जोखिम प्रबंधन
- ग्रीष्म लहर के जोखिम प्रबंधन के पहलू
- मधुमक्खियों को दर्द होता है
- जीवों में तापमान नियंत्रण काफी देर से अस्तित्व में आया
- भारत की खोज में जंतुओं ने समंदर लांघा था
- समुद्रों में परागण
- कमाल का संसार कुकुरमुत्तों का
- अतिरिक्त जीन से चावल की उपज में सुधार
- समुद्री ज्वालामुखी विस्फोट से पानी पहुंचा वायुमंडल में
- परमाणु युद्ध हुआ तो अकाल पड़ेगा
- साल भर सूखा रहे तो क्या होगा?
- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रासंगिकता पर सवाल
- मुफ्त बिजली की बड़ी कीमत
- चांद पर दोबारा उतरने की कवायद
- ऊर्जा दक्षता के लिए नीतिगत परिवर्तन की आवश्यकता
- विद्युत सुरक्षा: राष्ट्र स्तरीय योजना की आवश्यकता
- स्वास्थ्य: चुनौतियां और अवसर
- चबा-चबाकर खाइए और कैलोरी जलाइए
- मानसिक थकान का रासायनिक आधार
- क्या आप कभी कोविड संक्रमित हुए हैं?
- प्राचीन कांसा उत्पादन के नुस्खे की नई व्याख्या
- सौर मंडल से बाहर के ग्रह में कार्बन डाईऑक्साइड
- कई वृक्ष प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर
ग्रीष्म लहर के जोखिम प्रबंधन के पहलू
मानव जनित जलवायु परिवर्तन ने ग्रीष्म लहर, दावानल और अचानक बाढ़ जैसी घटनाओं की संभावना को बढ़ाया है और इन्हें अधिक गंभीर बनाया है। इसका जन स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है लेकिन इसे कम करके आंका गया है। अधिकांश देश इन आपदाओं से निपटने के लिए अग्रिम योजना बनाने, अनुकूलन के उपाय करने और साक्ष्य-आधारित जानकारी का उपयोग करके अपने लोगों की हिफाज़त मुकम्मल करने में नाकाम रहे हैं।
इस वर्ष भारत, पाकिस्तान, यूएसए, चीन और युरोप ने घातक ग्रीष्म लहर का सामना किया जिसने न सिर्फ ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाया बल्कि आपातकालीन सेवा को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इस ग्रीष्म लहर से मरने वालों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक रही। इसके अलावा कई लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा है।
अत्यधिक गर्मी से हीटस्ट्रोक यानी लू की संभावना तो जानी-मानी है। लेकिन वास्तव में गर्मी से होने वाली कई मौतें हृदय सम्बंधी जोखिम प्रबंधन दिक्कतों के कारण भी होती हैं।
होता यह है कि त्वचा को ठंडा रखने के लिए हृदय को ज़्यादा काम करना होता है ताकि त्वचा तक ज़्यादा खून पहुंचे और ठंडक पैदा हो। लेकिन साथ ही रक्तचाप को एक सीमा में रखना होता है। इसके लिए हृदय को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है, चाहे शरीर का अंदरुनी तापमान बहुत अधिक न हो।
इसके अलावा तापमान के बढ़ने से सांस एवं गुर्दे की बीमारी, दुश्चिंता और हिंसक व्यवहार में वृद्धि होती है और साथ ही मृत शिशु जन्म, समयपूर्व प्रसव और जन्म के समय कम वज़न जैसी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ता है। दावानल पर किए गए शोध अध्ययनों ने तो अत्यधिक गर्मी का सम्बंध बाल मृत्यु दर, श्वसन रोग और कैंसर जैसी समस्याओं में वृद्धि से दर्शाया है। इन हालिया अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि अभी तक गर्मी के करण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को काफी कम करके आंका गया है।
