Selecting the right Mutual Fund (Hindi)
अगर आप मार्केट मे नए हैं या आपके पास अच्छे स्टॉक चुनने के लिए समय और सही ज्ञान नहीं है तो म्यूचुअल फ़ंड मे निवेश करना एक अच्छी शुरुआत है। लेकिन बात ये है की अपने एक्सपेन्स और रिस्क प्रोफ़ाइल के अनुसार सही म्यूचुअल फ़ंड का चयन कैसे करें। ये कोर्स सही म्यूचुअल फ़ंड चुनने को लेकर आपके सारी उलझनों को दूर करने मे मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं आपकी मदद करेगा की आप अच्छा म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुन सकते हैं जो आपके लक्ष्य और आकांक्षाओं के अनुरूप हो।
Course Outline
- कैसे सही स्कीम चुने जो आपके इंवेस्टमनेट मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं लक्ष्य के अनुसार हो
- कैसे अपना रिटर्न बढ़ाये बिना किसी एडवाइजर के
- कैसे टैक्स एफ़्फीशीएंट फंड में निवेश करके टैक्स बचाए
- कैसे SIP के लिए टॉप म्यूचुअल मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं फंड खोजे
- कैसे एक उचित निवेश पोर्टफोलियो बनाए जो आपके रिस्क को कम करेगा
About Course
शेयर मार्केट मे निवेश की शुरुआत करने के लिए म्यूचुअल फ़ंड मे निवेश करना एक बेहतरीन ऑप्शन है या फिर आपके पास अच्छे स्टॉक्स चुनने का ज्ञान एवं समय की कमी है तो भी म्यूचुअल फ़ंड सही है। लेकिन अगला सवाल उठता है की एक अच्छा म्यूचुअल फ़ंड कैसे चुने? म्यूचुअल फ़ंड चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कैसे पहचानें की कौन सा म्यूचुअल फ़ंड रिस्की है और कौन सा निवेश करने लायक है? यह कोर्स आपको इन सबके बारे मे एक स्पष्टता रखने मे मदद कर सकता है। सबसे पहले यह महत्वपूर्ण है कि आप क्या चाहते हैं, आपको इसके बारे मे एक क्लियर आइडिया होना चाहिए। तो अपने आप से सवाल करे – आपका लक्ष्य क्या है ? आप कितने समय के लिए निवेश करने कि योजना बना रहे हैं? आप कितना रिस्क उठाने के लिए तैयार हैं ?
यह कोर्स यह बताता है कि म्यूचुअल फ़ंड का मूल्यांकन कैसे करे ताकि यह आपके लक्ष्यों और अपेक्षाओं के अनुरूप हो। इसमे एक फ़ंड मैनेजर को परखने, अपने म्यूचुअल फ़ंड पोर्टफोलियो को डिज़ाइन करने और ऐसे क्वॉंटिटेटिव फ़ैक्टर्स जिससे म्यूचुअल फ़ंड का मूल्यांकन करते हैं इन सभी बातों पर चर्चा कि गई है। इस कोर्स को पूरा करने के बाद आप अपने लक्ष्यों और जोखिम उठाने कि क्षमता के अनुरूप म्यूचुअल फ़ंड का चयन कर सकते हैं|
मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं ?

कल्पना करें कि आप अपने ट्रेवल एजेंट से ये सवाल कर रहे हैं - ‘मैं अपने यातायात के साधन का चयन कैसे करूं?’ जो पहली बात वो कहेगा/कहेगी, ‘ये इस बात पर निर्भर है कि आपको जाना कहाँ है?’ गर मुझे पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी है, ऑटो रिक्शा सर्वोत्तम विकल्प हो सकता है जबकि नई दिल्ली मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं से कोची की यात्रा हेतु हवाई जहाज़ बढ़िया विकल्प होगा| छोटी दूरियों के लिए हवाई जहाज़ उपलब्ध नहीं और लम्बी दूरी के लिए ऑटो रिक्शा से यात्रा अत्यंत धीमी और असुविधाजनक होगी|
म्यूच्यूअल फंड्स में भी उचित है शुरुआती बिंदु हो –आपकी ज़रूरतें क्या हैं?
