हमें आशा है की यह ब्लॉग पोस्ट पढ़ने के बाद आपके सवाल स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? (Trading Volume in Stock Market in Hindi) इसका जवाब आपको आसान भाषा में मिल गया होगा।

What is the meaning of Volume शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है in the stock market| delivary volume stock

स्टॉक मार्केट में वॉल्यूम का मतलब संख्या से होता है इसका मतलब यह होता है कि कोई कितनी बड़ी संख्या में किसी स्टॉक में खरीदारी कर रहा है.

स्टॉक में जितनी भी बड़ी मात्रा में खरीदारी होगी वॉल्यूम की संख्या उतनी ही ज्यादा बड़ी दिखाई पड़ेगी.

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what is volume Meaning in stock market with example in hindi

स्टॉक मार्केट में एक बहुत ही खास बात ध्यान देने वाली यह होती है कि अगर स्टॉक मार्केट में तेजी चल रही है. तब क्या वॉल्यूम बढ़ जाएगा तब वॉल्यूम बिल्कुल बढ़ेगा लेकिन यहां पर अगर मंदी भी चल रही होगी तब भी वॉल्यूम बढ़ेगा.

दोनों शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है का वॉल्यूम का तरीका अलग होगा तेजी का वॉल्यूम ऊपर की तरफ होगा और मंदी का वॉल्यूम नीचे की तरफ होगा.

इसको एक उदाहरण से समझते हैं मान लेते हैं रितिका एक फार्मा कंपनी का स्टॉक खरीदती है और कुछ दिनों बाद इस स्टॉक में गिरावट शुरू हो जाती है गिरावट काफी बड़ी होती है और यह गिरावट मंदी वाली गिरावट कहलाती है.

इस गिरावट में जो वॉल्यूम बनेगा वह मंदी वाला वॉल्यूम बनेगा यानी कि बेयरिश वॉल्यूम

ठीक उसी तरह से अगर स्टॉक ऊपर की तरफ बढ़ता है. तब उसमें जो वॉल्यूम बनता है तेजी वाला वॉल्यूम बनता है. Bullish volume

what is the high volume in stock

किसी भी स्टॉक को एनालिसिस करने के लिए उसके वॉल्यूम को देखना जरूरी होता है. क्योंकि वॉल्यूम से आप स्टॉक में होने वाले बदलाव की भविष्यवाणी कर सकते हैं और यह पता लगा सकते हैं कि यह स्टॉक भविष्य में ऊपर जाएगा या फिर नीचे अगर इसका वॉल्यूम लगातार नीचे की तरफ बढ़ रहा है तब स्टॉक और नीचे गिर सकता है.

हाई वॉल्यूम स्टॉक पता करने के लिए आपको बहुत सारे लिक्विड और वोलेटाइल स्टॉक्स के बारे में जानकारी पता करनी होगी।

लिक्विड स्टॉक्स और वोलेटाइल स्टॉक्स कैसे आपको पैसा आसानी से बना सकते हैं इसके बारे में आप यहां पूरा पढ़ सकते हैं.Read here

क्योंकि लिक्विड स्टॉक्स में ट्रेडिंग काफी ज्यादा होती है और लोग उसमें काफी ज्यादा रुचि लेते हैं ट्रेड करने के लिए और उसके प्राइस का मूवमेंट भी काफी तेज होता है.

इस वजह से आप ऐसे स्टॉक्स में वॉल्यूम का पुराना डाटा निकालकर यह पता लगा सकते हैं कि कहीं इसमें कोई भारी संख्या में खरीदारी तो नहीं हो रही है. लगातार खरीदारी हो रही है तो हो सकता है यह स्टॉक का प्राइस ऊपर की तरफ बढ़ सकता है.

Stock market me volume kya kaam karta hai | volume ko kaise dekhte hai

वॉल्यूम से हम किसी भी स्टॉक के ट्रेडर के एक्शन उसके सेंटीमेंट को समझ सकते हैं मतलब ट्रेडर क्या करना चाह रहा है. लेकिन ध्यान देने वाली यह बात है कि बहुत ही छोटा-छोटा अगर वॉल्यूम आपको नजर आएगा तो इससे आप काफी हद तक अंदाजा नहीं लगा सकते।

स्टॉक के वॉल्यूम का अंदाजा लगाने के लिए आपको बड़ा-बड़ा वॉल्यूम नजर आना चाहिए।

शेयर बाजार में जब ज्यादा मात्रा में वॉल्यूम होता है तो प्राइस में उतार-चढ़ाव भी काफी तेजी से होता है.

