22 मई के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलव नहीं हुआ है।

क्या चुनाव के बाद सस्ता होगा Petrol-Diesel? 11 महीने में सबसे कम दाम पर मिल रहा है कच्चा तेल

Crude Oil के सबसे बड़े आयातक चीन में कोरोना के मामले बढ़ने से इसकी डिमांड पर असर देखने को मिल रहा है. दरअसल, चीन की जीरो कोविड पॉलिसी से इंडस्ट्रीज का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और क्रूड ऑयल की मांग में कमी आई है, जिससे ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें घटी हैं.

कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • (अपडेटेड 07 दिसंबर 2022, 10:56 AM IST)

क्या देश में पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Price) कम होने वाले हैं? ऐसे संकेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट को देखकर मिल रहे हैं. Crude Oil के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल के नीचे यानी सालभर के निचले स्तर पर आ गए हैं. फिलहाल, ब्रेंट क्रूड 79.35 डॉलर और WTI क्रूड 74.09 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. ऐसे में लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि चुनाव के बाद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट सकती हैं.

Crude Oil में गिरावट के बड़े कारण
बीते कुछ समय से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. बुधवार को दाम 11 महीने के निचले स्तर पर आ गए. इसके कई कारण भी हैं. चीन में कोरोना (Covid-19) के मामलों का बढ़ना और रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) लंबा खिंचने समेत अन्य कारकों से बने भू-राजनैतिक हालातों और डिमांड में लगातार कमी इनमें शामिल है. लेकिन, क्रूड की कीमतों में सबसे ज्यादा दबाव पश्चिमी देशों की ओर से रूसी कच्चे तेल पर 60 डॉलर का प्राइस कैप (Price Cap) लगाने के फैसले के बाद देखने को मिल रहा है.

चीन में डिमांड कम होने का असर
क्रूड की कीमतों में गिरावट में एक बड़ी वजह चीन में सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी को भी माना जा रहा है. दरअसल, इसकी वजह से इंडस्ट्रीज का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और क्रूड ऑयल की डिमांड में कमी आई है. इसके चलते ग्लोबल मार्केट (Global Market) में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. गौरतलब है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल आयातक है.

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पेट्रोल-डीजल पर कच्चे तेल की कीमतों की असर
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड फ्यूचर की कीमत 4.03 फीसदी की गिरावट के साथ 4 जनवरी 2022 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम में 3.48 फीसदी की कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल के भाव में गिरावट का असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी दिखता है.

दरअसल, सस्ते होते Crude Oil का फायदा तेल खरीदार देशों को होता, जिसमें भारत भी शामिल है. तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें निर्धारित करते समय कच्चे तेल के दाम को भी आधार बनाती हैं. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों के संपन्न होने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है.

देश में Petrol-Diesel की कीमतें
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) की आधिकारिक वेबसाइट iocl.com के लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये में बिक रहा है. कोलकाता में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 106.03 रुपये और डीजल की 92.76 रुपये प्रति लीटर है. आर्थिक राजधानी मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 106.31 रुपये और डीजल 94.27 रुपये प्रति लीटर, जबकि चेन्नई में पेट्रोल 102.74 रुपये प्रति लीटर और एक लीटर डीजल 94.33 रुपये में मिल रहा है.

. इतना सस्ता मिलना चाहिए पेट्रोल-डीजल? कच्चे तेल के मुताबिक ये बैठता है गणित

ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट से भारतीय बास्केट यानी जिस औसत दाम पर भारतीय कंपनियां कच्चा तेल खरीदती हैं, उसकी लागत मार्च के औसत 112.8 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है.

पेट्रोल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद!

आदित्य के. राणा

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 29 नवंबर 2022, 6:10 PM IST)

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 10 महीने के न्यूनतम स्तर पर लुढ़क गया है. इसके बाद सबकी नजर भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगी है कि आखिर इनमें कब कमी आएगी? इस कमी की संभावना को जानने के लिए हमें कुछ आंकड़ों को समझना होगा. सबसे पहले तो बात करते हैं कच्चे तेल की कीमतों के बारे में जिनमें सबसे प्रमुख ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) का भाव सोमवार को 2.6 डॉलर/बैरल यानी 3 फीसदी से ज्यादा कम होकर 80.97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. ये इस साल की शुरुआत में 4 जनवरी के बाद का सबसे कम भाव है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट से भारतीय बास्केट यानी जिस औसत दाम पर भारतीय कंपनियां कच्चा तेल खरीदती हैं, उसकी लागत मार्च के औसत 112.8 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल हो गई है.

