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Gold ETF in Hindi गोल्ड ईटीएफ के बारे में जानिए

Gold ETF kya hai, details of Gold ETF in Hindi – ऐसा अक्सर देखा गया है की भारतीयों को सोने या सोने से बने आभूषणो से बहुत प्यार होता है। एक ऐसे इंसान को ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होगा जिसने कभी सोने में निवेश न किया हो। भारतीये सालो से सोने में निवेश करते आ रहे है और अब आप सोच रहे होगें की कैसे तो मैं आपको बतादू सोना खरीद के रखना भी एक तरह से सोने में निवेश करना होता है। क्यूंकि खरीद के सोने को रखने का एक ही मकसद होता भविष्य में जरुरत पड़ने में उसको इस्तेमाल किया जा सके। अब वह जरुरत कुछ भी हो सकती है बच्चो की शादी या भविष्य में होने वाले वित्तीय संकट को पूरा करने क लिए।

लोगो की ऐसी सोच को देखते हुए अब कंपनियों से गोल्ड ईटीएफ (ETF) लांच कर दिया है। सोना खरीदने से पहले यह जाना बहुत जरुरी है की हम सोना किस लिए खरीद रहे है जैसे की कुछ लोग सोना अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदते है अगर आप इसलिए खरीद रहे तो आपको सोना भौतिक रूप (physical form) में खरीदना चाहिए। लेकिन अगर आप सोना खरीद रहे ताकि सोने के दाम में आए उतार या चढ़ाव का फायदा उठा सके तो मैं आपको यही सलाह दूंगी कि आप Gold ETF (Exchange Traded Fund) या स्वर्गीय गोल्ड बांड योजना (Sovereign Gold Bond Scheme) में निवेश करे।

‘गोल्ड ईटीएफ’ क्या हैं – Gold ETF Kya Hai

दरअसल गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को अनुमति है देता है की वह सही रकम में गोल्ड की ट्रेडिंग कर पाए वह भी dematerialized रूप में। अगर में सीधे शब्दो में कहूँ तो गोल्ड ईटीएफ (विनिमय व्यापार फंड) एक निवेश विकल्प है जिसमें आप ऑनलाइन सोने की ट्रेडिंग करते है। आप ऑनलाइन सोने को कभी भी खरीद सकते है और ख़रीदे हुए सोने को जब चाहे तब बेच सकते है। ख़रीदा हुआ सोना आपके डीमैट खाते में रखा जाता है। जैसे आप शेयर की ट्रेडिंग करते है उसी तरह से गोल्ड ईटीएफ में भी ट्रेडिंग होती है।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें?

गोल्ड ईटीएफ को शेयर बाजार में स्टॉक एक्सचेंज जैसे एनएसई या बीएसई में खरीदा और बेचा जा सकता है जैसे नियमित स्टॉक। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने में ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है सक्षम होने के लिए शेयर ब्रोकर के जरिए किसी को डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता होती है।

Gold ETF के फायदे

1. शुद्धता की गारंटी

भौतिक रूप में यदि आप गोल्ड खरीदते है तो उसमे शुद्धता की गारंटी मिलना मुश्किल होता है बल्कि जब आप गोल्ड डिजिटल रूप में खरीदते है मिलावट की कोई आशंका नहीं होती है।

2. कम मात्रा में खरीद

जब आप गोल्ड ईटीएफ के जरिये सोना खरीदते है तो एक ग्राम से लेकर आधा ग्राम के यूनिट तक खरीद सकते है। वही सोने को फिजिकल रूप में छोटे या बड़े मात्रा में खरीदना असुविधाजनक हो जाता है।

3. खरीदने में आसान

गोल्ड ईटीएफ आप घर बैठे भी खरीद सकते है, और आपको सोना खरीदने के लिए सुनार के पास जाने की आवश्यकता नहीं है।

4. बेचना आसान

भौतिक गोल्ड के मुकाबले डिजिटल गोल्ड को बेचना आसान है। आपने अक्सर ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है देखा होगा की जब आप अपने सुनार से सोना खरीदने जाते है तोह वह आपको एक अलग मूल्य बताता है वही अगर आप सोना बेचने जाते है तो वह आपको अलग मूल्य बताता है और एक चीज़ जो अपने ध्यान दे होगी कि हमेशा बेचने का मूल्य ख़रीदने क मूल्य से कम होता है। लेकिन ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है यदि आप गोल्ड ईटीएफ खरीदते है तो ऐसा कभी नहीं होगा।

