भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू हो गया। भारत में क्रिप्टोकरेन्सी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भारत में क्रिप्टोकरेन्सी भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे भारत में क्रिप्टोकरेन्सी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर भारत में क्रिप्टोकरेन्सी से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस भारत में क्रिप्टोकरेन्सी बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले भारत में क्रिप्टोकरेन्सी दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।
क्रिप्टोवायर ने भारत का पहला क्रिप्टोकरेंसी IC15 वैश्विक सूचकांक जारी किया
क्रिप्टोवायर (CryptoWire), एक वैश्विक क्रिप्टो सुपर ऐप, जो टिकरप्लांट की एक विशेष व्यावसायिक इकाई है, ने भारत के पहले क्रिप्टोकरेंसी इंडेक्स – IC15 को लॉन्च करने की घोषणा की, जो बाजार पूंजीकरण द्वारा एक नियम-आधारित व्यापक बाजार सूचकांक है। कंपनी ने कहा कि IC15 दुनिया के प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध शीर्ष 15 व्यापक रूप से कारोबार वाली तरल क्रिप्टोकरेंसी के प्रदर्शन को ट्रैक और मापता है।
मुंबई स्थित कंपनी को क्रिप्टो भारत में क्रिप्टोकरेन्सी खनन और वास्तविक बेंचमार्क और अंतर्निहित क्रिप्टो बाजार का एक दर्पण, एक अर्थ में उद्योग का बैरोमीटर, समग्र बाजार भावनाओं के विविध प्रतिनिधित्व के साथ अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत में 2021 में 7.3 फीसदी आबादी के पास थी क्रिप्टोकरेंसी, बाजारों में प्रचलित नोटों पर मंडरा रहा खतरा
यूएनसीटीएडी ने कहा कि कोरोना के दौरान विकसित देशों समेत दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग बेहद तेजी से बढ़ा है. इसमें आगे कहा गया कि यदि क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है, अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा का स्थान ले लेती है, तो इससे देशों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है.
संयुक्त राष्ट्र : कोरोना महामारी ने न भारत में क्रिप्टोकरेन्सी केवल दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अभूतपूर्व दर से बढ़ा है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में 7 फीसदी से अधिक आबादी के पास डिजिटल करेंसी है. रिपोर्ट में यह आशंका भी जाहिर की गई है कि इसी रफ्तार से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने से दुनियाभर के बाजारों में प्रचलित नोटों पर खतरा मंडरा रहा है.
सातवें स्थान पर भारत
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने कहा कि 2021 में क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से 20 टॉप अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाएं थीं. इस सूची में 12.7 फीसदी के साथ यूक्रेन टॉप पर है. इसके बाद रूस (11.9 फीसदी), वेनेजुएला (10.3 फीसदी), सिंगापुर (9.4 फीसदी), केन्या (8.5 फीसदी) और अमेरिका (8.3 है) हैं. भारत में 2021 में कुल आबादी में से 7.3 फीसदी लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी थी और इस सूची में उसका स्थान सातवां है.
दुनियाभर की प्रचलित करेंसी पर मंडरा रहा खतरा
यूएनसीटीएडी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान विकसित देशों समेत दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग बेहद तेजी से बढ़ा है. इसमें आगे कहा गया कि यदि क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है और अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा का स्थान ले लेती है, तो इससे देशों की मौद्रिक संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है.
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यूक्रेन के परमाणु प्लांट पर हमले से भारत चिंतित
उधर, भारत ने यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के इस्तेमाल हो चुके ईंधन भंडारण केंद्र के पास गोलाबारी की खबरों को लेकर चिंता व्यक्त की है और परमाणु केंद्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपसी संयम बरतने का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि हम यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों और केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा के संबंध में घटनाक्रम का सावधानीपूर्वक अवलोकन कर रहे हैं. भारत इन केंद्रों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने को अत्यंत महत्व देता है, क्योंकि परमाणु केंद्रों से जुड़ी किसी भी दुर्घटना का लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर परिणाम हो भारत में क्रिप्टोकरेन्सी सकता है.
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क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की खबरों के बीच Coinstore की भारत में एंट्री, भारत में क्रिप्टोकरेन्सी बड़ा है प्लान
सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज (Cryptocurrency exchange) भारत में अपने ऑपरेशन शुरू कर चुकी है.
एक तरफ चर्चा है कि भारत सरकार भारत में क्रिप्टोकरेन्सी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की ट्रेडिंग पर बैन लगाने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सिंगाप . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : November 29, 2021, 08:25 IST
नई दिल्ली. एक तरफ चर्चा है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की ट्रेडिंग पर बैन लगाने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज (Cryptocurrency exchange) भारत में अपने ऑपरेशन शुरू कर चुकी है. इस एक्सचेंज का नाम है कॉइनस्टोर (Coinstore). कॉइनस्टोर ने हाल ही में अपनी वेब और एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं और कंपनी का प्लान है कि बेंगलुरु, नई दिल्ली और मुम्बई में कुछ ब्रांचेज खोली जाएं.
