एक्सपायरी दूसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे और far month की एक्सपायरी तीसरे महीने के आखरी गुरुवार को होती हे।
option market
option market
future and option दोनों अलग अलग हे। ऑप्शन फ्यूचर से बना हे लेकिन वो प्रीमियम बेस पर काम करता हे जैसे की हमें शेयर की चालू कीमत को खरीदने की कोई जरुरत नहीं। हम उसका एक छोटासा premium amount देकर उसे खरीद सकते हे. और प्रॉफिट होने पर उसे बेच दे सकते हे। और इसकी एक फिक्स एक्सपायरी होती हे।
जैसे हमने आज कोई स्टॉक का प्रीमियम खरीद लिए और फ्यूचर में स्टॉक की मैन प्राइज (फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है strike prize ) बढ़ गयी तो हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्ट्राइक प्राइज निचे गिरती हे तो हमारा प्रीमियम भी निचे गिरता हे मतलब स्टॉक की मेन प्राइज अगर बढ़ेगी तो हमें प्रॉफिट होता क्युकी उसके साथ साथ हमारा प्रीमियम भी बढ़ेगा। और अगर स्टॉक प्राइज निचे गिरता हे तो हमारा प्रीमियम एक्सपायरी तक जीरो हो जायेगा ये बात ध्यान में रख लीजिये।
call & put options
option में प्रकार होते हे एक होता हे call option और एक होता हे put option . पहला call option में call के अंदर खरीदना मतलब आप तेजी की ओर हे और कॉल के अंदर बेचना मतलब आप मंदी की ओर हे। और वैसे हे दूसरा put option में put के अंदर खरीदना मतलब आप मंदी की ओर हे ,और अगर आप put के अंदर कोई स्टॉज बेचते हो तो इसका मतलब आप तेजी की तरफ हे.और इन दोनों की भी एक्सपायरी निच्छित होती हे।
फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेडिंग करके के लिए आपको technical analysis को समझने की बाहर जरुरत होती हे ,इससे आपको ट्रेडिंग में मदत होगी की चार्ट को कैसे देखते हे ट्रेंड लाइन क्या होती हे जो की ट्रेडिंग के लिए बहुत महत्व पूर्ण में अगर आपको technical analysis kya hota he समझना हे तो आप मेरी पिछली पोस्ट में जाकर पढ़ सकते हे उसमे मैंने पुरे डिटेल्स में समझाया हे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता हे और कैसे किया जाता हे वो सभी बाटे उस पोस्ट में लिखी हे .
आपने सुना होगा की ऑप्शन ट्रेडिंग से लोग लाखो रु कमाते हे , सही हे लेकिन में आपसे विनती करूँगा की आप बिना नॉलेज के इसमें न पड़े. मैंने लोगो लाखो रु गवाते भी देखा हे इस ऑप्शन ट्रेडिंग में। तो कृपया आप इसका आप पहले नॉलेज (ज्ञान )ले। और धीरे धीरे इसे सीखे और सिखने के बाद छोटे छोटे अमाउंट से इसमें ट्रेडिंग करे। फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे किया जाता है और जब आप इसमें एक्सपर्ट हो जायेंगे तब आप इसमें लाखो क्या करोडो कमा सकते हे।
यकीं हे आजकी हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आयी होगी ,अगर आपको कुछ समज न आया हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर भेज सकते हे.और आपका future and option की संकल्पना समज में आ गयी होती।
और ऐसेही शेयर मार्किट पर ब्लॉग आप पढ़ना चाहते हो तो हमें आप subscribe कर सकते हो. और नयी पोस्ट आने के बाद आपको नोटिफिकेशन मिल जायेगा। और अगर आज की ये पोस्ट अच्छी लगे तो कृपया उसे शेयर जरूर कीजियेगा। धन्यवाद !
Gold Options: गोल्ड ऑप्शंस क्या है, जानिए कैसे हो सकती है बंपर कमाई
What Is Gold Options: गोल्ड को अपने पोर्टफोलियो में रखने की चाहत हर किसी की होती है. बहुत से निवेशक और ट्रेडर कम रिस्क के साथ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की इच्छा रखते हैं. ऐसे लोगों के लिए ऑप्शंस (How To Buy Gold Options) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है. दरअसल, ऑप्शंस में निवेश के जरिए अपने रिस्क को सीमित किया जा सकता है और अधिक से अधिक मुनाफा भी कमाया जा सकता है.
आज की इस रिपोर्ट में हम गोल्ड ऑप्शंस की बारीकियों को समझने की कोशिश करेंगे और साथ में यह भी समझेंगे कि इसमें निवेश से हमें क्या फायदा मिल सकता है और क्या नुकसान है.
कैसे कर सकते हैं गोल्ड ऑप्शंस में ट्रेडिंग
कमोडिटी ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले जरूरी यह है कि आपके पास ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए और अगर आपके पास अकाउंट पहले से हैं तो ब्रोकर को बोलकर ऑप्शंस (Gold Futures & Options) की ट्रेडिंग के लिए उसे एक्टिव करा सकते हैं. निवेशक ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए ऑप्शंस में ट्रेडिंग कर सकता है. ऑप्शंस वायदा कारोबार के तहत आने वाला एक अनोखा प्रोडक्ट है और इसमें ट्रेडिंग के जरिए जोखिम कम होने के साथ ही असीमित मुनाफा कमाया जा सकता है. मान लीजिए कि आप ऑप्शंस के खरीदार हैं तो बेहद कम प्रीमियम चुकाकर पूरा कॉन्ट्रैक्ट उठा सकते हैं. मतलब यह हुआ कि आपका जोखिम आपके द्वारा जमा किया गया प्रीमियम ही है और मुनाफा अनलिमिटेड. हालांकि इसके विपरीत बिकवाल होने की स्थिति में जोखिम असीमित और मुनाफा सीमित हो जाता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे
आखिर में हम आपको बताते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या फायदे होते हैं. जानकारों का कहना है कि मान लीजिए कि अगर कोई निवेशक गोल्ड ऑप्शंस के कॉन्ट्रै्क्ट में कॉल खरीदता है तो तेजी होने पर निवेशक को फायदा मिलेगा और अगर पुट ऑप्शंस खरीदता है तो गिरावट पर लाभ मिलेगा. वहीं कॉल ऑप्शंस को बेचने वाले कॉल राइटर्स को गिरावट पर फायदा मिलता है और पुट ऑप्शंस को बेचने वाले पुट राइटर्स को तेजी पर फायदा मिलता है. बता दें कि कॉल राइट करने वालों की कमाई सिर्फ प्रीमियम होती है लेकिन उनका नुकसान असीमित होता है. जानकार कहते हैं कि वायदा बाजार के मुकाबले ऑप्शंस में रिस्क कम और रिटर्न ज्यादा मिलता है. इसके अलावा हेजिंग का टूल भी होने की वजह से निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा होती है.
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