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वह Stocks जो छप्पर फाड़कर लाभांश (Dividend) देता है
नमस्कार दोस्तों, मैं स्टेशन गुरुजी हूं। स्टॉक मार्केट संबंधी जानकारी की सीरीज में आज मैं आपके साथ शेयर करूंगा डिविडेंड (Dividend) स्टॉक संबंधी बातें। डिविडेंड (Dividend) के बारे में जरूर पढ़ें या सुनें होंगे।
डिविडेंड (Dividend) क्या है? कंपनी डिविडेंड (Dividend) कब देते हैं? डिविडेंड (Dividend) कैसे निकाला जाता है? डिविडेंड (Dividend) से क्या लाभ है? इत्यादि।
डिविडेंड (Dividend) क्या होता है?
Table of Contents
डिविडेंड (Dividend) का हिंदी अर्थ लाभांश होता है। यानी लाभ का अंश या लाभ में हिस्सा। डिविडेंड (Dividend) किसी कंपनी के द्वारा शेयर होल्डर को दिया जाने वाला कंपनी के शुद्ध लाभ का एक हिस्सा है।
कंपनी द्वारा सभी टैक्स एवं खर्चा घटाने के बाद बचा हुआ नेट प्रॉफिट डिविडेंड के फायदे और नुकसान डिविडेंड के फायदे और नुकसान कंपनी के शेयर होल्डर के बीच उसके द्वारा लिए गए शेयर की मात्रा के अनुसार बराबर बराबर बांटा जाता है।
डिविडेंड (Dividend) का कैलकुलेशन किस प्रकार किया जाता है
आप कई बार पढ़ते होंगे कि उस कंपनी में 5000% डिविडेंड देने की घोषणा की है। या 10000% डिविडेंड देने की घोषणा की है। आपके मन में यह जरूर लालच आता होगा कि हम भी यदि इस कंपनी का शेयर खरीद लिए होते तो 1 साल में 10000% डिविडेंड (Dividend) मिल जाता।
कितना अच्छा होता है 10000% का लाभ। लेकिन वास्तव में यह परसेंट कुछ अलग तरह से निकाला जाता है। आइए जानते हैं कंपनी डिविडेंड (Dividend) का कैलकुलेशन किस प्रकार करते हैं।
किसी भी शेयर का वैल्यू तो प्रकार से निकाला जाता है। एक फेस वैल्यू और दूसरा मार्केट वैल्यू। जिस वक्त कंपनी द्वारा शेयर जारी किया जाता है उस वक्त उसका जो मूल्य है वह फेस वैल्यू कहलाता है।
अभी वर्तमान में शेयर का जो मूल्य है वह उसका मार्केट वैल्यू कहलाता है। जैसे मान लिया कि आज से 20 साल पहले रिलायंस कंपनी जब शेयर मार्केट में अपना शेयर जारी किया था तो उसका वैल्यू ₹10 था। यह उसका फेस वैल्यू है।
आज रिलायंस डिविडेंड के फायदे और नुकसान के 1 शेयर का दाम ₹2000 है। यानी यह रिलायंस का करंट वैल्यू या मार्केट वैल्यू है।
कंपनी हमेशा डिविडेंड अपने फेस वैल्यू पर देती है ना कि करंट वैल्यू पर। यानी जिस वक्त कंपनी ने शेयर मार्केट में शेयर जारी किया था उस वक्त जो शेयर का दाम है उसी पर कंपनी डिविडेंड देती है।
डिविडेंड (Dividend) कितने प्रकार के होते हैं?
डिविडेंड (Dividend) प्रायः दो प्रकार के होते हैं। अंतरिम डिविडेंड और फाइनल डिविडेंड।
अंतरिम डिविडेंड उस डिविडेंड को कहते हैं जो कंपनी द्वारा तिमाही नतीजे के अनुसार दिए जाते हैं। यानी प्रत्येक तीन माह बाद जो डिविडेंड के फायदे और नुकसान कंपनी डिविडेंड देती हैं वह अंतरिम डिविडेंड कहलाता हैं।
फाइनल डिविडेंड वह डिविडेंड है जो कंपनी के वार्षिक रिजल्ट के बाद जारी किया जाता है। कुछ कंपनियां ऐसे भी हैं जो मंथली डिविडेंड भी दे रहे हैं।
डिविडेंड (Dividend) के क्या फायदे हैं?
