शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है

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Types of Stock in Hindi | स्टॉक कितने प्रकार के होते है? | Different Types of Stock in Hindi

Types of Stock in Hindi: अगर आप भी शेयर मार्केट में निवेश करने का प्लान बना रहे है तो पहले यहां समझ लें कि स्टॉक कितने प्रकार के होते है? यहां उन सभी कैटेगिरी के साथ स्टॉक के प्रकारों का शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है डिटेल दिया गया है, जिसमें वह आते है।

Types of Stock in Hindi: आप अक्सर निवेश करने के लिए उपयुक्त कंपनियों के बारे में सोचते होंगे, अपनी पसंद को आसान बनाने के लिए शेयरों (Stocks) को कई कैटेगिरी में विभाजित किया जाता है। कंपनी के आकार, डिविडेंट पेमेंट, इंडस्ट्री, रिस्क, अस्थिरता, बुनियादी बातों आदि जैसे पैरामीटर पर स्टॉक को कई कैटेगरी में वर्गीकृत किया जाता है।

अगर आप भी शेयर मार्केट में निवेश करने का प्लान बना रहे शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है है तो पहले यहां समझ लें कि स्टॉक कितने प्रकार के होते है? यहां उन सभी कैटेगिरी के साथ स्टॉक के प्रकारों का डिटेल दिया गया है, जिसमें वह आते है।

स्वामित्व के आधार पर (Based on Ownership)

ओनरशिप के संदर्भ में, शेयरों को दो कैटेगिरी में वर्गीकृत किया जाता है।

1) प्रिफर्ड स्टॉक (Preferred Stock)

Preferred Stock स्टेकहोल्डर को एक निश्चित लाभांश की गारंटी देते हैं। इस वजह से इन शेयरों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है। हालांकि, प्रिफर्ड स्टॉक स्टेकहोल्डर को मतदान का अधिकार नहीं देते हैं।

लेकिन प्रिफर्ड स्टॉक के मालिक होने का फायदा यह है कि परिसमापन (Liquidation) की स्थिति में, प्रिफर्ड शेयरहोल्डर को आम शेयरहोल्डर से पहले भुगतान किया जाता है।

कंपनी के पास किसी भी समय प्रीमियम के साथ शेयरधारकों से प्रिफर्ड शेयर शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है वापस खरीदने का विकल्प है। फिक्स्ड इनकम चाहने वाले निवेशकों को Preferred Stock में निवेश करना चाहिए।

2) कॉमन स्टॉक (Common Stock)

जब हम सामान्य रूप से स्टॉक का उल्लेख करते हैं, तो वे कॉमन स्टॉक होते हैं। अधिकांश स्टॉक इस रूप में जारी किए जाते हैं।

निवेशकों के पास मतदान का अधिकार होता है और वे कंपनी द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णयों का हिस्सा हो सकते हैं। मूल्य अस्थिरता अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन निवेशक लॉन्ग टर्म कैपिटल ग्रोथ का आनंद ले सकते हैं।

हालांकि, कंपनियां आम शेयरहोल्डर को लाभांश का भुगतान कर सकती हैं या नहीं भी कर सकती हैं। इसके अलावा, परिसमापन की स्थिति में आम स्टॉक रखने वाले निवेशक भुगतान के लिए अंतिम पंक्ति में होते हैं।

मार्केट कैप के आधार पर स्टॉक (Stocks Based on Market Cap)

अगर हम मार्केट कैपिटलाइजेशन को ध्यान में रखते हैं, तो शेयरों को तीन कैटेगरी में विभाजित किया जाता है -

1) लार्ज कैप (Large Cap)

जिन कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइजेशन 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का होता है वह लार्ज-कैप ब्रैकेट में आती है। लार्ज-कैप कंपनियां अपने-अपने क्षेत्रों में मार्केट लीडर हैं और बार-बार होने वाले उतार-चढ़ाव की चपेट में नहीं आती हैं।

