Cryptocurrency Meaning in Hindi – क्रिप्टो करेंसी क्या होती है, क्रिप्टो करेंसी कितने प्रकार की होती है?
Cryptocurrency Meaning in Hindi – क्रिप्टोकरेंसी मीनिंग इन हिंदी?
Crypto का Meaning Hindi में सीक्रेट या गुप्त व Currency का मतलब मुद्रा होता हैं, यानी कि Cryptocurrency Meaning in Hindi सिक्रेट मुद्रा होता है। क्रिप्टो करेंसी एक वर्चुअन करेंसी होती है, इसका मतलब कि यह फिजिकल रूप में उपलब्ध नही होती है; यानी कि इसे हम नोट और सिक्कों की तरह हाथ में नही ले सकते और ना ही इसे जेब में रख सकते हैं। क्योंकि यह सिर्फ ऑनलाइन इंटरनेट पर ही हमारे Digital Wallet में Digital form में ही रहता है। अतः CryptoCurrency को Online Currency भी कह सकते हैं। क्योंकि यह सिर्फ ऑनलाइन ही लेन-देन करने में सक्षम है।
Bitcoin meaning in hindi – बिटकॉइन का मतलब क्या होता है?
पहली बार Crypto Currency के रूप में Bitcoin को ही 2009 में इंट्रोड्यूज किया गया था। Bitcoin का आविष्कार सातोशी नकामोतो नामक एक engineer ने 2008 में किया था, और 2009 में open source software के रूप में इसे जारी किया गया था। और अभी तक की सबसे पॉपुलर Cryptocurrency Bitcoin ही है। और बिट कॉइन को 21 मिलियन ही प्रोड्यूस किया गया है। और यह संख्या फिक्स है अतः नोट की तरह इसको और ज्यादा नही छापा जा सकता है। इसी वजह से Bitcoin की कीमत तेजी से उपर नीचे होती रहती है। जब बाजार नें इसकी मांग बढ़ती है तो बिट कॉइन कीं कीमत बढ़ जाती है, तथा जब मांग घटती है तो कीमत भी घटती जाती है। जैसा की आपको पता ही होगा कि हमारी भारतीय मुद्रा हो या फिर अमेरिकी डॉलर, चाइनीज यूरो आदि सभी करेंसी पर सरकार का पूरा-पूरा कंट्रोल होता है। लेकिन बिट कॉइन जैसे क्रिप्टो करेंसी पर ऐसा कोई भी कंट्रोल नही होता है। इस Virtual Currency पर गवर्मेन्ट अथोरिटी जैसे सेंट्रल बैंक्स, किसी देश या एजेंसी का कोई कंट्रोल नही होता है। यानी की Cryptocurrency ट्रेडिशनल बैंक को फॉलो नही करती है। यह एक Computer Wallet से दूसरे Computer Wallet तक Transfer होता रहता है। क्रिप्टो करेंसी में ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी क्रिप्टो करेंसी क्या होता है का उपयोग किया जाता हैं। जिससे यह एकदम सिक्योर हो जाती है।
क्या बिटकॉइन भारत में वैध है?
शुरुआत के समय में तो भारत में बिटकॉइन लीगल था लेकिन कुछ सबय पहले बीच में भारत में बिट कॉइन को RBI ने 2018 में वैन लगा दिया था। क्योंकि RBI इसे illegal मानती थी। लेकिन फिर मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस वैन को हटा दिया गया। और इसी कारण से भारत मे बिटकॉइन की पॉपुलिरिटी इतनी नही थी। लेकिन अब भारत में भी क्रिप्टो करेंसी का यूज लीगल हो गया है। भारत में फिर 2022 का बजट पेस किया गया जिसमें Bitcoin जैसी करेंसी पर 30% का Tax लगाया गया है। आप जो भी इन करेंसी से पैसा कमाएं गे उसका 30% टैक्स सरकार को देना होगा।
Cryptocurrency ke fayde – क्रिप्टो करेंसी के फायदे क्या है?
इसमें आप आसानी से और फटा-फट ट्रांजेकशन कर सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से इंटरनेशनल ट्रांजेक्सन चुटकियो में किए जा सकते हैं।
आपको न के बराबर ट्रांजेक्शन चार्ज देना पड़ता हैं। इसमें कोई भी थर्डपार्टी नही होती है, और ज्यादा सिक्योर होती है क्योंकि इसमें ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
Cryptocurrency का कंट्रोल सरकार या किसी अन्य एजेंसी के पास नही होता है। जिसके कारण हम जब चाहे जैसे चाहे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी सीक्रेट होती है इसका मतलब किसी को भी नही पता होता कि आपके पास कितनी करेंसी है। आप इसका कहाँ पर यूज करते है। सभी
जानकारिया गुप्त होती है। इसी वजह से इसका उपयोग कंपनिया खरीद बेच करने में करती हैं।
Cryptocurrency ke nuksan – क्रिप्टो करेंसी के नुकसान क्या क्या है?
सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें कोई गवर्मेंट अथोरिटी नही है और कोई थर्ड पार्टी एजेंसी नही है, तो अगर कोई फ्रॉड होता है तो कोई भी सपोर्ट नही मिलता है।
यह Eco-Friendly नही है क्योंकि इसे सिक्योर बनाने के लिए बहुत सारे कंप्यूटर और रिसोर्सेस का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से इलेक्ट्रिसिटी बहुत ज्यादा खर्च होती है। लेकिन हो सकता है कि भविष्य में नई टेक्नोलॉजी आ जाए।
चूकि यह सीक्रेट करेंसी है तो इसका इस्तेमाल Unethical Users भी करते हैं। जिसकी कोई डिटेल प्राप्त नही की जा सकती है।
Q. Bitcoin का आविष्कार किसने और कब किया था?
Ans. 2008 में Bitcoin का आविष्कार सातोशी नकामोतो नामक एक engineer ने किया था।
Investment in Crypto Currencies: BitCoin में निवेश का स्टेपवाइज प्रॉसेस, इन तीन चार्जेज के बारे में भी जानकारी है जरूरी
Investing in Crypto Currencies: भारत में बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर निवेशक आकर्षित हुए हैं लेकिन अधिकतर के मन में यह सवाल रहता है कि इसकी शुरुआत कैसे की जाए.
दुनिया भर में निवेशकों के बीच बिटक्वाइन (BitCoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है.
Investing in Crypto Currencies: भारत समेत दुनिया भर में निवेशकों के बीच बिटक्वाइन (BitCoin) जैसी क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. पिछले कुछ वर्षों में इसने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है जिसे कंप्यूटर पर जटिल समीकरणों को हल कर माइन किया जाता है. इसे माइन करने वाले यानी माइनर्स को रिवार्ड के तौर पर क्रिप्टो करेंसी मिलती है लेकिन जिन्हें तकनीकी समझ नहीं है, वे भी क्रिप्टो हासिल कर सकते हैं. जिस प्रकार कंपनी के शेयरों की बीएसई और एनएसई जैसे एक्सचेंजों पर खरीद-बिक्री होती है, वैसे ही क्रिप्टो एक्सचेंजों पर बिटक्वाइन जैसे क्रिप्टो की खरीद-बिक्री होती है यानी कि आपको अगर बिटक्वाइन में निवेश करना है तो किसी एक्सचेंज पर जाकर आसानी से इसमें पैसे लगा सकते हैं.
इस प्रकार कर सकते हैं क्रिप्टो में निवेश
क्रिप्टों में निवेश के लिए वजीरएक्स (WazirX), क्वाइनडेक्स (Coindex), जेबपे Zebpay, क्वाइनस्विच कुबेर (Coin Switch Kuber) और यूनोकॉइन UnoCoin जैसे एक्सचेंज हैं. क्रिप्टो में निवेश के लिए पहले आपको एक्सचेंज की साइट पर जाकर पर्सनल डिटेल्स के जरिए रजिस्ट्रेशन करना होगा.
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- क्रिप्टो करेंसी की वेबसाइट पर जाकर साइन अप करिए.
- फिर ई-मेल वेरिफिकेशन के बाद सिक्योरिटी पेज आएगा जिसमें ऐप, मोबाइल एसएमएस या कोई सिक्योरिटी विकल्प न चुनने का विकल्प आएगा.
- सिक्योरिटी विकल्स को ओके करने के बाद देश चुनने और केवाईसी चुनने का विकल्प मिलेगा. केवाईसी के तहत पर्सनल और कंपनी में से किसी एक को चुनना होता है जो बाय डिफॉल्ट पर्सनल पर होता है.
- केवाईसी के लिए अपनी व्यक्तिगत जानकारियां जैसे कि नाम, जन्म तिथि, पता, पैन कार्ड, आधार (ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट) की डिटेल्स के साथ पैन कार्ड की फोटो, आधार कार्ड के फ्रंट व बैक साइड के साथ सेल्फी अपलोड करनी होती है.
- अकाउंट वेरिफाई होने के बाद आप क्रिप्टो में खरीदारी कर सकते हैं और इसका भुगतान अपने बैंक खाते से करना होगा.