शेयर मार्किट में ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है? – What is Trading Volume in Stock Market in Hindi?

शेयर बाजार में वॉल्यूम का मतलब एक निश्चित समय सीमा में कारोबार किए गए शेयरों की कुल संख्या है। इसमें वह हर शेयर शामिल होगा जो समीक्षाधीन अवधि के दौरान खरीदा और बेचा जाता है। मान लीजिए, किसी कंपनी के 100 स्टॉक एक ही ट्रेडिंग दिन में खरीदे और बेचे गए, तो उस स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम 200 होगा, भले ही वही 100 स्टॉक बाजार में कारोबार कर रहे हों।

इसलिए, वॉल्यूम उन शेयरों की कुल संख्या है जो कार्रवाई में थे। यह एक खरीद आदेश या बिक्री आदेश हो सकता है। जब स्टॉक सक्रिय रूप से कारोबार करते हैं तो वॉल्यूम अधिक होता है। इसी तरह, अगर शेयरों में सक्रिय रूप से कारोबार नहीं किया जाता है तो वॉल्यूम कम होता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम (Trading Volume) को किसी भी प्रकार के वित्तीय साधन के लिए मापा जा सकता है: स्टॉक, बॉन्ड, डेरिवेटिव (वायदा और विकल्प अनुबंध), सोना और ज्यादातर सभी प्रकार की वस्तुएं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कहां देख सकते है?

सभी स्टॉक मार्केट एक्सचेंज स्टॉक की मात्रा को ट्रैक करते हैं। इसलिए, किसी विशेष शेयर के शेयर बाजार में मात्रा की जानकारी आसानी से उपलब्ध है। कोई भी एक्सचेंजों, समाचार वेबसाइटों, तीसरे पक्ष की वेबसाइटों को देख सकता है जिनके पास शेयर बाजार की जानकारी है। निवेशक ब्रोकरों और निवेश प्लेटफार्मों के साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच भी कर सकते हैं।

प्लेटफ़ॉर्म किसी विशेष समय सीमा के लिए वॉल्यूम दिखाने के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का भी उपयोग करते हैं। हरे रंग की पट्टी खरीदारी की मात्रा दिखाती है और लाल पट्टी बिक्री की मात्रा दिखाती है।

उस समयावधि के आधार पर वॉल्यूम चार्ट भी होते हैं जिन्हें कोई ध्यान में रखना चाहता है। प्रति घंटा वॉल्यूम चार्ट, दैनिक, मासिक, 200-दिवसीय वॉल्यूम चार्ट आदि हो सकते हैं।

अक्सर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में किसी विशेष स्टॉक की ट्रेडिंग वॉल्यूम अलग-अलग होगी। यह भी एक कारण है कि एक स्टॉक के लिए सेंसेक्स और निफ्टी 50 के बीच थोड़ा सा अंतर हो सकता है। तार्किक रूप से, ऐसा होने के लिए स्टॉक को दोनों एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होना चाहिए।

ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या बताता है?

स्टॉक वॉल्यूम उस क्रिया को दर्शाता है जो किसी विशेष स्टॉक में हुई है। सभी गतिविधि, चाहे वह बिक्री हो या खरीदारी, वॉल्यूम मीट्रिक में दर्ज हो जाती है। यदि स्टॉक बहुत अधिक मात्रा दिखा रहा है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक के आसपास बहुत अधिक रुचि या गतिविधि हो रही है। यह नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है। एक नकारात्मक समाचार विकास हो सकता है जो अधिक बिक्री को बढ़ावा दे सकता था।

उच्च मात्रा इंगित करती है कि शेयरों ने कितनी बार हाथ बदले हैं।

इसलिए, हम कह सकते हैं कि शेयर बाजार में मात्रा बाजार की शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है गतिविधि और तरलता को मापती है। शेयरों में तरलता का मतलब है कि आसानी से एक निवेशक को निवेश से पैसा वापस मिल सकता है जब बिक्री का आदेश होता है या आसानी से एक निवेशक कर सकता है। अधिक मात्रा में बाजार में अधिक खरीदारों और विक्रेताओं का संकेत मिलता है।

शेयर ट्रेडिंग में कीमत और वॉल्यूम के बीच क्या है संबंध?

volume

बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है.