निम्न और मध्यम आय वाले कई देश अपर्याप्त वैश्विक सहयोग और वित्तीय क्षमता के चलते इस समस्या से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। लेकिन कई अन्य देश पर्याप्त एवं स्पष्ट प्रमाणों के बावजूद वैश्विक कार्यक्रमों को समर्थन देने या अनुकूलन के उपाय अपनाने में विफल रहे हैं। सरकारों द्वारा जलवायु परिवर्तन के तथ्य से इन्कार या हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने और अपर्याप्त राजनैतिक इच्छाशक्ति ने जनता को वैज्ञानिक जानकारियों से मिल सकने वाले लाभों से वंचित रखा है। राजनेताओं ने भी स्वास्थ्य जोखिमों को कम करके बताया है। इसके अलावा कई नामचीन संगठनों और मीडिया घरानों ने भी गुणवत्तापूर्ण जानकारी देने की बजाय अवैज्ञानिक तथ्यों को प्रसारित किया। यह जानकारी लोगों को गर्मी से जूझने में मदद कर सकती थी।
वर्ष 2021 में दी लैंसेट में ऊष्मा-अनुकूलन से सम्बंधित लेखों की एक ंखला प्रकाशित की गई थी। इन लेखों में गर्मी से होने वाली तकलीफ और हृदय पर पड़ने दबाव को कम करने के कई साक्ष्य-आधारित उपायों पर चर्चा की गई है। इसके लिए पानी में डुबकी लगाना, कपड़ों को भिगोना या पैरों को पानी में डालकर रखना और पंखों के उपयोग को शीतलन की प्रमुख रणनीतियों में शामिल किया गया था। वैसे ठंडा पानी पीकर भी हीटस्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है लेकिन इससे शरीर के तापमान पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। ज़रूरत इस बात की है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं संस्थाएं लोगों को ग्रीष्म लहर के खतरों और इससे बचाव के बारे में शिक्षित करें।
कई अध्ययनों ने अश्वेत और गरीब लोगों पर ग्रीष्म लहरों के असामान्य रूप से अधिक प्रभाव को दर्शाया है। हालात ऐसे हैं कि अत्यधिक गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोगों के पास खुद को बचाने के साधन भी नहीं हैं। विशेष रूप से, खुले आसमान के नीचे काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। उन पर उच्च तापमान और खुले में काम करने का जोखिम निरंतर बढ़ता जा रहा है। इन श्रमिकों के लिए शीतलन व्यवस्थाओं तक पहुंच भी काफी दुर्गम है। इन परिस्थितियों में श्रमिकों की आजीविका को सुरक्षित करते हुए वैधानिक परिवर्तन करने की तत्काल आवश्यकता है।
कई वैश्विक फंडर्स जलवायु से सम्बंधित शोध अध्ययनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन इन अध्ययनों के आधार पर नीतिगत एवं सार्थक परिवर्तन के लिए आवश्यक राजनैतिक संवाद का अभाव स्पष्ट है।
वर्ष 2022 में ग्रीष्म लहर और दावानल के पूर्वानुमानों के बाद भी पर्याप्त योजनाएं तैयार नहीं की गईं। 28 जुलाई के दिन एक संकल्प पारित करके संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण तक पहुंच को सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषित किया है। इस निर्णय के बाद जनता को नीति निर्माताओं से समुचित कार्रवाई की मांग करना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
जोखिम प्रबंधन तकनीकों के कुछ उदाहरण क्या हैं?
Swing Trading Strategies - Volume Profile Trading Strategy For Swing Trading (दिसंबर 2022)
विषयसूची:
व्यावसायिक जीवन चक्र के दौरान विविध प्रकार के मूर्त और अमूर्त रूपों में व्यापार जोखिम आता है। कुछ जोखिम व्यापार परिचालन के सामान्य पाठ्यक्रम के दौरान होते हैं, जबकि अन्य असाधारण परिस्थितियों के कारण होते हैं जिन्हें आसानी से पहचान नहीं किया जाता है। किसी कंपनी के व्यापार मॉडल, उद्योग या कमाई के स्तर के बावजूद, व्यावसायिक जोखिमों को व्यापार नियोजन के रणनीतिक पहलू के रूप में पहचाना जाना चाहिए। एक बार जोखिमों की पहचान की जाती है, तो कंपनियां उनकी व्यावसायिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए उन्हें उचित कदम उठाती हैं। व्यापार में कार्यान्वित जोखिम प्रबंधन के सबसे आम प्रकारों में शामिल हैं बचाव, शमन, स्थानांतरण और स्वीकृति
जोखिम से बचाव
