शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है
शेयर मार्केट में बहुत सारे लोगों को नहीं पता Option Trading क्या है, Call और Put क्या है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सारे माय्धाम है उनमे से एक है Option Trading। बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में Call & Put खरीद करके ट्रेडिंग करते हैं। आज हम सरल भाषा में जानेंगे Option Trading कैसे करे, क्या हैं-
Option Trading क्या हैं:-
आपको नाम से ही पता लग गया होगा Option का मतलब विकल्प। उदाहरण के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 1000 शेयर 5000 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 100 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी का शेयर 1 महीने बाद 70 हो गया तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।
ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।
Call और Put क्या है:-
Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो। आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।
Option Trading का Expiry कब होता है:-
Option Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति और दूसरा होता है महीना में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry होता हैं। महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार expiry होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।
कब ज्यादा नुकसान हो सकता है:-
जो लोग Call या Put Option को खरीदते है उनको Premium का ही ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सकता है। लेकिन जो लोग Call और Put को बेच देते है उनका नुकसान असीमित हैं। बहुत बड़े बड़े ट्रेडर ही Call या Put को बेचते हैं उसके पास नॉलेज के साथ पैसा भी बहुत होता हैं।
Option Trading कैसे करे:-
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आप एक कंपनी का 1 शेयर नहीं खरीद सकते आपको LOT में खरीदना पड़ेगा. Nifty50 का एक Lot 75 का होता है लेकिन शेयर में ज्यादा होता हैं। किसी भी शेयर और Nifty50, Bank NIfty का Option खरीदने के लिए आपको जाना होगा आपके Demat Account में। उसके बाद जो भी खरीदना है उसमे आपको देखने को मिलेगा Option Chain आप उस पर से आपको Call या Put जो भी खरीदना है खरीद दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति सकते हैं।
क्या आपको Option Trading करना चाहिए हमारी राय:-
दोस्तों आप यदि नए हो शेयर मार्केट में तो आपको इतना जोखिम नहीं लेना है। आपको लंबे समय के लिए दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए। Option Trading बहुत ज्यादा रिस्क भी है और रिवॉर्ड भी। आप यदि सही तरीके से पैसा लगाएंगे तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा होगा। किसी के दिए हुए नुस्के से आप बिल्कुल मत इन्वेस्ट करो आप पहले सीखिए उसके बाद इन्वेस्ट करे।
आशा करता हु आप हमारे पोस्ट शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है पढ़के आपको सिखने को मिला। और भी शेयर मार्केट के बारे में जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।
रिटेल निवेशकों के लिए सेबी लाएगा एल्गो ट्रेडिंग के नियम, क्या है एल्गो ट्रेडिंग?
बाजार नियामक सेबी रिटेल निवेशकों के लिए एल्गोरिदमिक कारोबार के नियम लाने की योजना बना रहा है,जो संस्थागत निवेशकों को शेयरों में निवेश के लिए बेहतर अवसर देती है.
इस रफ्तार के काम कर पाना मनुष्य के वश में नहीं है. हालांकि, मानवीय तरीकों की तुलना में मिलने वाले इस फायदे से दुनियाभर के बाजार नियामक चिंतित हैं. पूंजी बाजार नियामक यह तय करने की प्रक्रिया में है कि एकल निवेशकों को किस हद तक इस स्वचालित कारोबारी प्रणाली का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाए.
सेबी का मानना है कि घरेलू एकल निवेशकों को भी एल्गो कारोबार का लाभ उठाने का अवसर मिलना चाहिए. दो सूत्रों ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि इसके लिए उसने स्टॉक एक्सचेंजों से ब्रोकरों की प्रतिक्रिया लेने के लिए कहा है.
एक वरिष्ठ सेबी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, "संस्थागत निवेशकों की ही तरह, रिटेल निवेशकों को भी एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग का उचित मौका मिलना चाहिए. हमने एक्सचेजों से कहा है कि करने योग्य और नहीं करने योग्य कामों की सूची बनाए, जिससे जोखिम कम किया जा सके."
अभी रिटेल निवेशकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग का कोई नियम नहीं हैं. हालांकि, कुछ ब्रोकर इसे बतौर प्रोडक्ट पेश करते हैं. बाजार नियामक इस बात से नाखुश है कि रिटेल निवेशक बिना नियमों के स्वचालित कारोबार के क्षेत्र में उतर रहे हैं.