वॉल्यूम में बदलाव से शेयर से जुड़े सेंटिमेंट का पता चलता है. इसके चलते ही शेयर की कीमत में बदलाव आता है. ट्रेडिंग वॉल्यूम का बढ़ना अच्छे बाय ऑर्डर का संकेत देता है. दूसरी तरफ, यदि ट्रेडिंग वॉल्यूम घटता है तो उसे बिकवाली का सही समय नहीं माना जाता है. ध्यान देने वाली एक दूसरी बात यह है कि जब किसी शेयर में वॉल्यूम नीचे से ऊपर की तरफ जाता है तो यह मजबूत खरीदारी का संकेत होता है.

बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है. इसलिए वॉल्यूम का मतलब समझना और प्राइस और वॉल्यूम के बीच का संबंध समझना ट्रेडिंग और इनवेस्टिंग (निवेश) दोनों के लिए बहुत जरूरी है. एक निश्चित समय तक वॉल्यूम पैटर्न को देखने से किसी खास शेयर या बाजार में तेजी और गिरावट के पीछे की ताकत का पता चलता है.

शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है (share market me volume kya hota hai)

अगर कोई भी शेयर का ट्रेड होता है तो वॉल्यूम का निर्माण होता है। शेयर मार्केट में वॉल्यूम हमे यह बताती है कि किसी कंपनी का शेयर निश्चित समय में कितना बेचा और खरीदा गया है यानी कि जितने शेयर की संख्या का ट्रेड होता है उसे शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है वॉल्यूम खहते है।

जैसे की मान लीजिए कोई XYZ कंपनी के 5000 शेयर को बेचना चाहता है और कुछ लोग XYZ कंपनी के 5000 शेयर को खरीदना चाहता है तो वहां पर 5000 Volume का निर्माण होता है। क्योंकि यहां पर 5000 शेयर की लेन देन हुई है।

अगर आपको लगता है कि 5000 शेयर बेचा गया और 5000 शेयर खरीदा गया तो वॉल्यूम 10,000 की बनेगी जोकि गलत है। अगर ट्रेड 1000 का हो रहा है तो वॉल्यूम भी 1000 का ही होगा।

वॉल्यूम का फॉर्मूला (Volume ka formula)

1st Trade - मान लीजिए कोई एक व्यक्ति 500 शेयर बेचना चाहता है और एक व्यक्ति वही शेयर के 500 मात्रा को खरीदा चाहता है है तो यह हमारा एक ट्रेड हुआ। और इस ट्रेड में को वॉल्यूम होगा, वो 500 का होगा क्योंकि 500 क्वांटिटी का ट्रेड हुआ है।

2nd Trade - अब कोई व्यक्ति 200 शेयर खरीदना चाहता है और वही शेयर के 200 मात्रा कोई sell करना चाहता है तो यहां पर 200 का वॉल्यूम बनेगा।

यानी कि हमारा दोनो मामले में हमारा कुल वॉल्यूम हुआ 500+200=700 का। तो हमारा ट्रेड वॉल्यूम हो जाएगा 700 का क्योंकि यहां पर "Total Number of Share" 700 का ट्रेड हुआ है। और यह प्रक्रिया चलता रहता है मार्केट खुलने से लेकर मार्केट बंद होने तक।

यहां पर हमने आपको 2 ट्रेड का उदहारण लेकर समझाने की कोसिस किया हु। मगर एक शेयर में सिर्फ 2 ट्रेड नही होता क्योंकि एक शेयर को खरीदने वाले भी बहुत है और बेचने वाले भी बहुत है।

वॉल्यूम का क्या काम है

वॉल्यूम का काम मार्केट के लिक्विडिटी (Liquidity) को बताने का होता है। मार्केट की लिक्विडिटी ज्यादा तभी होती है जब शेयर की वॉल्यूम ज्यादा हो।

अब बात आती है कि लिक्विडिटी ज्यादा होना का क्या फायदा है। फायदा यही है कि किसी भी शेयर को आप बेचना चाहते है या फिर खरीदना चाहते है तो आपको आसानी होगी।

अगर किसी शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है शेयर की लिक्विडिटी हाई (High) है तो इसका मतलब यह होता है कि उसकी वॉल्यूम ज्यादा होगी। और अगर वॉल्यूम ज्यादा है तो साधारण सी बात है कि उस विशेष शेयर के खरीदार और विक्रेता ज्यादा है। तो आपको उस स्टॉक में ट्रेड करने में आसानी होगी।