डिफिडेंड के कई फायदे हैं। निवेशक के लिए यह फायदा है कि उसे एक अतिरिक्त आय मिल जाता है। एक पैसिव इनकम का स्रोत बन जाता है।
शेयर का मूल्य बढ़ता है, वह लाभ अलग और डिफिडेंड मिल जाता है वह एक अलग लाभ है। यानी लाभ ही लाभ की स्थिति बन जाते हैं। इसलिए बहुत से निवेशक उस कंपनी का शेयर खरीदते हैं जो कंपनी अच्छा डिविडेंड देते हैं।
डिविडेंड देने वाले कंपनी के लिए लाभ यह होता है कि कंपनी के शेयर का भाव बढ़ जाता है। कंपनी के शेयर मार्केट में काफी मांग भी बढ़ जाती हैं। क्योंकि कई निवेशक और अमीर लोग डिविडेंड के लिए शेयर को खरीदना पसंद करते हैं।
Dividend Yield क्या है?
Dividend Yield वित्तीय अनुपात है जो शेयर के डिविडेंड कमाई की क्षमता को दिखाता है। इसके द्वारा स्टॉक डिविडेंड कमाने की क्षमता और उसके स्टॉक के मार्केट प्राइस के बीच संबंध बताता है।
जैसे मान लिया कि रिलायंस के स्टॉक का फेस वैल्यू ₹10 है और मार्केट वैल्यू ₹2000 है। कंपनी ने 100% डिविडेंड देने की घोषणा की। यानी 10 का 100% = ₹10
Dividend Yield निकालने के लिए Dividend में वर्तमान मूल्य से भाग देकर % निकाला जाता है जैसे
Top Dividend Stocks
इस प्रकार आपने डिविडेंड के बारे में सब कुछ समझ गए होंगे। स्टॉक मार्केट में लगभग 5000 कंपनी है जिसमें से आपको कुछ कंपनी चुनने है जो अच्छा डिविडेंड देते रहते हैं।
यह एक मुश्किल काम है फिर भी मैं आपके लिए टॉप 10 कंपनी खोज कर लाया हूं जो पिछले कई सालों से अच्छा खासा डिविडेंड दे रहे हैं। आप चाहे तो इस कंपनी में निवेश कर सकते हैं।
लेकिन मैं आपको सतर्क करना चाहता हूं कभी भी केवल डिविडेंड के लिए शेयर में निवेश ना करें। निवेश करने से पहले कंपनी की जांच पड़ताल कर ले।
एक अच्छा शेेयर के क्या-क्या गुण होने चाहिए, इस बात पर यदि कंपनी खरी उतरती है तभी कंपनी में निवेश करें। एक और बात, कभी भी कर्ज लेकर शेयर मार्केट में निवेश ना करें चाहे आपको अपने आप पर कितना भी विश्वास को ना हो।
क्योंकि अगर आपको नुकसान हुआ तो आप बहुत ज्यादा मुसीबत में पड़ सकते हैं। किसी की कहने या सुनने से किसी भी शेयर में निवेश ना कर दे। हमेशा खुद सर्च करें फिर कंपनी के शेयर में निवेश करें।
डिविडेंड क्या होता है, कैसे मिलता है शेयरों में निवेश करने पर ज्यादा मुनाफा, समझें
कैपिटल मार्केट में ऐसे कई निवेश हैं जिनसे आप ऐसा फायदा उठा सकते हैं. कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने निवेशकों डिविडेंड के फायदे और नुकसान को अलग अलग समय पर अपने मुनाफे में से डिविडेंड देती हैं. इनके शेयरों में निवेश कर निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं.
Investment : कई कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स के डिविडेंड देती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आप कहीं एक जगह पर बड़े अमाउंट में पैसे निवेश करते हैं तो यही उम्मीद रखते हैं कि आपको अच्छा खासा मुनाफा होगा. मुनाफा एक की बजाय दो रास्तों से आए तो फिर बात ही क्या है. इसे कहते हैं डबल बेनिफिट वाली डील हासिल करना. कैपिटल मार्केट में ऐसे कई निवेश हैं जिनसे आप ऐसा फायदा उठा सकते हैं. कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने निवेशकों को अलग-अलग समय पर अपने मुनाफे में से डिविडेंड या लाभांश (Dividend) देती हैं. इनके शेयरों में निवेश कर निवेशक अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं. उससे पहले ये समझ लेना जरूरी है कि डिविडेंड क्या होता है.
