Investment Tips: यूएस शेयर बाजार में लगाना चाहते हैं पैसा, जानें क्या है निवेश प्रक्रिया
Finance Tips: विदेशी बाजार में निवेश की प्रक्रिया एक इंटरनेशल ब्रोकरेज फर्म के माध्यम से एक विदेशी ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के साथ शुरू होती है.
By: ABP Live | Updated at : 27 Nov 2021 10:57 PM (IST)
US Stocks Market: विदेशों में निवेश करने की चाहत रखने वाले भारतीय निवेशकों की खासी चर्चा हो रही है. मौजूदा विदेशी फंडों के अलावा, हाल ही में कई इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे स्कीम्स शुरू की गई हैं. इस प्रकार उनके घरेलू पोर्टफोलियो में विविधता लाने का उन्हें दिया गया है. इनमें से कुछ अंतरराष्ट्रीय फंड, ‘फंड ऑफ फंड्स’ हैं जबकि कुछ फीडर फंड हो सकते हैं, विशेष रूप से कई निष्क्रिय इंडेक्स फंड हैं जो अधिकांश प्रमुख वैश्विक सूचकांकों पर नज़र रखते हैं.
विदेशी स्टॉक खरीदना जटिल मामला नहीं
वैकल्पिक रूप से, विदेशी स्टॉक खरीदना कोई जटिल मामला नहीं है जैसा कि यह लगता है. सेल्सफोर्स, वीज़ा, अमेरिकन एक्सप्रेस कंपनी, कॉस्टको होलसेल कॉर्प, एक्सपीडिया ग्रुप, ज़िवो बायोसाइंस, पल्टॉक जैसे हालिया टॉप मूवर्स सहित फेसबुक, ऐप्पल या अमेज़ॅन जैसे कुछ टॉप अमेरिकी शेयर्स का मालिक होना, भारतीय निवेशकों के लिए संभव है. यह ठीक वैसे ही जैसे आप भारतीय शेयर बाजार में जौमेटो, रिलायंस, टाटा मोटर्स आदि के शेयर्स के मालिक बन सकते हैं.
यूएस शेयरों में शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे निवेश की प्रक्रिया एक इंटरनेशल ब्रोकरेज फर्म के माध्यम से एक विदेशी ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के साथ शुरू होती है. केवाईसी और आरबीआई के एलआरएस नियमों सहित अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने पर, जिसे पूरा करने में ब्रोकरेज फर्म मदद करती है, आप यूएस शेयरों में ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं.
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कीमत नहीं है बाधा
अब, अगर आप सोच रहे हैं कि क्या डॉलर में अमेरिकी शेयर्स को खरीदना एक किफायती सौदा होगा, तो यहां आपके लिए एक अच्छी खबर है. अमेरिकी शेयर्स में आंशिक स्वामित्व की अनुमति है और कोई भी अमेरिकी शेयरों को 100 रुपये से कम राशि के साथ जमा करना शुरू कर सकता है. भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों के विपरीत, कीमत अमेरिकी शेयर बाजार में बाधा नहीं है. बस तय करें कि आपको कितना निवेश करना है और शेयरों की शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे संख्या की गणना स्वचालित रूप से आपके लिए की जाएगी.
बेहतर तरीका यह हो सकता है कि कुछ टॉप अमेरिकी शेयरों को नियमित अंतराल पर 5000 रुपये या 1 लाख रुपये की निश्चित राशि के साथ खरीदा जाए. अमेरिकी शेयर बाजार निवेशकों के लिए कुछ प्रमुख ग्लोबल ब्लू-चिप्स के मालिक होने और लंबी अवधि में लाभ प्राप्त करने के अवसर प्रस्तुत करता है. शुरुआत करने के लिए, प्रमुख शेयरों पर नज़र रखें और किसी भी सुधार या गिरावट का उपयोग लंबी अवधि के लिए उन्हें जमा करने के अवसर के रूप में करें.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
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Published at : 27 Nov 2021 10:57 PM (IST) Tags: US stock market How to Invest in US Stock Market हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
निवेश के लिए कैसे करें सही शेयर का चुनाव, ताकि कम जोखिम में मिल सके बेहतर रिटर्न
शेयर मार्केट में सही निवेश की पहली सीढ़ी है ऐसे शेयर्स का चुनाव जो लंबे समय के दौरान अच्छा मुनाफा देने की संभावना रखते हों.