साल 2022 में इन म्यूचुअल फंड स्कीम्स ने दिया 78 फीसदी तक रिटर्न

नई दिल्ली. साल 2022 का आखिरी हफ्ता चल रहा है. इसी बीच शेयर मार्केट से इस साल के विभिन्न नतीजे आ रहे हैं. इक्विटी मार्केट के लिए यह साल वोलेटाइल रहा है. वहीं सेंसेक्‍स और निफ्टी दोनों इंडेक्‍स में अभी तक 5 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है. स्‍मालकैप में रिटर्न एकसमान ही रहा तो वहीं मिडकैप इंडेक्‍स करीब 3 फीसदी मजबूत हुआ है. जबकि म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए इस बार भी साल बेहतर साबित हुआ है.

म्यूचुअल फंड ने निवेश के बाकी विकल्पों की ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है तुलना में इस साल भी अच्छा रिटर्न दिया है. इक्विटी म्यूचुअल फंड की ज्‍यादातर कैटेगरी में इस साल पॉजिटिव और यहां तक कि डबल डिजिट में रिटर्न देखने को मिला है. इस साल के दौरान म्यूचुअल फंड की अलग-अलग स्कीम्स ने निवेशकों को 78 फीसदी तक रिटर्न दिया है. इनमें से सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाली स्‍कीम की जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं.

म्यूचुअल फंड की किस कैटेगरी में कितना रिटर्न

साल 2022 में इक्विटी म्यूचुअल फंड की कैटेगरी वाइज रिटर्न देखा जाए तो इसकी मल्‍टीकैप कैटेगरी ने निवेशकों को 13.4 फीसदी, लार्जकैप कैटेगरी ने 7.0 फीसदी, लार्ज एंड मिडकैप कैटेगरी ने 7.6 फीसदी, मिडकैप कैटेगरी ने 10.6 फीसदी, स्‍मालकैप कैटेगरी ने 9.3 फीसदी, ELSS ने 12.7 फीसदी तो वहीं सेक्‍टोरल/थीमैटिक ने 8.4 फीसदी का एवरेज रिटर्न देखने को मिला है.

2022 में ओवरऑल टॉप रिटर्न देने वाली स्कीम्स

इस साल में ओवरऑल सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाली स्कीम्स में निप्‍पॉन इंडिया ETF निफ्टी PSU बैंक BeES और कोटक निफ्टी PSU बैंक ETF दोनों 78 फीसदी के साथ टॉप पर है. वहीं ICICI प्रू इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर ने 37 फीसदी, SBI PSU फंड ने 36 फीसदी और भारत 22 ETF ने 36 फीसदी का रिटर्न दिया है.

लार्जकैप कैटेगरी में सबसे ज्यादा रिटर्न

लार्जकैप कैटेगरी में इस साल सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाली स्कीम्स में ICICI प्रू इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और भारत 22 ETF ने 35 फीसदी, निप्‍पॉन इंडिया लार्जकैप फंड ने 18 फीसदी, HDFC टॉप 100 ने 17 फीसदी, DSP निफ्टी 50 इक्‍वल वेट ETF ने 15 फीसदी तो वहीं क्‍वांट फोकस्‍ड फंड ने 14 फीसदी रिटर्न दिया है.

मल्‍टीकैप फंड में सबसे ज्यादा रिटर्न

इस साल में सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाली मल्टीकैप स्कीम्स में निप्‍पॉन इंडिया मल्‍टीकैप फंड ने 21 फीसदी, क्‍वांट एक्टिव फंड ने 19 फीसदी, कोटक मल्‍टीकैप फंड और HDFC मल्‍टीकैप फंड ने 17 फीसदी और IDFC मल्‍टीकैप फंड ने निवेशकों को 11 फीसदी का रिटर्न दिया है.

मिडकैप फंड में सबसे ज्यादा रिटर्न

मिडकैप फंड कैटेगरी में इस साल क्‍वांट मिडकैप फंड ने 25 फीसदी, मोतीलाल ओसवाल मिडकैप फंड और HDFC मिडकैप फंड ने 20 फीसदी रिटर्न दिया. जबकि निप्‍पॉन इंडिया ग्रोथ फंड और सुंदरम मिडकैप फंड ने 13 फीसदी रिटर्न दिया है.

