Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

Options Trading: निश्चित ही ऑप्‍शंस ट्रेडिंग एक जोखिम का सौदा है. हालांकि, अगर आप ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? बाजार के बारे में जानकारी रखते हैं और कुछ खास रणनीति बनाकर चलते हैं तो इससे मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.

जानकारी के बिना ऑप्शंस ट्रेडिंग मौके का खेल है. ज्‍यादातर नए निवेशक ऑप्शंस में पैसा खो देते हैं. ऑप्शंस ट्रेडिंग में जाने से पहले कुछ बुनियादी बातों से परिचित होना आवश्यक है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड - इक्विटी स्ट्रैटेजी, ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन हेमांग जानी ने ऑप्‍शंस ट्रेडिंग को लेकर कुछ दे रहे हैं जो आपके काम आ सकते हैं.

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धन की आवश्यकता: ऑप्शंस की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है, ज्यादातर एक महीने की, इसलिए व्यक्ति को किसी भी समय पूरी राशि का उपयोग नहीं करना चाहिए. किसी विशेष व्यापार के लिए कुल पूंजी का लगभग 5-10% आवंटित करना उचित होगा.

ऑप्शन ट्रेड का मूल्यांकन करें: एक सामान्य नियम के रूप में, कारोबारियों को यह तय करना चाहिए कि वे कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं यानी एक एग्जिट स्‍ट्रेटजी होनी चाहिए. व्यक्ति को अपसाइड एग्जिट पॉइंट और डाउनसाइड एग्जिट पॉइंट को पहले से चुनना होगा. एक योजना के साथ कारोबार करने से व्यापार के अधिक सफल पैटर्न स्थापित करने में मदद मिलती है और आपकी चिंताओं को अधिक नियंत्रण में रखता है.

जानकारी हासिल करें: व्यक्ति को ऑप्शंस और उनके अर्थों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ जार्गन्स से परिचित होने का प्रयास करना चाहिए. यह न केवल ऑप्शन ट्रेडिंग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा बल्कि सही रणनीति और बाजार के समय के बारे में भी निर्णय ले सकता है. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, सीखना संभव हो जाता है, जो एक ही समय में आपके ज्ञान और अनुभव दोनों को बढ़ाता है.

इलिक्विड स्टॉक में ट्रेडिंग से बचें: लिक्विडिटी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को ट्रेड में अधिक आसानी से आने और जाने की अनुमति देता है. सबसे ज्यादा लिक्विड स्टॉक आमतौर पर उच्च मात्रा वाले होते हैं. कम कारोबार वाले स्टॉक अप्रत्याशित होते हैं और बेहद स्पेक्युलेटिव होते हैं, इसलिए यदि संभव हो तो इससे बचना चाहिए.

होल्डिंग पीरियड को परिभाषित करें: वक्‍त ऑप्शंस के मूल्य निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रत्येक बीतता दिन आपके ऑप्शंस के मूल्य को कम करता है. इसलिए व्यक्ति को भी पोजीशन को समय पर कवर करने की आवश्यकता होती है, भले ही पोजीशन प्रॉफिट या लॉस में हो.
मुख्‍य बात यह जानना है कि कब प्रॉफिट लेना है और कब लॉस उठाना है. इनके अलावा, व्यक्ति को पोजीशन की अत्यधिक लेवरेज और एवरेजिंग से भी बचना चाहिए. स्टॉक ट्रेडिंग की तरह ही, ऑप्शंस ट्रेडिंग में ऑप्शंस खरीदना और बेचना शामिल है या तो कॉल करें या पुट करें.

ऑप्शंस बाइंग के लिए सीमित जोखिम के साथ एक छोटे वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है अर्थात भुगतान किए गए प्रीमियम तक, जबकि एक ऑप्शंस सेलर के रूप में, व्यक्ति बाजार का विपरीत दृष्टिकोण रखता है. ऑप्शंस को बेचते वक्त माना गया जोखिम मतलब नुकसान मूल निवेश से अधिक हो सकता है यदि अंतर्निहित स्टॉक (Underlying Stocks) की कीमत काफी गिरती है या शून्य हो जाती है.