शेयर मार्केट में निवेश करते समय कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
How To Invest For Better Returns: शेयर मार्केट में सही निवेश की पहली सीढ़ी है ऐसे शेयर्स का चुनाव जो लंबे समय के दौरान अच्छा मुनाफा देने की संभावना रखते हैं हों. ऐसे शेयरों की पहचान यूं ही सिर्फ सुनी-सुनाई बातों या यहां-वहां से मिलने वाले टिप्स के आधार पर करना ठीक नहीं होता. अगर आप चाहते हैं कि कम से कम जोखिम में आप बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करें, तो आपको कुछ खास फिल्टर्स या कसौटियों पर नजर रखनी होगी. आइए जानते हैं, क्या हैं वो महत्वपूर्ण कसौटियां जिन पर ध्यान देकर आप सही शेयर का चुनाव कर सकते हैं.
बेहतर रिटर्न के लिए शेयर का चुनाव करते समय आपको उन शेयरों पर ध्यान देना चाहिए, जिनमें ये चार खूबियां मौजूद हों.
1. अच्छी क्वॉलिटी के शेयर जिनकी कीमत अभी कम है
अच्छी क्वॉलिटी वाले शेयर की पहली कसौटी है निवेश की सुरक्षा. यानी ऐसी कंपनी जिसकी वित्तीय स्थिति और हाल के वर्षों का परफॉर्मेंस अच्छा हो. निवेश की सुरक्षा के लिहाज से कम से कम 500 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनी पर ध्यान देना एक अच्छी रणनीति साबित हो सकती है. इसके अलावा शेयर का PEG यानी Price-earnings to Growth रेशियो एक से कम होना चाहिए. इससे कंपनी के शेयर की सही वैल्यूएशन का पता चलता है.
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2. अच्छा डिविडेंड देने वाले शेयर
निवेश के लिए बेहतर शेयर के चुनाव की एक और कसौटी अच्छा डिविडेंड भी हो सकता है. डिविडेंड यानी लाभांश का अर्थ है वो मुनाफे का वो हिस्सा जो कंपनी अपने शेयरधारकों में बांटती है. लगातार डिविडेंड से न सिर्फ शेयरधारक को सीधे-सीधे निवेश पर रिटर्न मिलता है, बल्कि इससे कंपनी की अच्छी वित्तीय सेहत का भी पता चलता है. निवेश से पहले कंपनी के पिछले 5 साल का डिविडेंड देने का रिकॉर्ड देखना चाहिए. साथ शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे ही कंपनी का डिविडेंड-पे-आउट रेशियो 40 फीसदी से कम हो तो बेहतर. क्योंकि इससे पता चलता है कि कंपनी अपने लाभ का एक हिस्सा बांटने के बाद बाकी रकम बिजनेस के विस्तार में भी लगाती है.
3. ऐसे शेयर जो बुक वैल्यू के मुकाबले अच्छे डिस्काउंट पर मिल रहे हों
अगर कोई शेयर ऊपर की दोनों कसौटियों पर खरा उतर रहा हो तो तीसरी बात उसके ‘डिस्काउंट-टू-बुक वैल्यू’ पर नजर डालनी चाहिए. अगर कंपनी बाकी हर लिहाज से मजबूत और बेहतर भविष्य वाली नजर आ रही है, फिर भी उसके शेयर अपनी बुक वैल्यू के मुकाबले कम कीमत पर मिल रहे हैं, तो उसमें आगे चलकर अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं. ऐसे शेयर में यह भी जरूर देखना चाहिए कि उसका डेट-इक्विटी रेशियो 1.5 से कम हो और हाल के वर्षों में रिटर्न ऑन नेट वर्थ 10 फीसदी से अधिक रहा हो.
