हाई-क्लास इनकम वाले लोगों के लिए कुछ बैंक विशेष सुविधा वाले प्रीविलेज सेविंग अकाउंट की सुविधा देते है। जैसे कि, असीमित लेनदेन की सुविधा, बैंक लॉकर पर डिस्काउंट, डेडिकेटेड बैंकर वगैरह की सहूलियत इनमें मिलती है।
सेविंग अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं ? Types of saving Account in Hindi
आप बैंक में जो अकाउंट खुलवाते है वह सामान्यतः Savings Account के रूप में होता है। इसका नाम ही सेविंग अकाउंट इसलिए रखा गया है, क्योंकि इसमें आप अपनी बचत (savings) का पैसा जमा करके रखते है और जरूरत पड़ने पर कभी भी निकाल सकते है। बैंक, आपके जमा पैसों पर ब्याज भी देते हैं। इस लेख में हम जानेगें कि सेविंग अकाउंट कितने प्रकार के होते है और प्रत्येक प्रकार के सेविंग अकाउंट की क्या विशेषता होती है।
In this article, we would know the types of savings accounts. Also the major feature of different types of saving accounts.
सेविंग अकाउंट के प्रकार | Types of saving accounts
बैंक में अलग-अलग सुविधाओ वाले,अलग-अलग सेविंग अकाउंट खुलवाने की सुविधा मिलती है। यहाँ हम कुछ ज्यादा प्रचलित सेविंग अकांउट की जानकारी दे रहे हैं।
रेगुलर सेविंग अकाउंट को हिन्दी में सामान्य बचत खाता या नियमित बचत खाता कहते हैं। बैंकों में जो आप अकाउंट खुलवाते हैं, वह प्राय: Regular Saving Account ही होता है। इसमें कुछ न कुछ न्यूनतम बैंलेंस (Minimum Balance) रखने की शर्त भी जुड़ी होती है।
अधिकतम जमा (maximum deposit) की कोई लिमिट नहीं होती है, लेकिन एक साल में 40 हजार रुपय से अधिक ब्याज बनने पर TDS कटता है। यह टीडीएस कटौती भी आप फॉर्म 15 G (60 वर्ष से कम उम्र होने पर) या फॉर्म 15 H (60 वर्ष से अधिक उम्र होने पर) जमा कर कर सकते हैं।
बेसिक सेविंग अकाउंट या जीरो बैलेंस खाता
कम आमदनी वाले लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुचाने के लिए Basic Saving Account बनाया गया है। इसमें कोई मिनिमम बैंलेस रखने की अनिवार्यता नहीं होती। यानी कि जीरो खाता कितने प्रकार के होते हैं? बैंलेंस होने पर भी अकाउंट चालू रहता है। लेकिन इस प्रकार के अकाउंट के साथ हर महीने और हर साल के दैरान अधिकतम जमा (maximum deposit) और अधिकतम निकासी (maximum withdrawal) की लिमिट भी रहती है। लेन-देन की संख्या (Number of transactions) की भी लिमिट रहती है। प्राय: छात्र-छात्रा को भी जीरो बैंलेस सेविंग अकाउंट खोलने की सुविधा दी जाती है।
ज्यादातर बड़ी कम्पनियों या कॉर्पोरेट्स को अपने कर्मचारियों के लिए सैलरी अकाउंट खुलवाने की सुविधा बैंक देते हैं। कम्पनी की ओर से एक रिक्वेस्ट लेटेर भेजे जाने पर किसी कर्मचारी के लिए यह अकाउंट खुलता है। इसकी सारी सुविधाएं लगभग रेगुलर अकाउंट की तरह ही होती है। लेकिन इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की अनिवार्यता नहीं होती है। दरअसल उस कम्पनी का भी अकाउंट उस बैंक में रहता है। कम्पनी की ओर से निर्देश मिलने पर बैंक उस कंपनी के अकाउंट से एक साथ पूरा पैसा काटकर कर्मचारियों की सैलरी अकाउंट में ट्रान्सफर कर देता हैं।
Types of Current Account in Hindi: चालू खाता क्या है और यह कितने प्रकार का होता है? जानें
Types of Current Account in Hindi: हम यहां आपको एक चालू खाता क्या है? (what is Current Account in Hindi) और आपके व्यवसाय के लिए उपयुक्त विभिन्न प्रकार के चालू खातों (Current Account Types in Hindi) के बारे में बता रहे हैं।
Types of Current Account in India: अगर आप एक बैंक एकाउंट खोलने पर विचार कर रहे हैं, और यह नहीं जानते हैं कि आपकी आवश्यकताओं के लिए किस प्रकार का खाता आदर्श है। तो यहां हम आपको बताने जा रहे है कि चालू खाता क्या है? (What is Current Account in Hindi) और यह कितने प्रकार का होता है? (Types of Current Account in Hindi) तो आइए जानें कि Current Account Kya Hai?