इसकी शुरुआत आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने के माद्दे पर निर्भर है|
प्रथमतः अपने वित्तीय लक्ष्यों को पहचानें| कुछ म्यूच्यूअल फंड्स योजनायें छोटी अवधि की ज़रूरतें पूरा करती है जबकि कुछ लम्बी अवधि के लक्ष्यों के लिए बेहतर हैं|
इसके बाद है आप कितना जोखिम उठा सकते हैं| इसकी क्षमता हरेक व्यक्ति में अलग है| पति पत्नी के वित्तीय साधन संयुक्त होने पर भी उनके जोखिम प्रोफाइल बिलकुल अलग हो सकते हैं| कुछ ऊंचे जोखिम वाले उत्पाद में आश्वस्त हैं और कुछ कतई नहीं|
अपने जोखिम क्षमता के आंकलन के लिए वित्तीय आयोजकों या निवेश सलाहकारों या म्यूच्यूअल फंड्स वितरकों की सहायता लीजिये|
मध्यावधि निवेश हेतु मैं किस म्यूच्यूअल फंड का चुनाव करूं?
४-६ वर्ष की अवधि को अगर हम बचत और निवेश निर्णय हेतु मध्यावधि मान कर चलते हैं, हमारा ध्येय यहाँ पूँजी में मूल्य वृद्धि होना चाहिए| कॉर्पोरेट बांड फंड्स और सकर (हाइब्रिड) फंड्स पूँजी वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त पाए गए हैं क्योंकि कि इक्विटी फंड्स की तुलना में ये कम अस्थिर है, इक्विटी फंड्स जो संपत्ति निर्माण में एक लम्बी अवधि के निवेश के लिए उपयुक्त साबित हुए हैं| कॉर्पोरेट बांड्स को उत्तम बांड्स में निवेश की आवश्यकता है जिनकी औसत मियाद ३-४ वर्ष तक हो जिससे वो ब्याज दर में आये बदलावों से विशेष प्रभावित नहीं हो पाएं| सकर फंड्स अधिकतर डेब्ट फंड्स में निवेश करते हैं जिनमें इक्विटी की अनाश्रयता थोड़ी ही रहती है और इस वजह से ये निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं जिसमें पूँजी वृद्धि की संभावनाएं भी रहती हैं|
मध्यावधि निवेश के लिए मूल्यांकन करते वक़्त ३-५ समयावधि के प्रतिफल के परे जाकर लम्बी समयावधि में उसके प्रदर्शन को मद्देनज़र रखना बेहतर होगा| यह ज़रूर देखें कि बाज़ार चक्र के सभी चरणों में उसका प्रदर्शन कितना सुसंगत रहा है| अधिकतर फंड्स बाज़ार के वृद्धि की स्थिति में (बुल रन) बढ़िया प्रदर्शन करेंगे, लेकिन ऐसे फंड्स जो बाज़ार के नीचे रुझान के दौर में भी बढ़िया प्रदर्शन रखते हैं, एक समयावधि में सुसंगत प्रतिफल दिखाने की स्थिति में होते हैं| अब आप अगर ३-५ वर्ष की अवधि के लिए निवेश चाहते हैं और अगर उस वक़्त बाज़ार का रुझान नीचे की तरफ है, आप उन फंड्स को चुनें जिनका प्रदर्शन सुसंगत (कंसिसटेंट) रहा है जिससे आप लाभान्वित रहेंगे| आप एक विश्वसनीय फण्ड हाउस से अच्छी वंशावली वाले फंड्स का चुनाव करें या फिर सही चुनाव हेतु निवेश सलाहकार की सलाह भी ले सकते हैं|
Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश से होगी जबरदस्त कमाई, बस इन 5 टिप्स का रखें ध्यान
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए हैं.
म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं.
Mutual Funds:मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं. कई निवेशक अपने फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करते हैं. अक्सर पहली बार निवेश करने वाले निवेशक यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए और गलती कर बैठते हैं. ऐसे फर्स्ट टाइम इन्वेस्टर्स के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इसके तहत, सही स्कीम चुनना जरूरी है ताकि आपको अधिकतम रिटर्न मिल सके. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद करने के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए हैं.
रिस्क लेने की क्षमता का आकलन जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश रिटर्न की उम्मीद का आकलन करना चाहिए. उसके मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं बाद आप सही म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करें जिसके ज़रिए आपको आपको बेहतर रिटर्न मिल सके. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप अगले दस सालों में एक निश्चित अमाउंट बनाना चाहते हैं और आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है. आप एक ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं जो आपको आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार हाई रिटर्न दे सके और 10 सालों के बाद आपके वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सके. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर यह समझना होगा कि किसी फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में कितना निवेश करने की जरूरत है.