Charts में volume कहां पर दिखता है

यहां पर आपको Red और Green रंग की कैंडल दिखाई गई है जोकि वॉल्यूम है। शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है Green candle स्ट्रॉन्ग buying वॉल्यूम दिखाता है Red candle selling वॉल्यूम दिखाता है।

हमारे द्वारा 1 minute Time - period candle दिखाई गई है। अलग - अलग Time - period में अलग-अलग वॉल्यूम बनते है।

वॉल्यूम का फॉर्मूला (Volume ka formula)

1st Trade - मान लीजिए शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है कोई एक व्यक्ति 500 शेयर बेचना चाहता है और एक व्यक्ति वही शेयर के 500 मात्रा को खरीदा चाहता है है तो यह हमारा एक ट्रेड हुआ। और इस ट्रेड में को वॉल्यूम होगा, वो 500 का होगा क्योंकि 500 क्वांटिटी का ट्रेड हुआ है।

2nd Trade - अब कोई व्यक्ति 200 शेयर खरीदना चाहता है और वही शेयर के 200 मात्रा कोई sell करना चाहता है तो यहां पर 200 का वॉल्यूम बनेगा।

यानी कि हमारा दोनो मामले में हमारा कुल वॉल्यूम हुआ 500+200=700 का। तो हमारा ट्रेड वॉल्यूम हो जाएगा 700 का क्योंकि यहां पर "Total Number of Share" 700 का ट्रेड हुआ है। और यह प्रक्रिया चलता रहता है मार्केट खुलने से लेकर मार्केट बंद होने तक।

यहां पर हमने आपको 2 ट्रेड का उदहारण लेकर समझाने की कोसिस किया हु। मगर एक शेयर में सिर्फ 2 ट्रेड नही होता क्योंकि एक शेयर को खरीदने वाले भी बहुत है और बेचने वाले भी बहुत है।

वॉल्यूम का क्या काम है

वॉल्यूम का काम मार्केट के लिक्विडिटी (Liquidity) को बताने का होता है। मार्केट की लिक्विडिटी ज्यादा तभी होती है शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है जब शेयर की वॉल्यूम ज्यादा हो।

अब बात आती है कि लिक्विडिटी ज्यादा होना का क्या फायदा है। फायदा यही है कि किसी भी शेयर को आप बेचना चाहते है या फिर खरीदना चाहते है तो आपको आसानी होगी।

अगर किसी शेयर की लिक्विडिटी हाई (High) है तो इसका मतलब यह होता है कि उसकी वॉल्यूम ज्यादा होगी। और अगर वॉल्यूम ज्यादा है तो साधारण सी बात है कि उस विशेष शेयर के खरीदार और विक्रेता ज्यादा है। तो आपको उस स्टॉक में ट्रेड करने में आसानी होगी।

Charts में volume कहां पर दिखता है

यहां पर आपको Red और Green रंग की कैंडल दिखाई गई है जोकि वॉल्यूम है। Green candle स्ट्रॉन्ग buying वॉल्यूम दिखाता है Red candle selling वॉल्यूम दिखाता है।

हमारे द्वारा 1 minute Time - period candle दिखाई गई है। अलग - अलग Time - period में अलग-अलग वॉल्यूम बनते है।

निष्कर्ष

तो दोस्तों आज हमने जाना शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या होता है। अगर आपको कुछ और इनफॉर्मेशन चाहिए तो आप कॉमेंट कर के पूछ सकते है। और अगर आपको कुछ लगता है की पोस्ट में और भी कुछ इनफॉर्मेशन डालनी चाहिए तो आप कॉमेंट कर के बता सकते है।

प्रश्न. ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने पर इसका क्या मतलब है?

उत्तर - ट्रेडिंग का वॉल्यूम ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या बताता है वही ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होने का मतलब यह हो सकता है कि उस विशेष स्टॉक में लोगों की रुचि न होना। जिसके वजह से स्टॉक्स में अगर डाउंट्रेड का वॉल्यूम कम है तो शेयर "Bullish" का संकेत देता है और अगर अपट्रेड का वॉल्यूम कम होता है तो यह "Bearish" का संकेत देता है।

प्रश्न. स्टॉक शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम कैसे बनता है?

उत्तर - स्टॉक मार्केट में स्टॉक का वॉल्यूम शेयर के ट्रेड होने से बनता शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है है। अगर असान भासा में समझे तो जितने भी buy और sell किसी विशेष शेयर में होती है तो स्टॉक का वॉल्यूम बनता है।

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