रोस्टर प्रणाली किसी भी कैटेगरी में दिए गए आरक्षण को लागू किए जाने के लिए अपनाई जाने प्रकिया है। यानि किस – किस श्रेणी से किस प्रकार कितने सदस्य लिए जाएंगे रोस्टर कहलाता ।
उदाहरण के लिए अगर किसी यूनिवर्सिटी के किसी डिपार्टमेंट में वेकेंसी आती है, तो चौथा, आठवां और बारहवां कैंडिडेट OBC होगा, मतलब कि एक ओबीसी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 4 वैकेंसी होनी चाहिए। 7वां कैंडिडेट एससी कैटेगरी का होगा, मतलब कि एक एससी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 7 वैकेंसी होनी ही चाहिए14वां कैंडिडेट ST होगा, मतलब कि एक एसटी कैंडिडेट को कम से कम 14 वेकेंसी इंतजार करना ही होगा। बाकी 1,2,3,5,69,10,11,13 पोजिशन अनारक्षित पद होंगे।
विशिष्ट सेवा पॉलिसी – (एसआरसी)
जहाँ भारतीय वंत्र्पनियों ने विदेशी प्रधानों को तकनीकी तथा व्यावसायिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए संविदा संपन्न की है, संविदा के अंतर्गत देय भुगतानों के लिए भी आपूर्ति संविदा की तरह जोखिम बने रहते हैं। ऐसे निर्यातकों की सेवाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए ईसीजीसी ने सेवा पॉलिसी शुरु की है ;
विभिन्न प्रकार की सेवा पॉलिसियाँ क्याक हैं तथा वे किस प्रकार रक्षा प्रदान करती हैं ?
- विशिष्ट सेवा संविदा (व्यापक जोखिम) पॉलिसी
- विशिष्ट सेवा संविदा (राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी
- संपूर्ण पण्यावर्त सेवा (व्यापक जोखिम) पॉलिसी तथा
- संपूर्ण पण्यावर्त सेवा (राजनीतिक जोखिम) पॉलिसी
विशिष्ट सेवा पॉलिसी अपने नाम के अनुसार, एक विशिष्ट संविदा को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती है। यह उन संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती है जिनका मूल्य बहुत अधिक होता है तथा इसकी अवधि भी अपेक्षावृत्र्त लंबी होती है। संपूर्ण पण्यावर्त पॉलिसी उन निर्यातकों के लिए उचित है जो प्रधानों के समूह को निर्यातों की पुनरावृत्ति आधार पर सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा जहाँ पर प्रत्येक सेवा संविदा की अवधि अपेक्षावृत्र्त कम होती है। ऐसी पॉलिसियाँ उन सभी संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए जारी की जाती हैं, जो अगले 24 महीनें की अवधि के दौरान निर्यातक द्वारा समाप्त की जानी है।
निगम की यह अपेक्षा होती है कि सेवाओं के लिए एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है भुगतान की शर्तें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इस व्यवस्था के लिए प्रचलित प्रथाओं के अनुसार हों। सामान्यतया संविदा, पर्याप्त अग्रिम भुगतानों पर ही प्रदान की जाती है तथा शेष का भुगतान, कार्य की प्रगति के अनुसार समय-समय पर देय होगा। भुगतान को साख-पत्र अथवा बैंक गारंटी के रूप में संतोषजनक प्रतिभूति का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
वा पॉलिसी उन संविदाओं को रक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है जिसके अंतर्गत वेत्र्वल सेवाएँ प्रदान की जानी हैं । जिन संविदाओं के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सेवाओं का मूल्य संविदा का वेत्र्वल एक छोटासा हिस्सा मात्र है तथा जिनमें मशीनरी तथा उपकरणों का समावेश होता है को आपूर्ति संविदा की उचित विशिष्ट पॉलिसी के अंतर्गत संरक्षित किया जाएगा ।
Student Coin मूल्य ( STC )
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STC मूल्य लाइव डेटा
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STC मूल्य जानकारी
STC बाजार की जानकारी
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जम्मू-कश्मीर: गुर्जर-बकरवाल समुदाय के लिए क्यों सीटें आरक्षित करना चाहती है बीजेपी?
भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बकरवाल समुदाय के लिए एसटी की सीटें आरक्षित करने की बात कही है. इस दांव के जरिए बीजेपी ये मकसद साधने की तैयारी में है.
