NSE क्या है – शेयर मार्केट से एनएसई का क्या संबध है पूरी जानकारी हिंदी में
शेयर मार्केट में NSE एक बहुत बड़ा नाम है और शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले ट्रेडिंग करने वाले लोग NSE के स्टॉक एक्सचेंज क्या है बारे में बहुत बात करते हैं। तो सबसे बड़ा सवाल उठता है की NSE आखिर है क्या? इसमे ऐसा क्या खास है। जिसके बारे में हर एक शेयर इन्वेस्टर और ट्रेडर बात करता है.
NSE के बारे में जानने से पहले हम एन एस ई शब्द के बारे में जान लेते है.
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NSE Full Form
NSE Full Form Is = National Stock Exchange of India.
NSE Full Form in Hindi
NSE का Full Form in Hindi = “राष्ट्रीय शेयर एक्सचेंज ऑफ इंडिया” है.
NSE Kya Hai
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया एन एस ई एक स्टॉक एक्सचेंज है. इस पर कंपनियों के शेयर को लिस्ट किया जाता है और उसके बाद शेयरों को खरीद बा बेचकर मुनाफा कमाया जाता है
एन एस ई स्टॉक एक्सचेंज में भारत की बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं और NSE भारत की दूसरी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज है.
NSE की स्थापना कब हुई
एन एस ई, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना सन 1992 में हुई थी.
NSE का मुख्यालय कहां है
एन एस ई, का मुख्यालय मुंबई में स्थित है.
NSE Index एन एस ई का सूचकांक क्या है
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक इंडेक्स स्टॉक एक्सचेंज क्या है निफ्टी है जिसे हम nifty 50 भी कहते है.
निफ़्टी के बारे में और अधिक जानने के लिए नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े.
NSE पर क्या क्या लिस्टेड है
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया NSE पर कंपनियों के Share, सिक्योरिटी बॉन्ड्स, डिबेंचर आदि लिस्टेड है.
National Stock Exchnage of India in Hindi
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया एन एस ई भारत की पहली इलेक्ट्रॉनिक स्टॉक एक्सचेंज है. जिसे सन 1992 में मुंबई के अंदर स्थापित किया गया था.
यह भारत की पहली पूर्ण रूप से इलेक्ट्रॉनिक टर्मिनल वाली स्टॉक एक्सचेंज थी. इस स्टॉक एक्सचेंज पर Share में होने वाली खरीदी और बिक्री को और शेयर की कीमत में होने वाले बदलाव को स्क्रीन पर दिखाया जाता था और तब से लेकर आज तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया भारत की दूसरी सबसे बड़ी एवं विश्व की 12 बी सबसे बड़ी स्टॉक एक्सचेंज बन गई है.
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Stock exchange kya hai.
Stock exchange kya hai, भारत में स्टॉक एक्सचेंज परंपरागत रूप से ब्रोकर्स तथा बाजार विशेषज्ञों का एसोसिएशन है। आम जनता तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग का नियमत: संचालन करने के लिए इसकी स्थापना की गई है यह दो प्रकार के हैं BSE और NSE जिसमें जो कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड कराना चाहती है तो मुंबई स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मैं रजिस्टर्ड करवाना पड़ती हैं और इस दोनों एक्सचेंज को सेबी के द्वारा रेगुलेट किया जाता है और सेबी के नियमानुसार सभी कंपनियां को भी चलना पड़ता है।
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यह सिक्योरिटीज एंड कॉन्ट्रैक्ट (रेग्यूलेशन) ऐक्ट 1956 के अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली
किसी भी बाजार में खरीद परोख्त उसकी मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है इस खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड रखने का काम स्टॉक एक्सचेंज करता है। स्टॉक एक्सचेंज को अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर भी कहा जाता है यह जानना भी कम रोचक नहीं है की सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज कब अस्तित्व में आया ऐसा माना जाता है की दुनिया का पहला शेयर बाजार बेल्जियम के एंडवर्प शहर में सन 1531 के आसपास खोला गया था लेकिन अधिकृत रूम से विश्व का पहला शेयर बाजार सन 1602 में नीदरलैंड के एम्स्टर्डम शहर में स्थापित किया गया था।
