Bull Market और Bear Market क्या है

दोस्तों सिक्का बाजार पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। दोस्तों आपने स्टॉक मार्केट में इंट्रेस्ट लेना शुरू कर ही दिया है तो आपने बहुत सारे नए शब्द सुने होँगे उनमे से एक शब्द है बुल मार्केट (Bull Market) और बेयर मार्किट (Bear Market).

आपने अखबारों में या न्यूज़ चैनल पर सुना होगा की Bull Market Kya Hota Hai या बेयर मार्किट (Bear Market Kya Hai). सुनने से ही समझ में आ रहा होगा की बुल और बेयर का मतलब क्या है, पर आज की पोस्ट में हम शेयर मार्केट की दुनिया में समझेँगे की बुल मार्केट (Bull Market) और बेयर मार्किट (Bear Market) शब्दों का प्रयोग कब और कहा किया जाता और इन शब्दों का शेयर मार्केट में क्या अर्थ है।

बुल मार्केट और बेयर मार्केट क्या है ।

बुल मार्केट (Bull Market)

Bull Market बाजार की वो वित्तीय स्थिति है जो कि निवेशक के आत्मविश्वास, आशावाद और सकारात्मक उम्मीदों को दर्शाता हे।

बुल मार्केट आम तौर पर शेयर बाजार से संबंधित होता है, लेकिन यह सभी वित्तीय बाजारों जैसे मुद्राओं, ब्रांडों, वस्तुओं आदि पर लागू होता है। बुल मार्केट के दौरान, अर्थव्यवस्था में सब कुछ आश्चर्यजनक रूप से ऊपर की और बढ़ता है, जैसे जीडीपी बढ़ना, नौकरी में वृद्धि, स्टॉक की बढ़ती कीमतें आदि।

सरल भाषा में अगर कहा जाये तो बुल मार्केट अक्सर शेयरों को ओवरवैल्यूएशन (Over Valuation) की ओर ले जाता हैं क्योंकि निवेशक अत्यधिक आशावादी होते हैं और मानते हैं कि स्टॉक हमेशा ऊपर जाएगा।

बेयर मार्केट (Bear Market)

Bull Market के विपरीत Bear Market है, जो आमतौर पर खराब अर्थव्यवस्था, कम नौकरियों, मंदी और शेयर की कीमतों में गिरावट को दर्शाता है । मंदी के बाजार के दौरान निवेशक का व्यवहार अत्यधिक निराशावादी होता हे। क्योंकि उन्हें डर है कि स्टॉक यह भालू बाजार कब समाप्त होगा नीचे और नीचे जाएगा।

Bear Market निवेशकों के लिए अल्पावधि (कम समय) के लिए लाभदायक शेयरों को चुनना कठिन बना देता है।

मजेदार बात यह है की Bull का अर्थ होता है बैल और Bear का अर्थ होता है भालू। बुल और बेयर शब्द जो बाजार में उपयोग किए जाते हैं, इन जानवरों के उनके विरोधियों पर हमला करने के तरीके से लिया गया है। एक बैल अपने सींगों को हवा में ऊपर की ओर उछालता है, जबकि एक भालू अपने पंजे को नीचे की ओर झुकाता है। ये क्रियाएं एक बाजार की गति के लिए रूपक हैं। यदि प्रवृत्ति ऊपर की ओर है, तो यह एक Bull Market है। और, यदि रुझान नीचे की ओर है, तो यह एक Bear Market है।

बुल और बेयर मार्किट के उदाहरण

भारत का बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स (Bombay Stock Exchange) (BSE) अप्रैल 2003 से जनवरी 2008 तक लगभग पांच साल तक Bull Market में रहा, क्योंकि यह 2,900 अंक से बढ़कर 21,000 अंक पर पहुंच गया।

भारत में Bear Market के उदाहरण हैं - 1992 और 1994 के शेयर बाजार क्रैश और 2000 के डॉटकॉम क्रैश।

इसके अलावा, 1930 के दशक की महामंदी अमेरिका में Bear Market का एक प्रसिद्ध उदाहरण है।

