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NSE और BSE क्या है ? – बीएसई और एनएसई में क्या अंतर है पूरी जानकारी हिंदी में

शेयर मार्केट के बारे में जब भी हम बात करते हैं तब हम एनएसई और बीएसई के बारे में बात जरूर करते हैं. क्योंकि भारत की शेयर मार्केट एनएसई और बीएसई के ऊपर निर्भर करती है तो चलिए जानते हैं कि एनएसई और बीएसई क्या है.

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NSE or BSE Kya Hai

एनएसई और बीएसई यह दोनों ही भारत की 2 सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है. जिनका मुख्यालय मुंबई में ही स्थित है. एनएसई और बीएसई यह दोनों ही एक दूसरे से बहुत अलग हैं और इनमें कई समानताएं भी हैं तो चलिए बीएसई और एनएसई के बारे में और भी विस्तार से जानते हैं.

एनएसई को हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया कहते हैं. एनएसई का सूचकांक निफ्टी है जिसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया की टॉप 50 कंपनियां आती है. एनएसई भारत की पहली डिजिटल टर्मिनल वाली स्टॉक एक्सचेंज है और पूरे विश्व में 13 बी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है.

एनएसई नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में और भी अधिक जानने के लिए हमारी नीचे लिखे पोस्ट को पढ़ें.

BSE Kya Hai

बीएसई को हम बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहते हैं. बीएसई का सूचकांक सेंसेक्स है. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज भारत की सबसे पुरानी स्टॉक एक्सचेंज है. जिसे स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन ने स्थापित किया था. बीएसई का मुख्यालय मुंबई में स्थित है एवं इसमें भारत की सबसे प्रमुख कंपनियां लिस्ट है और यह विश्व की 11 सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है.

बीएससी के बारे में और भी अधिक जानने के लिए हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़ें.

सेंसेक्स और निफ्टी में अंतर? Difference Between Sensex And Nifty

सेंसेक्स और निफ्टी में अंतर? Difference Between Sensex And Nifty – आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे, सेंसेक्स और निफ्टी के बारे में, की सेंसेक्स और निफ्टी क्या होते है और इनमे क्या अंतर होता है. जब भी स्टॉक मार्केट की बात होती है तो सबसे पहले सेंसेक्स और निफ़्टी का नाम आता है, और कई लोगो को इन दोनों को लेकर काफी कंफ्यूजन होता है की आखिर ये सेंसेक्स और निफ्टी होते क्या है और इनमे क्या अंतर होता है. तो चलिए आपको बताते है कि इनमे क्या अंतर होता है.

सेंसेक्स और निफ्टी में अंतर? Difference Between Sensex And Nifty

सेंसेक्स और निफ्टी में अंतर? Difference Between Sensex And Nifty

सेंसेक्स क्या होता है?
What is Sensex in Hindi

अगर बात की जाये सेंसेक्स की तो सेंसेक्स मुंबई के शेयर बाज़ार यानि की BSE का सूचकांक (Index) है, स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है और BSE का फुल फॉर्म बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज होता है. बता दूं कि Sensex – Sensitive Index से मिलकर बना है. हिंदी में Sensitive Index का अर्थ होता है संवेदी सूचकांक. सेंसेक्स हर दिन घटता बढता रहता है इसे पता चलता है कि देश की बड़ी बड़ी कंपनियों को फायदा हो रहा है या फिर नुकसान हो रहा है. बता दे की सेंसेक्स, मुंबई के शेयर बाजार में रजिस्टर्ड और मार्केट कैप के हिसाब से सबसे बड़ी 30 कंपनियों को ही इंडेक्स करता है. आपकी जानकारी के लिए बता दे की सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 से हुई, और इसमें जो तीस कंपनियां शामिल होती है, वो भी बदलती रहती है. यह 30 कंपनी एक कमेटी के द्वारा चुनी जाती है, साथ ही आपको बता दूं कि 30 कंपनी इंडेक्स होने के कारण इसे BSE30 भी कहा जाता है.

