BEQUANT Exchange Trading Platform
BEQUANT Exchange एक खुदरा और संस्थागत मल्टी-एक्सचेंज ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है
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BEQUANT Exchange is a retail and institutional multi-exchange trading platform, enabling professional traders to invest in a diverse range of digital assets. The BEQUANT trading platform’s core matching engine is preeminent technology, offering traders a wide range of features including real-time clearing and cutting-edge order matching algorithms. The technology pairs market-makers, quantitative desks and active traders looking to connect with industry-standard FIX or robust APIs. The BEQUANT Exchange core matching engine is based in the United Kingdom, in LD4, a premium state-of-the-art data center operated by Equinix. The data center offers a full range of colocation, interconnections and a secure digital ecosystem. Clients can achieve a sub-500-microsecond internal tick to trade.
BEQUANT Exchange Trading Platform
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Minneapolis-St. Paul International Airport’s First Trading Card Unveiled
Minneapolis-St. Paul International Airport’s First Trading Card Unveiled
MINNEAPOLIS-ST. PAUL – You won’t find batting averages on a new collectors’ series of North American airport trading cards, but you can find interesting facts about Minneapolis-St. Paul International Airport (MSP).
This week, MSP joined the ranks of airports throughout the United States and Canada offering a free trading card for air travelers.
“Lots of people like to pick up a memento of the places they’ve visited, and airport trading cards are a fun, scrapbook-friendly way of tracking your travels and learning more about the airports you use,” said Patrick Hogan, MSP’s public affairs and marketing director.
People can pick up the free trading card at any information booth in Minneapolis-St. Paul International Airport.
MSP’s trading card is part of the North American Airport Collectors Series TM , an initiative launched in September by Airports Council International-North America.
In addition to MSP, airports participating in the trading card program include: Austin-Bergstrom International; Baton Rouge Metropolitan; Cincinnati-Northern Kentucky International; Dane County Regional; Edmonton International; Elmira-Corning Regional; Fort McMurray International; General Mitchell International; Hartsfield-Jackson Atlanta International; Jacksonville International; Kelowna International; Lambert-St. Louis International; Mineta San Jose International; Nashville International; Ottawa Macdonald-Cartier International; Piedmont Triad International; Pittsburgh International; Salt Lake City International; San Antonio International; San Diego International; Savanna-Hilton Head International; Stinson Municipal; and Winnipeg Richardson International.
To learn more about the North American Airport Collectors Series TM , visit www.airporttradingcards.com
About Minneapolis-St. Paul International Airport
Minneapolis-St. Paul International Airport (MSP) is one of seven airports owned and operated by the Metropolitan Airports Commission, a public corporation of the state of Minnesota. MSP has the 11 th busiest airfield in the United States and ranks 16 th in travelers served. The airport generates more than $10 billion annually for the Twin Cities area economy and supports more than 76,000 area jobs. The commission is funded by rents and fees paid by airport users, not by general tax dollars.
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Trading View क्या है
अगर आप शेयर मार्केट में काम करते हैं तो आपको Chart Analysis और Practice की जरूरत होती है ऐसे में अगर आप अपने ब्रोकर के Terminal का उपयोग करते हैं तो उसमें कुछ भी कंपनियों के चार्ट दिए होते हैं साथ ही साथ अगर आपको Indicator और Historical Data की भी जरूरत होती है तो वह आपके Trading टर्मिनल में नहीं मिल पाती ऐसे में आप Trading View की मदद ले सकते हैं इसमें आपको ना केवल भारत की बल्कि दुनिया की किसी भी शेयर के चार्ट आपको मिल जाएंगे !
