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चीन में कोरोना से भारतीय व्यापारियों को फिर से लगने लगा 'वही' डर, क्या कीमतों में लगेगी आग?

चीन सहित दुनिया के कई देशों में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। चीन में आई कोरोना की सबसे भायवह लहर (Coronavirus in China) के पीछे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BF.7 को जिम्मेदार बताया जा रहा है। भारत में भी इसके चार मामले सामने आ चुके हैं। चीन में कोरोना के बढ़ते इन मामलों ने भारतीय कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान निर्माताओं से लेकर गोल्ड और डायमंड एक्सपोर्टर्स तक भारतीय कंपनियों को सप्लाई चेन में फिर से दिक्कत (Supply Chain Disruptions) आने की चिंता सता रही है। इसके साथ ही चीनी बाजार में निर्यात भी प्रभावित हुआ है। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के अनुसार उनके कंपोनेंट्स सप्लायर्स ने उन्हें चीनी फैक्ट्रियों में उत्पादन प्रभावित होने को लेकर चेताया है। चीनी फैक्ट्रियों में कई वर्कर्स कोरोना संक्रमित हैं, जिससे उत्पादन घटने का डर है। इसी तरह की चिंता परिधान निर्माताओं ने भी जताई है। ये परिधान निर्माता कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर रहते हैं।

चीनी फैक्ट्रियों में घट रहा प्रोडक्शन

चीनी नववर्ष (Chinese New Year) की छुट्टियां भी आने वाली हैं। इससे शिपमेंट में देरी हो सकती है। कई भारतीय कंपनियां यह सुनिश्चित करने के लिए थोक में ऑर्डर दे रही हैं कि उनके पास कलपुर्जों और भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ कच्चे माल का पर्याप्त स्टॉक हो। सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर में से एक के प्रमुख ने कहा, 'चीन में स्थिति बहुत खराब है, कंपोनेंट्स सप्लायर्स का कहना है कि उनकी फैक्ट्रियों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिसका हमारी सप्लाई पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।'

नहीं आ रही पूरी जानकारी

उन्होंने कहा, 'समस्या यह है कि जो जानकारी आ रही है, वह बहुत ही अस्पष्ट है। इसलिए हमें अभी तक इस कोविड लहर के सटीक प्रभाव का आकलन करना बाकी है।' चीनी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी हायर में भारत के प्रमुख सतीश एनएस ने कहा कि उनकी कंपनी एडवांस में कलपुर्जों की खरीद कर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत का उत्पादन प्रभावित न हो।

ऑल टाइम हाई पर कोरोना

जीरो कोविड पॉलिसी वापस लेते ही चीन में कोरोना ने कोहराम मचा दिया है। वहां कोरोना संक्रमण ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंच गया है। महामारी विज्ञानियों का कहना है कि 90 दिन में चीन की 60 फीसदी आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है। साथ ही उनका कहना है कि ऐसी और भी कई लहरें आ सकती हैं। ये चीन में उत्पादन को धीमा कर सकते हैं और विश्व स्तर पर सप्लाई चेन को तोड़ सकती हैं।

मोबाइल हो सकते हैं महंगे

अगर चीन में कोरोना की मौजूदा स्थिति जारी रहती है, तो स्मार्टफोन ब्रैंड्स को अगले महीने के मध्य से कंपोनेंट्स के लिए सप्लाई की कमी का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन वे इमिडिएट लोकल डिमांड को पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं, क्योंकि बाजार इस समय शांत है। साथ ही कंपनियां पहले से ही छोटी अवधि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कंपोनेंट्स का स्टॉक कर चुकी हैं। TechArc के चीफ एनालिस्ट फैसल कावूसा ने कहा, 'अगर यह स्थिति अगले तीन सप्ताह तक बनी रहती है, तो हम स्मार्टफोन ब्रैंड्स के लिए कंपोनेंट्स सप्लाई में व्यवधान देख सकते हैं। भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ हम चीनी कारखानों से आने वाले कंपोनेंट्स पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।' अगले साल की शुरुआत में होने वाली डिवाइसेज की लॉन्चिंग पर भी असर पड़ सकता है।