अन्य सभी बाजारों की तरह बुल बाजार या बेयर बाजार अंतहीन रूप से नहीं टिकता क्योंकि कोई भी बाजार हमेशा के लिए एक गति में एक जैसा नहीं रह सकता। इसके अलावा, बाजार में बदलते रुझानों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है क्योंकि यह निवेशकों के मनोवैज्ञानिक प्रभावों और अटकलों से बहुत प्रभावित होता है ।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • एक बुल मार्केट हमेशा बाजार की बढ़ती हुई स्थिति को दर्शाता हे और बेयर मार्केट बाजार की गिरती हुई स्थिति को दर्शाता हे जहा पर बाजार में अधिकतर शेयर्स की कीमते घटने लगती है।
  • बाजार में कुछ इन्वेस्टर्स बेयर मार्केट को पसंद करते है और बेयर मार्केट में शार्ट सेलिंग (Short Sell) कर के लाभ प्राप्त करते है पर शेयर मार्केट में अधिकतर इन्वेस्टर बुल मार्केट को सपोर्ट करते है। और अगर पिछले कुछ सालो का शेयर मार्केट का इतिहास देखा जाए तो यह आपको बुलिश (बढ़ता हुआ) ही दिखेगा।
  • बेयर मार्केट इन्वेस्टमेंट (निवेश) करने के लिए घातक माना जाता है क्युकी इस दौरान शेयर्स के भावो में काफी उतार चढ़ाव आता है।

सारांश

तो दोस्तों आज की हमारी पोस्ट में हमने समझा है की बुल मार्केट क्या होता है और बेयर मार्केट क्या होता है (Bull Market Kya Hota Hai & Bear Market Kya Hota Hai) और शेयर मार्किट में इन शब्दों का प्रयोग किस परिस्थिति के लिए किया जाता है। हम उम्मीद करते है दोस्तों आपको ये पोस्ट पसन्द आया होगा। और आपके शेयर मार्किट के सफर में ये शब्द मददगार रहे होँगे।

ऐसे ही तकीनीकी विषयो के साथ मिलते हे अगले पोस्ट में।
थैंक्यू दोस्तों

भारतीय शेयर बाजार के Big Bear ने खरीदे ईशान डाइज़ के 7 लाख शेयर, कीमत 8 करोड़ से अधिक

दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने मंगलवार को बीएसई पर ईशान डाईज एंड केमिकल्स (ISHANCH) के 7,00,000 शेयर 121.71 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे हैं.

दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने मंगलवार को बीएसई पर ईशान डाईज एंड केमिकल्स (ISHANCH) के 7,00,000 शेयर 121.71 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे हैं.

नई दिल्ली. दिग्गज निवेशक शंकर शर्मा (Shankar Sharma) ने मंगलवार को बीएसई पर ईशान डाईज एंड केमिकल्स (ISHANCH) के 7,00,000 शेयर 121.71 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे हैं. BSE के थोक सौदों (Bulk Deals) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. शंकर शर्मा द्वारा खरीदे गए शेयर 8.52 करोड़ रुपये के हैं. शंकर शर्मा को बाजार में बिग बेयर (Big Bear) के नाम से जाना जाता है.

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, इंट्राडे के दौरान शेयर ने 142 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ. यह अंततः अपने पिछले बंद की तुलना में 13.99 प्रतिशत बढ़कर 138.50 रुपये पर बंद हुआ. इस कीमत पर इस स्टॉक की मार्केट वेल्यू 221 करोड़ रुपये रही. इसका कारोबार 12 महीने के पीई 14.94 गुना पर हुआ. मंगलवार को स्टॉक में 30 लाख से ज्यादा की वॉल्यूम देखी गई, जोकि पिछले 20 दिनों (मंगलवार को छोड़कर) में 77 हजार प्रतिदिन थी.

ये हैं शेयरहोल्डिंग के ताजा आंकड़े

ताजा शेयरहोल्डिंग आंकड़ों के अनुसार, इस स्पेशियलिटी केमिकल फर्म के प्रमुख शेयरधारकों में शंकर शर्मा नहीं थे. 31 दिसंबर तक कंपनी में प्रमोटरों की 58.52 फीसदी हिस्सेदारी थी. कोई संस्थागत होल्डिंग नहीं थी, न ही म्यूचुअल फंड और न ही विदेशी हिस्सेदारी थी.

बता दें कि कंपनी सॉल्वेंट डाइज़ (Solvent Dyes) बनाती है, जो आयनित (Ionise) नहीं होती है. सॉल्वेंट पिगमेंट का यह गुण इसे ट्राइग्लिसराइड्स जैसे गैर-ध्रुवीय पदार्थों में घुलनशील बनाता है. कंपनी के सॉल्वेंट पिगमेंट को आमतौर पर आयसोक्रोम पिगमेंट कहा जाता है.यह भालू बाजार कब समाप्त होगा

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मंदड़ियों की गिरफ्त में है निफ्टी, क्या है इसका मतलब?

गुरुवार (12 मार्च) को घरेलू शेयर बाजार में कोहराम मच गया. बाजार के कई सूचकांक बिकवाली दबाव से धड़ाम हो गए.

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विश्व स्वास्थ संगठन ने कोरोना वायरस यानी कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. इस खबर के बाद मंदड़ियों ने बाजार पर अपनी गिरफ्त बढ़ा दी है.