सेंसेक्स और निफ्टी में क्या अंतर है Difference Between Sensex And Nifty In Hindi.स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है

◆ बता दे की सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) का इंडेक्स है, और वही निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) का इंडेक्स हैं.
◆ सेंसेक्स की शुरुआत 1986 में हुई, वही निफ्टी की शुरुआत 1994 को हुई.
◆ सेंसेक्स, इसमें 30 कंपनियां शामिल होती है, वही निफ्टी में 50 कंपनी होती हैं.
◆ इसके अलावा सेंसेक्स की बेस वैल्यू 100 है, वही निफ़्टी को बेस वैल्यू 1000 है.

आपकी जानकारी के लिए बता दे की सेंसेक्स और निफ्टी ये दोनों हमारे देश के दो सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को दर्शाते है, और इनके घटने बढ़ने से पता चलता है कि देश में कंपनियों को फायदा हो रहा है या नुक़सान. तो आशा करते है शेयर मार्कट से जुडी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी, इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ साझा करे धन्यवाद.

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप A, B, T और Z क्या हैं और इनका वर्गिकरण कैसे होता है। क्यों अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाता है BSE के शेयरों को। मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज के शेयरों को ट्रेडिंग के उद्देश्य से अलग अलग श्रेणियों में बांटने के क्या कारण हैं, कौन कौन सी श्रेणियां हैं और इनमें क्या अंतर हैं। आईये समझते हैं बॉम्बे शेयर बाजार में शेयरों के वर्गिकरण क्यों और कैसे किया जाता है।

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप

शेयर बाजार में ग्रुप – वर्गिकरण का आधार

मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज में सभी शेयरों को ग्रुप A, B, T और Z में बांटा गया है। हालांकि यह वर्गिकरण ट्रेडिंग की सुविधा के लिये किया गया है मगर कौन सा शेयर किस कैटेगरी में है यह उसकी विकास क्षमता और उसके गुणों के बारे में भी बहुत कुछ कहता है। बीएसई पर कारोबार की गई सिक्योरिटीज को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया है।

बीएसई ने निवेशकों के मार्गदर्शन और लाभ के लिए इक्विटी सेगमेंट में सिक्योरिटीज को ‘ए’, ‘बी’, ‘टी’ और ‘जेड’ समूहों में कुछ गुणात्मक और मात्रात्मक मानकों के आधार पर वर्गीकृत किया है।

ग्रुप A

शेयर मार्केट में ग्रुप ए में सबसे लोकप्रिय शेयर शामिल हैं। स्टॉक जो सक्रिय रूप से कारोबार कर रहे हैं वे A ग्रुप में आते हैं। ‘ए’ समूह में मुख्यत मार्केट कैपिटलाईजेशन, टर्नोवर और लिक्विडिटी के आधार पर टॉप 300 शेयरों को रखा जाता है। A ग्रुप के शेयर सबसे ज्यादा लिक्विड शेयर होते हें। लिक्विड शेयर का मतलब शेयर की तरलता से है। आसान भाषा में समझें तो ऐसे शेयरों में हमेशा खरीदार और बेचने वाले उपलब्ध रहते हें और शेयर खरीदने या बेचने में आसानी रहती है। A स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है श्रेणी के शेयरों में तुलनात्मक रूप से ट्रेडिंग वॉल्युम (व्यापार की मात्रा) हाई रहता है। A श्रेणी के शेयरों में ट्रेड सैटलमेंट नॉर्मल ट्रेडिंग सैटलमेंट की प्रक्रिया से की जाती है। अधिकतर ब्लू चिप और FMCG शेयर इसी ग्रुप में मिलते हैं। यहां पढ़ें किस कंपनी का शेयर खरीदें हमारी साइट पर।

टी समूह के तहत आने वाले शेयरों को एक्सचेंज के ट्रेड टु ट्रेड सैटलमेंट प्रणाली के रूप में माना जाता है। इस समूह में प्रत्येक ट्रेड को अलग लेनदेन के रूप में देखा जाता है और रोलिंग सिस्टम में ट्रेड की तरह कोई नेट-आउट नहीं होती है। व्यापारियों जो इस ग्रुप के शेयर खरीदने इस समूह की स्क्रिप्ट को बेचने के लिए, टी + 2 दिनों तक राशि का भुगतान करना या शेयर देना होगा। उदाहरण के लिए, आपने टी समूह के 100 शेयर खरीदे और उसी दिन 100 अन्य शेयर बेचे। फिर, आपके द्वारा खरीदे गए शेयर, आपको उन शेयरों की कीमत दो दिनों में चुकानी पड़ेगी। और आपके द्वारा बेचे गए शेयरों के लिए, आपको टी + 2 दिनों के शेयरों को डिलीवरी करना होगा, ताकि एक्सचेंज समय पर निपटान कर सके।

