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Cirkus Film Review: पर्दे पर न ही 'सर्कस' और न ही अच्छी कहानी दिखा पाए रोहित शेट्टी

रोहित शेट्टी क्रिसमस के इस मौके पर अपने दर्शकों के लिए मल्टीस्टारर फिल्म 'सर्कस' लेकर आए हैं. इस सर्कस के रिंग मास्टर अका डायरेक्टर रोहित अपनी इस फिल्म के जरिए फैंस को कितना इंटरटेन कर पाए हैं, आईए पढ़ते हैं इस रिव्यू में.

स्टोरी

फिल्म 1952 के बैकड्रॉप पर बनी है. बैंगलुरू के जमनादास अनाथालय से चार जुड़वां बच्चों को दो अलग फैमिली अडॉप्ट करने आती है. इसी बीच अनाथालय के केयरटेकर और डॉक्टर (मुरली शर्मा) अपने किसी सोशल एक्सपेरिमेंट को सही साबित करने के लिए इन चारों बच्चों की अदला-बदली कर देते हैं. एक जोड़ी बैंगलुरू के संपन्न परिवार में जाती है, तो दूसरी जोड़ी ऊटी स्थित एक सर्कस चलाने वाले परिवार में पलती है. संयोगवश चारों के नाम भी एक समान है, रॉय(रणवीर सिंह) जॉय(वरुण शर्मा). कहानी कौन सी ट्रेडिंग पद्धति सबसे अच्छी है फिर पच्चीस साल आगे बढ़ती है, बैंगलुरूर में रहने वाले रॉय और जॉय अपने किसी बिजनेस डील की वजह से ऊटी आते हैं. एक ही शहर में दो रॉय और दो जॉय के होने से शुरू होता है बहुत सारा कंफ्यूजन, और इसी कंफ्यूजन से उनकी उलझनें बढ़ती जाती हैं. क्या इन चारों का आमना सामना हो पाता है? क्या उन्हें अपने पर किए गए सोशल एक्सपेरिमेंट का पता चल पाता है? डॉक्टर के उस एक्सपेरिमेंट के पीछे आखिर क्या लॉजिक है? इन सब सवालों का जवाब थिएटर में मिल जाएगा.

'अवतार 2' की सक्सेस का रोहित शेट्टी की 'सर्कस' पर पड़ेगा असर? क्या कहते हैं ट्रेड एनालिस्ट

डायरेक्शन

रोहित शेट्टी की फिल्मों का एक अलग मिजाज रहा है. मसाले से भरपूर फिल्मों में कॉमेडी का तड़का लगाकर रोहित ने इतने सालों में अपना एक लॉयल दर्शक कौन सी ट्रेडिंग पद्धति सबसे अच्छी है वर्ग तैयार कर लिया है. भले ही रोहित की फिल्में लॉजिक्स और साइंस पर सवाल उठाती हों, लेकिन कॉमेडी में उनका कोई सानी नहीं है. पर अफसोस सर्कस देखने के बाद रोहित के डायरेक्शन से बहुत निराश होती है. यह कहना गलत नहीं होगा कि पर्दे पर रोहित की सर्कस अबतक की सबसे कमजोर फिल्म नजर आती है. फिल्म की कहानी का कोई सिर-पैर नहीं पता चल पाता है. कमजोर स्क्रीनप्ले की वजह से कहानी आखिरी सीन तक बिखरी सी है. फर्स्ट हाफ तो फीकी कॉमेडी और कंफ्यूजन से लबरेज महसूस होती है. स्टोरी इतनी फ्लैट है कि दर्शकों को पहले हाफ तक बंधे रहना भी मुश्किल सा होता है. सेकेंड हाफ में कॉमेडी के कुछ पंच लाइन के साथ संजय मिश्रा, सिद्धार्थ जाधव की बेमिसाल एक्टिंग थोड़ी राहत तो देती है, लेकिन पहले से डिसकनेक्ट हो चुके ऑडियंस का इसका एंजॉय कर पाना मुश्किल सा लगता है. फिल्म में इस्तेमाल किए गए रेट्रो गाने, गोलमाल ट्विस्ट देखकर आपको थोड़ा अच्छा लगेगा. सबसे ज्यादा कोफ्त इस बात की है कि रोहित ने सभी स्टारकास्ट को वेस्ट कर दिया है. इतने मंझे हुए कलाकार जब एक साथ स्क्रीन पर आते हैं, तो धमाके की उम्मीद होती है, लेकिन यहां तो चिंगारी भी नहीं जलती है. किसी भी किरदार के साथ न्याय नहीं होता देख, दिल कचोटता है. दूसरी सबसे बड़ी बात, फिल्म अपने टाइटल से बिलकुल भी मेल नहीं खाती है. सर्कस के नाम पर मजाक सी लगती है. न ही रोहित प्रॉपर सर्कस दिखा पाए और न ही एक अच्छी फिल्म. सर्कस का भव्य सेट पूरा बर्बाद सा लगता है.