तेल कंपनियों के पास दाम घटाने की गुंजाइश
क्रूड ऑयल की कीमतों कच्चे तेल में गिरावट में आई इस कमी से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास भी पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने की गुंजाइश हो गई है. दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में कमी से पेट्रोल कंपनियों की लागत में कमी आई है. ऐसे में भारतीय भारतीय बास्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव मार्च के मुकाबले 30 डॉलर प्रति बैरल तक सस्ता होने से उनको अब पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर कच्चे तेल में गिरावट नुकसान की जगह मुनाफा होने लगा है. मौजूदा रेट को देखें तो तेल मार्केटिंग कंपनियों के पास पेट्रोल के दाम 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 5 रुपये प्रति लीटर तक घटाने की गुंजाइश है.

क्या तेल कंपनियां घटाएंगी दाम?
तेल मार्केटिंग कंपनियां दाम घटाने का फैसला करने से पहले इस साल कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से हुए नुकसान की भरपाई करने को तरजीह दे सकती हैं. हालिया आंकड़ों के मुताबिक जुलाई-सितंबर तिमाही में IOCL, HPCL और BPCL को पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर 2748.66 करोड़ का नुकसान हुआ है. अगर सरकार ने बीते 2 साल में LPG की बिक्री पर हुए घाटे की भरपाई ना की होती तो ये नुकसान काफी ज्यादा हो सकता था. सरकार ने तेल मार्केटिंग कंपनियों को 22 हज़ार करोड़ की एकमुश्त रकम चुकाकर LPG की बिक्री पर हुए घाटे की भरपाई की थी. इसके बावजूद इन कंपनियों के पूरे नुकसान की भरपाई ना होने से तेल कंपनियों के लिए दाम घटाना आसान नहीं है.

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क्यों घटे कच्चे तेल के दाम?
कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह दुनिया के कई देशों पर छाए मंदी के काले बादल हैं. ऐसे में डिमांड घटने से आर्थिक रफ्तार सुस्त होने की आशंका बढ़ गई है. इससे चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस बार सर्दियों में डिमांड में कमी हो सकती है. इस सबके चलते सेंटीमेंट्स कमजोर हो गए हैं और कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही कई देशों में ब्याज दरों में जारी बढ़ोतरी का दौर और चीन में लॉकडाउन ने भी कच्चे तेल के दाम कम करने का काम किया है. इससे आशंका है कि आने वाले कुछ महीनों तक हालात सुधरने की उम्मीद नहीं है और कीमतों में कमी इसी तरह जारी रह सकती है. कच्चे तेल की कीमतों में कमी का एक कारण रूस के कच्चे तेल पर G-7 देशों द्वारा लगाए गए कड़े कच्चे तेल में गिरावट प्रतिबंध भी हैं. इसके अलावा अमेरिका ने वेनेजुएला में क्रूड उत्पादन को मंजूरी दी है जो अब शेवरॉन कार्प क्रूड का प्रॉडक्शन करेगा. इससे भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ेगा.

कब तक घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी का सटीक अंदाजा तो लगाना मुश्किल है लेकिन इतना जरूर है कि अगर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में तेल मार्केटिंग कंपनियां अपने नुकसान को पूरा कर लेती हैं और जनवरी-मार्च तिमाही में भी कच्चे तेल की कीमतों में कमी रहती है तो फिर मुमकिन है ये अपनी गुंजाइश के कुछ हिस्से को ग्राहकों तक पहुंचा सकती हैं. लेकिन यहां पर भी ये देखना होगा कि अगर दाम फिर से बढ़ने लगे तब तेल कंपनियां ऐसा कोई फैसला नहीं करेंगी. वैसे भी मॉर्गन स्टेनली के एनालिस्ट्स का अनुमान है कि 2023 में कच्चे तेल की कीमतें 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर सकती हैं. यानी मौजूदा स्तर से 33 फीसदी की तेजी इनमें आ सकती हैं. हालांकि ये लेवल 2022 के 127 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर से कम रहेगा. ऐसे हालात में तेल मार्केटिंग कंपनियां किस तरह का रुख अपनाएंगी ये देखना दिलचस्प होगा.

Petrol Diesel Price Today: कच्चे तेल की कीमत में गिरावट, क्या गिरे पेट्रोल-डीजल के दाम ?