1. बाजार मंदड़ियों की गिरफ्त में कब आता है?
शेयर बाजार में मंदड़िए तब हावी होते हैं, जब कोई शेयर या इंडेक्स अपने हालिया उच्चतम स्तर से 20 फीसदी या उससे अधिक नीचे फिसल जाता है. यह बाजार या शेयर के प्रति नकारात्मक धारणा का संकेत होता है. इससे शेयर या बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है.

2. क्या भारतीय शेयर बाजार पर मंदड़िए हावी हैं?
हां, शेयरों में भारी गिरावट के बाद निफ्टी यह भालू बाजार कब समाप्त होगा 50 इंडेक्स पर मंदड़ियों का बोलबाला है. बीएसई का सेंसेक्स भी इसी दहलीज पर खड़ा है. सेक्टर आधारित बात करें तो निफ्टी बैंक, निफ्टी मेटल, निफ्टी ऑटो और निफ्टी सीपीएसई जैसे सूचकांकों पर भी मंदड़िए हावी हैं.

3. क्या अमेरिकी शेयर बाजार पर भी मंदड़िए हावी हैं?
हां. अमेरिकी शेयर बाजारों की हालत भी ऐसी है. साल 2008 की आर्थिक मंदी के बाद अमेरिका के प्रमुख सूचकांक पहली दफा मंदी के दौर में गए हैं. 2008 की मंदी ने अमेरिकी शेयर बाजारों की जबरदस्त तेजी पर ब्रेक लगा दिया था.

इसके अलावा जापान के शेयर बाजारों पर भी मंदड़ियों की गिरफ्त नजर आ रही है. इसका बेंचमार्क इंडेक्स अप्रैल 2017 के बाद न्यूनतम स्तर पर फिसल चुका है. गुरुवार के कारोबारी सत्र के दौरान यह इंडेक्स 5 फीसदी से अधिक फिसला.

4. मंदड़िये हावी होने का क्या कारण है?
इसकी कई वजहें हो सकती हैं. 1980 के दशक में बढ़ती महंगाई और कर्ज की अधिक दरों की वजह से ऐसा देखने को मिला था. 2000 के शुरुआती दौर में टेक्नोलॉजी कंपनियों से जुड़ा बुलबुला फूट गया था. साल 2008 में अमेरिकी रीयल एस्टेट कारोबार धाराशाई हुआ था. इस दफा कोरोना वायरस ने दुनिया भर के बिजनेस को प्रभावित किया है.

5. बाजार की ऐसी स्थिति अच्छी है या बुरी?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां खड़े हैं. यदि आपकों पैसों की तुरंत जरूरत है, तो आपके लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि इस गिरावट ने आपके पूरे मुनापे को साफ कर दिया होगा. ऐसी स्थिति लिक्विडिटी के पक्ष में नहीं होती.

दूसरी तरफ, यदि आप दीर्घावधि निवेशकों में शामि हैं और बाजार की गिरावट को खरीदारी का अवसर मानते हैं, तो क्वालिटी कंपनियों को कम भाव पर खरीद सकते हैं. दिग्गज निवेशक चार्ली मंगर ने साल 2008 की मंदी के बाद बैंकिंग शेयरों से जबरदस्त कमाई की थी.

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Cryptocurrency : जब मार्केट गिर रहा हो तो स्मार्ट निवेशकों को क्या करना चाहिए?

Cryptocurrency Investments: बाजार में वॉलेटिलिटी के वक्त फुलप्रूफ फैसले लेना मुश्किल हो सकता है, खासकर क्रिप्टो निवेशकों के मुश्किल और बढ़ जाती है. लेकिन अगर बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा.

Cryptocurrency : जब मार्केट गिर रहा हो तो स्मार्ट निवेशकों को क्या करना चाहिए?

Cryptocurrency बाजार में उतार-चढ़ाव बहुत तेजी से आते-जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

किसी भी बाजार की तरह क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी उतार-चढ़ाव (highly volatile cryptocurrency) होता है, हां इस बाजार में उतार-चढ़ाव कुछ ज्यादा ही होता है, खैर. जो लोग भी शेयर बाजार की शब्दावली से परिचित हैं, उन्हें पता होगा कि बाजार में उतार-चढ़ाव को बुल (Bull) और बेयर (Bear) मार्केट कहा जाता है. बाजार में वॉलेटिलिटी साल में कभी भी रह सकती है, ऐसे वक्त में फुलप्रूफ सुरक्षित फैसले लेना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर आप क्रिप्टो निवेशक हैं, तो आपके लिए मुश्किल और बढ़ जाती है.