इनका कैश रिज़र्व अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन ग्रोथ धीमा होता है क्योंकि उन्होंने खुद को इस क्षेत्र में स्थापित कर लिया है। कम जोखिम वाले निवेशकों को आदर्श रूप से लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करना चाहिए।

2) मिड कैप (Mid Cap)

जिन कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइजेशन 7000 करोड़ रुपये से 26000 करोड़ रुपए के बीच में होता है, उन्हें मिड कैप स्टॉक कहा जाता है। मिड-कैप कंपनियां बाजार की जानी-मानी खिलाड़ी हैं, लेकिन अपने-अपने क्षेत्रों की मार्केट लीडर नहीं हैं। मिड-कैप स्पेस में स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव मध्यम है, जबकि कैश रिज़र्व मध्यम है। मध्यम जोखिम क्षमता वाले निवेशकों को मिड कैप कंपनियों में निवेश करना चाहिए।

3) स्माल कैप (Small Cap)

स्मॉल-कैप कंपनियां वे हैं जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन 7000 करोड़ रुपये से कम है। ये इस क्षेत्र के नए खिलाड़ी हैं जो खुद को स्थापित करना चाहते हैं।

ये बहुत अस्थिर स्टॉक हैं और किसी भी तरह की खबर या उनके आसपास चर्चा के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनके कैश रिज़र्व कम हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश व्यवसाय को बढ़ाने के लिए तैनात हैं। हालांकि, उनके बढ़ने की संभावना मिड-कैप और लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में अधिक है।

उच्च जोखिम वाले निवेशकों को कम समय में अधिक रिटर्न की तलाश में स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश करना चाहिए।

लाभांश भुगतान पर आधारित स्टॉक | Stocks based on Dividend payments

अगर आप लाभांश देने वाले शेयरों को देख रहे हैं, तो इस सेक्टर में दो केटेगरी हैं -

1) इनकम स्टॉक (Income Stock)

अगर आप लाभांश (Dividend) के माध्यम से शेयर बाजारों में निवेश करके नियमित आय की तलाश कर रहे हैं तो आपको इनकम स्टॉक में निवेश करना चाहिए। ये कंपनियां नियमित रूप से शेयरधारकों को भारी लाभांश का भुगतान करती हैं, भले ही उनकी विकास दर कम हो। इन कंपनियों में निवेश करने में न्यूनतम जोखिम शामिल होता है।

2) ग्रोथ स्टॉक (Growth Stock)

ग्रोथ स्टॉक वे होते हैं जो कम लाभांश देते हैं और लाभांश का भुगतान करने की आवृत्ति भी अनियमित होती है क्योंकि ये कंपनियां शेयरधारकों को लाभांश के रूप में भुगतान करने के बजाय कंपनी को विकसित करने में अपना लाभ निवेश करती हैं।

हालांकि उनके पास उच्च विकास संभावनाएं हैं, इन शेयरों में निवेश में शामिल जोखिम आय शेयरों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है। जो निवेशक लंबी अवधि में अपनी संपत्ति बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें Growth Stock में निवेश करना चाहिए।

प्राइस ट्रेंड के आधार पर स्टॉक (Stocks based on price trends)

प्राइस ट्रेंड के संदर्भ में शेयरों को दो कैटेगिरी में बांटा गया है। आइए इन कैटेगिरी को गहराई से देखें।

1) चक्रीय स्टॉक (Cyclical Stock)

Cyclical Stock आर्थिक प्रवृत्तियों और व्यापक आर्थिक समाचार या जीडीपी या मुद्रास्फीति जैसे डेटा के लिए अत्यधिक मूल्य-संवेदनशील होते हैं। ये शेयर बेंचमार्क मार्केट इंडेक्स (निफ्टी 50 या सेंसेक्स) के अनुरूप चढ़ेंगे और गिरेंगे। इन शेयरों को खरीदने का एक आदर्श समय बढ़ती आर्थिक परिस्थितियों में है। Cyclical Stock का एक उदाहरण ऑटोमोबाइल स्टॉक है।

2) डिफेंसिव स्टॉक (Defensive Stock)