एल्गोरिदमिक विश्लेषक फर्म, क्वांट्सएप, के सीईओ शुभम अग्रवाल कहते है, "ज्यादातर खिलाड़ी नियमों के अभाव में निवेशकों को एल्गो कारोबार का विकल्प नहीं दे पा रहे. यह अच्छी बात है कि सेबी इसके लिए नियम लेकर आ रहा है, जिससे जोखिम को कम किया जा सकता है."
सेबी अगस्त 2016 में एल्गो नियमों के लिए नियम लाने वाले पहले नियामकों में शामिल था. इसके लिए सेबी ने सात प्रस्तावों के सेट भी सामने रखा था. हालांकि, स्पष्टिकरण के अभाव में यह लागू नहीं हो सका. बाजार के कई खिलाड़ियों के अनुसार, यदि यह लागू हो जाते, को कारोबार का वॉल्यूम घट जाता.
At Tuesday's close, 639 shares of IndusInd Bank were worth Rs 10.5 lakh, while 1,000 shares of Bharat Financial counted for Rs 9.85 lakh.
भारतीय बाजार में एल्गो ट्रेड की हिस्सेदारी 43 फीसदी है. अमेरिका में यह हिस्सेदारी 90 फीसदी है क्योंकि वहां रिटेल निवेशक भी इस इसमें संलग्न रहते हैं. दुनिया भर की औसत की बात की जाए, तो यह 75 फीसदी की है.
अग्रवाल ने कहा, "यदि इस क्षेत्र में नियम लागू हुए, तो इससे संबंधित कई स्टार्ट-अप शुरू होंगे. यह एल्गो दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति कारोबार के लिए काफी बड़ा बूस्टर होगा." बाजार के कई खिलाड़ियों का मानना है कि नियमों के लागू होने बाद भारत में एल्गो कारोबार ही हिस्सेदारी वैश्विक औसत के बराबर पहुंच सकती है.
हालांकि, ब्रोकर इस विषय में अलग-अलग राय रखते हैं. उनका मानना है कि रिटेल निवेशकों को इससे मिलने वाले लाभ का दायरा सीमित रखने की जरूरत है. कुछ ब्रोकर्स का कहना है कि इसे उन्हीं के द्वारा बतौर प्रोडक्ट लॉन्च किया जाए, जबकि अन्य इसका विरोध करने नजर आ रहे हैं.
एक रिटेल ब्रोकिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह कार्य सिर्फ एपीआई के जरिए ही किया जाना चाहिए. इससे निश्चित होगा कि सिर्फ प्रोग्रामिंग समझने और जानने वाले निवेशक ही इसका प्रयोग कर रहे हैं. ऐसा नहीं हुआ तो काफी हद तक गलत कारोबार देखने को मिल सकता है."
Upstox क्या है? इसका मालिक कौन है
आज आप इस आर्टिकल में जानेंगे कि Upstox Kya Hai 2022 में? आज के समय में सभी लोग कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के तरीके इंटरनेट पर ढूंढते रहते है आप में से बहुत से लोग Mutual funds और Stock market में Invest करके लाखों रूपए कमा भी रहे होंगे। हम आपको भारतकी सबसे अच्छी ट्रेडिंग ऐप (Best Trading App In India) के बारे में बताने जा रहे है जिसका नाम Upstox है।
Upstox का यूज़ करके आप Mutual funds, Stock market, IPO, Online Stock Trading में Online Investment कर सकते हैं। आपको बता दे Upstox app को 10 मिलियन से भी ज्यादा लोग इस्तेमाल कर रहे है। इंडिया में बहुत ही कम ऐसी Online Trading Companies है जो फ्री में Demat Account ओपन करती है लेकिन Upstox में आप फ्री में Demat Account ओपन कर सकते है। आज हम आपको Upstox क्या है? इसका मालिक कौन है? इसकी जानकरी देने वाले है तो चलिए जानते है कि Upstox Kya Hai 2022 में?