अगर भारत की बात करें तो यहां सबसे पहला संगठित स्टॉक एक्सचेंज शन 18 सो 75 में मुंबई के स्थानीय दलालों के एसोसिएशन के रूप में सामने आया तब इसका नाम रखा गया था (नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन।) इस एसोसिएशन की स्थापना से पहले शेयर दलाल बरगद के पेड़ के नीचे खड़े होकर शेयरों की खरीद बिक्री किया करते थे धीरे धीरे इसी बरगद के पेड़ के नीचे BSE का जन्म हुआ जरूरत के अनुसार दलाल जगह बदलते रहे और आखिर में सन 1874 मैं आकर एक स्थाई जगह इन्हें मिली।
जिसे आज दलाल स्ट्रीट के नाम से जाना जाता है इसके बाद सन 1894 में अहमदाबाद मैं स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई और 1908 मे कोलकाता में स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की गई सन 1994 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) का कार्य संचालन प्रारंभ हुआ आज भारत में कुल 24 स्टॉक एक्सचेंज काम कर रहे हैं इन मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को तीन श्रेणी ए, बी, और सी में बांटा गया है भारत में इन स्टॉक एक्सचेंजों को प्रतिभूति संविदा अधिनियम 1956 के अधीन मान्यता दी गई है।
कंप्यूटरीकृत कारोबार कैसे किया जाता है
स्टॉक एक्सचेंज मे खड़े होकर बोली लगाने की जगह अब बोल्ट व नीट प्रणालियों से शेयरों का कारोबार होता है। बोल्ट ‘BSE’ की कंप्यूटरीकृत कारोबार प्रणाली है और नीट ‘NSE’ की इन प्रणालियों की सहायता से आप शेयरों का कारोबार संचालित कंप्यूटरीकृत नेटवर्क (ऑनलाइन) के माध्यम से पूरे भारतवर्ष में एक साथ चलता है ब्रोकर अब स्टॉक एक्सचेंज जाने के बजाएं अपने कार्यालय में स्टॉक एक्सचेंज क्या है लगे कंप्यूटर से अपने ग्राहकों के लिए शेयर खरीदते या बेचते हैं यह कारोबार प्रातः 9:55 बजे से 3:30 बजे तक सोमवार से शुक्रवार तक होता है इस समय मैं फेरबदल भी होता है जिसकी सूचना आपको विभिन्न समाचार पत्रों तथा आपने ब्रोकर के माध्यम से मिलती है।
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ब्रोकर कौन होते हैं
Stock exchange kya hai, ब्रोकर यानी दलाल स्टॉक एक्सचेंज के लाइसेंस धारी सदस्य होते हैं जो स्वयं के लिए अथवा आपने ग्राहक के लिए उसकी सहमति से सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग करते हैं ये क्लाइंट से पूरे सौदे पर कमीशन चार्ज करते हैं पूर्णकालिक ब्रोकर आपने क्लाइंट्स की सिक्योरिटीज की निगरानी रखते हैं उन्हें निवेश संबंधी सलाह देते हैं क्लाइंट के पोर्टफोलियो को प्लान करते हैं तथा उसका प्रबंध करते हैं वे अपने क्लाइंट को मार्जिन पर खरीदारी की सुविधा भी देते हैं।
एक्टिव मार्केट क्या है
जब सेकेंडरी स्टॉक एक्सचेंज क्या है मार्केट मे शेयरों की या कुछ विशेष शेयरों की ट्रेडिंग बड़ी मात्रा में बहुत कम समय में की जाती है तो इस स्थिति को सक्रिय बाजार या एक्टिव मार्केट कहा जाता है। इस बाजार में शेयरों की खरीद कीमत व बिक्री कीमत में काफी कम अंतर होता है ऐसी स्थिति मैं वित्तीय संस्थानों द्वारा खरीदारी अथवा बिक्री बाजार स्थिति पर विशेष प्रभाव नहीं डालती है।rank math review
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एक्टिव शेयर किया है
वे शेयर जिनकी ट्रेडिंग प्रतिदिन तथा निरंतर होती है सक्रिय शेयर या एक्टिव शेयर कहलाते हैं प्रमुख कंपनियों के शेयर जो आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं इस श्रेणी में आते हैं इसके विपरीत कई शेयर ऐसे होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में कभी-कभार ही खरीद और बेचे जाते हैं इनको खरीदार तथा बिक्री करता ढूंढना सामान्यत मुश्किल होता है ये निष्क्रिय शेयर या इनएक्टिव शेयर कहलाते हैं इनकी खरीद वह बिक्री दरों में भी काफी अंतर होता है।
नर्वस मार्केट क्या है Stock exchange kya hai.