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क्या होता है डिविडेंड?
शेयर मार्केट की दुनिया में कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे में से हिस्सा देती हैं. मुनाफे के रूप में मिलने वाला यही हिस्सा डिविडेंड कहलाता है. ऐसी कंपनियों के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॉक्स कहा जाता है. हालांकि ये डिविडेंड देना या न देना किसी भी कंपनी का खुद का फैसला होता है. ये अनिवार्य नियम नहीं है. पीएसयू सेक्टर की कंपनियां अधिकतर अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं.
कैसे मिलेगा डबल मुनाफा?
किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश कर मुनाफा कमाने के दो तरीके होते हैं. पहला फायदा आपको तब होगा जब शेयरों में तेजी आएगी. और दूसरा यह कि कंपनी को जो भी मुनाफा हो रहा है, कंपनी उसी मुनाफे से आपको हिस्सा देगी. शेयरों में हमेशा उतार-चढ़ाव आता रहता है. जब बाजार गिरता है तो निवेशक अपने शेयर बेचने लगते हैं, इससे शेयरों के दाम घट जाते हैं. ऐसे वक्त में अगर आपने किसी डिविडेंड स्टॉक में निवेश कर रखा है तो आप ऐसे नुकसान के बीच में भी संभले रह सकते हैं.
डिविडेंड को भी बाजार के लिए अच्छा माना जाता है. डिविडेंड मिलने से बाजार का सेंटीमेंट पॉजिटिव बना रहता है. अगर आप ऐसी किसी कंपनी में निवेश करते हैं जो ज्यादा डिविडेंड देती है तो, आप अपने शेयर बेचे बिना भी अच्छी खासी इनकम कमा सकते हैं.
डिविडेंड कब मिलता है?
यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ दो-तीन बार भी डिविडेंड देती हैं. डिविडेंड प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है. वित्त वर्ष के डिविडेंड के फायदे और नुकसान अंत में कंपनी अपने मुनाफे में से टैक्स और दूसरे खर्चों का पैसा अलग करने के बाद जो शुद्ध मुनाफा बनता है, उसमें से लाभांश अपने शेयरहोल्डर्स को देती है.
(ध्यान रखें यह डिविडेंड पर महज सामान्य जानकारी है, कोई भी निवेश करने से पहले किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
Video : टेस्ला ने 75 प्रतिशत बिटकॉइन को बेचा, पूरे मामले पर जानिए एक्सपर्ट्स की राय
Dividend Paying Stocks in Sep: ये कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को देंगी डबल मुनाफा, समझिए डिविडेंड का फंडा
डिविडेंड का मतलब होता है कंपनियों की कमाई के लाभ के कुछ हिस्से को शेयरहोल्डर्स के बीच बांटा जाता है. हिंदी में इसे लाभांश कहते हैं. यह लाभांश कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर तय करते हैं कि कंपनी के नेट प्रॉफिट का कितना प्रतिशत डिविडेंड में बांटा जाए.
शेयर बाजार में निवेश करने पर निवेशकों को एक तो शेयरों के वैल्यू पर कमाई होती है, वहीं एक और रास्ता होता है, जिससे उन्हें निवेश का फायदा मिलता है. शेयर बाजार में डिविडेंड एक टर्म होता है, जो निवेशकों को डबल फायदा दिलवा सकता है. डिविडेंड का मतलब होता है कंपनियों की कमाई के लाभ के कुछ हिस्से को शेयरहोल्डर्स के बीच बांटा जाता है. हिंदी में इसे लाभांश कहते हैं. वित्त वर्ष के अंत में कंपनियां अपने मुनाफे में से टैक्स और दूसरे खर्चों का पैसा अलग करने के बाद जो शुद्ध मुनाफा बनता है, उसमें से लाभांश अपने शेयरहोल्डर्स को देती हैं. यह लाभांश कंपनी के बोर्ड के डायरेक्टर तय करते हैं कि कंपनी के नेट प्रॉफिट का कितना प्रतिशत डिविडेंड में बांटा जाए.
