कैसे कर सकते हैं निवेश
NFO की जानकारी हिंदी में – Mutual Fund का IPO
NFO का फुल फॉर्म (long form) हैं (new fund offer).
NFO का अर्थ होता हैं की जब कोई नया फण्ड मार्किट में आने से पहले निवेशकों से पैसे जुटाता हैं।
NFO क्या हैं ?
इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे – NFO की जानकारी हिंदी में ,NFO कैसे काम करता हैं ?, NFO का अर्थ और NFO में निवेश कैसे करे ?
Table of Contents
NFO कैसे काम करता हैं ?
Nfo काम कैसे करता हैं ? यह जानने से पहले हमें समझना होगा की mutual fund कैसे काम करता हैं ?
Mutual fund निवेशकों से पैसे लेकर वह अलग-अलग sector, index, बांड्स इत्यादि में निवेश करता हैं और उन सेक्टर और इंडेक्स के प्रदर्शन के हिसाब से पैसो में बढ़त होती हैं और निवेशक पैसे कमाते हैं।
तो जानते हैं की nfo कैसे काम करता हैं ?
Nfo की शुरवाती अवस्था में निवेशक अपने पैसे निवेश करते हैं म्यूच्यूअल फण्ड के उद्देश के हिसाब से।
याने जे अगर किसी Nifity 50 के म्यूच्यूअल फण्ड का nfo आने वाला हैं तो उसमे रूचि रखने वाले investors उस nfo में निवेश करेंगे।
अब आप का सवाल होगा की क्या nfo मार्किट में आने के बाद फण्ड पैसे लेना बंद करता हैं ?
इसमें २ प्रकार हैं।
एक हैं Open end fund और closed end fund .
Open end fund में फण्ड के आकर जितने पैसे निवेश हो जाने की बाद भी उसमे पैसे निवेश कर सकते हैं।
Mutual Fund New Nfo | म्यूच्यूअल फण्ड एन एफ ओ क्या हैं
Mutual Fund New Nfo :- बाजार नियामक SEBI की तरफ से नए फण्ड की पेशकश पर लगाई गई 3 महीने की रोक को अब खत्म होने जा रही हैं। पाबन्दी की अवधि खत्म होता देख म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी नए फण्ड योजना लाने की तैयारी में लग गई हैं।
अगले महीने यानि की जुलाई में 15 New Nfo Mutual Fund बाजार में आ रहे हैं। करीब दर्जनभर New Nfo Mutual Fund कंपनी (AMC) ने इसके लिए सेबी (SEBI) के पास दस्तावेज जमा कराये हैं। विशेषज्ञ का कहना हैं की शेयर बाजार अभी एक साल के निचले स्तर पर हैं। जिसमे अभी New Nfo Mutual Fund में निवेश करने पर तगड़ा मुनाफा हो सकता हैं।
निवेशक की सुरक्षा के लिए लगाया था प्रतिबंध | Mutual Fund New Nfo
सेबी (SEBI) ने म्यूच्यूअल फण्ड को निवेशकों के लिए अधिक पारदर्शी और आसान बनाने के लिए कुछ बदलाव किये हैं। इसे 1 जुलाई से लागु किया जाना हैं। इसे देखते हुए सेबी ने 3 महीना के लिए कोई नया Mutual Fund Nfo जारी करने से रोक लगा दिया था। कंपनियों से कहा गया हैं की 30 जून 2022 तक नए मनको के अनुसार अपनी म्यूच्यूअल योजनाओ को सही करें।
मौजूदा समय तक यह होता रहा हैं की ब्रोकर और इंटरमीडियरीज निवेशक के पैसे पहले अपने बैंक खाते में रखते हैं, यानि की पुल करते हैं और फिर इसे क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन या AMC के पास भेजते हैं। SEBI ने अक्टूबर 2021 में म्यूच्यूअल को आदेश दिया था की यह प्रक्रिया बंद होनी चाहिए और निवेशक के बैंक खाते से पैसा सीधे Mutual Fund में जाना चाहिए।
क्या है NFO और इसमें निवेश कितना फायदेमंद? आसान भाषा में समझिए
निवेश के लिए NFO (न्यू फंड ऑफर) के बारे में आपने जरूर सुना होगा, लेकिन इसके बारे में बहुत से लोगों के पास जानकारी नहीं होती और वे IPO और NFO को एक जैसा समझते हैं। मौजूदा समय में फंड हाउस कई NFO लॉन्च कर चुके हैं। फंड हाउस अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियों की खाली जगह को भरने के लिए कई कैटेगरी में NFO पेश कर रहे हैं, जहां उनका प्रोडक्ट नहीं है। आइये इस NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है न्यू फंड ऑफर (NFO)?