4. ग्रोथ की अच्छी संभावना और वाजिब कीमत वाले शेयर
बेहतरीन शेयर के चुनाव के लिए यह भी एक अहम कसौटी हो सकती है. सवाल यह है कि ग्रोथ की अच्छी संभावना और वाजिब कीमत का अंदाजा कैसे लगाएं. फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयर का P/E यानी प्राइस-टू-अर्निंग्स रेशियो अगर 15 से कम है, तो आमतौर पर कीमत को वाजिब मान सकते हैं. पिछले 5 साल में कंपनी की अर्निंग्स ग्रोथ कम से कम 20 फीसदी होनी चाहिए. YoY आधार पर पिछली तिमाही की अर्निंग्स ग्रोथ और पिछले 12 महीनों की ट्रेलिंग अर्निंग्स ग्रोथ भी कम से कम इतनी ही यानी 20 फीसदी होनी चाहिए.
इन तमाम कसौटियों पर खरा उतरने वाला शेयर आने वाले दिनों में कम जोखिम में अच्छा रिटर्न देने वाला साबित हो सकता है. हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि यहां कही गई बातें इनवेस्टमेंट टिप्स नहीं हैं. ये कसौटियां बेहतर निवेश के लिए अपनाई जाने वाली कुछ बुनियादी बातों में शामिल हैं. इनके शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे अलावा शेयर से जुड़ी खबरों, संबंधित इंडस्ट्री की दशा-दिशा और पूरी इकॉनमी को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हालात जैसी बातों पर नजर रखना भी जरूरी है.
Where to Invest: म्युचुअल फंड या शेयर मार्केट. जानिए, कहां और कैसे करें निवेश की शुरुआत
Where to Invest जब भी पैसे को निवेश करने की बात आती है तो हमारे सामने कई यक्ष-प्रश्न आते हैं। आज हम कुछ ऐसे ही मूलभूत प्रश्नों के उत्तर जानेंगे जिससे निवेश के बारे में फैसले लेने में हमें मदद मिलेगी. तो आइए शुरू करते हैं सवालों-जवाबों की ट्रेडिंग.
नई दिल्ली, आशीष पाण्डेय। जब भी आप अपने पैसे को निवेश करने के बारे में सोचते होंगे, आपके सामने भी कई यक्ष-प्रश्न जरूर आते होंगे। जैसे – म्युचुअल फंड या शेयर मार्केट. कहां पैसे लगाना होगा ठीक? कब और कितने दिन के लिए शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे लगाऊं पैसे? किस शेयर में या किस फंड में निवेश करूं? क्या सिर्फ आईपीओ में निवेश करना होगा सही निर्णय? क्या शेयर ट्रेडिंग और निवेश एक ही बात है, या यह दोनों अलग चीजें हैं? निवेश के लिए म्युचुअल फंड स्कीम या कोई शेयर कैसे सेलेक्ट करूं? कम से कम कितने शेयरों या कितनी स्कीमों में करना चाहिए निवेश? आज हम कुछ ऐसे ही मूलभूत प्रश्नों का उत्तर जानेंगे, जिससे अपने निवेश के बारे में महत्वपूर्ण फैसले लेने में हमें मदद मिलेगी। तो आइए देखें सवालों के निवेश पर जवाबों के रिटर्न.
कहां लगाएं पैसे – म्युचुअल फंड या शेयर मार्केट में.
जैसे ही आप निवेश करने का मन बनाते हैं, तो सबसे पहला और बेसिक प्रश्न जो दिमाग में तुरंत आता है वो यह कि पैसे कहां लगाएं? और इसका जवाब शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे जानने के लिए आपको ईमानदारी से खुद से कुछ और प्रश्न करने होंगे, जैसे – क्या आपको शेयर मार्केट के बारे में पूरी जानकारी है? क्या आप अर्थव्यवस्था के संकेतों को समझते हैं? क्या आप कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट, बैलेंस शीट और प्रॉफिट-लॉस स्टेटमेंट समझ पाते हैं? क्या आप खुद किसी शेयर से संबंधित रिसर्च कर सकते हैं? क्या आप नियमित समय पर अपने निवेश का मूल्यांकन खुद कर सकते हैं? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या यह सब रिपोर्ट पढ़ने, मार्केट या किसी स्टॉक संबंधित रिसर्च करने और अपने निवेश को मॉनिटर करने के लिए आपके पास पर्याप्त समय है? यदि इन सवालों के जवाब हां में हैं, तो निश्चित ही आपको शेयर मार्केट में निवेश करना चाहिए, अन्यथा आपके लिए म्युचुअल फंड सबसे अच्छा विकल्प है।
किसी भी म्युचुअल फंड में हर स्कीम के लिए एक अलग फंड मैनेजर होता है जिसकी अपनी एक पूरी टीम होती है, जो रिसर्च और निवेश से संबंधित संबंधित सभी निर्णय लेती है। नियमित अंतराल पर निवेशक से रिपोर्ट शेयर की जाती है, और इसके अतिरिक्त आप जब चाहें अपने पोर्टफोलियो या निवेश की वास्तविक स्थिति देख सकते हैं।
कैसे लगाएं पैसे - एसआईपी (SIP) या एकमुश्त निवेश.