व्यापार के लिए अपने जोखिम का प्रबंधन करने का सबसे आसान तरीका यह पूरी तरह से बचने के लिए है अपने सबसे आम रूप में, परिहार तब होता है जब कोई व्यवसाय किसी भी तरह के खतरे को लेकर ज्ञात या माना जाने वाला गतिविधियों में संलग्न होने से इनकार करता है। उदाहरण के लिए, एक व्यवसाय एक नए खुदरा स्थान के लिए एक इमारत खरीदना छोड़ सकता है क्योंकि भवन की लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न नहीं करने वाले स्थान के जोखिम के कारण उच्च है इसी तरह, एक अस्पताल या छोटे चिकित्सा अभ्यास रोगी की भलाई के लिए उच्च स्तर के खतरे को ले जाने के लिए जाने वाली कुछ प्रक्रियाओं को निष्पादित करने से बच सकते हैं। हालांकि जोखिम से बचने के लिए एक व्यवसाय की संभावित खतरों का प्रबंधन करने के लिए एक सरल तरीका है, रणनीति भी खो राजस्व क्षमता का परिणाम है
जोखिम ख़त्म करना
व्यवसाय भी शमन या कमी के माध्यम से जोखिम प्रबंधन चुन सकते हैं। व्यावसायिक जोखिम को कम करने का मतलब किसी भी नकारात्मक नतीजे या विशिष्ट, ज्ञात जोखिमों के प्रभाव को कम करना है, और इसका उपयोग अक्सर व्यापार के जोखिमों के अपरिहार्य होने पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक ऑटोमेकर इस तरह के यादों की संभावित लागतों के अनुसंधान और विस्तृत विश्लेषण के प्रदर्शन से एक निश्चित मॉडल को याद करने के जोखिम को कम करता है। यदि एक दोषपूर्ण वाहन के माध्यम से किए गए नुकसान के लिए खरीदारों को भुगतान करने के लिए आवश्यक पूंजी को याद की कुल लागत से कम है, तो ऑटोमेकर एक रिकॉल जारी नहीं करना चुन सकता है इसी तरह, सॉफ़्टवेयर कंपनियां एक नए कार्यक्रम के जोखिम को कम कर देती हैं जो चरणों में उत्पाद जारी करके सही तरीके से कार्य नहीं करता है। इस प्रकार की रणनीति के माध्यम से पूंजीगत बर्बादी का जोखिम कम हो सकता है, लेकिन जोखिम का एक अंश रहता है।
जोखिम का स्थानांतरण
कुछ उदाहरणों में, व्यवसाय संगठन से जोखिम को हस्तांतरित करना चुनते हैं। वास्तविक वित्तीय नुकसान के खिलाफ सुरक्षा के बदले एक बीमा कंपनी को प्रीमियम का भुगतान करके जोखिम हस्तांतरण आमतौर पर होता है। उदाहरण के लिए, संपत्ति बीमा का उपयोग किसी कंपनी को वित्तीय क्षति से बचाने के लिए किया जा सकता है जब किसी भवन या अन्य सुविधा को क्षति पहुंचाई जाती है। इसी तरह, वित्तीय सेवाओं के उद्योग में पेशेवरों को ग्राहकों या ग्राहकों द्वारा लाया जाने वाले मुकदमों से बचाने के लिए त्रुटियों और चूक बीमा खरीद सकते हैं, जिससे दावा किया जा सकता है कि उन्हें खराब या गलत सलाह मिली है।
जोखिम स्वीकृति
जोखिम प्रबंधन स्वीकृति के माध्यम से भी लागू किया जा सकता है। यदि व्यापार गतिविधि से उत्पन्न अनुमानित लाभ इसकी संभावित जोखिम से कहीं अधिक है तो कंपनियां विशिष्ट परियोजनाओं या विस्तार के आधार पर जोखिम के एक निश्चित स्तर को बरकरार रखती हैं। उदाहरण के लिए, दवाइयों की दवाएं अक्सर नई दवाओं के विकास के दौरान जोखिम प्रतिधारण या स्वीकृति का उपयोग करती हैं अनुसंधान और विकास की लागत नई दवा की बिक्री से उत्पन्न राजस्व जोखिम प्रबंधन के लिए संभावित नहीं है, इसलिए जोखिम स्वीकार्य माना जाता है।
जोखिम प्रबंधन में जोखिम के कुछ सामान्य उपाय क्या हैं? | निवेशोपैडिया
जोखिम प्रबंधन में उपयोग किए गए सामान्य जोखिम उपायों और किसी निवेश से जुड़े जोखिम का आकलन करने के लिए आम जोखिम प्रबंधन तकनीकों का उपयोग कैसे करें।
निगमों को अल्पकालिक निवेश का प्रबंधन करने के कुछ उदाहरण क्या हैं?
कई संभावित कॉरपोरेट पदों का पता लगाएं, जो कि किसी व्यवसाय के आकार और ढांचे के आधार पर, अल्पकालिक निवेश के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हों।
स्मार्ट बीटा ईटीएफ के कुछ उदाहरण क्या हैं जो निष्क्रिय और सक्रिय प्रबंधन का उपयोग करते हैं?
