Forex Trading Fraud: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटे मुनाफे का झांसा, फर्जी ऐप के जरिए लोगों से ऐसे की 15 करोड़ की ठगी
Noida Fraud Case: फर्जी ऐप का खेल नोएडा में खूब चल रहा है। फॉरेक्स ट्रेडिंग में मोटे मुनाफा का लालच देकर अपने जाल में फंसाया जाता है। इसके बाद फर्जी ऐप के जरिए लोगों के खातों में सेंधमारी की जाती है। नोएडा पुलिस ने फर्जी ऐप के इस खेल का भंडाफोड़ किया है।
हाइलाइट्स
- जीएसटी विभाग के रिटायर्ड कमिश्नर से की थी 15 लाख रुपये की ठगी
- इंदौर और देवास से चल रहा था गिरोह, वहां 2020 में खोला था ऑफिस
- नामी ट्रेडिंग प्लैटफार्म को टूल बनाकर लोगों को फंसाते थे ये जालसाज
- खुद तैयार किया था उसी नाम से मिलता-जुलता ऐप, दिखाते थे फर्जी मुनाफा
इस तरह करते थे ठगी
मेटा एक बड़ा फाइनेंशियल ट्रेडिंग प्लैटफार्म है। फोन कॉल करने वाले लोगों से इस प्लैटफार्म पर ही डीमेट अकाउंट खुलवाकर मोटा मुनाफा दिलाने का वादा करते थे। 10-12 हजार रुपये से ओरिजनल प्लैटफार्म पर डीमेट अकाउंट खुलवा दिया जाता था। इसके बाद अकाउंट का यूजर आईडी और पासवर्ड ठग अपने पास रख लेते थे। ठगों ने फर्जी फाइनैंशयल ट्रेडिंग प्लैटफार्म मेटा ट्रेडर्स-5 एक एंड्रायड एप्लीकेशन के रूप में प्ले स्टोर पर डाला हुआ था। यहां से ठगी का खेल शुरू होता था। दरअसल जिसे मोटे मुनाफे का लालच ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी दिया जाता था उसकी आईडी फर्जी ट्रेडिंग प्लैटफार्म एप्लीकेशन पर बना देते थे। फिर उससे दूसरे बैंक अकाउंट में रकम ली जाती थी।
इसके बाद उस फर्जी ट्रेडिंग प्लैटफार्म पर मोटा मुनाफा बढ़ता हुआ दिखाते रहते थे। आईडी में डॉलर हर दिन बढ़ते जाते थे। यह देख पैसा लगाने वाले और तेजी से पैसा लगाते रहते थे। अब अगर कोई भी व्यक्ति अपनी यह रकम निकलवाना चाहता था तो उससे जीएसटी, सेटलमेंट चार्ज, कनवर्जन चार्ज व अन्य के नाम पर और भी रकम ले ली जाती थी। लगातार नए चार्ज ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी बताए जाते थे। तंग आकर जाल में फंसा व्यक्ति जब पुलिस या अन्य जगहों पर पड़ताल करवाता था तो यह पता चलता था कि जो करोड़ों की रकम उसकी जमा दिखा रहा है दरअसल वह फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफार्म है। पैसा न मिलता देख आरोपी आईडी भी फर्जी प्लेटफार्म से हटा चुके होते थे और बात करना भी बंद कर देते थे।
यह होता है फॉरेक्स ट्रेडिंग
फॉरेक्स करंसी ट्रेडिंग के ग्लोबल मार्केट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला टर्म है। यूरो को डॉलर्स से एक्सचेंज करना हो डॉलर को रुपये से, यह सब फॉरेक्स मतलब फॉरेन एक्सचेंज मार्केट का हिस्सा होता है। करंसी ट्रेडिंग दुनिया का सबसे बड़ा फाइनैंशल मार्केट है।
यह होता है डीमेट अकाउंट
डीमेट अकाउंट एक बैंक अकाउंट की तरह होता है। इसमें शेयर सर्टिफिकेट और अन्य सिक्यॉरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फार्म में रख सकते हैं। डीमैट अकाउंट का मतलब डिमैटेरियलाइजेशन अकाउंट होता है। इस अकाउंट में शेयर, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड, ईटीएफ जैसे इन्वेस्टमेंट को रखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। यह अकाउंट अलग-अलग प्लेटफार्म पर खोले जाते हैं।
एक महीने बाद है शादी
साइबर थाना पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, आरोपी शोएब मंसूरी 12वीं तक पढ़ा है। एक महीने बाद शादी होने वाली है। ठगी से आने वाली रकम को यह अपने महंगे शौक पूरे करने में उड़ा देता था। महंगी एसयूवी को महीनों इसने किराए पर अपने पास रखा हुआ था।
महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही थी तलाश