निवेश से संबंधित एक बहुत ही स्वाभाविक प्रश्न जो दिमाग में आता है, वह यह कि पैसे किस तरह से निवेश किए जाएं? मैंने कई लोगों से सुना है कि उन्होंने SIP में निवेश किया है, जबकि ध्यान देने वाली बात यह है कि SIP कोई फंड या स्कीम नहीं, बल्कि पैसे लगाने का एक तरीका है। आइए, इसे थोड़ा और विस्तार से समझते हैं.
जब हम किसी म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो हमारे सामने मोड चुनने का विकल्प होता है – SIP या एकमुश्त (Lumpsum)। SIP मतलब हर महीने एक निश्चित तिथि पर एक निश्चित राशि आपके बैंक खाते से आपकी चुनी हुई शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे म्युचुअल फंड स्कीम में निवेश के लिए कट जाएगी। जबकि, एकमुश्त तरीके में आप जितना भी निवेश करना चाहते हैं वह एक बार में ही भुगतान करना होगा।
SIP के माध्यम से निवेश करना उन लोगों के लिए विशेषकर सुविधाजनक है, जो ज्यादा पैसा नहीं बचा पाते और सैलरी या अन्य किसी तरह की नियमित आय प्राप्त करते हैं। वहीं जो लोग पैसा बचा लेते हैं उन्हें म्युचुअल फंड या शेयर मार्केट में एकमुश्त निवेश करने में कोई समस्या नहीं आती।
कब लगाएं पैसे – कैसे जानें कि यह निवेश करने का सही समय है.
निवेश की टाइमिंग एक बहुत ही शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे महत्वपूर्ण फैसला होता है, विशेषकर शेयर मार्केट के लिए। मार्केट या स्टॉक के निचले स्तर पर खरीदना और ऊंचे स्तर पर बेचना (Buying Low & Selling High) ही प्रॉफिट की रेंज घटाता या बढ़ाता है। हालांकि, किसी भी निवेशक या ट्रेडर के लिए हर बार एकदम निचले स्तर पर खरीदना और एकदम ऊंचे स्तर पर बेचना संभव नहीं है। फिर भी निवेश करते समय यह ध्यान जरूर देना होता है कि आप मार्केट या जिस शेयर में निवेश कर रहे हैं वो गिरावट के दौर में तो नहीं है।
म्युचुअल फंड में आप टाइमिंग के बारे में निर्णय लेने से बच जाते हैं, क्योंकि आपकी तरफ से यह निर्णय आपके फंड मैनेजर और उनकी एक्सपर्ट टीम लेती है। और यदि आप SIP के माध्यम से निवेश करते हैं तो टाइमिंग का फैक्टर काफी हद तक प्रभावहीन हो जाता है, क्योंकि हर महीने नियत समय पर पैसा कटने से आपके निवेश का खरीद मूल्य औसत स्तर पर आ जाता है। फिर मार्केट चाहे ऊपर रहे या नीचे, उससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता।
निवेश से संबंधित और भी बहुत से ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर हम आगे आने वाले लेखों के माध्यम से जानेंगे. तो इंतजार करिए इस सीरीज़ में अगले आलेख का.
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले शेयर मार्केट में पैसा कैसे निवेश करे बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
1.म्युचुअल फंड्स की जानकारी
अगर आप म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में पहले से जानते हैं, तो आप सीधे अगले सेक्शन पर जा सकते है । ये 5 आर्टिकल्स, म्युचुअल फंड्स और उसके प्रकारों के बारे में सारी ज़रूरी जानकारी देंगे । हम टैक्स सेविंग फंड्स पर भी एक विशेष आर्टिकल दे रहे हैं।
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और ये कैसे काम करते हैं?