Petrol Diesel Price 10 December 2022: कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। 22 मई के बाद से तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई है। 10 दिसंबर को एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमत जारी की गई, जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।

Petrol Price

22 मई के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलव नहीं हुआ है।

शहर पेट्रोल/लीटरडीजल
दिल्ली 96.72 89.62
मुंबई106.31 94.27
चेन्नई102.6394.24
कोलकाता106.0392.76
नोएडा 97.00 90.14
लखनऊ96.44 89.64
पटना107.24 94.04

22 मई के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमत स्थिर

गौरतलब है कि 22 मई के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलव नहीं हुआ है। आपको बता दें कि हर सुबह 6 बजे तेल कंपनियों की ओर से पेट्रोल-डीजल के दाम जारी किए जाते हैं। आप भी अपने शहर में पेट्रोल-डीजल की कीमत को आसानी से अपने मोबाइल फोन की मदद से चेक कर सकते हैं। आपको बस एक SMS भेजना होगा। इसके लिए आपको अपने फोन से 9224992249 पर अपने शहर के पेट्रोल पंप के कोड के साथ भेजना होगा। आपको मैसेज के जरिए तेल की ताजा कीमतों की जानकारी मिल जाएगी।

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Petrol-Diesel Price: पेट्रोल-डीजल 33 रुपये तक होना चाहिए सस्ता, कच्चा तेल साल के सबसे निचले स्तर 76 डॉलर पर

कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है।

कच्चे तेल के भाव में आई गिरावट।

कच्चे तेल की कीमतें जुलाई, 2008 के बाद इस साल मार्च में 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थीं। उसके बाद से 46 फीसदी गिरावट के साथ यह इस साल सबसे निचले स्तर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है।

कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इसलिए आ रही है, क्योंकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो आपूर्ति की अनिश्चितता थी, वह अब फीकी पड़ गई है।

क्रूड महंगा होने पर क्या हुआ असर
मार्च में जब क्रूड 140 बैरल डॉलर था (एक बैरल में 159 लीटर) तब अप्रैल में खुदरा महंगाई 8 साल के रिकॉर्ड स्तर 7.79% पर थी। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से रेपो कच्चे तेल में गिरावट दरों में कटौती शुरू की। उम्मीद है कि नवंबर की महंगाई के आंकड़े जब इस हफ्ते आएंगे तो वह 6% रह सकते हैं। तेल महंगा होने का ज्यादा असर माल ढुलाई पर होता है। पेट्रोल और डीजल की घरेलू दरें इन ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं। लेकिन अप्रैल के बाद से, घरेलू दरें स्थिर हो गई हैं, क्योंकि कंपनियों ने बाजार से कम कीमतों पर ईंधन बेचा और भारी नुकसान हुआ। ग्राहकों को वैश्विक मूल्य में गिरावट के लाभों को देने से पहले घरेलू कंपनियां पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगीं।

रुपये में ऐसे समझें गणित
ब्रेंट क्रूड का मौजूदा दाम 76.10 डॉलर प्रति बैरल यानी 6,272.20 रुपये प्रति बैरल है। इसे प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो 6,272 रुपये में 159 लीटर होता है। यानी कीमत 39.45 रुपये लीटर हुई। मार्च के महीने में 140 लीटर प्रति बैरल यानी 11,538 रुपये प्रति बैरल को प्रति लीटर में करें कच्चे तेल में गिरावट तो यह 72.57 रुपये प्रति लीटर था। ब्रेंट 9 माह में 33.12 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।

विस्तार

कच्चे तेल की कीमतें जुलाई, 2008 के बाद इस साल मार्च में 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थीं। उसके बाद से 46 फीसदी गिरावट के साथ यह इस साल सबसे निचले स्तर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है।

कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इसलिए आ रही है, क्योंकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो आपूर्ति की अनिश्चितता थी, वह अब फीकी पड़ गई है।

क्रूड महंगा होने पर क्या हुआ असर
मार्च में जब क्रूड 140 बैरल डॉलर था (एक बैरल में 159 लीटर) तब अप्रैल में खुदरा महंगाई 8 साल के रिकॉर्ड स्तर 7.79% पर थी। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से रेपो दरों में कटौती शुरू की। उम्मीद है कि नवंबर की महंगाई के आंकड़े जब इस हफ्ते आएंगे तो वह 6% रह सकते हैं। तेल महंगा होने का ज्यादा असर माल ढुलाई पर होता है। पेट्रोल और डीजल की घरेलू दरें इन ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं। लेकिन अप्रैल के बाद से, घरेलू दरें स्थिर हो गई हैं, क्योंकि कंपनियों ने बाजार से कम कीमतों पर ईंधन बेचा और भारी नुकसान हुआ। ग्राहकों को वैश्विक मूल्य में गिरावट के लाभों को देने से पहले घरेलू कंपनियां पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगीं।