यहां आपको डिविडेंड के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी, और उसके साथ यह भी जानेंगे कि इस महीने ऐसी कुछ कौन सी कंपनियां हैं, जो अपने शेयर पर डिविडेंड देने वाली हैं.
डिविडेंड से जुड़ी कुछ अहम बातें जो आपको जाननी चाहिए
- कंपनियों के प्रॉफिट के कुछ हिस्से को पात्र शेयरहोल्डर्स के साथ शेयर करना डिविडेंड का डिस्ट्रीब्यूशन है. डिविडेंड का पेमेंट और अमाउंट कंपनी के बोर्ड डायरेक्टर तय करते हैं.
- प्रति शेयर पर मिलने वाले डिविडेंड या लाभांश को डिविडेंड यील्ड कहते हैं.
- ये डिविडेंड देना या न देना किसी भी कंपनी का अपना फैसला होता है. ये अनिवार्य नियम नहीं है. पब्लिक सेक्टर की अधिकतर कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देती हैं. कुछ प्राइवेट कंपनियां भी डिविडेंड यील्ड देती हैं.
- यह डिविडेंड हर तिमाही के नतीजे के साथ दिया जाता है. कुछ कंपनियां साल की आखिरी तिमाही में एक बार ही डिविडेंड देती है, जिसे फाइनल डिविडेंड कहा जाता है.
- यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो डिविडेंड कब देती हैं, कितना देती हैं और कितनी बार देती हैं. कुछ कंपनियां साल में एक बार तो कुछ दो-तीन बार भी दे सकती हैं.
- डिविडेंड या तो आपके अकाउंट में कैश में भी आ सकता है या फिर एडिशनल स्टॉक में रिइन्वेस्टमेंट के तौर पर भी मिल सकता है.
- डिविडेंड मिलने की एक शर्त होती है कि उन्हीं शेयरहोल्डर्स को लाभांश मिलता है, जिन्होंने एक्स
- शेयरों के अलावा, कुछ म्युचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेशकों को डिविडेंड देते हैं.
- कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट पर लाभांश न देकर इसका हिस्सा अपने रिटेन्ड अर्निंग्स में रख लें और अपने ग्रोथ में लगाएं.
- डिविडेंड का एक्स डेट और रिकॉर्ड डेट होता है. एक्स डेट उस तारीख को कहते हैं, जब डिविडेंड एलिजिबिलिटी एक्सपायर हो रही हो. यानी कि अगर किसी कंपनी ने 13 सितंबर एक्स डेट फिक्स किया है तो उस दिन पर या उस दिन के बाद स्टॉक खरीदने वालों को डिविडेंड नहीं मिलेगा.
- रिकॉर्ड डेट एक तरह से कटऑफ डेट होती है. कंपनी यह तारीख तय करती है और इससे यह तय किया जाता है कि कौन सा शेयरहोल्डर डिविडेंड पाने का पात्र है या नहीं. एक तरीके से यह लॉयल्टी देखी जाती है कि आप कितने वक्त से कंपनी का स्टॉक होल्ड किए हुए हैं.
इस महीने आ सकते हैं कुछ चर्चित कंपनियों के डिविडेंड
LIC Housing Finance
फाइनेंशियल सेक्टर की बड़ी पीएसयू कंपनी एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस इस महीने अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड यील्ड दे सकती हैं. BSE के मुताबिक, कंपनी ने प्रति शेयर पर 8.50 रुपये का डिविडेंड देने की घोषणा की है. कंपनी के शेयर 13 सितंबर को दोपहर 3.30 बजे 436.50 रुपये पर बंद हुए. इसमें 1.05 अंक या 0.24% की तेजी दर्ज हुई थी. इसका एक्स-डेट 19 सितंबर, 2022 है.
Zee Entertainment
मीडिया कॉन्गलोमरेट ज़ी एंटरटेनमेंट प्रति शेयर 3 रुपये का डिविडेंड देगी. इसका एक्स डेट 15 सितंबर और रिकॉर्ड डेट 16 सितंबर है. इसका शेयर इस दौरान 0.24% या 0.65 अंक की तेजी के साथ 271 रुपये प्रति शेयर पर दर्ज हुआ.
Southern Gas Limited
सदर्न गैस लिमिटेड प्रति शेयर 50 रुपये का डिविडेंड यील्ड देगा. इसका एक्स और रिकॉर्ड डेट दोनों ही 15 सितंबर हैं.