स्‍मालकैप फंड में सबसे ज्यादा रिटर्न

साल 2022 में स्मॉलकैप फंड कैटेगरी में क्‍वांट स्‍मालकैप फंड ने 19 फीसदी, निप्‍पॉन इंडिया स्‍मालकैप फंड और टाटा स्‍मालकैप फंड ने 17 फीसदी और सुंदरम इमर्जिंग स्‍मालकैप फंड व SBI स्‍मालकैप फंड ने 16 फीसदी रिटर्न दिया है.

USDINR Trading Strategy : डॉलर और रुपये के निवेश में कहाँ मिलेगा लाभ - शोमेश कुमार

रुपये और डॉलर के बीच रिश्ता समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। बाजार के जानकारों को ये ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है बात समझ में नहीं आ रही है कि डॉलर के मुकाबले रुपये पर इतना दबाव क्यों है ?

क्या इस गुजरते साल में संभल पायेगी रुपये की चाल या नये साल में इसी तरह छकायेंगे डॉलर के मुकाबले रुपये के भाव ? आप भी इनके रिश्ते की बारीकियों के बारे में समझना चाहते हैं तो जरूर देखिये बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार के साथ बातचीत कर रहे हैं निवेश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा।

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ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है

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ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi

  • Post author: ShareMarketIndia
  • Post published: April 29, 2022
  • Post category: शेयर मार्केट / म्युच्युअल फंड
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ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi

भारत में ईटीएफ की शुरुवात 2001 में हुई थी।लेकिन ईटीएफ निवेश ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है को भारतीय निवेशकों के बीच कुछ समय से लोकप्रियता मिल रही है। लेकिन बहुत से लोग अब भी ईटीएफ क्या है(ETF Meaning in Hindi), ईटीएफ में कैसे निवेश करें आदि के बारे में नहीं जानते है।

Table of Contents

ईटीएफ क्या है? | ETF Meaning in Hindi

ईटीएफ का फूल फॉर्म एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(Exchange Traded Fund) ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है है। यानी कि ये ऐसे फंड होते है जो एक्सचेंज जैसे कि NSE,BSE पर खरीदे और बेच जाते है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) एक तरह का निवेश फंड है जो म्यूचुअल फंड,और शेयर दोनों की तरह काम करता है। आम तौर पर, ईटीएफ,म्यूचुअल फंड की तरह किसी विशेष इंडेक्स, सेक्टर, कमोडिटी या अन्य ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है परिसंपत्ति में निवेश करते है। पर म्यूचुअल फंड के विपरित ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर उसी तरह खरीदा या बेचा जा सकता है जैसे शेयर को खरीदा या बेचा जाता है।

आसान भाषा में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(ईटीएफ), निवेश प्रतिभूतियों(सिक्योरिटीज) का एक संग्रह होता है जिसे शेयर की तरह स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा और बेचा जा सकता है।

ईटीएफ कैसे काम करता है? | How ETF Works in Hindi

कोई भी नई कंपनी शेयर मार्केट में आने के लिए आईपीओ लाती है उसके बाद वह शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होती है। तो उस कंपनी के शेयर हम या तो आईपीओ के समय ले सकते है या जब उसके शेयर ,मार्केट में आए तब।

वैसे ही जब कोई ईटीएफ आता है तो ईटीएफ लेने वाली म्यूचुअल फंड कंपनी सबसे पहले एनएफओ (New Fund Offer) लेकर आती है।उसके बाद वह ईटीएफ शेयर मार्केट में ट्रेड होने लगता है।

हम एनएफओ के समय भी ईटीएफ ले सकते है या फिर जब ईटीएफ मार्केट में ट्रेडिंग के लिए आता है तब। जैसे हम जब शेयर मार्केट चालू होता है तब कभी भी शेयर खरीद ये बेच सकते है वैसे ही ईटीएफ का भी है।शेयर के जैसे ही ईटीएफ की प्राइस बदलती रहती है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक निवेश साधन हैं जो सूचकांक(इंडेक्स) को दोहराते हैं। ईटीएफ एक इंडेक्स की संरचना से मेल खाता है। यानी ईटीएफ जो है वो आम तौर पर किसी इंडेक्स जैसे कि सेंसेक्स,निफ्टी को ट्रैक करने के लिए बनाया जाता है।जैसे निफ्टी ईटीएफ निफ्टी को ट्रैक करता है। गोल्ड ईटीएफ गोल्ड में निवेश करता है। ईटीएफ कभी भी इंडेक्स से ज्यादा बेहतर रिटर्न नहीं दे सकते।

