स्वास्थ्य

सिविल सर्जन जिले के स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख हैं और महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेदार हैं। वह अपने नियंत्रण में काम कर रहे सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के प्रशासन की देखरेख करते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को पूरा करते हैं और अपने जिले में सामान्य जनता को निवारक, प्रमोशनल और रोगपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं।

प्रधान चिकित्सा अधिकारी / चिकित्सा अधीक्षक

प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर / मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, सिविल अस्पताल के प्रभारी हैं और अस्पताल के दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के बारे में चिंतित हैं। पीएमओ / एमएस सिविल सर्जन को आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए रिपोर्ट करता है।

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रभार है और वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित है। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी सिविल सर्जन को आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए रिपोर्ट करते हैं।

चिकित्सा अधिकारी

प्राइमरी हेल्थ सेंटर और उप स्वास्थ्य केंद्रों का प्रभार संबंधित पीएचसी के अंतर्गत है और उन पीएचसी के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्रों के दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित है। चिकित्सा अधिकारी अपने संबंधित समुदाय केंद्रों के प्रभारी वरिष्ठ मेडिकल मूल्य कार्रवाई की परिभाषा अधिकारी को रिपोर्ट करते हैं।

विभाग और उसके अधीन कार्यालयों के कार्य:

स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा लगातार स्वास्थ्य की डब्लूएचओ परिभाषा द्वारा निर्देशित है, जिसमें कहा गया है कि “स्वास्थ्य पूरी तरह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की अवस्था है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता का अभाव है।

हरियाणा सरकार अपने सभी नागरिकों को गुणवत्ता स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य विभाग लगातार अवसंरचना, मानव संसाधन, ड्रग्स, उपकरण आदि के रूप में खुद को उन्नयन कर रहा है। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग सभी श्रेणियों की जनसंख्या की जरूरतों का उत्तर दे रहा है जिसमें शिशुओं, बच्चों, किशोरों, मां, योग्य जोड़ों और इसके अतिरिक्त बुजुर्ग शामिल हैं। बीमार और आघात पीड़ितों के लिए साथ ही, संचारी और गैर-संचारी रोगों को चेक में रखने और रिकॉर्डिंग, रिपोर्टिंग, मूल्यांकन और नियोजन के मजबूत सिस्टम रखने के लिए एक निरंतर प्रयास है।

विभागों का उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करके लोगों के जीवन की गुणवत्ता में मूल्य कार्रवाई की परिभाषा सुधार करना है। हीथ विभाग, हरियाणा में लोगों को उनकी उत्पादकता में सुधार लाने और लागत प्रभावी तरीके से बीमारियों और चोटों के जोखिम को कम करने में मदद करने का प्रयास है। विभाग को विश्व स्वास्थ्य संगठन के विश्व स्वास्थ्य संगठन के सिद्धांत द्वारा निर्देशित किया जाता है “सुनिश्चित करने के लिए कि सभी लोगों को आवश्यक प्रोन्नति, निवारक, रोगग्रस्त और पुनर्वास स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त है, पर्याप्त गुणवत्ता के प्रभावी होने के लिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कि लोगों के लिए भुगतान करते समय वित्तीय कठिनाई न हो इन सेवाओं “

विभाग का अंतिम कार्य सभी को उचित, सुलभ, न्यायसंगत, गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, जो सामान्य व्यक्ति के स्वास्थ्य पर जेब खर्च से बाहर निकलने की ओर अग्रसर होता है।

लॉकडाउन में शराब तस्करी पड़ेगी महंगी, आबकारी अधिनियम की इस धारा में होगी कार्रवाई

अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं.

लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत (फोटो- PTI)

परवेज़ सागर

  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2020,
  • (अपडेटेड 06 मई 2020, 8:54 AM IST)
  • सख्त है आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क)
  • दोषी को कड़ी सजा दिए जाने का है प्रावधान

कोरोना का कहर हर तरफ जारी है. भारत में भी अन्य देशों की तरह लॉक डाउन लागू है. इसी बीच सरकार ने ग्रीन और ऑरेंज जोन समेत रेड जोन के कुछ इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है. नतीजा ये हुआ कि पहले ही दिन शराब की बिक्री ने रिकॉर्ड कायम कर दिया. देशभर में शराब की दुकानों पर लंबी लंबी कतारें देखने को मिली. यहां तक कि सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

इस दौरान शराब मूल्य कार्रवाई की परिभाषा के दीवानों को काबू करने के लिए हर जगह पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पहले दिन की जोरदार बिक्री को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अचानक एक फैसला किया. उन्होंने राजधानी में शराब के खुद्रा मूल्य को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया. और दूसरे दिन उस फैसले को लागू भी कर दिया. लेकिन इसका पीने वालों पर कोई खासा असर देखने को नहीं मिला. शराब दूसरे दिन भी जमकर बिकी. दिल्ली में शराब के दाम बढ़ जाने के बाद कुछ लोगों ने पड़ोसी राज्य यूपी से शराब लाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन ऐसा हो ना सका. क्योंकि राज्यों के बॉर्डर सील हैं. वहां काफी सख्ती भी है.

अब सवाल उठता है कि अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं. लेकिन आमतौर पर शराब तस्करी के मामलों में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है. जिसमें तस्करी से संबंधी मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के तहत मामला दर्ज किया जाता है.

क्या है आबकारी अधिनियम की धारा

शराब की बिक्री अधिकांश राज्यों को सबसे ज्यादा राजस्व देती है. इसलिए आबकारी विभाग काफी अहम माना जाता है. हर राज्य में शराब के दाम वहां की आबकारी नीति के तहत निर्धारित किए जाते हैं. यही वजह है कि कई राज्यों में शराब सस्ती मिलती है तो कई राज्यों में महंगी. ऐसे में शराब की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते हैं. ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए आबकारी अधिनियम का इस्तेमाल होता है. यूपी आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यदि लॉक डाउन के दौरान कोई व्यक्ति अन्य राज्य से शराब लेकर आता है तो उसके खिलाफ इसी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. चाहे मूल्य कार्रवाई की परिभाषा उसके पास एक बोतल ही क्यों ना हो.

आबकारी अधिकारी के अनुसार पहले आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत आने वाले मामले जमानती अपराध की श्रेणी में आते थे. इसका सीधा फायदा शराब माफियाओं को मिलता था. इसी परेशानी को देखते हुए अधिनियम में संशोधन की ज़रूरत महसूस की गई. सरकार ने वर्ष 2018 में इस पर अहम फैसला किया और आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में बदल दिया गया. अब ऐसे मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा के साथ-साथ आईपीसी की धारा 272 और 273 भी लगाती है.

विभागीय जानकारी के मुताबिक मूल आबकारी अधिनियम में संशोधन के बाद नई धारा 60 (क) लागू की गई है, जिसके मुताबिक अगर कोई शख्स किसी मादक पदार्थ को किसी अन्य पदार्थ से मिलाता है या मिलाने देता है या ऐसी मादक वस्तु या किसी अन्य पदार्थ को किसी मादक वस्तु में इस्तेमाल करने के लिए बेचता है या उपलब्ध करवाता है, जिससे कोई इंसान विकलांगता या मृत्यु का शिकार हो जाए तो ऐसे में आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

ये है सजा का प्रावधान

पहले आबकारी अधिनियम में ज्यादा सख्ती नहीं थी. लेकिन साल मूल्य कार्रवाई की परिभाषा 2018 में किए गए संशोधन के बाद धारा 60 (क) तहत पकड़े गए आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई. अब तस्करी की शराब के साथ पकड़े जाने पर जमानत बड़ी मुश्किल है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही दोषी पर अधिकतम दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया जा सकता है.