जब शेयर बाजार में आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते अस्थायी मंदी के दौर अकाल सरकारी नीति में बदलाव के चलते अनिश्चय का वातावरण छा जाता है तो ऐसे नर्वस मार्केट द्वारा परिभाषित किया जाता है ऐसी स्थिति में अमूमन शेयरों की कीमत में कुछ गिरावट आती है और खरीदार बाजार से बेरुखी दिखाई देते हैं।
फंडामेंटल एनालिस्ट क्या है
आधारभूत विश्लेषण अथवा फंडामेंटल विश्लेषण बाजार तथा क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ होते हैं जो किसी भी सिक्योरिटी की कीमत के आकलन में फंडामेंटल तथा वैज्ञानिक नजरिया रखते हैं किसी भी सिक्योरिटी की फंडामेंटल कीमत आंकने में इनकी सलाह ली जाती है।
फंडामेंटल एनालिसिस क्या है
किसी भी कंपनी की व्यवसाय कि आधारभूत कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा उसके शेयर की कीमत का आकलन आधारभूत विश्लेषण कहलाता है विशेषज्ञ उद्योग की गति ,कंपनी की बिक्री ,संपत्ति ,देनदारी ,कर्ज ,उत्पादन ,बाजार में कंपनी का हिस्सा ,कंपनी का प्रबंध ,कंपनी के प्रतिद्वंदी इत्यादि तथ्यों का अध्ययन करके तथा कंपनी की बैलेंस शीट, लाभ हानि लेखा कथा वित्तीय अनुपातों का साल दर साल अध्ययन करके कंपनी तथा उसके शेयर का आधारभूत विश्लेषण करते हैं।
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किसी कंपनी में लंबे दौर के निवेश करने हेतु यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है यद्यपि कम समय में निवेश हेतु इस जानकारी का समुचित उपयोग नहीं किया जा सकता है।Stock exchange kya hai.
Stock Exchange Meaning In Hindi स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या है
Stock Exchange को अंग्रेजी एवं हिंदी भाषा में कई अन्य नामों से जाना जाता है जो आपके लिए निम्नलिखित हैं. स्टॉक एक्सचेंज के पर्यायवाची शब्दों को नीचे लिखा गया है.
- Securities Exchange
- Bourse Market
- Share Market
- Stock Market
- प्रतिभूति विनिमय
- सराफा बाजार
- मुद्रा बाजार
- शेयर बाजार
- शेयर बाजार.
ऊपर लिखे गए सभी शब्दों के मीनिंग लगभग एक जैसे हैं. एक शब्द के जगह दूसरे शब्द का प्रयोग ज्यादातर लोग करते हैं. किंतु दैनिक प्रयोग में थोड़ी भिन्नताएं हैं. मेरे ख्याल से आपको इस टेक्निकल डिफरेंस को समझ लेना चाहिए.
स्टॉक एक्सचेंज का सही मतलब क्या होता है?
संक्षिप्त में आपको सबसे पहले शेयर और स्टॉक में थोड़ा सा अंतर समझा देता हूं. किसी भी कंपनी में हिस्सेदारी की सबसे छोटी से छोटी इकाई को शेयर कर सकते हैं. कुछ शेयरों की समूह को स्टॉक कहा जाता है.
क्या स्टॉक एक्सचेंज क्या है आप जानते हैं, भारत में स्टॉक एक्सचेंज कैसे काम करता है?
अब थोड़ा सा समझते हैं कि शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज में क्या अंतर होता है? शेयर मार्केट उस बाजार को कहा जाता है, जहां पर कोई भी रजिस्टर्ड कंपनी अपने शेयरों, बॉन्ड और डेरिवेटिव आदि को स्टॉक एक्सचेंज क्या है जारी कर सकता है. दूसरी तरफ एक निवेशक इन प्रोडक्ट को खरीद या बेच सकते हैं.
स्टॉक एक्सचेंज उस प्लेटफार्म को कहते हैं, जहां पर शेयर मार्केट का कारोबार होता है. क्या आपको पता है ज्ञान की कमी होने के कारण शेयर मार्केट में पैसा पूरी तरह डूब भी जाता है.
भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई), मुंबई.
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनएसई), मुंबई.
- कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज, कोलकाता
- इंडिया इंटरनेशनल एक्सचेंज (इंडिया आईएनएक्स), गिफ्ट सिटी.
- मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमएसई), मुंबई.
- एनएसई आईएफएससी लिमिटेड (एनएसई इंटरनेशनल एक्सचेंज), दिल्ली.
FAQs
1 – आपके शहर में शॉपिंग एरिया कहां पर है?