टेक्निकल व म्यूजिक

फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी उसकी राइटिंग रही है. फरहाद सामजी, विधि धोड़गांवकर और संचित बेंद्री की राइटिंग औसत से भी कम लगती है. न फिल्म में कोई इमोशन सटीक है और न ही कॉमिडी का कोई पंच, इसलिए दर्शकों का कहानी से कनेक्ट होना महज सवाल बनकर रह जाता है. प्लस कहानी में लॉजिक मेजर मिसिंग है. बंटी नागी की एडिटिंग में सीन्स व फ्रेम को लेकर कंफ्यूजन साफ झलकता है. जोमोन टी जॉन की सिनेमैटोग्राफी की बात करें, तो फिल्म हर तरीके से कन्विंस करती है कि पीछे लगे भव्य सेट फेक (नकली) हैं. स्क्रीन पर देखो, तो कहीं से भी बैंगलुरू, ऊटी और 1965 का बैकड्रॉप स्टैबलिश नहीं हो पाता है. कलर पैलेट पर फिल्म बहुत ही लाउड है. म्यूजिक के एल्बम भी उतने खास नहीं है कि आपकी जेहन में बैठ जाए. दीपिका का आइटम सॉन्ग करेंट लगा गाना ही बस आपको याद रह जाता है. अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर औसत है.

एक्टिंग

फिल्म में रणवीर सिंह का डबल रोल में आना फैंस के साथ-साथ रणवीर के लिए भी एक नया एक्स्पेरिमेंट था. अपनी अदायगी से लोगों का दिल जीतने वाले रणवीर सिंह का इस फिल्म में उम्फ्फ फैक्टर नजर नहीं आता है. रणवीर की एक्टिंग इतनी वीक है कि आप उनको नोटिस नहीं कर पाते हैं. वहीं वरुण शर्मा भी डबल रोल में होकर कोई खास कमाल नहीं कर पाए हैं. जैकलीन फर्नांडिस और पूजा हेगड़े के किरदार में ज्यादा कुछ स्कोप नहीं था. फिल्म का असली हीरो अगर कोई है, तो वो संजय मिश्रा, फर्स्ट हाफ से लेकर क्लाइमैक्स तक संजय मिश्रा हावी रहे. इसके साथ सिद्धार्थ जाधव की कॉमिक टाइमिंग ने फिल्म को कुछ राहत दी है. वहीं जॉनी लिवर, मुरली शर्मा, सुलभा आर्या, टिकू तलसानिया, मुकेश तिवारी, ब्रजेश हिरजी जैसे जहीन कलाकार प्रॉपर स्पेस नहीं मिलने की वजह से महज एक फ्रेम की शोभा बनकर रह गए.

क्यों देखें

रोहित की यह फिल्म निराश करती है. एक लंबे समय पर एक साथ सिमटी बेहतरीन कास्ट भी कमजोर स्क्रिप्ट के आगे जादू बिखेर पाने में नाकामयाब रही है. बिना लॉजिक की बनी यह भव्य फिल्म हर पक्ष पर निराश करती है. खासकर अगर आप इसकी टाइटिल की वजह से फिल्म देखने जा रहे हैं, तो घनघोर ठगा हुआ महसूस करेंगे. हालांकि एक लंबा वीकेंड है और अवतार 2 देख ली है, तो इसे एक विकल्प के तौर कौन सी ट्रेडिंग पद्धति सबसे अच्छी है पर मौका दिया जा सकता है.

क्या आप शेयर ट्रेडिंग के बारे में ये बातें जानते हैं?

आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी होती है, तब शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.

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आपको यह ध्यान में रखना होगा कि शेयरों में निवेश से काफी जोखिम जुड़ा होता है. अगर आप खुद कंपनियों के नतीजे समझने, उसके शेयरों का मूल्यांकन करने और बाजार की चाल समझ सकते सकते हैं तभी आपको शेयरों में सीधे निवेश करना चाहिए.

किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले उसके कारोबार, शेयरों की सही कीमत (मूल्यांकन) और उसके कारोबार की संभावनाओं को जानना जरूरी है. शेयर बाजार में शेयरों के भाव स्थिर नहीं रहते. आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी पर शेयर खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.

आपने जो शेयर खरीदा है, जब उसका दाम बढ़ जाए तो उसे आप बेच सकते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत बहुत कम रकम से की जा सकती है.

शेयर ट्रेडिंग कितने तरह के होते हैं?

1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra Day Trading)
इंट्रा-डे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है. मार्केट खुलने के बाद आप शेयर खरीदते हैं और मार्केट बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं.
इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते हैं.

Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया कराता है. इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं. यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है.

2. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( Scalper Trading)
यह शेयर ट्रेडिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें शेयर को खरीदने के 5-10 मिनट के अंदर ही बेच दिया जाता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग किसी कानून के आने या आर्थिक जगत की किसी बड़ी खबर आने पर की जाती है.

शेयर मार्केट के पुराने दिग्गज स्कैल्पर ट्रेडिंग करते हैं. इसमें जोखिम सबसे ज्यादा होता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कंपनियां मार्जिन मुहैया कराती हैं.

3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) या शार्ट टर्म ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग थोड़े लंबे समय के लिए किया जाता है. इसमें आम तौर पर शेयर खरीदने के बाद उसकी डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ले ली जाती है. स्विंग ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कोई मार्जिन मुहैया नहीं कराता है.

अगर आप अपने निवेश के लक्ष्य के हिसाब से 5-10 % लाभ की उम्मीद पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे है, तो स्विंग ट्रेडिंग से आप पैसे कमा सकते हैं.

4. LONG TERM ट्रेडिंग
जब आप किसी शेयर को खरीद कर लंबी अवधि के लिए रख लेते हैं तो उसे Long term ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के बाद अगर आप एक निवेशक के रूप में किसी शेयर में 6 महीने से लेकर कुछ साल तक बने रहें तो यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग है.

अगर आप किसी कंपनी के शेयर को एक, तीन या पांच साल या इससे ज्यादा अवधि के लिए खरीदते सकते हैं. कंपनी के कारोबार में अगर तेजी से वृद्धि हो तो लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में आप बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

आप जिन बड़े निवेशकों के बारे में सुनते हैं वे सभी लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से ही मुनाफा कमाते हैं. इनमें राकेश झुनझुनवाला, पोरिन्जू वेलियथ, डॉली खन्ना जैसे नाम शामिल हैं.

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Uric Acid: क्या यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर खा सकते हैं? जानिये कौन सी दाल से परहेज जरूरी

Is chana dal good for uric acid: दालें प्रोटीन और जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होती है इसलिए यूरिक एसिड के मरीज हफ्ते में अलग-अलग तरह की दाल का सेवन कर सकते हैं।

Uric Acid: क्या यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर खा सकते हैं? जानिये कौन सी दाल से परहेज जरूरी

pulse for uric acid patients: जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो मटर और दालों का सीमित सेवन कर सकते हैं। PHOTO-FREEPIK

सर्दी में यूरिक एसिड के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। इस मौसम में यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए डाइट पर कंट्रोल और दवाईयों का सेवन करना जरूरी है। दवाई और डाइट का कॉम्बीनेशन(Combination of medicine and diet)गाउट (gout) के इलाज का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। डाइट में प्यूरीन (purine) का अधिक सेवन करने से बॉडी में यूरिक एसिड (uric acid)का स्तर बढ़ने लगता है। अतिरिक्त यूरिक एसिड क्रिस्टल(crystal) का उत्पादन कर सकते है, जो बॉडी के (tissues and joints)में जमा होने लगते हैं जिससे गाउट के दर्दनाक लक्षण पैदा होते हैं।

सर्दी में यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में दर्द (joint pain) और सूजन(swelling)की परेशानी बढ़ने लगती है जिससे उठने-बैठने में दिक्कत होती है। यूरिक एसिड के मरीज सर्दी में हरी मटर (green peas)का सेवन अधिक करते हैं। क्या हरी मटर (green peas) का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है? आइए जानते हैं कि यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर और दाल (Green Peas and Lentils) का सेवन कर सकते हैं?

क्या यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर का सेवन कर सकते हैं? (Can uric acid patients consume green peas?)

मटर एक हरी, फली के आकार की सब्जी है, जिसे व्यापक रूप से एक ठंड के मौसम की सब्जी के रूप में जाना जाता है। वैसे हरी मटर को अनाज और सब्जी (grains and vegetables) दोनों ही रूप में जाना जाता है। मटर में प्यूरिन नामक प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। प्यूरीन का अधिक सेवन हाई यूरिक एसिड का कारण बनता है। यूरिक एसिड हाई (high uric acid)होने से ये जोड़ों में जमा होने लगता है। जिससे आपको जोड़ों में दर्द (joint pain)और सूजन (swelling) की शिकायत होने लगती है।

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हरी मटर मध्यम प्यूरीन सामग्री वाले भोजन के अंतर्गत आती है। 100 ग्राम हरी मटर में लगभग 21 मिलीग्राम प्यूरीन होता है। यह प्रोटीन का भी एक अच्छा स्रोत है (7.2 ग्राम / 100 कौन सी ट्रेडिंग पद्धति सबसे अच्छी है ग्राम)। संतुलित आहार के हिस्से के रूप में एक दिन में 50 ग्राम हरी मटर खाना सुरक्षित है। यूरिक एसिड के मरीजों को हरी मटर (Peas in Uric Acid) का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