क्रिप्टो ट्रेडिंग पर ये हैं चार्जेज
- एक्सचेंज फीस: क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है. फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
- नेटवर्क फीस: क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर क्रिप्टो करेंसी क्या होता है नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है. आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए यह फीस दी जाती है.
- वॉलेट फीस: क्रिप्टो करेंसी को ऑनलाइन बैंक खाते के समान एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं. क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
(यहां दी गई जानकारी एक्सचेंजों की वेबसाइट से ली गई है. निवेश शुरू करने की जो प्रक्रिया है, वह अलग-अलग एक्सचेंज पर थोड़ी भिन्न हो सकती है. लेख के जरिए आपको निवेश की कोई सलाह नहीं दी जा रही है और यह महज जानकारी के लिए है. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर संपर्क कर लें.)
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दुनिया में अभी 2420 तरह की क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में मौजूद, यह किसी भी बैंक से जुड़ी नही होतीं
यूटिलिटी डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के दो साल पुराने सर्कुलर को रद्द करते हुए क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की इजाजत दे दी। इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। आइए जान लेते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है और यह कैसे काम करती है।
डिजिटल करेंसी का एक रूप है क्रिप्टोकरेंसी
यह डिजिटल करेंसी होती है और किसी भी सरकार या किसी भी बैंक से जुड़ी हुई नहीं है। एक यूजर दूसरे को क्रिप्टोकरेंसी भेजता है तो इसका रिकॉर्ड एन्क्रिप्शन के जरिए यानी सांकेतिक भाषा में होता है। इसे कोई अन्य डिकोड नहीं कर सकता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
कंप्यूटर सीपीयू से होती है बिटक्वाइन माइनिंग
बिटक्वाइन ट्रांजेक्शन के डेटा को मेंटेन करने के लिए कंप्यूटर के सीपीयू की पावर इस्तेमाल होती है। सीपीयू में बिटक्वाइन से जुड़ा सॉफ्टवेयर इन्सटॉल किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर कॉम्प्लेक्स गणितीय गणना कर बिटक्वाइन के लिए इनक्रिप्शन तैयार करता है। माइनिंग का काम हाई एंड सीपीयू के जरिए कोई भी कर सकता है।
मौजूदा समय में सबसे आगे है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन इस समय सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है। बिटक्वाइन का रिकॉर्ड पब्लिक लेजर में मेंटेन होता है। 2009 से अब तक सभी ट्रांजेक्शन पब्लिक लेजर में सेव होते रहे हैं। ट्रांजेक्शन के सभी रिकॉर्ड कई ब्लॉक में रखे जाते हैं। इसलिए ये ब्लॉकचेन भी कहलाते हैं।
बिटक्वाइन में इस साल 50% तक की तेजी
बिटक्वाइन में इस साल 50% तेजी आ चुकी है। अक्टूबर 2019 के बाद पहली बार बिटक्वाइन पिछले दिनों 10,000 डॉलर पर पहुंचा था। मौजूदा वैल्यू 8,771 क्रिप्टो करेंसी क्या होता है डॉलर (6.40 लाख रुपए) है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी इस साल तेजी बनी हुई है। इथेरियम की वैल्यू दोगुनी हुई है।
बिटक्वाइन की इतनी वैल्यू क्यों हो गई
जापान ने बिटक्वाइन को कानूनी रूप क्रिप्टो करेंसी क्या होता है दिया। इसके बाद से इसकी वैल्यू 60% से ज्यादा बढ़ गई।
ट्रांजेक्शन के लिए यह काफी सुरक्षित माना जाता है। साथ ही इस पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण न होने के कारण इसमें हाइपर इनफ्लेशन का खतरा नहीं होता है।
रेगुलेशन न होने की वजह से ट्रांजेक्शन की लागत काफी कम।
वोलाटैलिटी अधिक होने से उतार-चढ़ाव बहुत
अब भी कई लोग बिट क्वाइन या डिजिटल करेंसी के बारे में कुछ पता नहीं है। इसमें वोलाटैलिटी यानी उतार-चढ़ाव ज्यादा है। बिटक्वाइन की अभी एक लिमिट है। मौजूदा स्ट्रक्चर के मुताबिक संख्या में 2.1 करोड़ से ज्यादा बिट क्वाइन नहीं हो सकते हैं।
मनी नॉलेज: जानिए क्या होती है बिटकॉइन हॉल्विंग और इसका क्या असर होता है?