ऑप्शंस खरीदते या बेचते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:

  • डीप-आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) विकल्प केवल इसलिए न खरीदें क्योंकि यह सस्ता है.
  • समय ऑप्शन के खरीदार के खिलाफ और ऑप्शन के विक्रेता के पक्ष में काम करता है. इसलिए समाप्ति के करीब ऑप्शन खरीदना बहुत अच्छा विचार नहीं है.
  • अस्थिरता ऑप्शन के मूल्य को निर्धारित करने के लिए आवश्यक कारकों में से एक है. इसलिए आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि जब बाजार में अस्थिरता बढ़ने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस खरीदें और जब अस्थिरता कम होने की उम्मीद हो तो ऑप्शंस बेचें.
  • प्रमुख घटनाओं या प्रमुख भू-राजनीतिक जोखिमों से पहले ऑप्शंस बेचने के बजाय ऑप्शंस खरीदना हमेशा बेहतर होता है.

नियमित अंतराल ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? पर प्रॉफिट की बुकिंग करते रहें या प्रॉफिट का ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस रखें. अगर सही तरीके से अभ्यास किया जाए तो ऑप्शंस ट्रेडिंग से कई गुना रिटर्न्स प्राप्‍त किया जा सकता है.

(डिस्‍क्‍लेमर : प्रकाशित विचार एक्‍सपर्ट के निजी हैं. शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें.)

Published at : 18 Oct 2022 11:42 AM (IST) Tags: Options Trading Derivatives Call Option Put Option Trading in Options Stop loss हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

ट्रिगर प्राइस क्या होता है?

इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।

जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।

जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।

इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।

तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।

ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।

स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।

ट्रिगर प्राइस क्या होता है?

इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।

जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।

जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।

इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।

तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।

ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।

स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।

stock market me trading tips स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग टिप्स

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने में अधिकांश लोग अपना रुपया गंवा बैठते हैं, बाद में वह यह सोचते हैं कि किस जगह कमी हुई होगी। नुकसान होने के पश्चात लोग अपना आत्मविश्वास खो देते हैं तथा हमेशा के लिए शेयर मार्केट से विदा ले लेते हैं।

जब बार-बार लोग ट्रेडिंग में असफल होते हैं तो वह सोचते हैं उनके टेक्निकल एनालिसिस में कुछ कमी होगी।

नए निवेशक और ट्रेडर्स जब शेयर बाजार में आते हैं, तो उन्हें सही समय में सही सलाह नहीं मिलती तथा वे खुद की कमियों से सीखते हैं। किंतु तब तक ज़्यादातर निवेशक अपना मूलधन गंवा बैठते हैं।

मैं ट्रेडिंग को ज्यादा महत्व नहीं देता किंतु जो भी लोग ट्रेडिंग करना चाहते हैं वह मेरे द्वारा बताए गए टिप्सों पर अनुशासन के साथ कार्य करेंगे तो उनके नुकसान होने का चांस कम हो जाएगा।

शेयर मार्केट के बड़े से बड़े ट्रेडर तथा निवेशक अपने अपने सिद्धांतों के आधार पर ट्रेड करते हैं तथा अधिकांश हर दिग्गज के सिद्धांत अलग-अलग होते हैं। यहां पर उन सब के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए कुछ टिप्स आपको बताने की कोशिश कर रहा हूं। golden trading tips

1. शेयर मार्केट में ट्रेड करने से पूर्व सर्वप्रथम पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए।

पेपर ट्रेडिंग क्या है?
पेपर ट्रेडिंग के अंतर्गत शेयर में इंटर तथा एग्जिट पोजीशन की कीमत कागज पर लिख दी जाती है तथा उसके बाद देखा जाता है कि हमें नुकसान हुआ यह मुनाफा हुआ। चूंकि यह ट्रेंड सिर्फ कागज पर की जाती है और इसमें हमारा पैसा नहीं लगता है तो इसमें हमको वास्तविक नुकसान नहीं होता है। पेपर ट्रेड के माध्यम से हम देख सकते हैं कि हमको मुनाफा हो रहा है या नुकसान। अगर हम पेपर ट्रेड में सफलता पाते हैं तब हमको वास्तविक रुप से अपना पैसा लगाकर ट्रेड करना चाहिए।

2. स्टॉप लॉस का पालन करें।

ट्रेडिंग में सफलता पाने का मूल मंत्र स्टॉप लॉस है। स्टॉप लॉस हमेशा आपकी पूंजी को सुरक्षित करता है। हर ट्रेडर को stop-loss का पूर्ण रुप से पालन करना चाहिए।