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लॉकडाउन में शराब तस्करी पड़ेगी महंगी, आबकारी अधिनियम की इस धारा में होगी कार्रवाई

अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं.

लॉकडाउन के तीसरे चरण में शराब की दुकानें खोलने की इजाजत (फोटो- PTI)

परवेज़ सागर मूल्य कार्रवाई की परिभाषा

  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2020,
  • (अपडेटेड 06 मई 2020, 8:54 AM IST)
  • सख्त है आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क)
  • दोषी को कड़ी सजा दिए जाने का है प्रावधान

कोरोना का कहर हर तरफ जारी है. भारत में भी अन्य देशों की तरह लॉक डाउन लागू है. इसी बीच सरकार ने ग्रीन और ऑरेंज जोन समेत रेड जोन के कुछ इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है. नतीजा ये हुआ कि पहले ही दिन शराब की बिक्री ने रिकॉर्ड कायम कर दिया. देशभर में शराब की दुकानों पर लंबी लंबी कतारें देखने को मिली. यहां तक कि सोशल डिस्टेंसिंग की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई.

इस दौरान शराब के दीवानों को काबू करने के लिए मूल्य कार्रवाई की परिभाषा हर जगह पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी. पहले दिन की जोरदार बिक्री को देखते हुए दिल्ली सरकार ने अचानक एक फैसला किया. उन्होंने राजधानी में शराब के खुद्रा मूल्य को 70 प्रतिशत बढ़ा दिया. और दूसरे दिन उस फैसले को लागू भी कर दिया. लेकिन इसका पीने वालों पर कोई खासा असर देखने को नहीं मिला. शराब दूसरे दिन भी जमकर बिकी. दिल्ली में शराब के दाम बढ़ जाने के बाद कुछ लोगों ने पड़ोसी राज्य यूपी से शराब लाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन ऐसा हो ना सका. क्योंकि राज्यों के बॉर्डर सील हैं. वहां काफी सख्ती भी है.

अब सवाल उठता है कि अगर कोई लॉकडाउन में शराब की तस्करी करे या उसे दूसरे राज्य से खरीदकार लाना चाहे तो नियम और कानून क्या कहता है. दरअसल, भारत के हर राज्य की अपनी आबकारी नीति है. उसी के अनुसार वहां कानून भी हैं. लेकिन आमतौर पर शराब तस्करी के मामलों में आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई होती है. जिसमें तस्करी से संबंधी मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के तहत मामला दर्ज किया जाता है.

क्या है आबकारी अधिनियम की धारा

शराब की बिक्री अधिकांश राज्यों को सबसे ज्यादा राजस्व देती है. इसलिए आबकारी विभाग काफी अहम माना जाता है. हर राज्य में शराब के दाम वहां की आबकारी नीति के तहत निर्धारित किए जाते हैं. यही वजह है कि कई राज्यों में शराब सस्ती मिलती है तो कई राज्यों में महंगी. ऐसे में शराब की तस्करी के मामले अक्सर सामने आते हैं. ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए आबकारी अधिनियम का इस्तेमाल होता है. यूपी आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यदि लॉक डाउन के दौरान कोई व्यक्ति अन्य राज्य से शराब लेकर आता है तो उसके खिलाफ इसी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. चाहे उसके पास एक बोतल ही क्यों ना हो.

आबकारी अधिकारी के अनुसार पहले आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत आने वाले मामले जमानती अपराध की श्रेणी में आते थे. इसका सीधा फायदा शराब माफियाओं को मिलता था. इसी परेशानी को देखते हुए अधिनियम में संशोधन की ज़रूरत महसूस की गई. सरकार ने वर्ष 2018 में इस मूल्य कार्रवाई की परिभाषा पर अहम फैसला किया और आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) को गैर जमानती अपराध की श्रेणी में बदल दिया गया. अब ऐसे मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा के साथ-साथ आईपीसी की धारा 272 और 273 भी लगाती है.