डिजिटल करेंसी बिटकॉइन में 'हॉल्विंग' नाम की एक घटना होता है। इस घटना के बाद बिटकॉइन के एक ब्लॉक को अनलॉक करने का पुरस्कार तय होता है। सामान्य तौर पर प्रत्येक हॉल्विंग के बाद पुरस्कार राशि घटकर आधी रह जाती है। आइए जानते हैं कि बिटकॉइन हॉल्विंग और इसका क्या असर पड़ता है..
क्या होता है बिटकॉइन?
बिटकॉइन एक वर्चुअल यानी आभासी मुद्रा है। इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है। बिटकॉइन ऐसे करेंसी है जिसे ना तो आप देख सकते हैं और ना ही आप छू सकते हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में ही स्टोर होती है।
क्या है बिटकॉइन हॉल्विंग
प्रत्येक चार साल पर होने वाली बिटकॉइन हॉल्विंग से इसके उत्पादों का पुरस्कार तय होता है। दरअसल, रुपया या डॉलर की तरह बिटकॉइन की छपाई नहीं होती है। बल्कि इसका निर्माण कंप्यूटर के जरिए किया जाता है। इस कार्य को खनन कहा जाता है और इस कार्य को करने वालों को माइनर (खनन कर्मी) कहा जाता है। ये माइनर गणित की जटिल पहेलियों को सुलझाकर बिटकॉइन का निर्माण करते हैं जिसके बदले में उन्हें पुरस्कार मिलता है।
प्रत्येक हॉल्विंग पर आधी रह जाती है पुरस्कार राशि
बिटकॉइन हॉल्विंग की घटना प्रत्येक चार साल के अंतर होती है। प्रत्येक घटना के बाद पुरस्कार राशि आधी हो जाती है। 2012 में पहली घटना के समय पुरस्कार राशि 50 बिटकॉइन थी जो अब 2020 में घटकर 6.25 बिटकॉइन पर आ गई है।
प्रत्येक चार साल पर होती है हॉल्विंग
बिटकॉइन हॉल्विंग की घटना प्रत्येक चार साल के बाद होती है। 2009 में बिटकॉइन के क्रिएशन के बाद हॉल्विंग की पहली घटना नवंबर 2012 में हुई थी। इसके बाद दूसरी घटना जुलाई 2016 और तीसरी घटना मई 2020 में हुई है। हॉल्विंग की चौथी घटना के मई 2024 में होने की उम्मीद जताई जा रही है।
कब तक होगी हॉल्विंग प्रक्रिया
ब्लॉकगीक्स डॉट कॉम के मुताबिक बिटकॉइन की दुनिया में हॉल्विंग की कुल 64 घटनाएं होनी हैं, जिसमें से अभी तक चार ही संपन्न हुई हैं। पूरी दुनिया में केवल 21 मिलियन यानी 2.1 करोड़ बिटकॉइन बाजार में आ सकते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक, अभी तक केवल 17 मिलियन बिटकॉइन बाजार में हैं। 21 मिलियन बिटकॉइन को बाजार में आने में वर्ष 2140 तक का समय लग सकता है।
प्रत्येक 2.1 लाख ब्लॉक अनलॉक होने के बाद होती है हॉल्विंग
बिटकॉइन स्टार्टअप बिटबडी के संस्थापक आशीष अग्रवाल के मुताबिक, सामान्य तौर पर प्रत्येक 2.1 लाख ब्लॉक के अनलॉक होने के बाद हॉल्विंग की घटना होती है। यह घटना तब तक होती रहेगी जब तक ब्लॉक को अनलॉक करने का पुरस्कार जीरो नहीं हो जाएगा।
हॉल्विंग के बाद घट जाता है उत्पादन
बाजार में बिटकॉइन की नई आपूर्ति का बड़ा हिस्सा केवल माइनर्स (बिटकॉइन के प्रोड्यूसर्स) से आता है। हॉल्विंग के बाद पुरस्कार राशि घटने से बिटकॉइन माइनिंग प्रभावित होती है। इससे बाजार में नए बिटकॉइन की आपूर्ति का अभाव हो जाता है। नए बिटकॉइन नहीं आने की वजह से कीमतें बढ़ जाती हैं। पुरस्कार राशि घटने की वजह से बिटकॉइन के उत्पादकों की संख्या घट जाएगी। वे ज्यादा मुनाफे वाली दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की तरफ आकर्षित होंगे। इससे बिटकॉइन की कीमत बढ़ेगी।
निवेशकों पर असर
बिटकॉइन हॉल्विंग का बिटकॉइन के मौजूदा निवेशकों पर कोई असर नहीं पड़ता है। इसका कारण यह है कि हॉल्विंग से बिटकॉइन की कीमत प्रभावित नहीं होती है बल्कि यह घटना बिटकॉइन के उत्पादन से संबंधित है।
भारत में क्या है क्रिप्टो का खेल, सरकार करेगी कंट्रोल, सदन में आ रहा है क्रिप्टोकरेंसी बिल
हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. अब इसी कड़ी में सरकार एक ऐसा बिल लाने वाली है जो क्रिप्टोकरेंसी को कंट्रोल कर सकेगा. केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) लेकर आने वाली है. इससे सभी प्रकार की क्रिप्टकरेंसी को कंट्रोल किया जा सकेगा.