रुपये में ऐसे समझें गणित
ब्रेंट क्रूड का मौजूदा दाम 76.10 डॉलर प्रति बैरल यानी 6,272.20 रुपये प्रति बैरल है। इसे प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो 6,272 रुपये में 159 लीटर होता है। यानी कीमत 39.45 रुपये लीटर हुई। मार्च के महीने में 140 लीटर प्रति बैरल यानी 11,538 रुपये प्रति बैरल को प्रति लीटर में करें तो यह 72.57 रुपये प्रति लीटर था। ब्रेंट 9 माह में 33.12 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।

14 रु. तक सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल: कच्चे तेल के दाम गिरे, कस्टमर-कंपनी दोनों को फायदा

कच्चे तेल के दाम गिरने के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 14 रुपए तक की कमी आ सकती है। इंटरनेशनल बाजार में कच्चे तेल (ब्रेंट) की कीमत जनवरी से निचले स्तर पर है। यह अब 81 डॉलर से नीचे आ गया है। अमेरिकी क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के करीब है।

मई के बाद पहली बार पेट्रोल-डीजल के दाम घट सकते हैं
खास तौर पर कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट से भारतीय रिफाइनरी के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत (इंडियन बास्केट) घटकर 82 डॉलर प्रति बैरल रह गई है। मार्च में ये 112.8 डॉलर थी। इस हिसाब से 8 महीने में रिफाइनिंग कंपनियों के लिए कच्चे तेल के दाम 31 डॉलर (27%) कम हो गए हैं।

एसएमसी ग्लोबल के मुताबिक क्रूड में 1 डॉलर गिरावट आने पर देश की तेल कंपनियों को रिफाइनिंग पर प्रति लीटर 45 पैसे की बचत होती है। इस हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम 14 रु. प्रति लीटर तक कम होने चाहिए। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक पूरी कटौती एक बार में नहीं होगी।

जानिए पेट्रोल-डीजल के दाम घटने की 3 वजह

1. ऑयल कंपनियों को प्रति बैरल 245 रुपए की बचत
अभी देश में पेट्रोल और डीजल की जो कीमतें हैं, उसके हिसाब से क्रूड ऑयल का इंडियन बास्केट करीब 85 डॉलर प्रति बैरल होना चाहिए, लेकिन ये 82 डॉलर के आसपास आ गया है। इस भाव पर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को प्रति बैरल (159 लीटर) रिफाइनिंग पर करीब 245 रुपए की बचत होगी।

2. ऑयल कंपनियों को हो रहा घाटा अब खत्म
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर मुनाफा होने लगा है, लेकिन डीजल पर अब भी 4 रुपए प्रति लीटर घाटा हो रहा है। तब से अब तक ब्रेंट क्रूड करीब 10% सस्ता हो गया है। ऐसे में कंपनियां कच्चे तेल में गिरावट डीजल पर भी मुनाफे में आ गई हैं।

3. 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा कच्चा तेल, मिलेगी राहत
पेट्रोलियम एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि ब्रेंट तेजी से 70 डॉलर की तरफ बढ़ रहा है। इससे पेट्रोल-डीजल के दाम जरूर कम होंगे, लेकिन थोड़ा वक्त लगेगा। तेल आयात से लेकर रिफाइनिंग तक का साइकल 30 दिन का होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम घटने के एक महीने बाद असर दिखता है।

पेट्रोल-डीजल के आज के दाम
देश में तेल के दाम पिछले करीब 6 महीने से स्थिर हैं। हालांकि जुलाई में महाराष्ट्र में पेट्रोल जरूर पांच रुपए और डीजल तीन रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था, लेकिन बाकी राज्यों में दाम जस के तस बने हुए हैं।

मुख्य रूप से 4 बातों पर निर्भर करते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

  • कच्चे तेल की कीमत
  • रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत
  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाला टैक्स
  • देश में फ्यूल की मांग

भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल करता है आयात
हम अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं। इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है।

भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी।

19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

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