हीरे और इंजीनियरिंग निर्यातकों को सता रही चिंता

हीरे और इंजीनियरिंग सामानों के निर्यातकों को भी चिंता सता रही है। चीनी नववर्ष की एक्सटेंडेड छुट्टियों के बारे में वे चिंतित हैं। यह अक्टूबर महीने से पहले से ही कमजोर हुई मांग को और नुकसान पहुंचा रही है। नवंबर में भारत से चीन को तराशे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात पिछले साल की तुलना में 4% घटकर करीब 1.25 अरब डॉलर रह गया। चीन भारत से हीरे का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, जो कुल निर्यात का 30% हिस्सा है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, इंजीनियरिंग सामान का निर्यात साल-दर-साल आधार पर नवंबर में 58% और अक्टूबर में 64% तक गिर गया।

गारमेंट मैन्युफैक्चरर की बढ़ी मुसीबत

भारत में गारमेंट मैन्युफैक्चरर और एक्सपोर्टर्स चीन से एसेसरीज मंगवाते हैं, जो मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवश्यक होती है। भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ तिरुपुर एक्सपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व प्रेसिडेंट राजा एम शनमुगम ने कहा, 'कोविड-19 के बढ़ते हालात से अगर एसेसरीज की सप्लाई पर असर पड़ता है, तो जिन ब्रैंड्स को हम सप्लाई करते हैं, उन्हें वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ सकती है।'

कंटेनर मूवमेंट हो सकता है प्रभावित

शिपिंग लाइनें कंटेनर्स की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रही हैं, जो पिछली कोविड लहरों के दौरान प्रभावित हुई थीं। कंटेनर शिपिंग लाइन एसोसिएशन (भारत) के कार्यकारी निदेशक सुनील वासवानी ने कहा कि चीन में बंदरगाह संचालन पर किसी भी प्रभाव के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक कम्युनिकेशन नहीं हुआ है। अगर स्थिति बिगड़ती है तो यह बंदरगाहों पर संचालन और उत्पादकता को प्रभावित कर सकती है। इससे कंटेनर मूवमेंट प्रभावित होगा और सप्लाई चेन बाधित होगी।

फूड कमोडिटी ट्रेड को लेकर चिंता

कमोडिटी ट्रेड के अधिकारियों ने कहा कि चीन में कोरोना के हालात ग्लोबल फूड कमोडिटी ट्रेड के सेंटिमेंट को प्रभावित कर सकते हैं। कमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा, 'चीन चावल, कपास, गेहूं, मक्का, सोयाबीन, चीनी, खाना पकाने के भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ तेल जैसी कई वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है। घरेलू कीमतों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार आने वाले समय में निर्यात और आयात पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है।

बढ़ेंगे सोने के दाम

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकनॉमी पर महामारी का प्रभाव सोने की कीमतों (Gold Price Today) को बढ़ा सकता है। साल 2020 में कोविड की पहली लहर के दौरान भी ऐसा हुआ था। जब भी भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव या अस्थिरता आती है, तो सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिलता है।

GCC भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार ब्लॉक है: भारतीय वाणिज्य मंत्रालय

नई दिल्ली, 27 दिसंबर, 2022 (डब्ल्यूएएम) -- भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) वित्तीय साल 2021-22 में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार ब्लॉक के रूप में उभरा है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 154 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

मंत्रालय ने कहा कि साल के दौरान GCC देशों को भारत का निर्यात लगभग 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात लगभग 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इसी समय भारत और GCC देशों के बीच सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य लगभग 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इस श्रेणी में भारत का निर्यात 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 8.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।

GCC देशों ने वित्त साल 2021-22 के दौरान भारत के तेल आयात का लगभग 35 फीसदी हिस्सा लिया और इसके गैस आयात का 70 फीसदी हिस्सा बनाया। इस अवधि के दौरान GCC देशों से भारत का कुल कच्चे तेल का आयात लगभग 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि वित्त साल 2021-22 में तरलीकृत प्राकृतिक गैस और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस का आयात 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

मंत्रालय के अनुसार, भारत में GCC से संचयी निवेश का मूल्य मौजूदा समय में 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।

भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने कहा कि GCC और भारत के बीच आर्थिक संबंधों के इतने उच्च स्तर की सामग्री के साथ भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और GCC के महासचिव डॉ. नएफ फलाह एम. अल हैरफ ने भारत और GCC देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत करने का फैसला किया है।

ब्यूरो ने कहा, “दोनों पक्ष औपचारिक एफटीए वार्ताओं के लिए आवश्यक कानूनी और तकनीकी आवश्यकताओं के निष्कर्ष में तेजी लाने पर सहमत हुए। एफटीए की परिकल्पना माल और सेवाओं के पर्याप्त कवरेज के साथ एक आधुनिक, व्यापक समझौते के रूप में की गई है।"