नवनीत मिश्रा
- नई दिल्ली,
- 16 सितंबर 2019,
- (अपडेटेड 16 सितंबर 2019, 12:04 PM IST)
- जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद होंगे विधानसभा चुनाव
- घाटी और जम्मू में बकरवाल समुदाय के लिए आरक्षित होंगी सीटें
- सीटों के आरक्षण के जरिए 12 लाख की आबादी पर बीजेपी की नजर
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में एसटी कोटे की सीटें गुर्जर और बकरवाल समुदाय के लिए आरक्षित करने की तैयारी की है. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार(15 सितंबर) को महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम के दौरान इसके संकेत दिए. उन्होंने ठाणे में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद चुनाव होगा. यह भी कहा कि भले ही जम्मू और कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है, मगर उसे विधायिका की शक्ति है. उन्होंने, घाटी और जम्मू में एसटी की सीटें गुर्जरों और बकरवालों के लिए आरक्षित करने की योजना का भी खुलासा किया. माना जा रहा है कि बीजेपी की ओर से सीटों को आरक्षित करने की तैयारी, राज्य में जनाधार बढ़ाने की दिशा में अहम कदम है.
12 लाख की आबादी पर फोकस
जम्मू-कश्मीर में गुर्जर-बकरवाल एक घुमंतू जाति है. खानाबदोश होते हैं. रहने के ठिकाने बदलते रहते हैं. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में करीब 12 लाख गुर्जर-बकरवाल समुदाय के लोग रहते हैं. यूं तो बकरवाल भी गुर्जर समुदाय में ही आते हैं, मगर समुदाय में बाकियों से वे कुछ मजबूत होते हैं. बकरियों, पशुओं के साथ जम्मू-कश्मीर में विचरण करते रहते हैं.
जम्मू-कश्मीर में गुर्जर-बकरवाल समुदाय की कुल 11 प्रतिशत आबादी है. सीमा पर युद्ध के समय कई मौकों पर बकरवाल समुदाय के लोग सेना की आंख और कान बने रहे. घुमंतू होने पर सीमा पर घुसपैठ की जानकारी बकरवाल समुदाय को होती है तो फौरन सेना को अलर्ट करते हैं.
यहां तक कि कारगिल युद्ध जब हुआ था, उस दौरान भारतीय सीमा में पाकिस्तानी सैनिकों के घुसने की सबसे पहले खबर बकरवाल समुदाय के लोगों ने ही भारतीय सेना को दी थी. सूत्र बताते हैं कि घाटी में अलगाववादी तत्वों से बकरवाल समुदाय के लोग इत्तफाक नहीं रखते. ऐसे में बीजेपी की नजर इस देशभक्त समुदाय के वोटबैंक पर है.
चूंकि 1991 से बकरवाल समुदाय को आदिवासी जाति का दर्जा मिल चुका हैं. ऐसे में बीजेपी ने अनुसूचित जनजाति(एसटी) वर्ग की सीटें गुर्जर-बकरवाल समुदाय के लिए आरक्षित करने की बात कहकर बड़ा दांव खेला है.
सफर के दौरान इन संकेतों को नजरअंदाज न करें, हार्ट अटैक हो सकता है
स्पेन के मलागा में एक्यूट कार्डियोवैस्कुलर केयर 2019 में पेश किए गए अध्ययन में बताया गया कि सफर के दौरान दिल का दौरा पड़ने के बाद एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है यदि किसी को शीघ्र उपचार मिल जाए तो दीर्घकालिक परिणाम अच्छे हो सकते हैं।
जापान में जुंटेन्डो यूनिवर्सिटी के को-ऑथर रायोटा निशिओ ने कहा, 'यदि आप सफर कर रहे हैं और दिल के दौरे के लक्षणों जैसे कि छाती, गले, गर्दन, पीठ, पेट या कंधे में दर्द का 15 मिनट से अधिक समय तक अनुभव करते हैं तो बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करें।'
नोएडा के यतार्थ अस्पताल में सीनियर कार्डियेक सर्जन दीपक खुराना के मुताबिक, 'लंबी दूरी की सफर में डिहाइड्रेशन, पैर में ऐंठन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, थकान, मोशन सिकनेस जैसी स्थितियों को जन्म दे सकती है जो कि सीवीडी को तेज कर देती है।'
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 2,564 मरीजो को शामिल किया, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा और 1999 और 2015 के बीच एक स्टेंट (पर्कुटेनियस कोरोनरी हस्तक्षेप या पीसीआई) के साथ तेजी से उपचार मिला। दिल का दौरा पड़ने के समय कुल 192 मरीज (7.5 प्रतिशत) यात्रा करते हुए पाए गए थे। अध्ययन में कहा गया है कि जो मरीज यात्रा कर रहे थे, वे युवा थे और उन्हें एसटी-एलीवेशन मायोकार्डिअल इन्फ्रक्शन (एसटीईएमआई) आया था, जो एक गंभीर प्रकार का दिल का दौरा था जिसमें हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली एक प्रमुख धमनी अवरुद्ध हो जाती है।
निशिओ के मुताबिक, 'यह महत्वपूर्ण है कि जब आप तत्काल आपातकालीन स्थिति में हों और घर लौट रहे हों तो अपने चिकित्सक से यह जानने के लिए सलाह लें कि किस तरह से दूसरे अटैक के जोखिम कम कर सकते हैं।'
