4. कौन-से शेयर अभी T2T सेगमेंट में हैं?
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, अभी Atlas Cycle, Tree House, Punj Lloyd, Rolta और Melstar जैसे शेयर T2T सेगमेंट में हैं.
यदि आप छोटी पूंजी के साथ एक ऑप्शन ट्रेडर हैं तो पालन करने के नियम
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ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?
ऑप्शनज़ डेरीवेटिव अनुबंधों का एक रूप है जिसमें अनुबंध खरीदार को ऑप्शन धारक के रूप में जाना जाता है , एक निर्धारित मूल्य के लिए वित्तीय सुरक्षा को ट्रेड करने में सक्षम बनाता है। ऑप्शन खरीदार को ऐसा करने के लिए ‘ प्रीमियम ‘ नामक एक राशि का भुगतान करना होगा। यदि ऑप्शन खरीदार सौदे को प्रतिकूल पाता है , तो वे अपने नुकसान को प्रीमियम से नीचे रखने के बजाय ना बेचना चुन सकते हैं। दूसरी ओर ऑप्शन लेखक / विक्रेता को उस मामले में जोखिम उठाना पड़ता है – यही कारण है कि वे अनुबंध को प्रीमियम के साथ सूचीबद्ध करते हैं।
ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट दो प्रकार के होते हैं
कॉल ऑप्शन – कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट परचेज क्रेता को भविष्य में पूर्व निर्धारित समय के बाद एक निश्चित मूल्य ( स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है ) पर एसेट का अधिग्रहण करने की अनुमति देता है।
Trader का हिंदी में मतलब क्या है ?Trader Meaning in Hindi
Trader का हिंदी में मतलब व्यपारी होता है. जो लोग शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करते हैं उनको ट्रेडर कहा जाता है. जिस तरह एक व्यापारी सामान खरीदकर उसको ऊचे दाम में बेचकर मुनाफा कमाता है उसी तरह ट्रेडर भी शेयर को खरीद कर बेचता है.
एक ट्रेडर ट्रेडिंग करके पैसे कमाता है उसका काम मार्किट को देखना और उसे एनालिसिस करके सही टाइम पर पैसा लगाना होता है और जब उसके पैसे बढ़ जाते हैं तो वो उन्हें लेकर मार्किट से बाहर हो जाता है.
ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है ?
जो लोग ट्रेडिंग करते हैं उन्हें ट्रेडर कहा जाता है. ट्रेडर का काम मार्किट को एनालिसिस करके सही टाइम पर पैसा लगाना होता है और जब उसके पैसे बढ़ जाते हैं तो वो उन्हें लेकर मार्किट से बाहर हो जाता है.
ट्रेडर एक ही दिन में पैसा कमाता है. अगर आप एक ट्रेडर बन जाते हो तो आप एक ही दिन में बहुत सारा पैसा कमा सकते हो. इसके उलट देखे तो आपका पैसा डूब भी सकता है.
जी हाँ अगर आप गलत दिशा में पैसे लगाते हो तो आपका पैसा डूब भी सकता है और आपको काफी नुकसान हो सकता है. एक ट्रेडर अपने जीवन में सिर्फ पैसे से ही पैसा कमाता है.
ट्रेडर कैसे बन सकते हैं ?
अगर आप एक ट्रेडर बनना चाहत हैं तो आपको पहले ट्रेडिंग सीखनी पड़ेगी. ट्रेडिंग कई प्रकार की होती है. शेयर मार्किट ट्रेडिंग, फोरेक्स ट्रेडिंग, करेंसी ट्रेडिंग, कमोडिटी ट्रेडिंग इत्यादि.
ट्रेडिंग में आप एक ही दिन में ढेर सारा पैसा कमा सकते हो और इसके उलट वो सारा पैसा डूबा भी सकते हो. एक ट्रेडर ट्रेडिंग के दौरान अपना लोस तो करता ही है लेकिन लोस से ज्यादा वो प्रॉफिट कमाता है
इसलिए ओवरआल वो प्रॉफिट ही करता है. वही जो ट्रेडर बिना सीखे इस फील्ड में आते हैं वो अपना नुकसान ही करते हैं और अंत में अपना सारा पैसा हारकर ट्रेडिंग छोड़ देते हैं.
भारत में शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करना आसान है. किसी भी देश के ज्यादातर लोग अपने शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करके पैसे कमाते हैं. शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करने के लिए ब्रोकर के पास जाकर Demat और Trading Account खुलना होता है.
ट्रेडर बनने के लिए जरूरी चीजें
बदलते वक़्त के साथ टेक्नोलॉजी ने बहुत तरक्की कर ली है जिस वजह से ट्रेडिंग करना और ट्रेडर बनना बहुत ही आसान हो गया है. शेयर मार्किट में ट्रेडर बनने के लिए आपके पास निम्न चीजें होना जरूरी है.