इसमें कहा गया है, "दोनों पक्ष भारत और GCC के पूरक व्यापार और आर्थिक पारिस्थितिक तंत्र के कारण मौजूद विशाल क्षमता के अनुरूप व्यापार बास्केट का विस्तार और विविधता लाने पर भी सहमत हुए।"

पेटीएम ने यूजर्स को एटीएम के 1.6 अरब से अधिक ट्रिप से बचाए, दिल्ली-एनसीआर उभरा डिजिटल पेमेंट कैपिटल

शेयर बाजार 9 घंटे पहले (28 दिसम्बर 2022 ,13:45)

पेटीएम ने यूजर्स को एटीएम के 1.6 अरब से अधिक ट्रिप से बचाए, दिल्ली-एनसीआर उभरा डिजिटल पेमेंट कैपिटल

© Reuters. पेटीएम ने यूजर्स को एटीएम के 1.6 अरब से अधिक ट्रिप से बचाए, दिल्ली-एनसीआर उभरा डिजिटल पेमेंट कैपिटल

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली-एनसीआर भारत की डिजिटल भुगतान राजधानी के रूप में उभरा है, जबकि तमिलनाडु का काटपाडी 2022 में 7 गुना वृद्धि के साथ डिजिटल भुगतान के लिए सबसे तेजी से बढ़ने वाला शहर है। प्रमुख भुगतान और वित्तीय सेवा कंपनी पेटीएम की मालिक वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड (ओसीएल) ने एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी।कंपनी ने कहा कि पेटीएम ने अपने उपयोगकर्ताओं को एटीएम के 1,618,796,629 ट्रिप से बचने में मदद की। पेटीएम छोटे शहरों और कस्बों से आने वाले अपने तीन नए उपयोगकर्ताओं में से दो के साथ वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए डिजिटल भुगतान को दूर-दूर तक ले जा रहा है।

पेटीएम 2022 रिकैप रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें 2022 में पेटीएम के माध्यम से किए गए लेन-देन के दिलचस्प रुझानों पर प्रकाश डाला गया है, पेटीएम यूपीआई अपने सुपरफास्ट और सुरक्षित भुगतान के साथ भारतीयों के लिए सबसे पसंदीदा भुगतान विधियों में से एक है।

एक दिलचस्प बात यह है कि सबसे अधिक भुगतान शाम 7.23 बजे किए गए हैं। बुधवार का दिन डिजिटल लेनदेन के लिए सप्ताह का सबसे व्यस्त दिन रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, पेटीएम के उपयोगकर्ताओं में दो सबसे आम नाम राहुल और पूजा हैं।

तमिलनाडु में चेन्नई और त्रिची में खाद्य और पेय पदार्थो पर ऑफलाइन भुगतान का उच्चतम प्रतिशत है, जबकि अमृतसर में पेटीएम के माध्यम से हेल्थ और ब्यूटी पर सबसे अधिक खर्च किया गया है।

नोएडा और नागपुर में माइक्रो सेलर्स या स्ट्रीट वेंडर्स पर पेटीएम के जरिए खर्च का सबसे ज्यादा प्रतिशत देखा गया। उत्तर पूर्व में पेटीएम के बाजार में भी भारी वृद्धि देखी गई।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि यूपीआई लेनदेन के लिए उत्तर पूर्व में सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में अरुणाचल प्रदेश में लोहित, दक्षिण सिक्किम और रानीपूल और असम के गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट और कामरूप हैं।

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, भारत में क्यूआर और मोबाइल-आधारित भुगतान के अग्रणी के रूप में, हम सबसे भरोसेमंद भुगतान ऐप- पेटीएम के लिए व्यापक प्यार देख रहे हैं।

प्रवक्ता ने आगे कहा, पिछले वर्ष के दौरान, हमने उपभोक्ताओं और व्यापारियों के बीच अधिक से अधिक एडोप्शन देखा है, जिससे पेटीएम यूपीआई के साथ कुछ दिलचस्प रुझान सामने आए हैं। हमारे उपयोगकर्ताओं द्वारा हम पर किए गए भरोसे के साथ, हम भारत में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने पर केंद्रित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक उपयोगकर्ता ने 20 राज्यों के 106 भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ शहरों में लेनदेन किया। एक अन्य उपयोगकर्ता ने पेटीएम ऐप का उपयोग कर 358 बार मुंबई और दिल्ली के बीच उड़ानें बुक कीं।