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(3) वर्ष 2009-11 के दौरान बार-बार टेंडर जारी करने, तथा प्रोजेक्ट को भौतिक रूप से तैयार करने के लिए रणनीतिक भागीदार का चयन करने के बावजूद कानूनी तथा तकनीकी मुद्दों के कारण इस प्रोजेक्ट ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में को पूरा नहीं किया जा सका।
(4) एफटीडब्ल्यूपीएल के निदेशक मंडल ने अपनी 30 नवंबर, 2012 को आयोजित बैठक में निम्नलिखित का अनुमोदन किया था :-
(ए) प्रोजेक्ट का तीन चरणों में क्रियान्वयन करना।
(बी) चरण-1 को प्रोजेक्ट एसपीवी के माध्यम से आईएलएण्डएफएस-वाणिज्य विभाग फंड(डीओसी फंड) से तत्काल ऋण लेकर कार्यान्वित करना।
(5) आईडब्ल्यूकेपीडीपीएल ने ऋण फंडिंग के लिए अप्रैल 2013 में डीओसी फंड को अपना आवेदन दिया था।
(6) डीओसी फंड की प्रोजेक्ट डवलेपमेंट कमेटी ने 18 जून 2014 को आयोजित अपनी बैठक में कांडला एफटीडब्ल्यूजेड़ प्रोजेक्ट की फंडिंग के प्रस्ताव पर विचार किया। अपर सचिव (वाणिज्य) की अध्यक्षता में आयोजित पीडीसी में विचार विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि डीओसी के अधीन किसी भी नए प्रोजेक्ट की फंडिंग पर विचार करना उचित नहीं होगा तथा यह सलाह दी कि अब प्रोजेक्ट क्रियान्वयन के लिए तैयार है, अत: एमएमटीसी तथा आईएलएण्डएफएस मिलकर फंडिंग के उपयुक्त स्रोत का पता लगाएंगी जिसका जरिया इक्विटी अथवा बैंक द्वारा वित्त पोषण हो सकता है।
(7) इसके बाद सीएमडी(एमएमटीसी) तथा सीईओ, आईएलएण्डएफएस के बीच 14 जुलाई 2014 को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रोजेक्ट एसपीवी निम्नलिखित कार्यों को पूरा करेगा जिसके लिए अतिरिक्त पीडीएफ अंशदान के लिए एमएमटीसी तथा आईएलएण्डएफएस आईआईडीसी फंड 10-10 मिलियन रूपए का योगदान करेंगे :-
(ए) मास्टर प्लान का अनुमोदन
(बी) साईट लेवलिंग तथा फेंसिंग
(सी) प्लाट्स की लीज के लिए ईओलएल जारी करना
(8) जुलाई 2014 में साईट के विकास कार्यों तथा आर्किटेक्ट की नियुक्ति के लिए टेंडर्स आमंत्रित किए गए। 04 सिंतबर 2014 को आर्किटेक्ट नियुक्त किया गया तथा 19 सिंतबर 2014 को साईट के विकास कार्य शुरू किए गए।
(9) एसईजेड़ के बोर्ड ऑफ अप्रूवल्स(बीओए) ने दिनांक 18 सिंतबर 2014 को दिल्ली में आयोजित अपनी बैठक में प्रोजेक्ट एसपीवी को प्रदान की गई औपचारिक मंजूरी को निरस्त कर दिया जिसकी जानकारी हमें 26 सिंतबर 2014 को मिली। प्रदत्त मंजूरी को इस आधार पर निरस्त किया गया था कि एसपीवी ने प्रोजेक्ट के विकास कार्य में संतोषजनक प्रगति नहीं की है। तथापि, एसपीवी को इस बारे में न ही कोई नोटिस जारी किया गया और न ही उसे इस मामलें में अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया।
(10) अक्टूबर 2014 में बीओए के समक्ष को-डवलेपर अनुमोदन की बहाली के लिए कानूनी अपील दायर की गई। बोर्ड ने दिनांक 19 मई 2015 को आयोजित अपनी बैठक में मामले पर उनके पक्ष में विचार किया। इस निर्णय को जून 2015 के तीसरे सप्ताह में मिनट्स के माध्यम से नोटिफाइ किया गया। अक्टूबर 2014 से ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में जून 2015 तक की इन्टर्रेग्नम अवधि के दौरान आईडब्ल्यूकेपीडीपीएल को भूमि पर कार्य करने की अनुमति नहीं थी अत: प्रोजेक्ट का विकास कार्य नहीं हो सका।
(11) को-डवलेपर अनुमोदन की बहाली के बाद केएएसईजेड़ अथारिटी से मास्टर प्लान के अनुमोदन के लिए एप्रोच किया गया। दिनांक 05 जनवरी 2016 को अनुमोदन प्रदान किया गया।
(12) इसके तुरंत बाद साइट विकास कार्यों को फिर से शुरू किया गया। निम्नलिखित कार्यों को 30 जून 2016 तक पूरा किया गया :-
(ए) घास-फूस को साफ करना तथा भूमि को समतल करना ।