ग्रुप Z

जेड ग्रुप में इक्विटी स्टॉक शामिल हैं जिन्हें एक्सचेंज नियमों और विनियमों का पालन न करने के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया है या निवेशक शिकायतों या ऐसे किसी कारण से लंबित है।

बी श्रेणी में ऐसे स्टॉक शामिल हैं जो उपर्युक्त इक्विटी समूहों में से किसी एक का हिस्सा नहीं बनते हैं।

इसके अतिरिक्त बीएसई में एफ समूह भी है जो ऋण बाजार खंड को दर्शाता है।

यह थी हमारी कोशिश कि आप भारतीय स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है शेयर बाजार में प्रवेश करने से पहले शेयरों के वर्गीकरण को सीखें लें जिससे आपको पता चल जाये कि शेयर बाजार में ग्रुप किस आधार पर बनाये जाते हैं और उनका क्या महत्व है।

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

Sensex और Nifty के बारे में क्यों होती है इतनी बात, क्या है इनके कैलकुलेशन का तरीका, जानिए कई दिलचस्प सवालों के जवाब

सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्सेज हैं जो देश के दो प्रमुख स्टॉक्स एक्सचेंजेज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंजेज से जुड़ा हुए हैं.

Know How Sensex and Nifty are Calculated: कारोबार की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं. खबरों के जरिए पता चलता है कि सेंसेक्स ने रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का करोड़ों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में दिलचस्पी उठना स्वाभाविक हैं कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं जिससे लोगों के करोड़ो का नफा-नुकसान जुड़ा हुआ है. इसके अलावा अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है.

Sensex क्या है?

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का बेंचमार्क इंडेक्स है. इसीलिए इसे बीएसई सेंसेक्स भी कहा जाता है. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.

  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है. इसके लिए कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या को शेयर के भाव से गुणा करते हैं. इस तरह जो आंकड़ा मिलता है, उसे कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन या हिंदी में बाजार पूंजीकरण भी कहते हैं.
  • अब उस कंपनी के फ्री फ्लोट फैक्टर की गणना की जाती है. यह कंपनी द्वारा जारी किए कुल शेयरों का वह परसेंटेज यानी हिस्सा है जो बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है. जैसे कि किसी कंपनी ABC के 100 शेयरों में 40 शेयर सरकार और प्रमोटर के पास हैं, तो बाकी 60 फीसदी ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होंगे. यानी इस कंपनी का फ्री फ्लोट फैक्टर 60 फीसदी हुआ.
  • बारी-बारी से सभी कंपनियों के फ्री फ्लोट फैक्टर को उस कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन से गुणा करके कंपनी के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन की गणना की जाती है.
  • सेंसेक्स में शामिल सभी 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन को जोड़कर उसे बेस वैल्यू से डिवाइड करते हैं और फिर इसे बेस इंडेक्स वैल्यू से गुणा करते हैं. सेंसेक्स के लिए बेस वैल्यू 2501.24 करोड़ रुपये तय किया गया है. इसके अलावा बेस इंडेक्स वैल्यू 100 है. इस गणना से सेंसेक्स का आकलन किया जाता है.

निफ्टी 50 क्या है ?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है. निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाने से बना है. नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर्स की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड है. बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को ट्रैक करता है. इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है.