पेटीएम 5.5 मिलियन से अधिक व्यापारियों के साथ ऑफलाइन भुगतान में अपने नेतृत्व को मजबूत करना जारी रखे हुए है जो अब भुगतान उपकरणों के लिए सब्सक्रिप्शन का भुगतान कर रहे हैं।

पेटीएम साउंडबॉक्स भारत में व्यापारी लेनदेन की आवाज है, जिसमें हर छह सेकंड में एक नए व्यापारी और उनके ग्राहकों को इसकी धुन से बधाई दी जाती है।

पेटीएम यूपीआई के साथ, कंपनी निर्बाध और सुपरफास्ट धन हस्तांतरण को सक्षम बनाती है। एक यूजर ने पिछले साल अपने 1,300 से ज्यादा दोस्तों और परिवार को पेटीएम के लिए रेफर किया और 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाए।

पेटीएम मर्चेट क्यूआर पर भुगतान की जाने वाली 20 रुपये की सबसे आम राशि के साथ व्यापारी लेनदेन में आकर्षक अवलोकन देखा गया है। वाराणसी में ऑफलाइन क्यूआर लेनदेन में 213 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

ऑनलाइन दिवाली सेल (NS: SAIL ) सीजन के दौरान एक यूजर द्वारा सबसे ज्यादा 2.8 लाख रुपये खर्च किए गए।

एक और त्योहार राखी में पेटीएम यूपीआई लेनदेन की एक उच्च मात्रा देखी गई, जिसमें 1,100 रुपये पसंदीदा शगुन है।

भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ

Economy of India

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (हि.स.) । भारत के लिए 2022 का वर्ष अर्थव्यवस्था के शक्ति केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण साबित हुआ है । भारत ने ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का तमगा हासिल किया। भारतीय अर्थव्यवस्था ने 854.7 बिलियन डॉलर के साथ दुनिया में यह जगह बनाई । ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर के साथ छठे नंबर पर पहुंच गई। ब्रिटेन अब भी अर्थव्यवस्था को लेकर अपने मुश्किल दौर से गुजर रहा है । वहीं भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी में शामिल है।

एक दशक पहले, भारत का था 11वां स्थान

दरअसल, एक दशक पहले, भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन पांचवें स्थान पर। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक को पीछे छोड़ना, विशेष रूप से दो शताब्दियों तक भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन करने वाली अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देना वास्तव में मील का पत्थर है। स्वाधीनता के बाद बीते 75 वर्षों के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ छह गुना बढ़ी है । निश्चित तौर पर भारत की इस सफलता के पीछे मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का बड़ा योगदान है ।

भारत 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार

शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के मामले में अभी अमेरिका सबसे आगे है, उसके बाद चीन, जापान और जर्मनी का नम्बर आता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2027 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके ठीक दो साल बाद यानी 2029 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरेगा ।

इस संबंध में इस साल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आर्थिक अनुसंधान विभाग की जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा अब 3.5 प्रतिशत है, जो 2014 में 2.6 प्रतिशत था और 2027 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जर्मनी की वर्तमान हिस्सेदारी के चार प्रतिशत को पार करने की संभावना है। भारत 2014 के बाद से एक बड़े संरचनात्मक बदलाव से गुजरा है, जिसका यह परिणाम है कि वह इस मुकाम तक पहुंचा है। भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 13.5 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस दर पर, भारत के चालू वित्त वर्ष में सबसे तेजी से विस्तार कर रही बड़ी अर्थव्यवस्था होने की संभावना है।

भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि अगले पांच वर्ष में औसतन 6.4% रहने की उम्मीद

दूसरी ओर ब्रिटेन की एक कंसल्टेंसी संस्था आर्थिक और व्यापार अनुसंधान- सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) ने एक दिन पहले ही कहा है कि भारत 2035 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। रिपोर्ट के 14वें संस्करण के अनुसार, अगले पांच वर्ष में भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि औसतन 6.4% रहने की उम्मीद है, और फिर उसके बाद के नौ वर्षों में भारत की विकास दर औसतन 6.5% रहने की आशा है। यह उम्मीद है कि 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.8% की दर से बढ़ेगी।