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चूंकि क्रिप्टो मार्केट बहुत ज्यादा वॉलेटाइल होता है, ऐसे में हम अभी यह नहीं कह सकते हैं कि हम बेयर मार्केट में हैं या बेयर मार्केट से बाहर निकल रहे हैं. सामान्यतया, गिरावट में चल रहे बाजार को बेयर मार्केट तब कहते हैं, जब स्टॉक/कमोडिटी की कीमतें उनकी पिछली ऊंचाई से 20 फीसदी से ज्यादा गिर जाती हैं, शेयरों पर निगेटिव रिटर्न मिलने लगते हैं.

अगर क्रिप्टोकरेंसी की बात करें तो साल 2021 बहुत ही अप्रत्याशित रहा है. अगर बिटकॉइन और इथीरियम को ही देखें तो साल शुरू होने के बाद एक दो महीनों में इनकी कीमत रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई. लेकिन फिर मई के बाद से इनकी कीमतें 30 फीसदी घट गई हैं. लेकिन, पिछले कुछ हफ्तों में इनमें तेजी दिखी है.

हालांकि, ये तो है कि अगर आप बेयर मार्केट में भी सही चाल चलें तो आगे चलकर आपके क्रिप्टोकरेंसी पोर्टफोलियो को फायदा होगा. हम यहां कुछ चीजें बता रहे हैं तो बेयर मार्केट में क्रिप्टोकरेंसी निवेशक ध्यान में रख सकते हैं.

सही वक्त पर सही निवेश

मार्केट में जब गिरावट चल रही हो तो उस टाइम आप कुछ निवेश कर सकते हैं, जो लॉन्ग टर्म में आपकी मदद कर सकता है. बेयर मार्केट के साथ दिक्कत ये होती है कि आपको नहीं पता होता है कि गिरावट कब तक रहेगी या फिर कीमतें कहां तक गिरेंगी. इसके चलते या तो आप कभी सही वक्त से पहले निवेश कर बैठते हैं या फिर और इंतजार करने के चक्कर में सही मौका हाथ से निकल जाता है.

चूंकि ये अनुमानों का खेल है, आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा. हालांकि, इसका एक सॉल्यूशन ये हो सकता है कि आप एक प्लान बना लें, जिसके तहत आप नियमित तौर पर एक तय रकम निवेश करते हैं, चाहे मार्केट की दिशा किधर भी जा रही हो. इसे डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग स्ट्रेटजी कहते हैं.

अपना क्रिप्टोकरेंसी प्रोफाइल डाइवर्स रखिए

अगर आप अब तक एक ही करेंसी में निवेश करते आए हैं, तो बेयर मार्केट में एक्सपेरिमेंट करने का अच्छा मौका मिल सकता है. जरूरी नहीं है कि हर क्रिप्टोकरेंसी की कीमत गिर रही हो. ऐसे में जब बाजार में गिरावट चल रही हो तो आप अच्छी रिसर्च करके ध्यान से अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं.

लॉन्ग टर्म की सोचिए

बेयर मार्केट में आप लॉन्ग टर्म की सोचकर निवेश के कुछ बढ़िया फैसले ले सकते हैं. ऐसे वक्त में जब कीमतें कम हैं और आप उनमें निवेश करते हैं, तो आपको लॉन्ग टर्म में इसका फायदा होगा. ऐसे वक्त में शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना बहुत समझदारी नहीं होगी. अब चूंकि ये भी है कि क्रिप्टोकरेंसी की वॉलेटिलिटी को देखते हुए लॉन्ग टर्म के बारे में सोचना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन अगर समझदारी से फैसले लें तो फायदा उठा सकते हैं.

जैसे कि मान लीजिए कि बिटकॉइन की कीमत मार्च, 2020 में 4,000 डॉलर यानी लगभग 2.97 लाख थी. इस साल इसने 33,000 डॉलर यानी 24.55 लाख का आंकड़ा पार कर लिया. यानी कि निवेशकों को इसपर 800 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है.

इसी तरह Forbes की एक रिपोर्ट में कुछ एक्सपर्ट्स के हवाले से भविष्यवाणी की गई थी कि वैल्यू में गिरावट के बावजूद बिटकॉइन '2050 तक यूएस डॉलर को प्रमुख ग्लोबल करेंसी की हैसियत से रिप्लेस कर देगा.' एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि इथीरियम जल्द ही 'बिटकॉइन की सबसे ज्यादा वैल्युएबल क्रिप्टोकरेंसी की जगह ले लेगा.' ऐसे में लॉन्ग टर्म पर नजर रखके, नियंत्रित तरीके से निवेश करें तो बेयर मार्केट का फायदा उठा सकते हैं.

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