साइबर थाना प्रभारी ने बताया कि टीम जब देवास पहुंची और इस आरोपी को पकड़ने की जानकारी स्थानीय थाने में दी गई, तो स्थानीय थाना पुलिस ने भी कई जानकारियां इस गैंग के बारे में शेयर की। यह बताया कि इस गैंग ने मुंबई से लेकर पंजाब तक ठगी की हुई है। महाराष्ट्र पुलिस भी इनकी तलाश में देवास में डेरा डाले हुई थी। साइबर थाना पुलिस के पास सर्विलांस का इनपुट पुख्ता था, जिससे इसे पकड़ने में कामयाबी मिली।
ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी
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एक परिवार ने हजारों से की 100 करोड़ की ठगी, ऐसे खुली पोल
इस स्कीम के जरिए यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, चंडीगढ़ समेत कई राज्यों के हजारों लोगों से ठगी की है। इसके लिए दुबई में सर्वर में ले रखा था, जिसे इस धंधे में शामिल इनका एक साथी दुबई में बैठकर चला रहा था।
हाइलाइट्स
- फॉरेक्स ट्रेडिंग के नाम पर पोंजी स्कीम से धोखाधड़ी मामले में खुलासा
- पिता, पत्नी से लेकर बहन-बहनोई को भी शामिल कर रखा था इस गोरखधंधे में
- हवाला के जरिये दुबई के बैंक में भेजा पैसा, हजारों से 100 करोड़ ठगे
पत्नी ने दिया था आइडिया
इस मामले में सेक्टर-20 थाने में 9 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें न्यू एरा वैल्थ मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के दोनों डायरेक्टर भाई महेंद्र वर्मा व संदीप वर्मा के अलावा उनके पिता चरण सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। महेंद्र की पत्नी राजेश, उनके बहनोई पवन व बहन मंजू के अलावा मौसी का दामाद संजय वर्मा भी 9 आरोपी में शामिल हैं। अन्य दो आरोपी किशोर कुमार व सुभाष झा हैं। निवेशकों ने बताया कि महेंद्र वर्मा की पत्नी राजेश पहले गुड़गांव में किसी बैंक में काम करती थी। इस दौरान वह डॉलर की ट्रेडिंग का काम करती थी। वहीं पर उसने फॉरेक्स ट्रेडिंग करना सीखा। महेंद्र ने राजेश से लव मैरिज की थी। शादी के बाद राजेश ने ही फॉरेक्स ट्रेडिंग का उसे आइडिया दिया। जिसके बाद उसने भाई के साथ मिलकर कंपनी खोलकर इस धंधे को शुरू किया। पोंजी स्कीम के तहत इस धंधे से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए बड़े होटलों में आयोजित की जाने वाली कॉन्फ्रेंस में इनके पिता चरण सिंह भी बराबर शामिल होते थे।
इसके अलावा वह ऑफिस में बैठकर निवेशकों को पैसा लगाने के लिए तैयार करने का काम भी करते थे। इनका बहनोई पवन इस काम में शादी से पहले से ही इनसे जुड़ा हुआ था। आईआईटी ग्रेजुएट बताया जा रहा पवन इस काम में इनकी तकनीकी मदद किया करता था। बहन से शादी होने के बाद उसे इन लोगों बेंगलुरू में शिफ्ट कर दिया। संजय वर्मा इनकी मौसी का दामाद है, जो इनका सबसे बड़ा एजेंट है, इसने ग्रेटर नोएडा व बुलंदशहर के कई लोगों का पैसा इस पोंजी स्कीम में लगवाया था।
भारत में अवैध है फॉरेक्स ट्रेडिंग का धंधा
भारत में दूसरे देशों की करंसी की ट्रेडिंग करना अवैध है। हालांकि अमेरिकी डॉलर, पाउंड, यूरो समेत अन्य देशों की करंसी को भारतीय रुपये में रजिस्टर्ड ब्रोकर के जरिए ट्रेडिंग जरूर की जा सकती है। इसको देखते हुए आरोपियों ने अपना सर्वर दुबई में लगाकर वेबसाइट बनाई, लेकिन कंपनी भारत में खोली। कंपनी ने निवेशकों से भारतीय करंसी ली, लेकिन निवेश डॉलर ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी में किया।
निवेशकों के अनुसार, आरोपियों ने बाद में फॉरेक्स एक्सचेंज में पैसा लगाना ही बंद कर दिया और ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी सर्वर के माध्यम से वेबसाइट में फर्जीवाड़ा करके निवेश की हुई रकम को दिखा देते थे। आरोपियों ने ज्यादातर निवेशकों से पैसा कैश में लिया। नोटबंदी के दौरान कंपनी में निवेशकों ने सबसे ज्यादा निवेश किया। चार्टर्ड अकाउंटेंट नवल किशोर के अनुसार, फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर का सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) से रजिस्टर होना जरूरी है। बिना सेबी के रजिस्ट्रेशन के इस तरह का काम अवैध है। रजिस्टर्ड ब्रोकर के लिए भी बेस करंसी को भारतीय रुपये के रूप में ही निवेश करवाना होगा।
