यह बात तब और सही लगती है जब हम देखते हैं कि जून में डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों समाप्त तिमाही में हमारा विदेश व्यापार का घाटा रिकार्ड बना चुका है और आगे चीजें और बिगडती लग रही हैं। अमेरिका समेत सारे युरोप में संकट दिखने से हमारे सामान की मांग बढने की गुंजाइश नहीं दिखती और इधर आयात बेहिसाब बढता जा रहा है। सिर्फ पहली तिमाही का विदेश व्यापार का घाटा 70.25 अरब डॉलर का हो गया है।

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किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों – जानें उन देशों के नाम!

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अगर आप विदेश घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको करेंसी को लेकर एक अलग ही सिरदर्द रहता है। आप भारतीय करेंसी को डॉलर में बदलवाते हैं, फिर डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों उसे उस देश की करेंसी में चेंज कराते हैं। लेकिन अगर आपको ये पता चले कि कुछ देश ऐसे है, जहां पर भारतीय करेंसी को बदलावने की झंझट नहीं होगी, बल्कि भारतीय करेंसी से ही आप खरीदारी कर सकते हैं, तो आप काफी खुश होंगे। इस लेख के जरिए हम आपको बताने वाले हैं कि किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों (In which countries Indian currency is valid and why in Hindi)?

विश्वभर में लगभग 85% अमेरिकी डॉलर की सहायता से ही लेनदेन होता है। पूरे विश्व में लोग लगभग 39% कर्ज अमेरिकी डॉलर के माध्यम से देते हैं। कुल डॉलर में से 65 परसेंट डॉलर का उपयोग अमेरिका के बाहर किया जाता है। इसी कारण विदेशी बैंकों को दूसरे देश में व्यापार करने के लिए डॉलर की आवश्यकता पड़ती है। इसी वजह से डॉलर अंतरराष्ट्रीय व्यापार करेंसी के नाम से भी जाना जाता है और पूरे विश्व में डॉलर को इंटरनेशनल करेंसी भी कहते हैं, इसीलिए लगभग सभी देशों में सामान का मूल्य चुकाने डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों के लिए डॉलर का इस्तेमाल किया जाता है, परंतु भारत की मुद्रा भी डॉलर से कम नहीं है, रुपए का इस्तेमाल भी सभी देशों में आसानी से हो जाता है इसलिए लोग भारत की करेंसी मैं लेन- देन करना भी पसंद करते हैं। अमेरिकी डॉलर की तरह भारतीय मुद्रा रुपए को भी कई देशों में सम्मान मिलता है और कुछ देश डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों तो ऐसे हैं जिनमें केवल भारतीय मुद्रा के द्वारा ही लेन- देन किया जाता है। बांग्लादेश, नेपाल, मालदीप और भूटान जैसे देशों में भारतीय मुद्रा को ही स्वीकारा गया है और जिंबाब्वे में भी भारतीय करेंसी को लीगल रूप से मान्यता प्राप्त है। इस लेख के माध्यम से हम आपको किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों (In which countries Indian currency is valid and why in Hindi) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

भारतीय करेंसी | Indian currency in Hindi

भारतीय करेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसका इस्तेमाल भारत के अलावा अन्य देशों में भी बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता है। इस करेंसी का अन्य देशों में इस्तेमाल करने का मुख्य कारण भारत का इन देशों में किया जाने वाला निर्यात है। कोई भी करेंसी इंटरनेशनल करेंसी तभी बनती है, जब उस देश से बहुत अधिक मात्रा में निर्यात किया जाता है। आयात करने से कोई भी करेंसी इंटरनेशनल करेंसी नहीं बनती है। आइए नीचे जानते हैं कि किन देशों में भारतीय डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों करेंसी मान्य है और क्यों?

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किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों | In which countries Indian Currency is Valid and Why

नेपाल

भारत की करेंसी का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में नेपाल में किया जाता है। इतनी अधिक मात्रा में उपयोग करने का मुख्य कारण यह है कि भारत के 1 रुपए की कीमत नेपाल के 1.60 रुपये के बराबर है। हम भारत के ₹1 को देकर नेपाल के 1.60 रुपए खरीद सकते हैं। इस बात का अंदाज हम इस प्रकार लगा सकते हैं कि जब भारत में सन 2016 में नोटबंदी की गई थी तब नेपाल में लगभग 9.48 अरब रुपए के भारत के नोट चल रहे थे। भारत से व्यापार करने वाले किसी भी व्यक्ति को भारत के 1 रुपए के बदले में नेपाल के ज्यादा रुपए मिल जाते हैं, इसलिए भारत के लोग नेपाल के साथ व्यापार करना ज्यादा पसंद करते हैं। वर्ष 2017-18 के पहले के 11 महीनों को देखा जाए तो नेपाल से भारत में लगभग 42.34 अरब रुपए का निर्यात हुआ था। जबकि भारत द्वारा रुपयों का केवल 731 अरब रुपए निर्यात भेजा गया।

आखिर क्‍यों आई डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, जानें क्‍या है तुर्की संकट

आखिर क्‍यों आई डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, जानें क्‍या है तुर्की संकट

तुर्की की मुद्रा 'लीरा' में सोमवार को 11 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई, जिससे दुनियाभर के बाजारों में खलबली मच गई. सीएनएन के मुताबिक, तुर्की की मुद्रा लीरा में एशिया में सुबह के कारोबार में डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. लीरा में बीते सप्ताह 20 फीसदी से अधिक की गिरावट हुई थी. इसका असर भारत में भी देखने को मिला. सोमवार को घरेलू एवं वैश्विक शेयर बाजार में गिरावट के बीच रुपया ने सारी शुरुआती बढ़त खो दी. अंतर बैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले 79 पैसे गिरकर 69.62 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निम्नतम स्तर पर आ गया.