नियमित चालू खाते
आईसीआईसीआई बैंक व्यापार बैंकिंग में आपके अपने नियमित व्यापार लेनदेनों के लिए चालू खाता उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है। ये उत्पाद छोटे खुदरा विक्रेताओं, व्यापारियों, स्वरोजगार पेशेवरों और 2 करोड़ से कम के वार्षिक कारोबार वाले ऐसे अन्य व्यवसायों के लिए सबसे उपयुक्त हैं। आप ऐसा उत्पाद चुन सकते हैं जो आपके व्यवसाय की आवश्यकताओं के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हो।
नए स्टार्टअप के लिए चालू खाता
स्टार्टअप उद्यमों के लिए चालू खाता जो पहले 6 महीनों के लिए शून्य मासिक औसत शेष (MAB) की आवश्यकता के साथ, खाते में बनाए रखे जाने वाले मासिक औसत शेष (MAB) के आधार पर लेन-देन पर मिलने वाले लाभ प्रदान करता है।
- बनाए रखे मासिक औसत शेष (MAB) के 12 गुने तक देश में कहीं भी नि:शुल्क नकद जमा।
- नि:शुल्क आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन
- प्रति माह 100 नि:शुल्क चेक
- नि:शुल्क मोबाइल अलर्ट सुविधा
जानें, कितने बैंकों में कितने बचत खाते रखना हो सकता है फायदेमंद.
बैंकों में एक से ज़्यादा बचत बैंक खाता होने पर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है.
बचत खाता खोलने के लिए बहुत-से बैंक बेहद आकर्षक योजनाएं लॉन्च करते रहते हैं, और उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं तथा सुविधाओं में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है, लेकिन इन पेशकशों के चलते अलग-अलग बैंकों में खाता खोल लेने की इच्छा होने लगती है. एक से ज़्यादा बैंक खाता होने की कल्पना बेहद अच्छी और फायदेमंद लगती है, लेकिन एक से ज़्यादा बचत बैंक खाता होने पर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है.
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1. न्यूनतम बैलेंस (Minimum Balance)
ध्यान रहे, बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है. खातों को सेवाएं प्रदान करने तथा उन्हें बनाए रखने की लागत को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम बैलेंस की राशि बैंक ही निर्धारित किया करते हैं, और न्यूनतम बैलेंस नहीं रहने पर विशिष्ट शुल्क या जुर्माना भी लगा सकते हैं.
अब, आप खाता कितने प्रकार के होते हैं? ही सोचें, एक या दो खातों में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना सुविधाजनक और आसान है, लेकिन कई खाते होने पर ऐसा करना चुनौती साबित हो सकता है.
2. धन निकास सीमा (Withdrawal Limit)
बैंकों के बचत खातों के साथ मिले डेबिट कार्ड खाता कितने प्रकार के होते हैं? में प्रतिदिन एक विशेष धनराशि निकालने की ही अनुमति होती है, सो, ऐसी स्थिति में एक से ज़्यादा बचत खाता होना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि आप अलग-अलग खातों से कुल मिलाकर बड़ी राशि भी निकाल सकते हैं.