म्यूचुअल फंड बाजार में जब कोई फंड पहली बार लॉन्च किया जाता है उसे ही न्यू फंड ऑफर (NFO) कहते हैं। NFO किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की नई स्कीम होती है। इसके जरिए फंड हाउस अपने प्रोडक्ट बास्केट को पूरा करने के लिए NFO लॉन्च कर सकती है, जिसके जरिए कंपनी निवेशकों से पैसा जुटा सकती है। इसके लिए कंपनी जोरों-शोरों से प्रचार कर न्यू फंड की निवेश स्ट्रैटजी बताती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग निवेश करें।
कोई भी कंपनी पैसा इकठ्ठा करने के लिए IPO और NFO लॉन्च करती है। NFO दिखने में IPO जैसा होता है लेकिन ऐसा नहीं है। NFO की बिक्री नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर होती है, जबकि IPO में कंपनी अपने शेयरों के लिए बोलियां मंगवाती है। इन दिनों शायद ही कोई कंपनी फेस वैल्यू पर IPO में शेयर बेचती है, वहीं NFO में हर यूनिट की कीमत 10 रुपये तय होती है।
क्या NFO में निवेश करना चाहिए?
एक्सपर्ट के मुताबिक NFO में निवेश करने के लिए सही समय का इंतजार करना चाहिए, क्योंकि कंपनियां अपने प्रोडेक्ट बास्केट को बड़ा करने या भरने के लिए NFO लाती हैं। ओपन-एंडेड और क्लोज्ड एंडेड दो तरह से NFO में निवेश होता है, लेकिन NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें एक्सपर्ट कहते हैं कि ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करना चाहिए। ओपन एंडेड फंड में NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें अच्छी लिक्विडिटी मिलती है आप जब चाहे यहां से बाहर भी निकल सकते हैं।
लिक्विडिटी की अगर बात करें तो क्लोज्ड एंडेड फंड्स की तुलना में ओपन एंडेड फंड्स में ज्यादा होती है। ओपन एंडेड फंड को मौजूदा NAV के आधार पर बेचा जाता है। इसमें कभी भी निवेश कर सकते हैं। वहीं क्लोज्ड एंडेड फंड्स स्टॉक एक्सचेंज पर बेचे जाते हैं जिसकी कीमत NAV से ज्यादा और कम हो सकती है। इसमें निवेशक सिर्फ NFO के समय ही निवेश कर सकते हैं।
आईटीआई म्यूचुअल फंड ने लॉन्च किया फार्मा और हेल्थकेयर फंड, जानिए क्या आपको निवेश करना चाहिए?
- Himali Patel
- Publish Date - October 23, 2021 / 12:24 PM IST
निफ्टी हेल्थकेयर टोटल रिटर्न इंडेक्स इसका बेंचमार्क होगा. यह न्यू फंड आफर (NFO) 18 अक्टूबर यानी सोमवार से निवेश के लिए खुल चुका है. निवेशक इसमें 1 नवंबर 2021 तक पैसे लगा सकते हैं
ITI Mutual Fund: कोविड -19 (Corona) संकट के बाद से फार्मास्युटिकल्स भारत के सबसे विश्व स्तर पर कॉम्पिटिटिव सेक्टर्स में से एक हो गया है. कोविड -19 (Corona) की दूसरी लहर के बाद से लोग इस सेक्टर के महत्व के बारे में अधिक जागरूक हुए हैं, जिसके कारण इस सेक्टर में अधिक पैसा भी खर्च किया जा रहा है. इसके साथ ही भारतीय फार्मा फंड मैनेजर फार्मा कंपनियों के विकास को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रहे हैं. वैल्यू रिसर्च डेटा से पता चलता है कि फार्मा फंडों ने 19 अक्टूबर, 2021 तक क्रमशः एक, तीन और पांच वर्षों में 31%, 26.39% और 26.39% का सालाना रिटर्न दिया है.
