इन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति द्वारा भी डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने और स्वीकार करने पर बहुत जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है. छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? के लिए इस शर्त को समाप्त करने की आवश्यकता है. इस संबंध में कैट जल्‍दी ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयलऔर वित्‍त मंत्री निर्मला सीथारमन से मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा.

भारत का लोकल सामान ऑनलाइन मिलने में क्‍यों आती है मुश्किल, सर्वे में खुलासा

नई दिल्‍ली. भारत के ई-कॉमर्स बाजार में क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? तेजी से बढ़ोत्‍तरी हो रही है. बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार होने और दुकानों पर मिलने वाला लोकल सामान ऑनलाइन मिलने में अभी मुश्किलें आ रही हैं. देश भर के व्यापारियों का कहना है कि ई कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की उनकी इच्छा है लेकिन अधिकांश व्यापारियों को लगता है कि ई-कॉमर्स में माल बेचने के लिए विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों की लगातार जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन के अलावा ई कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य रूप से जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रूकावट है.

भारत में कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? कैट) की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की ओर से हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के 40 शहरों जिनमें टियर 2 और टियर 3 शहर भी शामिल हैं, में लगभग 5 हजार व्यापारियों के बीच एक ऑनलाइन सर्वे किया गया है जिसमें ई-कॉमर्स में आ रही समस्‍याओं का खुलासा हुआ है. बता दें कि वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई कॉमर्स व्यापार हुआ जो वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है. इसके बावजूद भारत क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? के लोकल व्‍यापारी इससे दूर हैं.

राहुल गांधी की अंग्रेजी भक्ति ?

राजस्थान में राहुल गांधी ने अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई की जमकर वकालत कर दी। राहुल ने कहा कि भाजपा अंग्रेजी की पढ़ाई का इसलिए विरोध करती है कि वह देश के गरीबों, किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों के बच्चों का भला नहीं चाहती है। भाजपा के नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में क्यों पढ़ाते हैं? राहुल ने जो आरोप भाजपा के नेताओं पर लगाया, वह ज्यादातर सही ही हैं लेकिन राहुल जरा खुद बताएं कि वह खुद और उसकी बहन क्या हिंदी माध्यम की पाठशाला में पढ़े हैं?

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देश के सारे नेता या भद्रलोक के लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में इसीलिए भेजते हैं कि भारत दिमागी तौर पर अभी भी गुलाम है। उसकी सभी ऊंची नौकरियां अंग्रेजी माध्यम से मिलती हैं। उसके कानून अंग्रेजी में बनते हैं। उसकी सरकारें और अदालतें अंग्रेजी में चलती हैं। भाजपा ने अपनी नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा को स्वभाषा के माध्यम से चलाने का आग्रह किया है, जो कि बिल्कुल सही है। लेकिन भाजपा और कांग्रेस, दोनों की कई प्रांतीय सरकारें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को प्रोत्साहित कर रही हैं। किसी विदेशी भाषा को पढ़ना एक बात है और उसको अपनी पढ़ाई का माध्यम बनाना बिल्कुल दूसरी बात है।

मैंने पहली कक्षा से अपनी अंतरराष्ट्रीय पीएचडी तक की परीक्षाएं हिंदी माध्यम से दी हैं। स्वभाषा के माध्यम से पढ़ने का अर्थ यह नहीं है कि आप विदेशी भाषाओं का बहिष्कार कर दें। मैंने हिंदी के अलावा संस्कृत, जर्मन, रूसी और फारसी भाषाएं भी सीखीं। अंग्रेजी तो हम पर थोप ही दी जाती है। राहुल का यह तर्क सही है कि गरीब और ग्रामीण वर्ग के बच्चे अंग्रेजी स्कूलों में नहीं पढ़ते, इसलिए वे पिछड़ जाते हैं। वे भी अंग्रेजी पढ़ें और अमेरिका जाकर अमेरिकियों को भी मात दें। राहुल की यह बात मुझे बहुत पसंद आई लेकिन मैं पूछता हूं कि हमारे कितनी विद्यार्थी अमेरिका या विदेश जाते हैं?

भारतीय क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? कारोबारी वर्ग विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों से क्यों हैं परेशान? सर्वे में हुआ खुलासा

बिहार समेत देशभर के ई-कॉमर्स बाजार में हो रही तेजी से वृद्धि के मद्देनजर व्यापारियों ने इसे व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन अधिकांश कारोबारियों क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? को लगता है कि ई-कॉमर्स में माल बेचने के लिए विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों की लगातार जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य रूप से जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रूकावट है।

यह तथ्य कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के 40 शहरों जिनमें टियर 2 और टियर 3 शहर भी शामिल हैं, में लगभग 5 हजार व्यापारियों के बीच किये गए एक ऑनलाइन सर्वे में सामने आया है। बता दें कि वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई कॉमर्स व्यापार हुआ, जो 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।

अमेरिकी डॉलर का 'दबदबा' तोड़ने के लिए RBI ने उठाया बड़ा कदम, अब क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? रुपये में ही हो सकेगा अंतरराष्ट्रीय व्यापार का सेटलमेंट

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार 11 जुलाई को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रुपये में सेटलमेंट को लेकर एक सिस्टम बना रहा है। RBI ने यह कदम रूस-यूक्रेन जंग के चलते भारतीय मुद्रा पर बढ़ते दबाव के बीच उठाया है। RBI ने कहा कि उसने ग्लोबल व्यापार के विकास को बढ़ावा देने और रुपये में दुनिया की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए यह फैसला किया है।

रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट की सुविधा से भारत को कुछ ऐसे प्रतिबंधों को दरकिनार करने में क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? मदद मिल सकती है, जो कुछ खास देशों के साथ अमेरिकी डॉलर जैसी ग्लोबल करेंसी में व्यापार की इजाजत देने से रोकते हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन पर रूस के हमले ने कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके चलते रूस क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? बाकी देशों के साथ डॉलर में डील नहीं कर पा रहा है।

अब रुपया बनेगा डॉलर का दादा, PM मोदी भारत को बनाएंगे दुनिया का सरताज!

Dharmendra Kumar Mishra

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 20, 2022 15:37 IST

रुपया (प्रतीकात्मक फोटो)- India TV Hindi

Photo:PTI रुपया (प्रतीकात्मक फोटो)

Rupee Become International Currency Like Dollar: दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद पीएम मोदी के सपनों का भारत ऊंचाइयों की नई उड़ान पर है। प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षा रुपये को डॉलर का प्रतिद्वंदी बनाना है। जी हां. वही डॉलर जो वर्षों से पूरी दुनिया पर राज करता आ रहा है, वही डॉलर जो दुनिया की अर्थव्यवस्था और बाजार क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? की दिशा तय करता है, वही डॉलर जो वैश्विक बाजार का दादा है। मगर अब पीएम मोदी ने ऐसा प्लान बनाया है कि डॉलर की दादागीरी खतरे में है। प्रधानमंत्री के इस प्लान के बारे क्यों व्यापार विदेशी विकल्प? में जानकर अमेरिका से लेकर चीन तक खलबली मच गई है, क्योंकि पहली बार किसी देश की करेंसी ने दुनिया की बादशाहत को ललकारा है।

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