जब किसी फल के वृक्ष की कोई टहनी सूख रही हो तो उस टहनी को काट दिया जाता है। जिससे पूरा पेड़ सूखने से बच जाता है। इसी प्रकार जब कोई ट्रेड हमारे विपरीत हो तो एक निश्चित स्टॉप लॉस लगा लेना चाहिए। जिससे कि हमें एक सीमित नुकसान हो तथा हमारा पूर्ण निवेश डूबने से बच जाए।

3. ज्यादा से ज्यादा मुनाफा निकाले।

जब हम किसी शेयर में पोजीशन बनाते हैं तो हम शेयर का टारगेट प्राइस तथा स्टॉप लॉस लगा लेते हैं। यहां पर संभावना होती है कि शेयर की कीमत या तो हमारे टारगेट पर आ जाएगी या फिर हमारा स्टॉप लॉस ट्रिगर हो जाएगा।

माना शेयर्स का भाव हमारे अनुमान के मुताबिक बढ़ने लगता है, किंतु यह हमारे टारगेट प्राइस को छू नहीं पाता और उसके एकदम पास से घटने लगता है तथा इसमें गिरावट आती रहती है। ज्यादातर निवेशक इस गिरावट को देखते ही रह जाते हैं, धीरे धीरे शेयर की कीमत हमारे स्टॉप लॉस के पास आने लग जाती हैं । इसमें हमें मिलने वाला मुनाफा, जो कि हम निकाल सकते थे उससे भी चूक जाते हैं।
इस हेतु हमको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाना चाहिए। हमें अपने मुनाफे की पोजीशन को नुकसान में परिवर्तित नहीं होने देना चाहिए।

4. मार्केट के ट्रेन्ड की दिशा में ही ट्रेंड करना चाहिए।

जब शेयर मार्केट तेजी की दिशा में अपनी चाल दिखा रहा हो, तब चाहे उसमें एक छोटी सी अवधि हेतु गिरावट आ जाए किंतु बाद में उसमें तेजी आएगी। इसके विपरीत अगर शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आ रही हो, तब चाहे उसमें कम कालावधि हेतु तेजी आ जाए किंतु उसके बाद मार्केट में गिरावट ही आएगी।

जब मार्केट में तेजी हो रही हो तब हमेशा गिरावट की सपोर्ट पर पोजीशन बना देनी चाहिए।

जब मार्केट मंदी में हो तब पुलबैक का फायदा लेते हुए शॉर्ट सेलिंग करनी चाहिए। शॉर्ट सेलिंग क्या होती है जानने के लिए क्लिक कीजिए शॉर्ट सेलिंग।

5. नुकसान को एवरेज ना करें।

एवरेज क्या होता है? सर्वप्रथम हम उदाहरण के द्वारा जानेंगे की एवरेज क्या होता है?

मान लिया जाए कोई शेयर 100 रुपए का खरीदते हैं तथा शेयर की कीमत 90 रुपए में आ जाती हैं, तो उस शेयर को हम 90 रुपए में फिर से खरीद लेते हैं जिस कारण हमारी औसत खरीद कीमत 95 रूपये में आ जाएगी। इसे ही एवरेज कहते हैं। बहुत से ट्रेडर्स एवरेज करने को कहते हैं।

जब मार्केट तेजी में हो तो महत्वपूर्ण सपोर्ट पर एक बार एवरेज करना तो फायदेमंद हो सकता है किंतु गिरावट के बाजार में एक से अधिक बार एवरेज करना अपने लिए घातक साबित हो सकता है। शेयर बार-बार नीचे गिरते जाएगा और हम उसमें एवरेज करते जाएंगे जिस कारण हमारा पैसा फंसता जाएगा।

6. बड़ा मुनाफा तथा छोटा नुकसान निकाले।

किसी भी शेयर में रिस्क रिवार्ड रेशियो को ध्यान में रखकर पोजीशन बनानी चाहिए।

शेयर में ट्रेड लेने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि शेयर का टारगेट प्राइस, हमेशा स्टॉप लॉस से ज्यादा हो। अगर हम किसी 100 रुपए के शेयर को खरीदते हैं तथा उसमें हमारा स्टॉप लॉस 95 रुपए है तो हमारा टारगेट प्राइस 110 रुपए होना चाहिए । यहां पर हमें स्टॉप लॉस हिट होने पर 5 रुपए का नुकसान है किंतु टारगेट प्राइस हिट होने पर 10 रुपए का मुनाफा है।