- म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना बनाम डायरेक्ट इक्विटी
- . म्युचुअल फंड्स के फायदे और नुकसान
- टैक्स सेविंग(ईएलएसएस) फंड्स
2.म्युचुअल फंड्स का एक पोर्टफ़ोलियो बनाना
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने का सही तरीका है – सबसे पहले इसका पोर्टफोलियो बनाना । एक पोर्टफोलियो, म्युचुअल फंड का एक समूह होता है। यह आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा। आपका सारा रिटर्न् आपके पूरे पोर्टफोलियो पर टिका होता है, ना कि किसी एक विशेष फंड पर। इस सेक्शन में, हम यह सीखेंगे कि म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो कैसे तैयार किया जाता है।
- पोर्टफोलियो इन्वेस्टिंग क्या है कैसे तैयार किया जाए
- अपने पोर्टफोलियो के लिए सही म्युचुअल फंड चुनना
- म्युचुअल फंड को कब बेचें
3.म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना
कईं शुरुआती इन्वेस्टर्स म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने की प्रक्रिया को मुश्किल मानकर उसमें इन्वेस्ट करने से कतराते हैं। ये आर्टिकल्स ऐसे ही शुरुआती इन्वेस्टर्स को म्युचुअल फंड को समझने में और इन्वेस्टमेंट शुरू करने में मदद करेंगे।
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और ये म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करने के लिए ज़रूरी क्यों है (SIP) के द्वारा इन्वेस्ट करना
4.कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियाँ
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय कुछ ज़रूरी बातें है, जिनकी जानकारी हर शुरुआती इन्वेस्टर को होनी चाहिए । इन बातों को समझे बिना इन्वेस्ट करने से, रिटर्न्स पर काफ़ी बुरा असर पड़ सकता है।
- म्युचुअल फंड्स पर टैक्स
- म्युचुअल फंड्स से पैसे निकालने पर एग्ज़िट लोड
- म्युचुअल फंड्स का एक्सपेंस रेशो
- इन्वेस्टमेंट से जुड़ी भाषा की जानकारी
जहाँ म्युचुअल फंड्स की बात आती है वहाँ आमतौर पर लिस्ट में दिए गए इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है । हालाँकि शुरुआती इन्वेस्टर्स को इन सभी शब्दों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है, आप किसी भी शब्द को सीखने के लिए, ग्लोसरी (डिक्शनरी) के तौर पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
शेयर सस्ता है या महंगा, इन 9 रेशियो से लगाएं पता
31 अगस्त को कैश मार्केट में डेली वॉल्यूम 1 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गए. जिसे देखो वह शेयरों में पैसा लगाना चाहता है.
नए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले शेयरों का सही भाव पता करने के लिए कुछ बुनियादी रेशियो को जान लेना चाहिए.
यह भी जान लें
अमूमन बाजार अर्निंग में कम अस्थिरता और ज्यादा ग्रोथ रेट वाली कंपनियों और सेक्टरों को ज्यादा मल्टीपल देता है.
-पीईजी = पीई / % में अपेक्षित अर्निंग ग्रोथ
क्या बताता है?
यह कंपनी की मार्केट वैल्यू और उसकी अनुमानित कमाई में ग्रोथ के बीच संबंध को दर्शाता है.
यह भी जान लें
चूंकि यह रेशियो पीई रेशियो की सीमाओं को सही करने की कोशिश करता है. इसलिए इसका इस्तेमाल सभी सेक्टरों में किया जा सकता है. 1 से नीचे पीईजी का मतलब होता है कि शेयर सस्ता (अंडरवैल्यूड) है. 1 से ज्यादा पीईजी दिखाता है कि शेयर ओवरवैल्यूड यानी महंगा है.
-पी/सीएफ = शेयर प्राइस / कैश फ्लो प्रति शेयर (सीएफपीएस)
क्या बताता है?
यह कंपनी की मार्केट वैल्यू की तुलना उसके कैश फ्लो से करता है. चूंकि डेप्रिसिएशन, एमॉर्टाइजेशन इत्यादि जैसे गैर-नकदी खर्चों को बाहर रखा जाता है. इसलिए यह अर्निंग के मुकाबले ज्यादा स्टेबल वैल्यूएशन इंडिकेटर है.