रिपोर्ट किए गए विकास चार्ट में भारत 2022 में विश्व आर्थिक लीग तालिका में पांचवें स्थान से चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद 2037 तक वैश्विक रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। इसी तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मानना है कि न 2029 और न ही 2035 तक बल्कि भारत आनेवाले पांच सालों के बाद वर्ष 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद बरकरार रखे हुए है।

कहना होगा कि अभी जिस तरह से भारत में भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में निर्णय लिए जा रहे हैं, उन्हें देखते हुए भारत को जल्द ही दुनिया तीसरी आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखेगी । इसका अर्थ यह है कि केंद्र की मोदी सरकार के नेतृत्व में जिस तरह से देश में निर्णय लिए जा रहे हैं और जिस दिशा में चला जा रहा है, वह भारत के लिए सफलता के चरण हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है। भारत वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अगले 10 से 15 वर्षों में दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्तियों में शामिल हो जाएगा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर दुनिया में सबसे तेज है ।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर विचार है कि देश सकारात्मक बदलाव की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। कोविड की मार से दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अभी तक नहीं उबर पाई हैं जबकि भारत अच्छी अवस्था में खड़ा है। इसका कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में समय पर उठाए गए जरूरी कदम हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एमएसएमई सहित अन्य इंडस्ट्री के लिए तथा खेती-किसानी व आम गरीब आदमी के लिए एक के बाद एक अनेक लाभकारी प्रयास किए हैं । समय पर वैक्सीन बनाने, पीएलआई जैसी स्कीम सहित शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी सभी काम मोदी जी का नेतृत्व कर रहा है। सच पूछिए तो आज वैश्विक क्षितिज पर यही भारत के आगे बढ़ने का कारण है।

Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक: वित्त मंत्रालय

Indian Economy: वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. आईएनएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, उपरोक्त कारणों से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही है.

Updated: December 27, 2022 2:00 PM IST

Ministry of Finance (File Image)

Indian Economy: रूस-यूक्रेन संघर्ष, चीन में मंदी, लगातार उच्च मुद्रास्फीति और कड़ी वित्तीय स्थितियों सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह दावा किया.

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आईएनएफ की वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) अक्टूबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, उपरोक्त कारणों से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही है.

सूत्रों ने बताया भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ कि वैश्विक उत्पादन में मंदी ने भी आईएमएफ को भारत की अर्थव्यवस्था के विकास के अनुमान को कम कर दिया था. यह कहते हुए कि घरेलू अर्थव्यवस्था को 2022 में 6.8 प्रतिशत और 2023 में 6.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया था.

इसके बावजूद, सरकार की राय है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व स्तर पर कई अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर है.

डब्ल्यूईओ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भू-राजनीतिक कारक वैश्विक विकास पर भारी पड़ रहे हैं, खासकर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में.

इन प्रतिकूल गतिविधि के कारण, आईएमएफ ने 2021 में वैश्विक विकास दर 6 प्रतिशत से धीमी होकर 2022 में 3.2 प्रतिशत और 2023 में 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए, विकास दर 2021 में 5.2 प्रतिशत से घटकर 2022 में 2.4 प्रतिशत और 2023 में 1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.

उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए इसी वृद्धि को 2022 और 2023 में 3.7 प्रतिशत अनुमानित किया गया था, जो 2021 में 6.6 प्रतिशत था.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को स्थिर करने के लिए कई उपाय किए गए हैं.

केंद्रीय बजट 2021-22 में, कैपेक्स बजट में 2020-21 की तुलना में 34.5 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की गई थी.

14 सेक्टर्स में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का विस्तार और मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क (मित्रा) की शुरूआत की घोषणा की गई.

घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए अन्य प्रमुख सुधार भी पेश किए गए, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों का राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण, बिजली वितरण क्षेत्र योजना, बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत तक करना और सीमा शुल्क का युक्तिसंगत बनाना शामिल है.

केंद्रीय बजट 2022-23 में, पिछले वर्ष की तुलना में कैपेक्स बजट में फिर से 35.4 प्रतिशत की वृद्धि की गई, सभी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों में बुनियादी ढांचे की एकीकृत योजना और समकालिक परियोजना कार्यान्वयन के लिए ‘पीएम गति शक्ति’ की शुरूआत की गई और अन्य के साथ-साथ एमएसएमई को निरंतर सहायता प्रदान करने के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना का विस्तार किया गया.

(With IANS Inputs)

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