upstox क्या है
Table of Contents
Upstox एक Online trading platform है। Upstox की शुरुआत 2006 में हुई थी। इसका मुख्यालय (upstox headquarters) मुंबई में है। आपको बता दे Upstox Company के मालिक रवि कुमार और रघु कुमार हैं। इन दोनो ने मिलकर इस कंपनी की शुरूआत की थी। Upstox App को Google Play Store में 4.5 की रेटिंग मिली हुई है। Upstox App इंडिया की सबसे अच्छी Online Trading Application है जिसने 1 महीने में एक लाख से भी ज्यादा Demat Account Open करवाए हैं। Upstox Aap से आप किसी भी कंपनी के शेयर खरीद सकते है और उसे बेंच सकते है। Upstox Aap से आप Mutual Fund, Stock Market, IPO, में आसानी से Investment कर सकते हैं।
Upstox का मालिक कौन है?
UpStox एक निजी लिमिटेड कंपनी है जिसका मालिकाना हक़ मुंबई की एक RKSV Securities Pvt Ltd कंपनी के पास है। Upstox के Co-Founder रवि कुमार और रघु कुमार हैं! इसका मुख्यालय मुंबई में है। Upstox App को Google Play Store में 4.5 की रेटिंग मिली हुई है। Upstox App इंडिया की सबसे अच्छी Online Trading Application है जिसने 1 महीने में एक लाख से भी ज्यादा Demat Account Open करवाए हैं।
अब आप जान गए होंगे कि Upstox Kya Hai 2022 में? हमने अपस्टॉक्स क्या है? Upstox का मालिक कौन है? इसकी जानकरी दी है। उम्मीद है की आपको इस आर्टिकल में सारी जानकारी (upstox company details) मिल गई होगी।
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कार्बन की कीमत का निर्धारण ही भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों को पाने की मूल रणनीति होगी
Net Zero Emission भारत में नेशनल कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम को बनाने का प्रस्ताव बहुत अच्छी पहल है। कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम यह सुनिश्चित करती है कि कार्बन उत्सर्जन उस लक्षित स्तर तक सीमित रहे जिसे समाज और सरकार जरूरी समझते हैं।
डा. वैभव चतुर्वेदी। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन के लिए विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है। इसका उद्देश्य भारत के लिए एक कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम को तैयार करना है। इसे कार्बन इमीशन ट्रेडिंग स्कीम (ईटीएस) भी कहते हैं। निश्चित तौर पर यह भारत की जलवायु नीति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस संशोधन विधेयक के विभिन्न प्रभावों को समझने के लिए ईटीएस के कुछ प्रमुख बिंदुओं को जानना जरूरी है। सबसे पहले कार्बन की कीमत निर्धारण के विचार पर आते हैं। अगर यह कहें कि जीवाश्म ईंधन (कोयला, डीजल इत्यादि) के इस्तेमाल से पांच टन कार्बन उत्सर्जन होता है और कार्बन की कीमत 100 रुपये प्रति टन है तो इस जीवाश्म ईंधन के उपयोगकर्ता को 500 रुपये की अतिरिक्त लागत का भुगतान करना पड़ेगा। इस तरह से कार्बन की कीमत तय करने से जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल खर्चीला हो जाता है, जो अंत में इसके उपयोग को हतोत्साहित करता है।
कार्बन मूल्य निर्धारण का विचार ईटीएस का एक प्रमुख बिंदु है, लेकिन कार्बन मूल्य तय करने का एक और तरीका है। सरकार कार्बन पर टैक्स भी लगा सकती है। मगर कार्बन टैक्स की तुलना में ईटीएस एक मायने में ज्यादा लाभकारी है। ईटीएस यह सुनिश्चित करता है कि कार्बन उत्सर्जन उस लक्षित स्तर तक सीमित रहे, जिसे समाज और सरकार जरूरी समझते हैं। अब सवाल आता है कि ईटीएस ऐसा कैसे कर सकता है?