- किसी अच्छे ब्रोकर के पास एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए
- एक मोबाइल होना चाहिए
- अच्छी कनेक्टिविटी का इन्टरनेट होना चाहिए
- मार्किट अनालिसिस करने के लिए जरूरी चीजें होना चाहिए
Explainer : शेयर मार्केट में गारंटीड और हाई रिटर्न के दावे! जानिए क्या है Algo Trading और कैसे करती है काम
एल्गो ट्रेडिंग क्या है, जिसमें किया जा रहा हाई रिटर्न का दावा
- इसे ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, प्रोग्राम्ड ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है? ट्रेडिंग या ब्लैक बॉक्स ट्रेडिंग भी कहते हैं
- भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है? है एल्गो ट्रेडिंग
- ट्रेडिंग एक्टिविटीज को भावनाओं से रखती है दूर
- बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर पूरे होते हैं ट्रेड
1. बेस्ट पॉसिबल प्राइसेज पर ट्रेड पूरे होते हैं।
2. चाहे गए स्तरों पर ट्रेड ऑर्डर प्लेसमेंट तत्काल और सटीक होता है।
3. कीमतों में होने वाले बदलाव से बचने के लिए ट्रेड्स समय पर और तुरंत हो जाते हैं।
4. लेनदेन की लागत में कमी आती है।
5. कई बाजार स्थितियों पर एक साथ ऑटोमेटिक रूप से नजर बनाई जा सकती है।
6. ट्रेड्स प्लेस करते समय गलती की गुंजाइश का जोखिम काफी कम हो जाता है।
7. उपलब्ध ऐतिहासिक और रियल-टाइम डेटा का उपयोग करके एल्गो ट्रेडिंग का बैकटेस्ट किया जा सकता है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि यह एक व्यवहार्य ट्रेडिंग रणनीति है या नहीं।
8. ह्यूमन ट्रेडिंग में होने वाली भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक आधारित गलतियों की गुंजाइश नहीं रहती।
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सेबी ने जारी किये दिशानिर्देश
पूंजी बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल ही में निवेशकों को एल्गो ट्रेडिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले ब्रोकर्स के लिये दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस पहल का उद्देश्य ‘उच्च रिटर्न’ का दावा कर शेयर बिक्री पर रोक लगाना है। सेबी ने एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा दे रहे ब्रोकर्स के लिए कुछ जिम्मेदारी तय की है। एल्गोरिदम ट्रेडिंग सेवाएं देने वाले ब्रोकरों को पिछले या भविष्य के रिटर्न को लेकर कोई भी संदर्भ देने से मना किया गया है। साथ ही ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म से जुड़े होने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के लाभ के बारे में कोई संदर्भ देता है। सेबी के सर्कुलर में कहा गया, ‘‘जो शेयर ब्रोकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एल्गोरिदम के पिछले या भविष्य के रिटर्न या प्रदर्शन के बारे में जानकारी देते हैं या इस प्रकार की जानकारी देने वाले मंच से जुड़े हैं, वे सात दिन के भीतर उसे वेबसाइट से हटा देंगे। साथ ही इस तरह के संदर्भ प्रदान करने वाले मंच से खुद को अलग कर लेंगे।
एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती है, यह धारणा गलत
ट्विटर पर जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने लिखा, “मुझे लगता है कि SEBI ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि इस तरह के प्लेटफॉर्म ग्राहकों को लुभाने के लिए बैक-टेस्टिंग के जरिए असाधारण रिटर्न का लालच दे रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “एक धारणा गलत है कि एल्गो ट्रेडिंग गारंटीड रिटर्न देती हैं। ऐसी रणनीतियां (Strategies) खोजना जो लाभदायक प्रतीत होने के लिए अधिक बार ट्रेड करती हैं, कठिन नहीं है। लेकिन लगभग सभी मामलों में, हाई रिटर्न में तेजी से गिरावट आती है या एक बार जब आप इस पर होने वाली लागतों का हिसाब लगाते हैं तो रिटर्न दिखता ही नहीं।”
क्या शेयरों के ट्रेड-टू-ट्रेड सेगमेंट के बारे में जानते हैं आप?
ट्रेड-टू-ट्रेड (T2T) एक ऐसा सेगमेंट है जहां शेयर केवल अनिवार्य डिलीवरी के आधार पर ट्रेड किए जा सकते हैं. इसका मतलब यह है कि ट्रेड-टू-ट्रेड शेयर की इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं हो सकती है. इस सेगमेंट के हर एक खरीदे/बेचे गए शेयर की पूरा पेमेंट देकर डिलीवरी लेनी ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है? पड़ती है. इस सेगमेंट में उपलब्ध शेयरों का निपटान ट्रेड-टू-ट्रेड आधार पर किया जाता है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चंदन तपाड़िया कहते हैं, "T2T सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं है. शेयरों की डिलीवरी लेना और उनका पूरा भुगतान जरूरी होता है."
2. T2T ट्रेडर किन लोगों को कहा जाता है? सेगमेंट में शेयर के जाने का पैमाना क्या है?
सेबी के साथ विचार-विमर्श के बाद स्टॉक एक्सचेंज किसी शेयर को T2T सेगमेंट में डालने या उससे निकालने का फैसला करते हैं. स्टॉक एक्सचेंज और सेबी की वेबसाइटों पर इसके पैमाने लिस्ट हैं. इसकी समय-समय पर समीक्षा होती है. समीक्षा के दिन प्रतिभूति को कम से कम 22 कारोबारी दिनों के लिए 5 फीसदी के प्राइस फिल्टर बैंड में होना चाहिए. इस मापदंड को न पूरा करने पर शेयर 'T'सेगमेंट में नहीं जा सकता है.
Trading और Investment में क्या अंतर है?
- Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
- Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
- Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
- Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
- Trading short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।
जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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