स्मार्ट बीटा निवेश रणनीतियों के बारे में जानें और स्मार्ट बीटा एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड के उदाहरण खोजें जो निष्क्रिय और सक्रिय प्रबंधन दोनों का उपयोग करते हैं।
1 दूरस्थ शिक्षा प्रोग्राम्स में जोखिम प्रबंधन में ज्यूरिक, स्विट्ज़र्लॅंड 2023
जोखिम प्रबंधन की पहचान, प्राथमिकता और वित्तीय जोखिम का आकलन करना शामिल है। छात्र व्यवसायों अनिश्चितता को कम करने से अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करना सीखो। इस प्रक्रिया में, विशेष संसाधन, को कम करने को नियंत्रित करने और संभव नुकसान या दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की निगरानी के लक्ष्य के साथ लागू कर रहे हैं।
स्विट्जरलैंड, आधिकारिक तौर पर स्विस परिसंघ, संघीय अधिकारियों की सीट के रूप में बर्न के साथ, 26 केंटन से मिलकर एक संघीय संसदीय गणतंत्र है. स्विट्जरलैंड की स्वतंत्रता और तटस्थता लंबे प्रमुख यूरोपीय शक्तियों द्वारा सम्मानित किया गया है. स्विट्जरलैंड कम बेरोजगारी के साथ एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर आधुनिक बाजार अर्थव्यवस्था है.
ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा शिक्षा में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग को संदर्भित करता है। ऑनलाइन सीखने के साथ, कोई भी किसी भी समय और किसी भी स्थान से उपलब्ध इंटरनेट कनेक्शन के साथ शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
जोखिम प्रबंधन एवं पशु बीमा योजना का आगाज आज
प्रदेश के कृषि एवं पशु पालन मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ 29 जुलाई को जोखिम प्रबंधन एवं पशु बीमा योजना का शुभारभ करेगे। उपायुक्त अनिता यादव ने बताया कि हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से राज्यस्तरीय विपदा प्रबंधन एवं पशु बीमा योजना समारोह झज्जर के राजकीय बहुतकनीकी संस्थान में सुबह 11 बजे में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समारोह में विभिन्न विभागों की विकासात्मक योजनाओं व लोक हितैषी नीतियों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री जन-धन बीमा योजना के बाद पशुधन बीमा योजना के शुरू होने से जोखिम फ्री गाव बनाने की पहल साकार होगी।
विभाग के उपनिदेशक डा. ब्रह्माजीत एस रागी ने बताया कि जोखिम प्रबंधन एवं पशु धन बीमा योजना पशु पालकों के लिए वरदान साबित होगी। योजना के लागू होने पशु पालकों में सुरक्षा की भावना पैदा होगी तथा प्रदेश में निश्चित रूप से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी । समारोह में बहादुरगढ़ से विधायक नरेश कौशिक बतौर विशिष्ट अतिथि, प्रधान सचिव डा. अभिलक्ष लिखी, हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के प्रबंधक डा. वीरेद्र अंटिल, महानिदेशक डा. गजेंद्र सिंह जाखड़ सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहेगे। उन्होंने बताया कि समारोह में पशु पालकों को पशुओं से संबंधित अन्य लाभकारी जानकारी भी दी जाएगी।
उपनिदेशक ने बताया कि योजना के तहत बड़े पशु गाय, भैंस ऊंट, घोड़ा, खच्चर आदि का बीमा केवल सौ रुपये में किया जा सकेगा। छोटे पशुओं भेड़, बकरी, सूअर आदि का बीमा मात्र 25 रुपये में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अनुसूचित वर्ग का विशेष ध्यान रखते हुए उनके पशुओं का बीमा निश्शुल्क करने का प्रावधान किया गया है। डॉ. रागी ने बताया कि पशुपालक को अपने पशु का बीमा करवाने के लिए पशु अस्पताल में पहले पशु के स्वास्थ की जाच करवानी होगी। जाच के बाद पशु की कीमत तय की जाएगी और तय कीमत के अनुसार पशु का बीमा किया जाएगा।
Hindi Diwas: अंग्रेजी नहीं जानने वाला व्यक्ति भी नेतृत्व, निर्णय लेने, जोखिम प्रबंधन में कुशल होता है
Hindi Diwas: आइआइएम इंदौर ने मनाया हिंदी दिवस। अतिथियों ने कहा कि हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि समाज के आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक अस्तित्व में बहुत स्पष्ट अंतर है और यहां भाषाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Hindi Diwas: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर (आइआइएम) में बुधवार को हिंदी दिवस मनाया गया। निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर ब्रॉडकास्टर एडिटर्स एसोसिएशन के संस्थापक महासचिव एनके सिंह मुख्य अतिथि थे।
