इस बढ़त को देखते हुए भारतीय रिजर्व ऑफ़ (RBI) का स्वचालित व्यापार मानना है कि, अब नकदी प्रबंधन के मौजूदा नियमों में बदलाव करने की जरूरत है। इसी सोच के साथ RBI तकनीक का सहारा लेते हुए बैंक प्रोसेसिंग के काम को पूरी तरह स्वचालित करने का फैसला लिया है। बताते चलें, जयपुर में खुलने वाले स्वचालित बैंकनोट प्रोसेसिंग केंद्र की एक अनुमानित क्षमता भी तय की गई है। इसमें -

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किसीको भी शेयर बाजार (Stock Market) में एक निवेशक या व्यापारी के रूप में, हितधारकों की पूरी समझ होनी चाहिए। मार्किट में प्रमुख संस्थाएं निवेशक / व्यापारी, स्टॉक ब्रोकर, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और एक्सचेंज होते हैं। एक ब्रोकर आपके और एक्सचेंज के बीच मध्यस्थ का काम करता है। जनता को शेयर जारी करके पैसा जुटाने वाली कंपनियां एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हो जाती हैं। इन कंपनियाोंके तरफ से आईपीओ के माध्यम से, प्राथमिक बाजार में निवेशकों को शेयर जारी किए जाते हैं और जैसे ही आईपीओ खत्म हो जाता है, तो वो कंपनी एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो जाती है जो शेयरों में व्यापार करने का अवसर देती है।

उदाहरण के लिए यदि आप इन्फोसिस या मारुती सुजुकी के शेयर खरीदना चाहते हैं, तो आप इसे किसी भी समय एक्सचेंज से खरीद सकते हैं, क्योंकि आईपीओ केवल ३ दिनों की अवधि के लिए संचालित होते हैं। उस अवधि के बाद, कोई भी केवल द्वितीयक बाजार के माध्यम से शेयरों में व्यापार कर सकता है। यह वह जगह है जहां सभी शेयरों का कारोबार होता है और सेबी द्वारा शेयर बाजारों को विनियमित किया जाता है। किसी भी व्यापारी या निवेशक के लिए यह समझना आवश्यक है कि शेयर बाजार में एनएसी और बीएसी (Nse and Bse) क्या है और शेयर बाजार में प्रवेश करने से पहले एनएसी और बीएसी (Nse and Bse) के बीच का अंतर क्या है।

कंपनियों को एक्सचेंजों में सूचीबद्ध क्यों किया जाता है?

Why do companies get listed on exchanges?

पारदर्शिता और स्वचालित व्यापार: (Transparency and automated trading)

ट्रेडिंग के संदर्भ में उच्च अंत प्रौद्योगिकी निवेशकों के लिए एक सहज अनुभव प्रदान करती है। एक्सचेंजों पर व्यापार की उच्च मात्रा का परिणाम निवेशक के लिए कम प्रभाव लागत होता है। स्वचालन से व्यवहार में पारदर्शिता आती है जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।

विशाल पहुंच: (Huge Reach)

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को देश के किसी भी हिस्से से एक्सेस किया जा सकता है। एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी को अधिक दृश्यता मिलती है और जनता को निवेश के उद्देश्य से इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का समान अवसर मिलता है।

उच्च लेनदेन की गति: (High transaction speed)

ऑनलाइन ट्रेडिंग सिस्टम के आविष्कार से पहले व्यापार निष्पादन में भारी देरी होती थी और यह उच्च गति ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के साथ पूरी तरह से दूर किया गया है। उच्च गति के कारण लेन-देन की क्षमता कई गुना बढ़ गई है, जिसमें वे सही समय पर होते हैं।

एक्सचेंजों की भूमिका: (Role of exchanges:)

बाजार जहां प्रतिभूतियों का कारोबार होता है: (Market where securities are traded)

कोई भी निवेशक अपनी जरूरत के आधार पर सिक्योरिटीज खरीद या बेच सकता है। किसीको भी शेयरों में व्यापार करने के लिए के लिए कोई विशेष समयावधि नहीं है। बाजार में तरलता अधिक है जो जमीन या सोने जैसे निवेश के रास्ते के मामले में नहीं है।

स्टॉक की कीमतों के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार: (Responsible for evaluation of stock prices)

मांग और आपूर्ति के आधार पर, स्टॉक की कीमत या स्वचालित व्यापार तो बढ़ जाती है या घट जाती है। यदि कंपनी अच्छी प्रगति करती है, तो उसके शेयरों की मांग में वृद्धि होती है और बदले में इसकी कीमत बढ़ जाती है। जबकि अगर कंपनी अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो इसके शेयरों की मांग कम हो जाती है और बदले में इसकी कीमत भी घट जाती है। स्टॉक की कीमत का मूल्यांकन एक्सचेंज में होता है।