Polyplex Corporations
पॉलिएस्टर बनाने वाली बड़ी कंपनी पॉलिप्लेक्स 21 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान कर चुकी है. इसका एक्स डेट 22 और रिकॉर्ड डेट 24 सितंबर है. इसके शेयर की कीमत मंगलवार को क्लोजिंग पर 2,183 रुपये प्रति शेयर के आसपास दर्ज हुई.
Bharat Bijlee
भारत बिजली अपने एक शेयर पर 30 रुपये का डिविडेंड देगी. कंपनी ने 19 सितंबर को एक्स डेट और रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर रखा है.
ज्यादा रिटर्न डिविडेंड के फायदे और नुकसान के साथ डिविडेंड से भी करनी है मोटी कमाई तो जानिए इन स्टॉक्स के बारे में
स्टॉक में पैसा बनाने के दो तरीके हैं। पहला है लोकप्रिय तरीका- कैपिटल गेन (यानी ग्रोथ) और दूसरा इतना लोकप्रिय तरीका नहीं है- डिविडेंड (यानी इनकम)। निवेशक कैपिटल गेन के प्रति जुनूनी होते हैं, यह.
स्टॉक में पैसा बनाने के दो तरीके हैं। पहला है लोकप्रिय तरीका- कैपिटल गेन (यानी ग्रोथ) और दूसरा इतना लोकप्रिय तरीका नहीं है- डिविडेंड (यानी इनकम)। निवेशक कैपिटल गेन के प्रति जुनूनी होते हैं, यह बात समझ में आती है। कैपिटल गेन किसे पसंद नहीं है- जितना ज्यादा उतना ही अच्छा। दूसरी तरफ, डिविडेंड निवेश अलग है। डिविडेंड निवेशक विकास नहीं चाहते हैं। बेशक, अगर उन्हें यह मिलता है तो वे ग्रोथ की तरफ देखेंगे, लेकिन वे सक्रिय रूप से इसकी तलाश नहीं करते हैं।
स्टेबिलिटी
एक स्थिर डिविडेंड देने वाली कंपनी में निवेश करने से आप चैन की नींद सो सकते हैं। ऐसा बिज़नेस एक स्थिर पैसिव इनकम देगा। बिज़नेस जितना अधिक स्थिर होगा, प्रॉफिट का हिस्सा उतना ही अधिक होगा जिसे डिस्ट्रीब्यूट किया जा सकता है। अन्य सभी बातें समान होने के कारण, ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनी कम डिविडेंड देने वाली समान आकार कि कंपनी की तुलना में अधिक स्टेबल होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयरों में कूदना चाहिए। यदि कोई कंपनी अपने सभी मुनाफे को डिविडेंड के रूप में भुगतान करती है, तो यह हमेशा एक अच्छा संकेत नहीं हो सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि मुनाफे को वापस व्यवसाय डिविडेंड के फायदे और नुकसान में एक अच्छे रिटर्न पर निवेश करने का कोई मौका नहीं है।
डिविडेंड देने वाले स्टॉक के फायदे
यही कारण है कि भविष्य में आपको डिविडेंड देने वाली कंपनी की तलाश करना बेहतर है। साल का यह समय डिविडेंड बोनान्ज़ा का है। वित्तीय वर्ष खत्म होने के करीब आ रहा है। कंपनियां जल्द ही शेयरधारकों को अपना सालाना डिविडेंड बांटने की प्रक्रिया शुरू करेंगी। इस अस्थिर शेयर बाजार में इन साफ-सुथरे छोटे डिविडेंड भुगतान को प्राप्त करना अच्छा है जो सीधे आपके बैंक खातों में जाते हैं, वह भी तब जब जब स्टॉक की कीमतें नहीं बढ़ रही हैं। ज्यादा डिविडेंड यील्ड देने वाले शेयर काफी आकर्षक होते हैं। जब फिक्स्ड डिपाजिट दरें इतनी कम हैं, तो उच्च डिविडेंड वाले स्टॉक की तुलना में बहुत अच्छे हैं।
आइए बाजार में शीर्ष 3 डिविडेंड देने वाले शेयरों को देखें-
#कोल इंडिया
कोल इंडिया भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक है। यह भारत के कुल कोयला उत्पादन का 82% हिस्सा है। सिर्फ भारत ही नहीं, कंपनी को दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी होने का गौरव प्राप्त है। भारत अपनी ऊर्जा का 55-60% जीवाश्म ईंधन के माध्यम से उत्पन्न करता है और इसका बहुत कुछ कोयले के माध्यम से होता है। देश में अधिकांश ताप विद्युत संयंत्र कोयले से संचालित होते हैं। कोल इंडिया भारत के 10 महारत्न सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) में से एक है और कोयला मंत्रालय के अंतर्गत आता है। भारत सरकार कंपनी का 66.13% हिस्सा है और सबसे बड़ा शेयरधारक है।