निवेश का डायवर्सिफिकेशन जरूरी
एक या दो म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पूरे फंड का निवेश करने से आपको अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है. आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स और अलग-अलग म्यूचुअल फंड कंपनियों में डायवर्सिफाई करना चाहिए. एक निवेशक के तौर पर आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन कैसे किया जाए. निवेशक को अपनी पर्सनल इन्वेस्टमेंट गोल्स और जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए एसेट एलोकेट करना चाहिए. एसेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है. एसेट एलोकेशन का एक फायदा यह है कि अगर किसी एक एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो जरूरी नहीं है कि दूसरे में भी हो.
स्कीम चुनने में बरतें सावधानी
यहां कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं. इनके द्वारा कई तरह की स्कीम पेश की जाती हैं. आपको इनमें से अपनी जरूरत के अनुसार सही स्कीम का चुनाव करना होगा. अब सवाल यह है कि निवेश के लिए सबसे अच्छी स्कीम का चुनाव कैसे करें? किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से पहले आपको उनके पिछले प्रदर्शन, मैनेजमेंट एफिशिएंसी और एक्सपेंस रेश्यो की जांच करनी चाहिए. इसके साथ ही, अलग-अलग स्कीम की तुलना ऑनलाइन माध्यम से करनी चाहिए. रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट प्लान्स को प्राथमिकता दें क्योंकि इनका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है.
एकमुश्त निवेश या SIP इन्वेस्टमेंट
यदि आप एकमुश्त राशि निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप अधिक जोखिम नहीं लेना चाहेंगे. इसलिए, डेट फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए मध्यम जोखिम लेने को तैयार हैं, तो आप बैलेंस्ड फंड में निवेश कर सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए आपको ज्यादा जोखिम उठाने होंगे. इसलिए, आप लार्ज-कैप इक्विटी फंड में निवेश के लिए जा सकते हैं. अलग-अलग स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में अपने फंड को डायवर्सिफाई करें. अगर आप जोखिम को और कम करना चाहते हैं, तो आप एकमुश्त फंड को लिक्विड फंड में रख सकते हैं और एसटीपी विकल्प का उपयोग करके एक उपयुक्त म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर सकते हैं.
अगर आप लंबी अवधि में किस्तों में निवेश करते हुए फंड तैयार करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. एसआईपी आपको आकर्षक रिटर्न पाने में मदद कर सकता है, खासकर जब आप उतार-चढ़ाव भरे बाजार के बीच लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं.
पोर्टफोलियो की समीक्षा और री-बैलेंस जरूरी
म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश के दौरान समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करना जरूरी है. हमेशा यह चेक करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है. हो सकता है कि कभी-कभी यह आपके उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे. वहीं, कभी-कभी यह आपकी उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. अगर यह आपकी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे तो खराब प्रदर्शन वाले निवेश को बेहतर फंड में बदलना पड़ सकता है.
दूसरी ओर, अगर आपके पोर्टफोलियो ने आपकी उम्मीद से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है, तो आप हाई रिस्क वाली स्कीम से कम रिस्क वाली म्यूचुअल फंड स्कीम में स्विच कर सकते हैं और अर्जित रिटर्न को सुरक्षित करते हुए अपने पोर्टफोलियो को रि-बैलेंस कर सकते हैं. म्युचुअल फंड में कम उम्र से ही निवेश करना शुरू कर दें. लंबी अवधि के लिए निवेशित रहकर आपको निवेश पर लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी.