यह भी जान लें
कम पी/सीएफ का मतलब है कि शेयर सस्ता है. ज्यादा ग्रोथ वाले सेक्टर और कंपनियों का प्रीमियम ज्यादा होता है.
-ईवी / एबिटडा = एंटरप्राइज वैल्यू (ईवी) / इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और एमॉर्टाइजेशन (एबिटडा) से पहले अर्निंग
क्या बताता है?
शेयर के एबिटडा के लिए आपको कितना (या कितने गुना) पेमेंट करना है. रेशियो जितना कम शेयर उतना सस्ता होता है.
यह भी जान लें
ईवी मार्केट कैप और डेट का जोड़ है. यह रेशियो ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों के लिए उपयोगी होता है. चूंकि टोटल कैपिटल का न्यूमरेटर के तौर पर इस्तेमाल होता है और डीनॉमिनेटर में अधिक स्टेबल एबिटडा होता है. इसलिए यह रेशियो सभी इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल होता है.
-पीबी = शेयर प्राइस / बुक वैल्यू प्रति शेयर (बीवीपीएस)
क्या बताता है?
यह कंपनी के मौजूदा बाजार मूल्य की तुलना उसकी बुक वैल्यू से करता है. कम पीबी का मतलब है कि शेयर सस्ता है.
यह भी जान लें
अभी जैसी अवधियों में ज्यादा उपयोगी होता है. कारण है कि बीवीपीएस ईपीएस की तुलना में ज्यादा स्थिर होता है.
-डिविडेंड यील्ड = (डिविडेंड प्रति शेयर (डीपीएस) / शेयर प्राइस) * 100
क्या बताता है?
यह रेशियो एक पैमाना है जो बताता है कि आपको फीसदी के रूप में शेयर मूल्य से कितना डिविडेंड मिलेगा. ज्यादा रेशियो बेहतर होता है.
यह भी जान लें
इस रेशियो के कैलकुलेशन में निवेशकों को स्पेशल डिविडेंड के बजाय सामान्य डिविडेंड के बारे में सोचना चाहिए.
-मार्केट कैप / सेल्स = मार्केट कैप / सेल्स या रेवेन्यू
क्या बताता है?
शेयर के रेवेन्यू के लिए आपको कितना (या कितने गुना) भुगतान करने की जरूरत है. कम रेशियो दर्शाता है कि शेयर सस्ता है.
यह भी जान लें
चूंकि रेवेन्यू अर्निंग से अधिक स्थिर होते हैं. ऐसे में इस रेशियो के साथ अटकलबाजी की संभावना कम है. हालांकि, अलग-अलग इंडस्ट्रीज के अलग-अलग मार्जिन होते हैं. इसलिए एक इंडस्ट्री की कंपनियों में ही तुलना करें.
-ईवी / सेल्स = एंटरप्राइज वैल्यू / सेल्स या रेवेन्यू
क्या बताता है?
यह कंपनी की कुल वैल्यू की तुलना उसकी बिक्री से करता है. कम रेशियो का मतलब होता है कि शेयर सस्ता है.
यह भी जान लें
चूंकि सेल्स कर्ज सहित पूरी पूंजी का इस्तेमाल कर जेनरेट की जाती है. इसलिए यह प्राइस / सेल्स रेशियो के मुकाबले बेहतर तस्वीर दिखाता है. इंडस्ट्री के भीतर ही तुलना करनी चाहिए.
-ईवी / कैपेसिटी = एंटरप्राइज वैल्यू (ईवी) / टोटल कैपेसिटी
क्या बताता है?
यह बताता है कि आपको प्रति यूनिट (मसलन, 1 मेगावॉट बिजली, 10 लाख टन सीमेंट इत्यादि) कितना भुगतान करना है. केवल इंडस्ट्री के भीतर ही तुलना करें. कम वैल्यू बेहतर होती है.
यह भी जान लें
इस रेशियो का इस्तेमाल अधिग्रहण करने वाली कंपनी करती है. लेकिन, रिटेल निवेशक भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
(आंकड़े 31 अगस्त तक के हैं. ईटीआईजी डेटाबेस द्वारा संकलित)
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