डीमैट अकाउंट - अर्थ, प्रकार, लाभ, डीमैट खाता ऑनलाइन कैसे खोलें
डीमैट खाता एक ऐसा खाता है जो निवेशकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में शेयरों या प्रतिभूतियों को रखने की अनुमति देता है। खरीदे गए शेयरों को डीमैट खाते में जमा किया जाता है और इसी तरह बिक्री के समय, प्रतिभूतियों को खाते से डेबिट किया जाता है। इस खाते का उपयोग शेयरों, ईटीएफ, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड, आदि जैसे निवेश का एक विस्तृत विकल्प रखने के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडों का न्यायिक उपयोग करने के लिए 1996 में शेयरों के डीमैटरियलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। डीमैटरियलाइज्ड या डीमैट खाता इलेक्ट्रॉनिक मोड में शेयरों को रखने में मदद करता है और लोगों को सुरक्षित तरीके से बिक्री खाता कितने प्रकार के होते हैं? के मामले में शेयरों को खरीदने और आय एकत्र करने में मदद करता है।
प्रत्यावर्तनीय डीमैट खाता एक प्रकार का डीमैट खाता है जो उन निवेशकों या व्यापारियों के लिए उपयुक्त है जो अनिवासी भारतीय (NRI) हैं। इस प्रकार का डीमैट खाता विदेशों में पूंजी स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। हालांकि, गैर-निवासी एक्सटर्नल (NRE) बैक खाते की आवश्यकता है।
गैर-प्रत्यावर्तनीय डीमैट खाता एक प्रकार का डीमैट खाता है जो फिर से अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए उपयुक्त है, लेकिन विदेशों में धन का हस्तांतरण नहीं हो सकता है। इस प्रकार के डीमैट खाते के साथ संबद्ध होने के लिए एक अनिवासी आयुध (NRO) बैंक खाते की आवश्यकता होती है।
डीमैट खाते के कई लाभ हैं जो नीचे उल्लिखित हैं:
1. सुगमता
डीमैट खाते नेट बैंकिंग के माध्यम से निवेश और लेनदेन के स्टेटमेंट की आसान पहुंच प्रदान करते हैं। डीमैट खाते के माध्यम से लेनदेन और निवेश का विवरण आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
ऑनलाइन डीमैट खाता कैसे खोलें?
डीमैट खाता खोलना, एक बहुत ही सरल और परेशानी रहित प्रक्रिया है। खाता खोलने के चरण नीचे दिए गए हैं:
1. डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (DP) सेलेक्ट करें।
2. आवश्यक विवरण के साथ खाता खोलने का फॉर्म भरें और इसके साथ आवश्यक दस्तावेज जमा करें। डीमैट खाता खोलने के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है।
3. फॉर्म जमा करने के बाद, नियमों और विनियमों की प्रतिलिपि, समझौते की शर्तें, शुल्क जमाकर्ता प्रतिभागी द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
4. इन-पर्सन सत्यापन भी अनिवार्य है और इसलिए, डीपी अधिकारी कर्मचारियों के एक सदस्य को खाता खोलने के रूप में प्रदान किए गए विवरण को सत्यापित करने के लिए व्यक्ति से संपर्क करना होगा।
5. सत्यापन के बाद, डीपी स्टाफ का सदस्य एक खाता संख्या या ग्राहक आईडी देगा। इन विवरणों को ऑनलाइन भी चेक किया जा सकता है।
6. डिमैट खाते के लिए एक वार्षिक रखरखाव शुल्क भी लिया जाता है जो खाता लेनदेन शुल्क को कवर करता है। ये शुल्क डीपी द्वारा निर्धारित संरचना के अनुसार लागू होते हैं।
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