(बी) 2.8 कि.मी. सड़कों के लिए ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में भूमि चिह्नित करना तथा सब-बेस लेयर बनना(0.5 कि.मी. फाइनल लेयर तक रोड का काम पूरा कर लिया गया था) ।
(सी) एफटीडब्ल्यूजेड़ की चार दिवारी बनाना।
(डी) आम प्रयोग के लिए सुविधा(वर्क स्टेशन तथा कॉन्फ्रेंस सुविधा सहित)।
(13) केएएसईजेड़ अथारिटी ने दिनांक 07 जून 2016 को विकसित प्लाट्स के लिए सब-लीजिंग रेट का अनुमोदन किया। 2.75 एकड़ के दो प्लॉटों (40 प्लाट्स में से) लीज़ मिल गई है (लीज़ योग्य कुल 57 एकड़ एरिया में से)। 3600 वर्ग मीटर के एक और प्लाट को सब-लीज़ दी जा रही है। शेष प्लॉटों को भी सब-लीज कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
(14) एफटीडब्ल्यूपीएल के बोर्ड ने अपनी दिनांक 29 अगस्त 2016 को आयोजित बैठक में एफटीडब्ल्यूजेड़ यूनिट को शुरू करने के लिए बिजनेस प्लान का अनुमोदन प्रदान किया है ताकि इसे लीजिंग के लिए थर्ड पार्टी ग्राहकों को ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में लीज़ पर दिया जा सके। एफटीडब्ल्यूजेड यूनिट के रजिस्ट्रेशन तथा वेयर हाऊसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण संबंधी आरंभिक कार्य किए जा रहे हैं।
(15) यूनिट स्थापित ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में करने के लिए प्रोजेक्ट एसपीवी के आवेदन को डीसी, केएएससीजेड़ ने दिनांक 15.11.2016 को आयोजित अपनी बैठक में अनुमोदित किया है। क्लोज्ड वेयरहाउस के लिए डिजाइन सर्विस सेवाएं उपलब्ध कराने हेतु दिनांक 23.।2.2016 को आर्किटेक्ट की नियुक्ति की गई है। वेयर हाउसिस निर्माण के लिए निर्माण ठेकेदारों का पैनल तैयार करने की प्रक्रिया जारी है।
(16) एफडीएफसी बैंक ने 25 अक्टूबर 2016 को 27 करोड़ रुपए की क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के संबंध में सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है (जो 3 चरणों में दिया जाएगा)।
जानिए पहचानिए स्टॉक मार्किट को और कमाइए ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में अपनी सुझबुझ से
शेयर मार्किट में कैसे करें निवेश, कमाइए पैसा जी भर के यदि आपमे है कुछ सिखने की इच्छा
यह तो सभी को मालूम ट्रेडिंग टर्मिनल मुफ्त में है कि किसी भी बाजार में अगर मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा है तो कीमत गिरेगी। अगर इसका उल्टा आपूर्ति कम है तो कीमत बढ़ेगी। लेकिन शेयर बाजार और आलू-प्याज मार्केट में एक महत्वपूर्ण अंतर भी है। आप आलू-प्याज को एक उपभोक्ता यानी एंड यूजर के तौर पर खरीदते हैं, न कि एक ट्रेडर के तौर पर। (हमारे जो पाठक आलू-प्याज के ट्रेडर हैं, वे इस उदाहरण को खरीद-फरोख्त की जाने वाली किसी दूसरी वस्तु मसलन जमीन, फ्लैट या सोने-चांदी के संदर्भ में समझ सकते हैं) लेकिन जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो आप यूजर नहीं बल्कि ट्रेडर हो जाते हैं क्योंकि शेयर खरीदने का एक ही मकसद होता है, उसे बेचकर मुनाफा कमाना।
दरअसल यहीं शेयर बाजार दूसरे बाजारों के मुकाबले अलग और अनोखा है। यहां हर सौदे में दो ट्रेडर आमने-सामने होते हैं। वे एक दूसरे को न जानते हैं, न पहचानते हैं फिर भी एक बेचता है तो दूसरा खरीदता है। इसे एक और सरल उदाहरण से समझिए। माना कि आपने 520 रुपए के भाव पर टाटा स्टील के 100 शेयर खरीदे। जाहिर सी बात है कि ये शेयर किसी ने बेचे तभी आप इन्हें खरीद पाए। अब जरा सोचिए कि जब आपको लगा कि 520 रुपए में टाटा स्टील का शेयर खरीद लेना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत में उछाल आने के आसार हैं। ठीक तभी किसी दूसरे शख्स इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके डि-मैट अकाउंट में टाटा स्टील के जो शेयर हैं, उन्हें बेच देना चाहिए क्योंकि इसकी कीमत गिरनेवाली है। उसने बेचने का ऑर्डर दिया, आपने खरीदने का ऑर्डर दिया और ट्रेड हो गया। इस प्रकार एक दूसरे के धुर विपरीत सोच वाले दो ट्रेडर्स जब स्टॉक एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म एक समय में आमने-सामने होते हैं तभी कोई सौदा होता है। इसी को शेयर बाजार का ‘जीरो सम गेम’ कहते हैं। यानी टाटा स्टील के जो 100 शेयर कल तक उस शख्स के पास थे, वो अब आपके पास हैं, अगर आने वाले दिनों में वे शेयर चढ़ते हैं तो इसका मतलब है कि आपकी ट्रेडिंग सफल रही, अगर यह शेयर गिरता है, बेचने वाले का आकलन सही साबित होगा।
संवेदनशील बाजार में कैसे समझें कि कौन शेयर गिरेगा और कौन चढ़ेगा
अब आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि इतनी कशमकश के बीच कैसे तय किया जाए कि कौन सा शेयर उठ सकता है और कौन सा गिरने वाला है। इस सवाल का कोई सीधा जवाब न है, न हो सकता है। क्योंकि शेयर बाजार एक जटिल, व्यापक और संवेदनशील मशीन की तरह काम करता है। इसे प्रभावित करने वाले तत्वों की कतार बहुत लंबी है। माइक्रो से लेकर मैक्रो तक यानी किसी छोटी सी कंपनी के वार्षिक नतीजों से लेकर आम चुनाव के परिणाम तक कोई भी चीज स्टॉक की कीमत में बड़ा उलटफेर कर सकती है। विनिवेश से लेकर अधिग्रहण तक कोई भी खबर किसी शेयर की कीमत में तूफान खड़ा कर सकती है। कई बार तो कोई बड़ी वजह नहीं होती है फिर भी शेयर बाजार में भूचाल आ जाता है। जैसा कि रेल बजट वाले दिन हुआ। रेल बजट ने बाजार को निराश तो कतई नहीं किया। फिर भी शेयर बाजार में दस महीनों की सबसे भयानक गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 160 प्वाइंट फिसल गया। इसकी दो बड़ी वजहें मानी गईं- पहली-मुनाफावसूली हुई, दूसरी-बाजार बहुत चढ़ गया था, इसलिए उसमें करेक्शन हुआ, बड़े बड़े शेयर औंधे मुंह गिरे। दिलचस्प है कि इतनी बड़ी गिरावट डाउनट्रेंड मार्केट में नहीं बल्कि अपट्रेंड मार्केट में आई। कहने का मतलब यह कि शेयर बाजार को किसी एक फॉर्मूले से साधा नहीं जा सकता है। हो सकता है कि आपने जिस फैक्टर को कम करके आंका, वही सबसे पावरफुल साबित हो।
समय के साथ बदलें रणनीति
शेयर मार्किट एक ऐसा युद्ध है जिसमें समय के साथ रणभूमि और रणनीति दोनों बदलनी पड़ती है। यहां कुछ भी फिक्स्ड नहीं है। आप ट्रेडिंग टर्मिनल को देखेंगे तो महसूस करेंगे कि हर पल बाजार की हलचल के हिसाब से भावों में उसी तरह उतार-चढ़ाव होता है, जैसे सागर की लहरों में। इसके बावजूद कुछ लोग दावा करते हैं कि उनके पास शेयरों की अचूक भविष्यवाणी करने की शक्तिहै। लेकिन ऐसी भविष्यवाणियों पर आंखमूंद कर भरोसा करना खुद को ठगने जैसा है।
टिप्सों पर आंखमूंद कर न करें यकीन
फीस लेकर टिप्स देने वाली एजेंसियां इस संवेदनशील शेयर बाजार के बारे में यह दावा करती हैं कि उसके ट्रेडिंग टिप्स कभी फेल नहीं होते हैं, तो वे एक तरह से भोले-भाले निवेशकों को झांसा दे रही होती हैं। क्योंकि अनिश्चितता तो शेयर बाजार की धड़कन है। इसलिए नए निवेशकों को सलो शेयर बाजार में फायदे और नुकसान का गणित समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर इस बाजार में कारोबार होता कैसे है? बुनियादी तौर पर देखा जाए तो शेयर बाजार और आलू-प्याज के मार्केट में कहने के लिए कोई खास फर्क नहीं है। दोनों मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर चलते हैं। लेकिन शेयर बाजार की प्रकृति अन्य बाजारों से अलग है। कैसे, आइए समझते हैं ।
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