एनके सिंह ने हिंदी के महत्व और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। हम अक्सर मानदंडों का एक समूह तय करते हैं जो निर्धारित करता है कि हमारे आइकन कौन हैं और इस प्रकार इन आइकनों की पहचान करने के लिए एक प्रक्रिया भी तैयार करते हैं। हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि समाज के आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक अस्तित्व में बहुत स्पष्ट अंतर है और यहां भाषाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भले ही देश में 75 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं, लेकिन इसे वह सम्मान और स्थान नहीं मिला है जो हमें भाषा के प्रति अपने प्यार का इजहार करने का आत्मविश्वास दें।
हमें समानता को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, जिससे एक ऐसा तंत्र स्थापित हो जो ग्रामीण और शहरी, अमीर और गरीब, शिक्षित और अशिक्षित के बीच उनकी भाषा के आधार पर भेदभाव न करे। हम ग्रामीण भारत में भी कौशल खोज सकते हैं। अगर वहां के युवाओं को नेतृत्व करने की अनुमति दी जाए। हालांकि आज समाज की मानसिकता लोगों को अंग्रेजी भाषा के प्रभुत्व के आगे झुकने के लिए मजबूर करती है। मार्केटिंग और ब्रांडिंग हमारी विचार प्रक्रिया में बाधा डालती हैं और हमें तर्कसंगत रूप से चिंतन करने की अनुमति नहीं जोखिम प्रबंधन देती हैं।
प्रो. राय ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा की दशा दिशा और दृष्टि के बारे में बताया। एक देश और एक राष्ट्र के बीच अंतर के बारे में अंतर्दृष्टि साझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक देश में भौगोलिक भूमि द्रव्यमान, लोग और संप्रभुता होती है। वहीं, राष्ट्र में एक चौथा तत्र जुड़ जाता है संस्कृति। यही वह बुनियाद है जिस पर हमें एक नई न्यायसंगत और जीवंत दुनिया का निर्माण करना चाहिए और भाषा ही उस संस्कृति का आधार है। यही उचित समय है जब हम राष्ट्र पर ध्यान देना शुरू करें और हिंदी भाषा की स्थिति पर ध्यान दें। हम मनुष्य के तौर पर बदल गए हैं और हमारी संस्कृति भी बदल गई है। हम में व्यक्तिगत नैतिकता और मूल्य तो हैं, लेकिन हम सामाजिक नैतिकता से बेखबर हैं। समाज में प्रेम और सम्मान मौजूद है, लेकिन हम उन्हें शायद ही व्यक्त कर पाते हैं।
हम संघर्ष करने के लिए तैयार हैं और चुनौतियों से निपटने की शक्ति रखते हैं, लेकिन समाधान खोजने की सही दिशा का हमें ज्ञान नहीं है। हम समस्याओं का समाधान नहीं करना चाहते। हम समस्याओं को तोड़ना चाहते हैं। हमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों को समझना और आत्मसात करना चाहिए। यह तभी संभव है जब हम अपनी जड़ों से और संस्कृति से जुड़े रहें और इसमें हिंदी महत्मपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि हमारे सभी महाकाव्य हिंदी और संस्कृत में हैं और नैतिकता सिद्धांतों और मूल्यों से परिपूर्ण देश की समृद्ध संस्कृति को प्रतिध्वनित करते हैं। यही हमारे देश को एकजुट भी रखते हैं।
हमारी हिंदी भाषा की स्थिति को स्वीकार करने से हम अपनी शक्ति का सही दिशा में उपयोग करने में सक्षम होंगे जिससे हमारे जीवन को एक उद्देश्य मिलेगा। शिक्षण संस्थानों में हिंदी के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि साक्षर और शिक्षित होने के बीच के अंतर को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा हो सकता है कोई व्यक्ति अंग्रेजी नहीं जानता हो, किन्तु वह नेतृत्व, निर्णय लेने, जोखिम प्रबंधन में कुशल हो सकता है और यहां तक कि एक समाधान उन्मुख विचार वाला भी हो सकता है। आवश्यकता है बस उसे सही अवसर देने की। उन्होंने आइआइएम इंदौर समुदाय को न केवल हिंदी बल्कि सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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