# आईटीसी
1910 में भारतीय तंबाकू कंपनी (ITC) के रूप में स्थापित, कंपनी FMCG, पैकेजिंग, होटल और कृषि जैसे कई उद्योगों में उपस्थिति के साथ एक बड़े समूह के रूप में विकसित हुई है। हालांकि कंपनी के पास कई प्रोडक्ट कि सीरीज है, लेकिन यह सिगरेट में प्रसिद्ध है। ITC 100 से अधिक वर्षों से सिगरेट बना रहा है। यह भारत में निर्विवाद रूप से मार्केट लीडर है। ITC का सिगरेट सेगमेंट उसके FMCG डिवीजन के अंतर्गत डिविडेंड के फायदे और नुकसान आता है, जो उसके कुल राजस्व का 65% हिस्सा है। आईटीसी को कई फंड मैनेजरों के पोर्टफोलियो में जगह मिलती है क्योंकि कंपनी अपने शेयरधारकों को स्थिर लाभांश देती है। पिछले पांच वर्षों में आईटीसी का लाभांश भुगतान औसत 69% रहा है।
#अंबुजा सीमेंट
अंबुजा सीमेंट 70 बाजारों में सेवाएं देने वाली होलसिम ग्रुप (जिसे पहले लाफार्जहोल्सिम के नाम से जाना जाता था) का एक हिस्सा है। अंबुजा सीमेंट का अनूठा उत्पाद पोर्टफोलियो भारतीय जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप बनाया गया है। कंपनी प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों संसाधनों का जिम्मेदारी से उपयोग करने में उद्योग की अग्रणी है और इसके लिए उसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। अंबुजा सीमेंट अपनी वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए एक कैलेंडर वर्ष प्रारूप (31 दिसंबर को समाप्त) का पालन करता है। अंबुजा सीमेंट के लिए पांच साल का औसत लाभांश भुगतान अनुपात 42.5% है। अंबुजा सीमेंट के लिए पांच साल की औसत लाभांश उपज 2.5% है।
डिस्क्लेमर- यह लेख केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है। यह स्टॉक की सिफारिश नहीं है और इसे इस तरह नहीं माना जाना चाहिए। यह लेख इक्विटीमास्टर डॉट कॉम से सिंडिकेट किया गया है।
Advantages and Disadvantages of Stable Dividend Policy
(a) It is sign of continued normal operations of the company.
(b) It stabilises the market value of shares.
(c) It creates confidence among the investors.
(d) It provides a source of livelihood to those investors who view dividends as a source of funds to meet day-to-day expenses.
(e) It meets the requirements of institutional investors who prefer companies with stable dividends.
(f) It improves the credit standing and makes financing easier.
(g) It results in a continuous flow to the national income stream and thus helps in the stabilisation of national economy.
Disadvantages of Stable Dividend Policy:
Inspite of many advantages, the stable dividend policy suffers from certain limitations. Once a stable dividend policy is followed by a company, it is not easier to change it.
If the stable dividends are not paid to the shareholders on any account including insufficient profits, the financial standing of the company in the minds of the investors is damaged and they may like to dispose off their holdings. It adversely affects the market price of shares of the company. And if the company pays stable dividends in spite of its incapacity, it will be suicidal in the long-run.
a. Irregular Dividend Policy:
Some companies follow irregular dividend payments on account of the following:
(a) Uncertainty of earnings.
(b) Unsuccessful business operations.
(c) Lack of liquid resources.
(d) Fear of adverse effects of regular dividends on the financial standing of the company.
b. No Dividend Policy:
A company may follow a policy of paying no dividends presently because of its unfavourable working capital position or on account of requirements of funds for future expansion and growth.
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