  • निफ्टी की गणना लगभग सेंसेक्स की तरह ही फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटालाइजेशन के आधार पर होती है लेकिन कुछ अंतर भी है.
  • निफ्टी की गणना स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है के लिए सबसे पहले सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन निकाला जाता है, जिसके लिए आउटस्टैंडिंग शेयर की संख्या को वर्तमान भाव से गुणा करते हैं.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंवेस्टेबल वेट फैक्टर (RWF) से गुणा किया जाता है. RWF पब्लिक ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध शेयरों का हिस्सा है.
  • इसके बाद मार्केट कैप को इंडिविजुअल स्टॉक को एसाइन किए हुए वेटेज से गुणा किया जाता है.
  • निफ्टी को कैलकुलेट करने के लिए सभी कंपनियों के वर्तमान मार्केट वैल्यू को बेस मार्केट कैपिटल से डिवाइड कर बेस वैल्यू से गुणा किया जाता है. बेस मार्केट कैपिटल 2.06 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है और बेस वैल्यू इंडेक्स 1 हजार है.

इतने खास क्यों हैं Nifty और Sensex ?

भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं. इसके अलावा भी तमाम इंडेक्स मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने के लिए किया जाता है. इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं. मिसाल के स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की औसत चाल का संकेत देने वाला Bank Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index, स्टील, एल्यूमीनियम और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स, वगैरह-वगैरह.

ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या उन्हें मशविरा देने वाले ब्रोकर्स या सलाहकारों के लिए बेहद काम के होते हैं. लेकिन अगर एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान समझना हो या उसके भविष्य की दशा-दिशा का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स पर ही गौर किया जाता है. इन्हें मोटे तौर पर मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है.

NSE और BSE में अंतर (Difference Between NSE and BSE In Hindi)

NSE और BSE दोनों ही भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं जिसके माध्यम से आप शेयर बाजार में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रेडिंग कर सकते है। NSE और BSE का मुख्यालय मुंबई में स्टॉक मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है स्थित है। ये दोनो ही SEBI के नियमों के अंतर्गत काम करते है।

  1. NSE का पूरा नाम National Stock Exchange है और BSE का पूरा नाम Bombay Stock Exchange है।
  2. NSE की स्थापना 1992 में हुई थी लेकिन BSE की स्थापना 1875 में हुई थी।
  3. BSE भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है लेकिन NSE भारत का दूसरा स्टॉक एक्सचेंज है।
  4. NSE में 1600 से भी अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं जबकि BSE में 5500 से भी अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं।
  5. BSE की ग्लोबल रैंक 10 है वही दूसरी तरह NSE की ग्लोबल रैंक 11 है।
  6. NSE को 1993 में स्टॉक एक्सचेंज के रूप में पहचान मिली जबकि BSE को 1957 में ही स्टॉक एक्सचेंज के रूप में पहचान मिली चुकी थी।
  7. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम को सबसे पहले NSE ने 1992 में शुरू किया था। वही दूसरी तरफ BSE ने 1995 में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम की शुरुवात की थी।
  8. NSE का इंडेक्स Nifty है जिसमें टॉप 50 कंपनियों को शामिल किया गया है जबकि BSE का इंडेक्स Sensex है और इसमें 30 टॉप कंपनियों शामिल है।

NSE से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

NSE का फुल फॉर्म क्या है?
NSE का फुल फॉर्म National Stock Exchange होता है।

NSE की स्थापना कब हुई थी?
NSE की स्थापना 1992 में हुई थी।

NSE का मुख्यालय कहाँ है?
NSE का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्रा में स्थित है।

NSE का इंडेक्स क्या है?
NSE का इंडेक्स Nifty है जिसमें Top 50 कंपनिया शामिल है।

क्या मैं सीधे NSE में निवेश कर सकता हूँ.
नही, स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करने के लिए स्टॉक ब्रोकर की जरूरत पड़ती है।

NSE की मुद्रा क्या है?
इसकी मुद्रा रुपया है

अंतिम शब्द: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है हिंदी में

दोस्तो आज इस लेख में मैने आपको बताया NSE क्या है और NSE और BSE में अंतर के बारे में बताया है। उम्मीद करता हु इस लेख को पढ़ने के बाद आप अच्छे से समझ गए होंगे NSE और BSE में क्या अंतर है। इस लेख को पढ़ने के बाद अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।

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About Antesh Singh

Antesh Singh एक फुल टाइम ब्लॉगर है जो बैंकिंग, आधार कार्ड और और टेक रिलेटेड आर्टिकल लिखना पसंद करते है।

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