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सोमवार को टोक्यो, हांगकांग और शंघाई के शेयर बाजारों में 1.5 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज हुई. तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तइप एर्दोगन ने इस संकट से निबटने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावनाओं को खारिज किया और अमेरिका को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, "हम घुटने नहीं टेकेंगे. अगर आप डॉलर के साथ हमारे पास आओगे तो डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों हम कारोबार करने का दूसरा तरीका खोज निकालेंगे." नया साल शुरू होने के बाद से लीरा में डॉलर के मुकाबले लगभग 45 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है.

आपको बता दें कि मुद्रा का यह संकट ऐसे समय आया है जब तुर्की का अमेरिका के साथ संबंध 1974 के बाद के सबसे बुरे दौर में है. संबंधों में सुधार के भी फिलहाल कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं. तुर्की के इस मुद्रा संकट ने वैश्विक स्तर पर डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों शेयर बाजारों पर भी असर डाला है. कुछ यूरोपीय बैंक तुर्की को दिये भारी कर्ज के कारण इस संकट की चपेट में आ गये हैं. तुर्की की करेंसी 'लीरा' में 10 अगस्‍त को आई गिरावट एर्दोआन के 2003 में सत्ता में आने के बाद से यह तुर्की का सबसे बड़ा आर्थिक संकट है. इससे पहले तुर्की ने 2001 में भीषण आर्थिक संकट का सामना किया था.

और कितना रुलाएगा डॉलर?

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बहुत खामोशी है उदारीकरण के पैरोकारों और रुपए के अवमूल्यन में अनेक गुण देखने वाले अर्थशास्त्रियों में। डॉलर जब 79.37 रुपए का हो गया और रिजर्व बैंक की सारी कवायद के बाद भी अगले दिन मात्र चार पैसे सुधर पाया तो कोई भी ऐसा अर्थशास्त्री सामने नहीं आया जो रुपए के अवमूल्यन को निर्यात बढाने और जीडीपी बढने में योगदान का तर्क दे रहा था। डॉलर को चालीस रुपए पर लाने की बात करने वाले तो अब इस सवाल को छूने से भी बचने लगे हैं।

उधर बाजार के जानकार हाल फिलहाल डॉलर के 82 रुपए तक पहुंचने की भविष्यवाणी करने लगे हैं। अभी करोना के समय से ही डॉलर दो रुपए से ज्यादा महंगा हुआ है जबकि इस बीच खुद अमेरिका परेशानी में रहा है और उसके यहां भी डॉलर के भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चा चलती रही है। अब यह कहने में हर्ज नहीं है कि किसी भी देश की डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों मुद्रा की कीमत वहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति और आर्थिक प्रतिष्ठा को बताती है और इस बुनियादी पैमाने पर हमारी स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती दिखती है।

देश के विदेशी डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों मुद्रा भंडार का आया लेटेस्ट अपडेट, कितना सोना और कितनी मुद्राएं यहां जानें

Foreign Exchange Reserve latest data: डॉलर में दर्शाए जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve india) में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है.

दुनिया का सबसे बड़ा चौथा विदेशी भुद्रा भंडार भारत के पास है.

Foreign Exchange Reserve latest data: भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर आरबीआई ने ताजा रिपोर्ट जारी किए हैं. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में 58.7 करोड़ डॉलर घटकर 635.08 अरब डॉलर रह गया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले 17 दिसंबर को खत्म सप्ताह में (विदेशी मुद्रा भंडार Foreign Exchange Reserve) 16 करोड़ डॉलर घटकर 635.667 अरब डॉलर रह गया था. जबकि 3 सितंबर, 2021 को खत्म हुए सप्ताह में यह मुद्रा भंडार 642.453 के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था.

विशेषज्ञों ने बताया क्यों चिंतित हैं निवेशक

ICICI सिक्योरिटीज ने मामले पर मिंट से कहा कि बाजार में कमजोरी है क्योंकि निवेशक बढ़ती महंगाई, दुनियाभर में सख्त होती मुद्रा नीतियों, आर्थिक सुस्ती और बढ़ते भूराजनैतिक तनावों को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा निवेशक तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर भी चिंतित हैं।

बता दें कि देश में मार्च में महंगाई दर 6.95 प्रतिशत रही जो पिछले 17 महीने में सबसे अधिक है। महंगाई दर में ये उछाल सब्जी, डॉलर वैश्विक मुद्रा क्यों दूध, मीट और अनाज जैसी खाद्य सामग्रियों और ईंधन की कीमत में उछाल के कारण आया है। खाद्य सामग्रियों की कीमत में सबसे अधिक उछाल देखने को मिला और इनकी महंगाई दर 7.68 प्रतिशत रही। अप्रैल में महंगाई दर इससे भी अधिक रहने का अनुमान है।

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