नॉलेज: 4 तरह के होते हैं म्यूचुअल फंड, 500 रुपए से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत
अच्छे रिटर्न के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प हो सकता है। लेकिन अभी भी काफी लोगों को यह नहीं पता है कि म्युचुअल फंड स्कीम क्या हैं? और इनमें निवेश कैसे किया जाता है? म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों से पैसे जुटाती हैं। इस पैसे को वे शेयरों में निवेश करती हैं। इसके बदले म्युचुअल फंड निवेशकों से चार्ज भी लेती हैं। जो लोग शेयर बाजार में निवेश के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है। हम आपको म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड
ये स्कीम निवेशकों की रकम को सीधे शेयरों में निवेश करती है। छोटी अवधि में ये स्कीम जोखिम भरी हो सकती मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसे आपको बेहतरीन रिटर्न देने वाला माना जाता है। इस तरह की स्कीम में निवेश से आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा है। जिन निवेशकों का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड
ये म्यूचुअल फंड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं। 5 साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है। ये म्यूचुअल फंड स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम
ये म्यूचुअल फंड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती हैं। इन स्कीम को चुनते वक्त भी निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना जरूरी है। हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम को छह कैटेगरी में बांटा गया है।
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम
सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं। इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं। इन स्कीम में आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है। इसमें निवेश करके आप अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
म्युचुअल फंड में तीन तरह से निवेश किया जा सकता है। इसमें पूरी तरह से ऑनलाइन से लेकर फार्म भरकर निवेश किया जा सकता है। म्युचुअल फंड में लगाया गया पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है। इसलिए कई लोगों को लगता है कि इसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है, हालांकि ऐसा नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बिना DEMAT अकाउंट के भी निवेश किया जा सकता है।
पहला तरीका
यह तरीका काफी आम है। इसमें किसी एजेंट के माध्यम से निवेश करना होता है। अगर एजेंट को खोजने में दिक्कत हो तो जिस कंपनी में निवेश करना चाहते हैं उस कंपनी की वेबसाइट से टोल फ्री नम्बर लेकर बात कर मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं सकते हैं। कंपनी आपके इलाके में जो एजेंट हैं उससे संपर्क करा देगी। फिर इस एजेंट की मदद से आप निवेश कर सकते हैं।
दूसरा तरीका
ब्रोकर या किसी म्युचुअल फंड बेचने वाली वेबसाइट के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है। कई लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं वह अपने ब्रोकर अकाउंट के माध्यम से भी म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा देश में एक दर्जन से ज्यादा वेबसाइट हैं जो म्युचुअल फंड बेचती हैं। लोग इन वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने के बाद म्युचुअल फंड खरीद सकते हैं। अगर जरूरत हो तो यह वेबसाइट अपने एजेंट भी निवेशक के पास मदद के लिए भेजती है।
तीसरा तरीका
डायरेक्ट प्लान में निवेश। सेबी के आदेश के बाद सभी म्युचुअल फंड कंपनियां अपनी सभी स्कीम्स में डायरेक्ट प्लान का ऑप्शन देती हैं। इनमें निवेश पूरी तरह से ऑनलाइन होता है। आप म्युचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट पर जाकर सीधे स्कीम चुनते हैं और कुछ स्टेप में निवेश की प्रक्रिया पूरी करते हैं। यहां पर पेमेंट भी ऑनलाइन करना होता है।
चौथा तरीका
अब पेटीएम मनी ऐप (PayTm Money App) की मदद से आप किसी भी म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। पेटीएम मनी ऐप की मदद से आप निवेश करने के साथ-साथ अपने पोर्टफलियो को भी आसानी से चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको अलग से कोई कमीशन या फीस नहीं देनी होगी।
शेयर बाजार से जुड़े रिस्क
म्युचुअल फंड अपनी इक्विटी स्कीम में जुटाए पैसों का निवेश शेयर बाजार में करते हैं। स्टॉक मार्केट के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी करना कठिन होता है। इसी कारण इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश रिस्की माना जाता है। हालांकि जानकारों का कहना है कि थोड़ा-थोड़ा पैसा लम्बे समय तक लगाया जाए तो अच्छा रिटर्न पाया जा सकता है।
सवाल: क्या आप किसी म्यूचुअल फंड में अपना सारा पैसा खो सकते हैं?
जवाब: बाज़ार से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में जोखिम बना रहता है, इसलिए निवेश की गई मूल राशि का नुकसान हो सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फण्ड के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आपके सभी पैसे खोने की संभावना कम है।
सवाल: किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
जवाब: आपके द्वारा निवेश किए जाने वाले फंड के आधार पर न्यूनतम निवेश राशि भिन्न हो सकती है। हालाँकि, आप न्यूनतम मैं म्यूच्यूअल फंड योजना का चयन कैसे करूं 500 रु. निवेश कर सकते हैं।
सवाल: क्या मैं म्यूचुअल फंड कभी भी बेच सकता हूं?
जवाब: अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं, मतलब आप उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। आमतौर पर क्लोज एंड स्कीम की 3-4 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है। एक दूसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फन कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स सेविंग या ELSS की लॉक-इन अवधि 3 साल है। इस अवधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते हैं।
सवाल: क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना टैक्स-फ्री है?
जवाब: नहीं, म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती है।
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