उत्तर – दलाल स्ट्रीट.
2 – दलाल स्ट्रीट में शॉपिंग करने के लिए क्या है?
उत्तर – वहां पर बड़े बड़े मॉल हैं.
3 – उन बड़े मॉल का क्या नाम है?
उत्तर – उस मॉल का नाम रिलायंस मॉल है.
ऊपर के 3 प्रश्नों के उत्तर को शेयर मार्केट की दुनिया के अनुसार देखते हैं.
1 – आपके देश में शेयरों की खरीद-फरोख्त कहां पर होता है
2 – मुंबई में शेयर बेचने और खरीदने के लिए क्या है?
उत्तर – शेयर मार्केट (स्टॉक एक्सचेंज).
3 – उन स्टॉक एक्सचेंज के क्या नाम है?
उत्तर – मुंबई स्टॉक एक्सचेंज एवं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज.
निष्कर्ष
मुझे जहां तक लगता है कि आपको Stock Exchange Meaning In Hindi आप बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा. फिर भी अगर आपके पास स्टॉक एक्सचेंज के मीनिंग से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप बेझिझक होकर के कमेंट बॉक्स में लिख डालिए.
1000 प्वॉइंट्स क्यों गिर गया Sensex और इस तरह की स्थिति में क्या करें निवेशक?
शेयर बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि, निकट भविष्य में बाजार में तेजी आएंगी। इसलिए निवेशकों को ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। क्योंकि घरेलू आर्थिक सुधार पटरी पर है और भारत में कोरोना टीकाकरण की गति भी अच्छी है।
BSE दोपहर तक एक हजार पॉइंट नीचे गिरा। (फाइल फोटो)
संदीप सिंह. भारतीय शेयर बाजार BSE में सोमवार दोपहल तेज गिरावट देखने को मिली। BSE सेंसेक्स 1,170.12 अंक टूटकर 58,465.89 अंक पर बंद हुआ और निफ्टी 348.25 अंक के नुकसान से 17,416.55 अंक पर बंद हुआ। इसकी सबसे बड़ी वजह विभिन्न देशों में कोरोनावायरस के बढ़ते मामले हैं। इसके साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में जो 4 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। वो RIL में सऊदी अरामनो द्वारा ली जाने वाली 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी को छोड़ने के फैसले के बाद देखने को मिली। इसके अलावा शेयर बाजार के गिरने की वजह सरकार के कृषि कानून को वापस लेना की घोषण करना भी माना जा रहा है। ऐसे में निवेशकों का मूड खराब दिख रहा है। जिसका सीधा असर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट के साथ देखने को मिला।
बाजारों को क्या परेशान कर रहा है? इसी साल 19 अक्टूबर को BSE ने 62,245 के उच्च स्तर के बेंचमार्क को छूआ था। लेकिन पिछले एक महीने में 5.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ सेंसेक्स 3600 अंक टूट गया। वहीं जनवरी और अक्टूबर के बीच के 10 महीनों का आंकलन किया जाए। तो विश्व में कोविड के बढ़ते मामलों की वजह से कई देशों में लगाया गया लॉकडाउन इसकी एक वजह जरूर बना है।
इसके अलावा केंद्र सरकार के द्वारा सुधार के एजेंडे से एक कदम पीछे हटाना भी शेयर बाजार में गिरावट की एक वजह बताया जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को आगामी शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है। जिसके बाद से ही निवेशकों का मूड खराब है। इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज और सऊदी अरामको के बीच रद्द हुई डील भी शेयर बाजार के लिए बड़ा झटका साबित हुई है।
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आगे बाजार का कैसा रहेगा रूख? फिलहाल शेयर बाजार में तुरंत राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन लंबी अवधि में बाजार में फिर से तेजी आएगी। ऐसे में आने वाले दिन काफी दबाव में होंगे। इसके अलावा यूरोप सहित दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामले और वैश्विक आर्थिक सुधार की गति भी बाजार के रूख को दिशा देगी। इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा परिसंपत्ति खरीद में कमी भी शेयर बाजार पर दबाव बनाएंगी।
निवेशकों को क्या करना चाहिए? शेयर बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि, निकट भविष्य में बाजार में तेजी आएंगी। इसलिए निवेशकों को ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए। क्योंकि घरेलू आर्थिक सुधार पटरी पर है और भारत में कोरोना टीकाकरण की गति भी अच्छी है। ऐसे में एक बार फिर शेयर बाजार नई ऊंचाई पर पहुंचेगा।
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