हवाला के जरिए दुबई के बैंक में पैसा किया ट्रांसफर
आरोप है कि दोनों भाइयों ने कंपनी में निवेश किए जाने वाले पैसे को फॉरेक्स एक्सचेंज में न लगाकर हवाला के जरिए दुबई के एक बैंक में ट्रांसफर कर दिया। निवेशकों के पैसे से ही आरोपियों ने यू-ट्यूब पर एक न्यूज चैनल भी शुरू किया, जिसके उद्घाटन में कई बड़े राजनेता भी शामिल हुए थे। बाद में आरोपियों के भाग जाने पर इस चैनल का संचालन इस साल जून में बंद कर दिया गया। इस चैनल के 69 हजार से अधिक सब्सक्राइबर हैं। आरोपियों ने निवेशकों के पैसे से ही ऑडी, मर्सिडीज, फॉर्च्युनर जैसी महंगी गाड़ियां खरीदी थीं। कंपनी में 22 लाख रुपये निवेश करने वाले ग्रेटर नोएडा निवासी मुकेश कुमार ने बताया है कि आशंका है कि आरोपी यहां दफ्तर बंद कर बेंगलुरू में अपने बहनोई के पास भाग गए हैं। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि अब वह परिवार समेत दुबई भाग गए हैं।
RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग फॉरेक्स वाराणसी ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्ट
अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्पॉन्सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है।
RBI ने जारी की अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप की अलर्ट लिस्ट (फाइल फोटो)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस सप्ताह अवैध इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर विदेशी मुद्रा लेनदेन में शामिल संस्थाओं की एक अलर्ट सूची जारी की। इसमें एक ऐप ऐसा भी है, जो IPL टीम दिल्ली कैपिटल को स्पॉन्सर करता है। यह अवैध संस्था या ऐप लोगों से हाई रिटर्न का वादा करके लुभाते हैं। आरबीआई ने कहा कि इन अवैध प्लेटफॉर्म के यूजर्स पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
अवैध ऐप्स की लंबी सूची में OctaFX शामिल है, जो इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम दिल्ली कैपिटल्स का आधिकारिक ट्रेडिंग स्पॉन्सर है। आरबीआई ने इन ऐप को लेकर लोगों को चेताया है और उपयोग नहीं करने की सलाह दी है, वरना यूजर्स पर कार्रवाई भी की जा सकती है। यहां अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप्स और वेबसाइटों की पूरी सूची है।
अवैध फॉरेक्स ट्रेडिंग ऐप
Alpari, AnyFX, Ava Trade, Binomo, e Toro, Exness, Expert Option, FBS, FinFxPro, Forex.com, Forex4money, Foxorex, FTMO, FVP Trade, FXPrimus, FXStreet, FXCm, FxNice, FXTM, HotFores, ibell Markets, IC Markets, iFOREX, IG Market, IQ Option, NTS Forex Trading, Octa FX, Olymp Trade, TD Ameritrade, TP Global FX, Trade Sight FX, Urban Forex, Xm और XTB है।
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आरबीआई ने यह भी कहा कि इस लिस्ट में नहीं आने वाले यूनिट को केंद्रीय बैंक की ओर से रजिस्टर्ड नहीं माना जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों के अनुसार, लोगों को (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999) के अनुसार केवल रजिस्टर्ड संस्थाओं के साथ विदेशी मुद्रा लेनदेन करना चाहिए।
आरबीआई ने क्या कहा
आरबीआई के अनुसार, जबकि अनुमत विदेशी मुद्रा लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जा सकते हैं, उन्हें केवल आरबीआई या मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड, बीएसई लिमिटेड और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए अधिकृत ईटीपी पर ही किया जाना चाहिए।
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