ईटीएस उन संस्थाओं की ओर से उत्सर्जित कुल कार्बन को विनियमित करता है, जो उसके दायरे में आते हैं। यानी अगर यह कहें कि ईटीएस में बिजली, स्टील और सीमेंट क्षेत्र शामिल हैं तो इन तीनों क्षेत्रों को मिलाकर कुल उत्सर्जन पर एक सीमा लगाई जा सकती है। और इन क्षेत्रों की सभी कंपनियों को सामूहिक रूप से अपना कार्बन उत्सर्जन इस सीमा में रखना होगा। इसीलिए ईटीएस को सीमा और व्यापार प्रणाली के तौर पर भी जाना जाता है। ईटीएस में शामिल कंपनियों को कार्बन दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति उत्सर्जन के परमिट को खरीदना होता है। साथ में यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उनका कार्बन उत्सर्जन उनके परमिट के बराबर ही रहे।
ईटीएस में शामिल कंपनियों को अपने परमिट की आपस में खरीदने-बेचने की छूट होगी। हालांकि यह इस पर निर्भर करेगा कि लक्षित वर्ष में उन्हें अपने यहां उत्सर्जन में कटौती करना कितना महंगा या सस्ता पड़ता दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति है। यह पूरी प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि सरकार कैसे संपूर्ण कार्बन उत्सर्जन को एक वांछित स्तर तक सीमित कर सकती है। वहीं कार्बन टैक्स के माध्यम से यह लक्ष्य हासिल करना व्यावहारिक रूप से असंभव होता है। ईटीएस के भीतर कार्बन की कीमत का निर्धारण कार्बन उत्सर्जन के परमिट की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। कार्बन की उचित कीमत खोजने की प्रक्रिया में दो प्रमुख कारक-ईटीएस द्वारा विनियमित कंपनियां और वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं। ये एकसाथ उचित कीमत की खोज को सुनिश्चित करते हैं, ताकि सामूहिक रूप दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति से कुल उत्सर्जन सीमा के लक्ष्य को कम से कम खर्च पर हासिल किया जा सके। सवाल है कि क्या ईटीएस के तहत संचालित कार्बन की कीमत कंपनियों की उत्पादन दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति लागत पर असर डालती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में नुकसान या घरेलू अर्थव्यवस्था में महंगाई की वजह बनती है? इस पर विचार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही वास्तविक चुनौती भी हो सकती है।
खास तौर पर व्यापार-उन्मुख क्षेत्रों के साथ-साथ बिजली उत्पादन क्षेत्र के लिए। हालांकि अगले एक दशक में इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव सामने नहीं आएंगे, दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति क्योंकि इस दौरान यह प्रणाली परिपक्व होने की प्रक्रिया में होगी। किसी भी सूरत में अगर कार्बन की कीमत कम रहती है या उत्सर्जन की सीमा सख्त नहीं रहती है तो इसका प्रभाव नगण्य होगा, लेकिन 2035 के बाद संभावित रूप से लगने वाली कठोर कार्बन सीमा और उच्च कार्बन मूल्य के प्रभावों को समझने के लिए शोध करने की जरूरत दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति है, ताकि भारत का व्यावसायिक क्षेत्र इनसे निपटने के लिए पहले से ही बेहतर ढंग से तैयार हो सके। यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि यूरोपीय संघ ने पहले से ही एक बार्डर कार्बन एडजस्टमेंट टैक्स (कार्बन मूल्य का ही एक अन्य रूप) लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसका बहुत जल्द भारत के कार्बन उत्सर्जन की गहनता वाले निर्यात जैसे-स्टील, सीमेंट, फर्टिलाइजर इत्यादि पर असर पड़ने की आशंका है। बिजली क्षेत्र में कार्बन की कीमत बिजली की कीमत पर असर डाल सकती है और इस पहलू को दुनिया में सबसे अच्छी ट्रेडिंग पद्धति विद्युत नियामकों को बेहतर ढंग से समझना होगा।