विभागीय जानकारी के मुताबिक मूल आबकारी अधिनियम में संशोधन के बाद नई धारा 60 (क) लागू की गई है, जिसके मुताबिक अगर कोई शख्स किसी मादक पदार्थ को किसी अन्य पदार्थ से मिलाता है या मिलाने देता है या ऐसी मादक वस्तु या किसी अन्य पदार्थ को किसी मादक वस्तु में इस्तेमाल करने के लिए बेचता है या उपलब्ध करवाता है, जिससे कोई इंसान विकलांगता या मृत्यु का शिकार हो जाए तो ऐसे में आरोपी के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.

ये है सजा का प्रावधान

पहले आबकारी अधिनियम में ज्यादा सख्ती नहीं थी. लेकिन साल 2018 में किए गए संशोधन के बाद धारा 60 (क) तहत पकड़े गए आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गई. अब तस्करी की शराब के साथ पकड़े जाने पर जमानत बड़ी मुश्किल है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही दोषी पर अधिकतम दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया जा सकता है.

Mirgi Treatment Medicine: मिर्गी के इलाज की सस्ती दवा आ रही है भारतीय बाजार में, इस कंपनी को मिली डीसीजीआई से अनुमति

Mirgi Treatment Medicine: भारत में मिर्गी के इलाज के लिए किफायती कीमतों पर ब्रीवरसेटम की खुराक आने वाली है। सन फार्मा ने कहा, "हम प्रतिस्पर्धी मूल्य पर भारत में ब्रीवरसेटम की पूरी रेंज पेश कर रहे हैं और इस तरह यह दवा अब आसानी से रोगी की पहुंच में होगी।"

mirgi

हाइलाइट्स

  • तेज असर और प्रभावी होने के साथ ब्रीवरसेटम एक एंटी-एपिलेप्टिक दवा है
  • सन फार्मा का ब्रांड Brevipil इनोवेटर प्रोडक्ट BRIVIACT® (Brivaracetam) का ब्रांडेड जेनेरिक वर्शन है
  • कंपनी ने Brevipil टैबलेट 25एमजी/50एमजी/75एमजी/100एमजी, ओरल सॉल्यूशन (10एमजी/एमएल) और इंजेक्टेबल (10एमजी/एमएल) में पेश किया है

कीर्ति गनोरकर, सीईओ-इंडिया बिजनेस, सन फार्मा ने कहा, ‘‘हम प्रतिस्पर्धी मूल्य पर भारत में ब्रीवरसेटम की पूरी रेंज पेश कर रहे हैं और इस तरह यह दवा अब आसानी से रोगी की पहुंच में होगी। यह प्रोडक्ट भारत में रोगियों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए उपचार के अनेक विकल्प प्रस्तुत करते हुए मिर्गी की देखभाल में सुधार के प्रति मूल्य कार्रवाई की परिभाषा हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।’’

ब्रीवरसेटम मिर्गी-रोधी दवाओं (एईडी) के वर्ग से संबंधित है, जिसमें मौजूदा उपचार विकल्पों की तुलना में कार्रवाई का एक अलग मैकेनिज्म है। यह तेजी से कार्रवाई की शुरुआत करता है और प्रभावकारिता का वादा करता है।1 लंबे समय तक अध्ययन से संकेत मिलता है कि ब्रीवरसेटम का उपयोग करने पर फेवरेबल टॉलरेबिलिटी प्रोफाइल और उपचार के अनुपालन के साथ जो रेस्पॉन्स मिलता है, वह स्थिर रहता है।

मिर्गी हालांकि एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकार है, लेकिन मिर्गी से जुड़े सामाजिक कलंक, सांस्कृतिक प्रथाओं और नए उपचार विकल्पों को लेकर कम जागरूकता के कारण, भारत में मिर्गी का प्रबंधन एक चुनौती है। यह अनुमान है कि भारत में लगभग 5.7 मिलियन से 6.4 मिलियन लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। BRIVIACT®यूसीबी का ट्रेडमार्क है।

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