प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 24 नवंबर 2021,
- (Updated 24 नवंबर 2021, 12:25 PM IST)
केंद्र सरकार Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021 लेकर क्रिप्टो करेंसी क्या होता है आने वाली है.
शीतकालीन सत्र में पेश होगा नया बिल
पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर हो रहा है विचार
पिछले 4-5 साल से क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को लेकर चर्चा तेज हुई है, इसे एक ऐसी करेंसी के रूप में देखा जाता है जिसके ऊपर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. जैसे यूएस डॉलर को यूएस का सेंट्रल बैंक कंट्रोल करता है, भारतीय रुपये को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया कंट्रोल करता है, ऐसे ही बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी को कोई सेंट्रल बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन कंट्रोल नहीं करता है. अब इसी को लेकर भारत सरकार चिंता में है.
हाल ही में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक मीटिंग बुलाई गई थी जिसमें उन्होंने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. अब इसी कड़ी में सरकार एक ऐसा बिल लाने वाली है जो क्रिप्टोकरेंसी को कंट्रोल कर सकेगा. केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) लेकर आने वाली है. इससे सभी प्रकार की क्रिप्टकरेंसी पर बैन लगाया जा सकेगा.
18 नवंबर को भी सिडनी डायलॉग में भाषण देते हुए, पीएम मोदी ने सभी देशों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि क्रिप्टोकरेंसी “गलत हाथों में न जाये.”
शीतकालीन सत्र में पेश होगा नया बिल
केंद्र सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने और 25 अन्य कानूनों के साथ सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के लिए एक विधेयक पेश करेगी.
क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल को अभी तक आधिकारिक तौर पर कैबिनेट द्वारा अप्रूव नहीं किया गया है. इस बिल के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक देश में आधिकारिक डिजिटल करेंसी के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करेगा.
पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर हो रहा है विचार
सेंट्रल बैंक जल्द ही ऑफिशियल डिजिटल करेंसी के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने पर विचार कर रहा है. लोकसभा बुलेटिन में प्रस्तुत किये गए इस नए बिल के अनुसार, बिल भारत में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करेगा. हालांकि, इसमें कुछ अपवाद के चलते क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग में लाई जाने वाली टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
हालांकि, अब तक, इस विधेयक के बारे में ज्यादा जानकारी किसी को नहीं है. अभी तक इसकी कोई सटीक रूपरेखा पब्लिक डोमेन में नहीं है और न ही इसपर अभी कोई सार्वजनिक परामर्श किया गया है.
बिटकॉइन की कीमत पहुंची 60 हजार डॉलर के पास
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को लेकर "गंभीर चिंता" व्यक्त की है. इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन की कीमत, 60,000 डॉलर के आसपास पहुंच गयी है. इस साल की शुरुआत से इसकी कीमत क्रिप्टो करेंसी क्या होता है दोगुनी से अधिक हो गई है, जो इन्वेस्टर्स को काफी आकर्षित कर रही है.
देश में इस वक्त 1.5 से 2 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स
दरअसल, कई लोग जहां क्रिप्टो करेंसी को इन्वेस्टमेंट के रूप में प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग इसे अल्टरनेटिव करेंसी (Alternative currency) के रूप में लेते हैं. इंडस्ट्री का अनुमान है कि भारत में 1.5 करोड़ से 2 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स हैं, जिनकी कुल क्रिप्टो होल्डिंग्स लगभग ₹40,000 करोड़ रुपये तक है.
दुनिया की बन रही है पहली बिटकॉइन सिटी
आज लाखों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि जिस तरह से हम सोने का उपयोग करेंसी के रूप में करते हैं ठीक उसी तरह क्रिप्टो का कर पाएंगे. हालांकि, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आपको बता दें, वर्तमान में, एल साल्वाडोर अकेला ऐसा देश है जिसने क्रिप्टोकुरेंसी को कानूनी मान्यता दी है, उन्होंने हाल ही में दुनिया की पहली बिटकॉइन सिटी बनाने की भी घोषणा की है.
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