Reuters की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉइनस्टोर (Coinstore) के मार्केटिंग हेड चार्ल्स टैन (Charles Tan) का कहना है कि उनकी ऐप पर आ रहा लगभग एक तिहाई यूजर भारत से है. तो ऐसे में भारतीय बाजार में विस्तार करना कंपनी ने ठीक समझा. जब उनसे पूछा गया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrencies) पर बैन की बात कही जा रही है तो उनकी भारत में क्रिप्टोकरेन्सी कंपनी भारत में अपनी लॉन्चिंग को लेकर कितनी सुनिश्चित है तो उन्होंने बताया कि पॉलिसी थोड़ी ऊपर-नीचे हो सकती है, लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि चीजें पॉजिटिव रहेंगी. Charles Tan ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक हेल्थी फ्रेमवर्क प्रस्तुत करेगी.
भारत में 100 कर्मचारी रखेंगे, खर्च करेंगे 20 मिलियन डॉलर
टैन ने कहा कि कॉइनस्टोर (Coinstore) भारत में लगभग 100 से ज्यादा कर्मचारी रखने की तैयारी में है. कंपनी भारतीय बाजार में मार्केटिंग, हायरिंग और क्रिप्टो संबंधी प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ के डेवलपमेंट पर लगभग 20 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना के साथ आई है.
बता दें कि हाल ही के महीनों में भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली कॉइनस्टोर (Coinstore) दूसरी ग्लोबल एक्सचेंज बन गई है. इससे पहले सितंबर में क्रॉसटावर (CrossTower) नाम की एक एक्सचेंज ने भारत में अपनी स्थानीय यूनिट लगाई थी.
भारत में 15-20 मिलियन क्रिप्टो ट्रेडर
इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि क्रिप्टोकरंसी में निवेश और रिटर्न की अपार संभावनाएं हैं. दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन (Bitcoin) पिछले 1 साल में दोगुने से ज्यादा हो चुकी है, जिसके चलते भारतीय निवेशकों का रुझान क्रिप्टो की तरफ हुआ है.
क्रिप्टो की इंडस्ट्री का अनुमान है कि भारत में क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या 15 मिलियन से लेकर 20 मिलियन तक हो सकती है. इन लोगों के पास क्रिप्टो की लगभग 400 बिलियन रुपयों की होल्डिंग भी हो सकती है. भारत के अलावा कॉइनस्टोर की योजना जापान, कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम में भी एक्सपेंड करने की है.
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भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की खबर से बिटकॉइन में आई गिरावट
नई दिल्ली। भविष्य की करेंसी कही जा रही क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को मोदी सरकार के बड़े ऐलान के बाद तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि भारत सरकार क्रिप्टो करेंसी (cryptocurrency) पर बैन लगाने की तैयारी में है। सभी निजी क्रिप्टोकरेंसीज को बैन किया जा सकता है। बकायादा भारत सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में इस बारे में बिल लेकर आएगी। इसी बीच बैन की खबर आते ही मंगलवार को सभी प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी धड़ाम हो गईं। ज्यादातर में 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई।
इस खबर के आने के बाद मंगलवार को बिटकॉइन (Bitcoin) में करीब 15 फीसदी, Ethereum में 12 फीसदी, Tether में करीब 6 फीसदी और यूएसडी कॉइन में करीब 8 फीसदी की गिरावट देखी गई. भारत में बिटकॉइन कीमत 15 फीसदी गिरकर 40,28,000 रुपये, एथरम की कीमत 3,05,114 रुपये, टीथर की कीमत करीब 76 रुपये, कारडानो की कीमत करीब 137 रुपये तक पहुंच गई।
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बता दें कि मंगलवार रात भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश करने की खबर सामने आई। इसके कुछ देर बाद ही क्रिप्टो बाजार धड़ाम हो गया। यहां तक कि क्रिप्टो मार्केट के नंबर एक क्वाइन बिटक्वाइन की कीमतों में भी 26 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा बाकी क्वाइन भी बुरी तरह धराशायी हो गए। इन सभी की कीमतों में 25 से 30 फीसदी तक की गिरावट आई है। क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन में मदद करने वाले सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स इस वक्त लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं।
विदित हो कि क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जोखिम काफी ज्यादा है। इसके बावजूद लोग बड़े पैमाने पर इसमें निवेश कर रहे हैं। दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी के बारे में पता नहीं होता है कि इन्हें कहां से शुरू किया गया और इनका संचालन कहां से हो रहा है। ऐसे में सरकार ने इन पर पाबंदी लगाने का फैसला किया, जो अच्छा कदम माना जा रहा है।
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