इन्वेस्टमेंट रणनीति
सेक्टोरल फंड सबसे अधिक जोखिम वाले म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में से एक होते हैं. चूंकि ये फंड (Fund) विशेष रूप से एक सेक्टर में निवेश करते हैं, इसलिए उनके पास सेक्टर डाइवर्सिटी की कमी होती है, जो इसके लिए हाई रिस्क का एक प्राथमिक कारण भी होती है.
ऐसे में यदि सेक्टर में गिरावट आती है, तो पोर्टफोलियो के सभी शेयर ध्वस्त हो जाते हैं और नुकसान को कम करने के लिए कुछ भी नहीं होता है. इसीलिए इस प्रकार का फंड सबसे अनुभवी निवेशकों के लिए उपयुक्त होता हैं और एक्सपर्ट्स की माने तो इस प्रकार के फंड में, पोर्टफोलियो का 10% से अधिक हिस्सा निवेश नहीं किया जाना चाहिए.
आईटीआई म्यूचुअल फंड (ITI Mutual Fund) के मैनजमेंट का कहना है कि यह फंड आईटीआई फार्मा और हेल्थकेयर फंड एसक्यूएल के निवेश नियम का पालन करेगा – साथ ही सुरक्षा का मार्जिन, व्यवसाय की गुणवत्ता और लो लिवरेज के साथ अपने निवेशकों को बेहतर निवेश अनुभव प्रदान करेगा.
मैनेजमेंट व्यू
कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य सेवा, बढ़ते हेल्थ इंश्योरेंस और फार्मा सेक्टर की मांग को फिर से बढ़ाने के लिए बेहतर निदान की ओर जोर दिया है.
आईटीआई म्यूचुअल फंड (ITI Mutual Fund) के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर एंड चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर जॉर्ज हेबर जोसेफ के मुताबिक कोविड -19 महामारी ने भारतीय फार्मा सेक्टर को एक नया जोर दिया है. आईटीआई फार्मा और हेल्थकेयर NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें फंड मेहनती और शोध-समर्थित निवेश प्रक्रिया को अपनाकर अपने निवेशकों को एक अनूठा निवेश अनुभव प्रदान करने के लिए तैयार है.
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
– आईटीआई फार्मा एंड हैल्थ केयर फंड में कम से कम 5000 रुपये निवेश करना जरूरी है. उसके बाद 1 रुपये के मल्टीपल में कितना भी निवेश किया जा सकता है.
– इस फंड में सेबी द्वारा अनुमत अधिकतम टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) 2.25% तक है.
– इस फंड में कोई भी एंट्री चार्ज नहीं लिया जायेगा, लेकिन इकाइयों के आवंटन की तारीख से 12 महीने पूरे होने पर या उससे पहले रिडीम या स्विच आउट करने पर 1% का एग्जिट लोड देना होगा.
– क्योंकि यह फंड ‘हाई’ रिस्क कैटेगरी के अंतर्गत आता है, इसीलिए निवेशकों को किसी भी निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर कि सलाह ले लेनी चाहिए.
– यह न्यू फंड आफर (NFO) 18 अक्टूबर यानी सोमवार से निवेश के लिए खुल चुका है. निवेशक इसमें 1 नवंबर 2021 तक पैसे लगा सकते हैं.
Bharat Bond ETF: सुरक्षित निवेश, अच्छा रिटर्न और देश निर्माण में योगदान! जानें खूबियां
- नई दिल्ली ,
- 03 दिसंबर 2021,
- (अपडेटेड 03 दिसंबर 2021, 10:13 AM IST)
- निवेश का एक और अच्छा मौका
- भारत बॉन्ड ईटीएफ आज खुलेगा
केंद्र सरकार भारत बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के तीसरे चरण को लॉन्च करने के लिए NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें तैयार है. भारत बॉन्ड ETF का न्यू फंड ऑफर (NFO) निवेश के लिए आज यानी शुक्रवार को खुलेगा और 9 दिसंबर 2021 को बंद होगा.
भारत सरकार का बॉन्ड होने की वजह से यह एक सुरक्षित निवेश है, इसमें अच्छा रिटर्न भी मिल सकता है और इसके द्वारा आप राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका भी निभा सकते हैं, क्योंकि इससे जुटाया पैसा सरकारी कंपनियों (PSU) के बॉन्ड में लगेगा, यानी एक तरह से उन्हें कर्ज के रूप में दिया जाएगा.
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