दो सौ अंक वाली रोस्टर प्रणाली के लिए अध्यादेश के संकेत
नई दिल्ली : मोदी सरकार ने विश्वविद्यालयों और कालेजों के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आरक्षण के मामले में दो सौ अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू करने के वास्ते अध्यादेश लाने का संकेत दिया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आरक्षण को लेकर मंगलवार को भारत बंद के दिन सुबह अपने आवास पर पत्रकारों के सामने यह स्पष्ट संकेत दिया। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि मोदी सरकार सामाजिक न्याय के पक्ष में है और 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली लागू करेगी तथा दो दिन में शिक्षकों को न्याय मिल जायेगा।
गौरतलब है कि बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक प्रस्तावित है जिसमें अध्यादेश को मंजूरी मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 13 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को जब जायज ठहरा दिया तो सरकार ने पुनरीक्षण याचिका दायर की लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया। उनका मानना है कि रोस्टर के लिए विभाग नहीं बल्कि विश्वविद्यालय इकाई हो, इसलिए वह दो सौ अंकों वाले रोस्टर के पक्ष में हैं और उसे लागू करेंगे। बस दो दिन रुक जायें। उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा और लोकसभा में वचन दे चुके थे कि दो सौ अंकों वाला ही रोस्टर लागू किया जायेगा। इसलिए आज भारत बंद करने वाले शिक्षकों से वह अपील करते हैं कि वे दो दिन रुक जाएँ, उन्हें न्याय मिल जायेगा। गौरतलब है कि दिल्ली एसटीसी किस प्रकार का संकेतक है विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने आज भारत बंद को लेकर रैली भी निकली और प्रदर्शन भी किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी कल केन्द्रीय समिति की बैठक में अध्यादेश लाने की मांग की थी।
क्या है मामला
दरअसल, 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू करने का नया तरीका है। इस रोस्टर सिस्टम को एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण सिस्टम के साथ 'खिलवाड़' बताया जा रहा है।अभी बवाल इसलिए मचा हुआ है, क्योंकि 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी, 2019 को खारिज कर दिया।इसी के साथ ही ये तय हो गया कि यूनिवर्सिटी में खाली पदों को 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के जरिए ही भरा जाएगा।
इससे पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व सदस्य तथा भाजपा समर्थक प्रसिद्ध शिक्षक नेता इन्दर मोहन कपाही और ए. के. भागी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जावडेकर को पत्र लिखकर दो सौ अंकों वाली रोस्टर प्रणाली को लागू करने की मांग की थी, डूटा एवं अन्य शिक्षक संगठन गत एक वर्ष से यह मांग करते आ रहे थे और इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालयों और कालेजों में हड़ताल कर रहे थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा 13 अंक वाले रोस्टर को जायज ठहराने और फिर उच्चतम न्यायलय द्वारा उस फैसले को बरकरार रखने के कारण दलित आदिवासी और पिछड़े वर्ग के शिक्षकों के लिए नौकरी से वंचित हो गये थे। इस फैसले से दिल्ली के के चार हकाार तदर्थ शिक्षकों पर तलवार लटक गयी थी।
क्या है रोस्टर प्रणाली
रोस्टर प्रणाली किसी भी कैटेगरी में दिए गए आरक्षण को लागू किए जाने के लिए अपनाई जाने प्रकिया है। यानि किस – किस श्रेणी से किस प्रकार कितने सदस्य लिए जाएंगे रोस्टर कहलाता ।
उदाहरण के लिए अगर किसी यूनिवर्सिटी के किसी डिपार्टमेंट में वेकेंसी आती है, तो चौथा, आठवां और बारहवां कैंडिडेट OBC होगा, मतलब कि एक ओबीसी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 4 वैकेंसी होनी चाहिए। 7वां कैंडिडेट एससी कैटेगरी का होगा, मतलब कि एक एससी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 7 वैकेंसी होनी ही चाहिए14वां कैंडिडेट ST होगा, मतलब कि एक एसटी कैंडिडेट को कम से कम 14 वेकेंसी इंतजार करना ही होगा। बाकी 1,2,3,5,69,10,11,13 पोजिशन अनारक्षित पद होंगे।
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