ईटीएफ के प्रकार | Types of ETF in Hindi

इंडेक्स ईटीएफ | Index ETF Meaning in Hindi

स्टॉक मार्केट इंडेक्स को ट्रैक करने के उद्देश्य से इंडेक्स फंड ईटीएफ होते हैं। इंडेक्स ईटीएफ में निवेश के साथ, निवेशक पोर्टफोलियो का एक हिस्सा या शेयर खरीद ता है जिसमें इंडेक्स की प्रतिभूतियां शामिल हैं।

इंडेक्स ईटीएफ सभी ईटीएफ प्रकारों में सबसे आम हैं। इसका उद्देश्य सेंसेक्स, निफ्टी, बैंक निफ्टी आदि जैसे एक विशेष बाजार सूचकांक को ट्रैक करना है। इंडेक्स ईटीएफ में निवेश करते समय आपको इंडेक्स जितना रिटर्न प्राप्त करने की ही उम्मीद करनी चाहिए। जिस इंडेक्स को आपका ईटीएफ ट्रैक कर रहा है,उससे ज्यादा रिटर्न आपको नहीं मिल सकता।

गोल्ड ईटीएफ | Gold ETF Meaning in Hindi

गोल्ड ईटीएफ गोल्ड के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं। गोल्ड ईटीएफ की कीमतें सोने की बाजार कीमतों पर आधारित होती हैं। गोल्ड ईटीएफ फंड का उद्देश्य बाजार में सोने की कीमत को ट्रैक करना है और इसका मूल्य शुद्ध 24 कैरेट भौतिक सोने के समान होता है।

जब सोने की कीमतें बढ़ती हैं, तो गोल्ड ईटीएफ की कीमतें भी बढ़ती है। और जब सोने की कीमतें कम होती हैं, तो ईटीएफ का भी मूल्य कम हो जाता है।

इंटरनेशनल ईटीएफ | International ETF Meaning in Hindi

इंटरनेशनल ईटीएफ, जैसा कि नाम से पता चलता है, विदेशी-आधारित प्रतिभूतियों में निवेश करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ जो एक ही विदेशी देश में निवेश करता है, वह अन्य ईटीएफ जो अलग अलग देश में निवेश करते है उसकी तुलना में अधिक जोखिम उठाता है।ये ईटीएफ वैश्विक बाजारों को ट्रैक कर सकते हैं या किसी विशिष्ट देश के बेंचमार्क इंडेक्स को ट्रैक कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ईटीएफ में निवेश करने से आपको अपने निवेश में विविधता लाने में मदद मिल सकती है।

बॉन्ड ईटीएफ | Bond ETF Meaning in Hindi

बॉन्ड ईटीएफ आमतौर पर डिबेंचर और विभिन्न परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्ड जैसे निश्चित आय साधनों में निवेश के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

बॉन्ड ईटीएफ कम जोखिम वाले निवेश हैं, जैसे कि बहुत से निश्चित आय देने वाले निवेश होते है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो बहुत अधिक जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।

निष्कर्ष – ईटीएफ क्या है?कैसे काम करता है?प्रकार | ETF Meaning in Hindi

आशा करता हूं कि आपको ईटीएफ क्या है? (ETF Meaning in Hindi) इसके बारे यह जानकारी अच्छी लगी होगी।

इस जानकारी को दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करे।अगर आपके कुछ सवाल है तो आप कॉमेंट में पूछ सकते है। धन्यवाद!

Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम

Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम Gold ETF is better or sovereign gold bond know very useful information before investing

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST

Gold ETF vs sovereign gold bond - India TV Hindi

Photo:INDIA TV Gold ETF vs sovereign gold bond

Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।

दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।

किसे खरीदना-बेचना आसान

गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच नहीं सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।

डीमैट अकाउंट की जरूरत?

गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।

निवेश पर किसमें ज्यादा ईटीएफ ट्रेडिंग क्या है जोखिम

साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।

किस पर कितना ब्याज

साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।

ब्रोकरेज चार्ज

गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।

टैक्स का बोझ

अगर सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी के बाद रिडीम करते हैं तो आपको रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन गोल्ड ईटीएफ पर इस तरह का टैक्स बेनिफिट नहीं है। गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स डेट फंड की तरह लगता है। अगर तरलता की बात करें तो गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज पर कभी भी खरीदा बेचा जा सकता है। मतलब लिक्विडिटी की समस्या यहां नहीं है। लेकिन सॉवरेन बॉन्ड को कम से कम 5 साल के बाद ही रिडीम किया जा सकता है। लेकिन मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर टैक्स बेनिफिट से हाथ धोना पड़ेगा।

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