कुल मिलाकर भारत में नेशनल कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम को बनाने का प्रस्ताव बहुत अच्छी पहल है। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि ईटीएस के माध्यम से कार्बन की कीमत का निर्धारण ही भारत के लघु, मध्यम और दीर्घकालिक नेट-जीरो लक्ष्यों को पाने की मूल रणनीति होगी। निश्चित रूप से यह कदम कार्बन उत्सर्जन को घटाने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई में पहले से स्थापित भारत के नेतृत्व को और ज्यादा सशक्त करने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
दिवाली के दिन सिर्फ एक घंटे के लिए खुलता है शेयर बाजार, जानें क्या है मुहूर्त ट्रेड और इसका महत्व
हर साल दिवाली के दिन शेयर बाजारों में एक घंटे का विशेष कारोबार होता है। इसे मुहूर्त ट्रेडिंग के नाम से जाना जाता है। भारतीय शेयर बाजारों के लिए यह परंपरा छह दशक पुरानी है।
मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा छह दशक पुरानी है। (PTI Photo)
दिवाली (Diwali) के दिन बैंकों और ज्यादातर दफ्तरों की तरह शेयर बाजारों (Share Market) में छुट्टी का दिन नहीं रहता है। हर साल दिवाली के मौके पर भारतीय शेयर बाजार एक घंटे के विशेष कारोबार के लिए खुलते हैं। इसे मुहूर्त ट्रेड (Muhurt Trading) के नाम से जाना जाता है। यह कई दशक पुरानी परंपरा है और हर साल इसका पालन किया जाता है।
यह है Muhurt Trading 2021 का समय
बीएसई (BSE) पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस साल मुहूर्त ट्रेड का समय शाम 6:15 बजे से 7:15 बजे तक का है। इस दौरान इक्विटी (Equity), इक्विटी फ्यूचर एंड ऑप्शन (Equity F&O) और करेंसी एंड कमॉडिटी (Currency & Commodity) सेगमेंट में विशेष ट्रेडिंग होगी। इस विशेष ट्रेड में ब्लॉक डील (Block Deal) के लिए शाम के 5:45 बजे से छह बजे तक का और प्री ओपन सेशन (Pre Open Session) के लिए शाम के छह बजे से 6:08 बजे तक का समय तय किया गया है। बीएसई की तरह एनएसई (NSE) में भी मुहूर्त ट्रेड का यही समय रहेगा।
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दिवाली के दिन होती है नए संवत की शुरुआत
दरअसल दिवाली के दिन से हिंदू नववर्ष (Hindu New Year) की शुरुआत होती है, जिसे संवत कहा जाता है। इस बार दिवाली को संवत 2078 (Samvat 2078) की शुरुआत होगी। परंपरागत तौर पर दिवाली से ही नए वित्त वर्ष की शुरुआत होती है। इसी दिन आम कारोबारी भी अपना बही-खाता बदलते हैं। शेयर बाजारों में भी इस परंपरा का पालन किया जाता है। नव संवत की शुरुआत के लिए इसी कारण एक घंटे का मुहूर्त ट्रेड आयोजित किया जाता है।
छह दशक पुरानी है मुहूर्त ट्रेड की परंपरा
भारतीय शेयर बाजारों के लिए यह परंपरा करीब छह दशक पुरानी है। भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई में 1957 में पहली बार मुहूर्त ट्रेड का आयोजन किया गया था। उसके बाद से अब तक हर साल दिवाली पर एक घंटे का मुहूर्त ट्रेड होता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर मुहूर्त ट्रेड 1992 से हो रहा है।
Muhurt Trade का है प्रतीकात्मक महत्व
मुहूर्त ट्रेड को शुभ माना जाता है। जिस तरह लोग अपने परिचित कारोबारियों की दुकान से इस दिन प्रतीकात्मक शॉपिंग करते हैं, उसी तरह कई ट्रेडर भी मुहूर्त ट्रेड के दिन प्रतीकात्मक खरीद-बिक्री करते हैं। आम तौर पर इस मौके पर ट्रेडर छोटे डील करते हैं। ज्यादातर मौकों पर मुहूर्त ट्रेड में शेयर बाजार कुछ चढ़कर ही बंद होते हैं। हालांकि कई बार मुहूर्त ट्रेड में भी शेयर बाजारों को लाल निशान में देखा गया है।
कुछ ब्रोकर दे रहे हैं ये ऑफर
कई ब्रोकर मुहूर्त ट्रेड को लेकर इंवेस्टर्स को ऑफर भी दे रहे हैं। ब्रोकर प्लेटफॉर्म Zerodha ने सभी सेगमेंट के लिए मुहूर्त ट्रेड के दिन ब्रोकरेज चार्ज नहीं लेने की घोषणा की है। कंपनी 11 साल से यह परंपरा निभाती आ रही है। कंपनी ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म मुहूर्त ट्रेड के दौरान सभी इंट्राडे, एफएंडओ और कमॉडिटी ट्रेड ब्रोकरेज चार्ज से फ्री रहेंगे।
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