डिफेंसिव स्टॉक वे हैं जो अन्यथा गिरते बाजार की ट्रेंड का बचाव करते हैं, ये स्टॉक आमतौर पर ऐसे समय में बढ़ेंगे जब व्यापक बाजार रेड जॉन में हों और इसके विपरीत। ब्रॉडर इकनोमिक ट्रेंड का प्रभाव Cyclical Stock की तुलना में Defensive Stock पर अपेक्षाकृत कम है।

Defensive Stock खरीदने का एक अच्छा समय ऐसे समय में होता है जब मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियां आदर्श नहीं होती हैं। डिफेंसिव स्टॉक के उदाहरण एफएमसीजी/उपभोक्ता स्टेपल स्टॉक हैं।

Conclusion -

एक बार जब आप शेयर बाजारों में मौजूद स्टॉक के प्रकारों (Types of Stock in Hindi) के बारे में जान जाते हैं तो उन्हें विभाजित करना और यह समझना आसान हो जाता है कि कौन सा आपके लिए सबसे अच्छा है। अगर आपके पोर्टफोलियो में ज्यादातर तरह के स्टॉक हैं, तो यह आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है।

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है आपके मन मे भी ये सवाल जरूर आया होगा की आखिर स्टॉक मार्केट में कितने प्रकार की ट्रेडिंग होती है. मै आपको बता दू स्टॉक मार्केट में चार प्रकार की ट्रेडिंग होती है intraday trading. Swing शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है trading. Short term trading. Long term trading. ये चार प्रकार की ट्रेडिंग कैसे की जाती है ये हम आज आपको बतायेंगे तो चलीये जानते है.शेअर मार्केट मे ट्रेडिंग कैसे होती है. और कितने प्रकार की होती है.

Intraday trading – इंट्राडे ट्रेडिंग

जब मार्केट 9 बजकर 15 मिनिट में शुरू होता है. और 3 बजकर 30 मिनिट मे बंद होता है. उस टाइम के अंदर आप जो कोई भी शेअर्स खरीद लेते है. या बेज देते है उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है. यांनी की आपको इसी टाइम के अंदर शेअर्स खरीद लेना है और बेच देना है. अब हम जानते है इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे

इंट्राडे ट्रेडिंग मे आपको शेअर बाजार के उतार-चढाव के बारे मे पता होना बेहात जरुरी है. इंट्राडे ट्रेडिंग से अगर अच्छे स्टॉक का शेअर्स आप खरीद लेते है तो आप 8000 रुपये per day से भी ज्यादा कमा सकते हो

इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान

इंट्राडे ट्रेडिंग मे जितना फायदा होता है उतना ही रिक्स और loss होता है,इस ट्रेडिंग मे आपको कोई ये नही बताएगा आखिर इंट्राडे मे ट्रेडिंग कैसे करे अगर आपके पास knowledge नही है और आप नये हो तो मेरी ये राय रहेगी आपके लिए ये ट्रेडिंग नही है. क्युकी नये लोग सबसे पहले यही ट्रेडिंग करना शुरू करते है और बाद में उनको असफलता मिलती है अब हम जानते है स्विंग ट्रेडिंग

Swing trading स्विंग ट्रेडिंग

इस ट्रेडिंग मे कोई भी स्टॉक खरीदकर कुछ दिनो मे या कुछ हप्तो के अंदर बेच सकते हो इसे स्विंग ट्रेडिंग कहा जाता है .इसे ट्रेडिंग किंग भी कहा जाता है. ये ट्रेडिंग इंट्राडे की तरह नही है लेकिन इसमे आप अपना टारगेट प्राईस लगाकर loss शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है और profit को आसानी से झेल सकते हो

स्विंग ट्रेडिंग के फायदे

अगर आप नये हो तो सुरुवात मे आपको यही ट्रेडिंग करनी चाहिए तभी आप अच्छा स्टॉक select कर पाओगे और शेअर मार्केट के उतार और चढाव के बारे मे आसानी से और बारीकीसे जान पाओगे