7. अनिश्चित बाजार में ट्रेडिंग से दूर रहे।

जब बाजार में अनिश्चितता हो बाजार अनुमान के विपरीत जा रहा हो तब ट्रेडिंग से बचना चाहिए। ऐसे अनिश्चित बाजार में ट्रेडिंग के कम संकेत मिलते हैं तथा हड़बड़ाहट में हम कोई पोजीशन बना लें तो उसमें हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बाजार में तेजी या मंदी हो तभी हम ट्रेड करके मुनाफा कमा सकते हैं। किंतु अनिश्चित बाजार हमको कभी मुनाफा नहीं कमाने देगा। अनिश्चित बाजार में ट्रेडिंग करना जुआ खेलने के ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? समान है।

8. अपने निवेश को बचाएं।

जब भी शेयर बाजार में ट्रेंड करते हैं, तो सर्वप्रथम हमारा उद्देश्य अपनी पूंजी को बचाने का होना चाहिए। अपने निवेश को बचाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस आदि के अनुसार ट्रेड करनी चाहिए।

अगर शेयर मार्केट में हम अपनी संपूर्ण पूंजी खो देते हैं तो हम कभी भी अपने नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएंगे। हमें अपनी पूंजी बचाने के लिए हमेशा स्टॉप लॉस और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का पालन करना चाहिए। ट्रेलिंग स्टॉप लॉस से सुनिश्चित होता है कि एक बार मुनाफे में आने के पश्चात हम कभी भी नुकसान लेकर मार्केट से बाहर नहीं जाएंगे।

बायनेन्स फ्यूचर्स पर ऑर्डर के प्रकार

सीमित ऑर्डर आपको एक विशिष्ट या बेहतर मूल्य पर ऑर्डर देने की अनुमति देता है। यदि मूल्य आपकी सीमा मूल्य से मेल खाती है या उससे कम है, तो एक खरीद सीमित ऑर्डर भरे जाएंगे, और एक बिक्री सीमित ऑर्डर आपके सीमा मूल्य पर या उससे अधिक पर भरे जाएंगे। कृपया ध्यान दें कि एक सीमित ऑर्डर को निष्पादित करने की गारंटी नहीं है।

मार्केट ऑर्डर

स्टॉप सीमित ऑर्डर

एक स्टॉप सीमित ऑर्डर एक निर्धारित समय सीमा पर एक सशर्त ऑर्डर है, जो किसी दिए गए स्टॉप मूल्य तक पहुंचने के बाद एक निर्दिष्ट मूल्य पर निष्पादित होता है। एक बार स्टॉप मूल्य पर पहुंचने के बाद, यह आपके द्वारा निर्धारित सीमित मूल्य से सीमित मूल्य पर या बेहतर मूल्य पर खरीद होगी या बिक्री होगी।

स्टॉप मार्केट ऑर्डर

स्टॉप सीमित ऑर्डर के समान, स्टॉप मार्केट ऑर्डर ट्रेड को ट्रिगर करने के लिए स्टॉप मूल्य का उपयोग करता है। हालांकि, जब स्टॉप मूल्य पर पहुंच जाता है, तो यह इसके बजाय मार्केट ऑर्डर को ट्रिगर करता है।

ट्रेलिंग स्टॉप आर्डर

एक ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर व्यापारियों को बाजार मूल्य से एक विशिष्ट प्रतिशत पर प्री-सेट ऑर्डर देने की अनुमति देता है जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है। जब तक मूल्य व्यापारियों के अनुकूल दिशा में बढ़ रही होती है, तब तक यह व्यापार को खुला रहने और लाभ को जारी रखने में सक्षम बनाता है। यह दूसरी दिशा में वापस नहीं जाता है। जब कीमत एक निर्दिष्ट प्रतिशत से विपरीत दिशा में चलती है, तो ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर बाजार मूल्य पर निष्पादित किया जाएगा।

पोस्ट ओनली ऑर्डर

जब आप ऑर्डर देते/देती हैं तो पोस्ट ओनली ऑर्डर ऑर्डर बुक में जुड़ जाते हैं, लेकिन उन्हें तुरंत निष्पादित नहीं किया जाता है।

सीमा TP/SL ऑर्डर (रणनीति ऑर्डर)

पोजीशन खोलने से पहले आप टेक प्रॉफिट या स्टॉप लॉस मूल्य सेट कर सकते/सकती हैं। यह आपके टेक प्रॉफिट और स्टॉप लॉस ऑर्डर को ट्रिगर करने के लिए "अंतिम मूल्य" या "अंकित मूल्य" का पालन करेगा।

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