यूरिक एडिक के मरीज क्या दाल का सेवन कर सकते हैं: (Can uric acid patients consume pulses)

दाल हमारी थाली का अहम हिस्सा है जिसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, घुलनशील और अघुलनशील फाइबर,थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट, पाइरिडोक्सिन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, सेलेनियम, आयरन जैसे खनिज भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो अच्छी सेहत के लिए उपयोगी हैं। अब सवाल ये उठता है कि पोषक तत्वों से भरपूर दाल का सेवन क्या यूरिक एसिड के मरीज कर सकते हैं।

दाल प्रोटीन और फाइबर का एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन हैं, जो हाई यूरिक एसिड वाले रोगियों के लिए एकदम सही है। अक्सर हम मसूर, मूंग, तूर, उड़द, चना, हरी मटर, राजमा, छोले, आदि दैनिक आहार में शामिल करते हैं। यूरिक एसिड के मरीजों के लिए सबसे अच्छी दाल कहने के लिए कुछ खास नहीं है। 40-50 ग्राम दाल संतुलित आहार का हिस्सा हो सकती है। जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो हर दिन एक जैसी दाल न खाएं। कोशिश करें कि हफ्ते में कम से कम 4 तरह की दाल का सेवन करें।

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Uric Acid: क्या यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर खा सकते हैं? जानिये कौन सी दाल से परहेज जरूरी

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सर्दी में यूरिक एसिड के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। इस मौसम में यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए डाइट पर कंट्रोल और दवाईयों का सेवन करना जरूरी है। दवाई और डाइट का कॉम्बीनेशन(Combination of medicine and diet)गाउट (gout) के इलाज का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। डाइट में प्यूरीन (purine) का अधिक सेवन करने से बॉडी में यूरिक एसिड (uric acid)का स्तर बढ़ने लगता है। अतिरिक्त यूरिक एसिड क्रिस्टल(crystal) का उत्पादन कर सकते है, जो बॉडी के (tissues and joints)में जमा होने लगते हैं जिससे गाउट के दर्दनाक लक्षण पैदा होते हैं।

सर्दी में यूरिक एसिड बढ़ने से जोड़ों में दर्द (joint pain) और सूजन(swelling)की परेशानी बढ़ने लगती है जिससे उठने-बैठने में दिक्कत होती है। यूरिक एसिड के मरीज सर्दी में हरी मटर (green peas)का सेवन अधिक करते हैं। क्या हरी मटर (green peas) का सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है? आइए जानते हैं कि यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर और दाल (Green Peas and Lentils) का सेवन कर सकते हैं?

क्या यूरिक एसिड के मरीज हरी मटर का सेवन कर सकते हैं? (Can uric acid patients consume green peas?)

मटर एक हरी, फली के आकार की सब्जी है, जिसे व्यापक रूप से एक ठंड के मौसम की सब्जी के रूप में जाना जाता है। वैसे हरी मटर को अनाज और सब्जी (grains and vegetables) दोनों ही रूप में जाना जाता है। मटर में प्यूरिन नामक प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। प्यूरीन का अधिक सेवन हाई यूरिक एसिड का कारण बनता है। यूरिक एसिड हाई (high uric acid)होने से ये जोड़ों में जमा होने लगता है। जिससे आपको जोड़ों में दर्द (joint pain)और सूजन (swelling) की शिकायत होने लगती है।

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हरी मटर मध्यम प्यूरीन सामग्री वाले भोजन के अंतर्गत आती है। 100 ग्राम हरी मटर में लगभग 21 मिलीग्राम प्यूरीन होता है। यह प्रोटीन का भी एक अच्छा स्रोत है (7.2 ग्राम / 100 ग्राम)। संतुलित आहार के हिस्से के रूप में एक दिन में 50 ग्राम हरी मटर खाना सुरक्षित है। यूरिक एसिड के मरीजों को हरी मटर (Peas in Uric Acid) का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

यूरिक एडिक के मरीज क्या दाल का सेवन कर सकते हैं: (Can uric acid patients consume pulses)

दाल हमारी थाली का अहम हिस्सा है जिसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, घुलनशील और अघुलनशील फाइबर,थायमिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, पैंटोथेनिक एसिड, फोलेट, पाइरिडोक्सिन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, जिंक, सेलेनियम, आयरन जैसे खनिज भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो अच्छी सेहत के लिए उपयोगी हैं। अब सवाल ये उठता है कि पोषक तत्वों से भरपूर दाल का सेवन क्या यूरिक एसिड के मरीज कर सकते हैं।

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