स्वचालित व्यापार

नई दिल्ली, फरवरी 10, 2021: गेल (इंडिया) लिमिटेड ने इंडियन गैस एक्सचेंज लिमिटेड में 5% इक्विटी स्‍टेक के अधिग्रहण हेतु आईजीएक्स एवं इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड (आईईएक्स), आईजीएक्स के प्रवर्तक एवं मूल कंपनी के साथ शेयर क्रय एवं शेयरधारक करार (एसपीएसएचए) पर हस्ताक्षर किए ।

भारत का प्रथम स्वचालित डिलीवरी-आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, आईजीएस को माननीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा जून 2020 में लॉन्च किया गया था, तत्‍पश्‍चात पीएनजीआरबी ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक स्वचालित व्यापार बोर्ड (गैस एक्सचेंज) विनियमन, 2020 को अधिसूचित किया। आईजीएक्स के पास विनियमन के अंतर्गत 25 वर्षों की अवधि के लिए गैस एक्सचेंज के रूप में प्रचालन करने का आवश्यक प्राधिकरण प्राप्त है। गेल पहले से ही आईजीएक्स का सदस्य है और अब शेयरधारक के रूप में भी शामिल हो गया है।

RBI की जयपुर में स्वचालित बैंक नोट प्रसंस्करण केंद्र खोलने की तैयारी

RBI will open automatic bank note processing center in Jaipur

राज एक्सप्रेस। देश में नोटबंदी के बाद काफी हद्द तक ट्रांजेक्शन के लिए ऑनलाइन ऐप या वॉलेट को जरिया बनाया गया। इसके बावजूद भी आज भारत में कैश पैसे रखने का काफी चलन हैं। देश में नए नोटों के आने के बाद देश में नोटों का सर्कुलेशन काफी बढ़ा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व ऑफ़ (RBI) इंडिया ने एक स्वचालित बैंकनोट प्रसंस्करण केंद्र खोलने का फैसला किया हैं। जो कि, जयपुर में खोला जाएगा। RBI ने इस बारे में जानकारी ऐलान करते हुए दी।

RBI खोलेगा स्वचालित बैंक नोट प्रसंस्करण केंद्र :

Automated Driving Track: अगले साल से दिल्ली में ड्राइविंग लाइसेंस लेना होगा मुश्किल, जानिए क्यों

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  • नई दिल्ली ,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • (Updated 27 दिसंबर 2022, 11:00 AM IST)

5 साल पहले शुरू हुआ था ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट

अगर आप राष्ट्रीय राजधानी में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना चाह रहे हैं, तो यहां आपके लिए एक बड़ा अपडेट आया है. दिल्ली में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब मुश्किल होने जा रहा है, क्योंकि जनवरी 2023 के अंत तक सभी टेस्ट ट्रैक स्वचालित (ऑटोमेटेड) हो जाएंगे.

आपको बता दें कि दिल्ली में कुल 13 ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक हैं, और 12 ऑटोमेटेड हो चुके हैं. एकमात्र लाडो सराय के ट्रैक पर ड्राइविंग परीक्षण अभी भी मैन्युअल रूप से किए जाते हैं. यह परीक्षण ट्रैक शीघ्र ही स्वचालित होने जा रहा है.

5 साल पहले शुरू हुआ था ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट
लगभग 5 साल पहले, पहला स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक दिल्ली में शुरू किया गया था ताकि आवेदकों को स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले उनके ड्राइविंग कौशल का निष्पक्ष तरीके से आकलन किया जा सके और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में भ्रष्टाचार को भी समाप्त किया जा सके.

राज स्वचालित व्यापार कुमार सिंह ने स्वचालित उत्पादन नियंत्रण राष्ट्र को समर्पित किया

राज कुमार सिंह ने स्वचालित उत्पादन नियंत्रण राष्ट्र को समर्पित किया |_40.1

बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, राज कुमार सिंह (Raj Kumar Singh) ने राष्ट्र को स्वचालित उत्पादन नियंत्रण (Automatic Generation Control – AGC) समर्पित किया है। एजीसी हर चार सेकेंड में बिजली संयंत्रों को सिग्नल भेजता है ताकि भारत की बिजली व्यवस्था की फ्रीक्वेंसी और विश्वसनीयता बनी रहे। यह 2030 तक सरकार के 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित उत्पादन क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

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