स्विंग ट्रेडिंग के नुकसान

स्विंग ट्रेडिंग मे अगर आप अच्छे स्टॉक को नही चुन, पाओगे तो आपको लॉस ही होगा क्यूकी इस ट्रेडिंग मे अच्छे स्टॉक को चूनना बेहद जरूरी है ताकी आप ज्यादा दिन तक अच्छे से स्टॉक मे invest कर सके

Short term trading शॉर्ट ट्रम ट्रेडिंग

जब कोई ट्रेडिंग कुछ हप्तो से लेकर कूछ महिनो मे complete होता है.उसे शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग मे एक active trade investment हे आपको इसमे अपने स्टॉक पर नजर रखनी पडती है तभी आप अपने स्टॉक को minimise कर सकते है

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के फायदे

वैसे तो इस ट्रेडिंग मे आप अगर पुरी research के साथ stock स्सिलेक्ट करोगे तो आप अपने लॉस ओर प्रॉफिट को मिनिमाईज कर पावोगे

शॉर्ट ट्रेडिंग के नुकसान

अगर आप किसीके कहने पर या YouTube पर video देखकर किसी स्टॉक को खरीद लेते हो तो आपको पक्का लॉस ही होगा क्युकी आप जिस किसी भी स्टॉक को सिलेक्ट करते हो ऊस कंपनी के fundamentals के बारे मे हि आपको पता नही होता तभी आप लॉस मे जाते हो

Long term trading लॉंग टर्म ट्रेडिंग

अब आप इसके नाम से ही जान गये होंग आखिर लॉंग टर्म ट्रेडिंग क्या है. इस ट्रेडिंग में आप जो कोई स्टॉक एक साल या उससे ज्यादा के लिये खरीद लेते हो उसे लॉंग टर्म ट्रेडिंग कहा जाता है

लॉंग टर्म ट्रेडिंग के नुकसान और फायदे

इसमे अगर आप कोई अच्छा स्टॉक सिलेक्ट नही कर शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है पाओगे तो आपको नुकसान होगा .और रिसर्च करके अगर सिलेक्ट करोगे तो आपको बहुत ज्यादा प्रॉफिट भी हो सकता है

दोस्तो आशा करता हु आपको यह आर्टिकल देहत पसंद आया होगा अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमे नीचे comment मे जरूर बताये और इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे

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FAQ

ट्रेडिंग कितने प्रकार कि होती है

ट्रेडिंग चार प्रकार की होती है
1, Intraday trading
2, Swing trading
3, Short term trading
4, Long term trading

नमस्ते दोस्तों आपका स्वागत है आपको इस website पर शेयर मार्केट, म्यूचल फंड, शेयर प्राइस टारगेट, इन्वेस्टमेंट,से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी रिसर्च के साथ हिंदी मे दी जाएगी

Stock Market में कितने तरह के Sector होते हैं? ऐसे समझें

Stock Market Investment नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 1900 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। शेयर बाजार में इन कंपनियों को 11 प्रमुख सेक्टर में बांटा गया है। तो आइए जानते है शेयर बाजार में विभिन्न सेक्टर्स कौन-कौन से हैं।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आपके शहर को अलग-अलग सेक्टर में रखा जाता है, किसी सेक्टर में आवासीय घर होते हैं, तो किसी में इंडस्ट्रीज। इसी तरह शेयर मार्केट में भी विभिन्न सेक्टर होते हैं जिनमें उस क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियां होती हैं। जैसे कि FMCG सेक्टर में हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, ITC आदि कंपनियां हैं तो वहीं IT सेक्टर में TCS, विप्रो जैसी कई कंपनियां होती हैं। उन्हें अलग-अलग सेक्टर में रखने का आधार होता है कि, वे किस सेक्टर से संबध रखते हैं। निवेशकों के मन में यह सवाल अक्सर होता है कि स्टॉक मार्केट में कितने सेक्टर होते है?

Stock Market Investment: what is stop loss order

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शेयर बाजार (Stock Market) में सेक्टर और उनकी जरूरतों का अंदाजा लगाने के लिए आइए एक उदाहरण देखते हैं। कोई व्यक्ति एक खास सोसायटी में एक फ्लैट में रहता है और वह चाहता है कि अन्य लोग उसके घर तक आसानी से पहुंच सके। अब उस सोसाइटी में कई सौ फ्लैट है, जो एक ही तरह के है तो वह व्यक्ति अपने फ्लैट को बाकी फ्लैटों से कैसे अलग करेगा? इस समस्या को हल करने के लिए फ्लैटों के आकार के आधार पर पूरी सोसाइटी को अलग-अलग ब्लॉकों में बांटा जाता है। अब बस उसे अपना फ्लैट और ब्लॉक नंबर बताना होगा और जिससे लोगों को उसका घर खोजने में कोई दिक्कत नहीं होगी। इसी तरह, स्टॉक मार्केट में ट्रेडर्स और इंवेस्टर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कैसे करें और इंवेस्टमेंट के लिए स्टॉक कैसे चुनें। क्योंकि हजारों कंपनियां हैं जो नियमित रूप से पब्लिक ट्रेडिंग करती है। इतनी सारी कंपनियों के बीच कौन सी कंपनी किस सेक्टर में है, इसकी पहचान करना एक आसान काम नहीं होता है। यही वजह है कि इन कंपनियों को अर्थव्यवस्था के क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग सेक्टर में विभाजित किया गया है।

स्टॉक मार्केट में सेक्टर के प्रकार

अब बात आती है स्टॉक मार्केट में कितने सेक्टर होते है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 1900 से अधिक कंपनियां लिस्टेड शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है हैं। शेयर बाजार में इन कंपनियों को 11 प्रमुख सेक्टर में बांटा गया है। तो आइए जानते है शेयर बाजार में विभिन्न सेक्टर्स कौन-कौन से हैं?

●कृषि और कमोडिटी (Agriculture and Commodity)

●बैंक और वित्तीय सेवाएं (Banks and Financial Services)

●इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स (Electricals & Electronics)

●फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG)

●गैस और पेट्रोलियम (Gas and Petroleum)

●सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology infrastructure)

●रियल एस्टेट (Real Estate)

सेक्टर को छोटे हिस्सों में बांटना

शेयर बाजार (Stock Market) में कई सेक्टर होते हैं और ये सेक्टर भी कई और छोटे हिस्सों में विभाजित होते हैं। सेक्टर समान व्यवसाय मॉडल के आधार पर कई शेयरों का समूह होता है। इससे निवेशकों को विशेष स्टॉक की पहचान करने में आसानी होती है। जरूरत से ज्यादा जानकारी लेने के फेर में कई बार शेयर मार्केट कितने प्रकार के होते है निवेशकों का समय बर्बाद होता है। ऐसे में ये सेक्टर्स निवेशकों को सही स्टॉक चुनने में काफी मदद करते हैं। कई बार उस सेक्टर में छिपे हुए ऐसे क्षेत्रे के बारे में भी पता चलता है, जिसे अब तक हम नहीं जानते है।

स्टॉक मार्केट एक्सचेंजों में लिस्टेड सभी कंपनियों को अलग-अलग सेक्टर में बांटना भी उन्हें एक अलग पहचान देता है और इंवेस्टर्स के लिए इसे पहचानना आसान होता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि मार्केट में आने वाले उतार चढ़ाव पूरे सेक्टर को प्रभावित करते हैं। इस वजह से उस सेक्टर के अंतर्गत आने वाली लगभग सभी कंपनियों पर भी मार्केट के उतार चढ़ाव का असर दिखता है। इसीलिए निवेश के पहले एवरग्रीन सेक्टर व विभिन्न सेक्टर में निवेश करने की सलाह दी जाती है, जिससे मार्केट के उतार चढ़ाव का आपके पोर्टफोलियो पर बुरा असर न पड़े। शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए सही सेक्टर का चुनाव बेहद जरूरी होता है।

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