Update: Wednesday, December 7, 2022 @ 6:34 PM

मैग्मा एचडीआई हेल्थ इंश्योरेंस

मैग्मा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मैग्मा फिनकॉर्प लिमिटेड और एचडीआई ग्लोबल एसई जर्मनी के बीच एक संयुक्त उपक्रम है। 45 लाख से अधिक ग्राहकों के साथ, कंपनी कई वर्षों से अपने ग्राहकों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा कर रही है।

कंपनी विभिन्न श्रेणियों में 30 से अधिक उत्पादों की पेशकश करती है जिनमें स्वास्थ्य बीमा, मोटर बीमा, समुद्री बीमा, अग्नि बीमा आदि शामिल हैं।

कंपनी ने पिछले कुछ सालों में कई पुरस्कार भी जीते। पिछले 2 वर्षों में मैग्मा एचडीआई द्वारा जीते गए पुरस्कारों की सूची देखें:

  • सीएक्स एक्सीलेंस अवार्ड- 2022
  • टेक्नोलॉजी एक्सीलेंस अवार्ड्स- 2022
  • 'एआई और रोबोटिक्स के उत्कृष्ट उपयोग' के लिए BFSI एक्सीलेंस अवार्ड्स 2021 के विजेता
  • राइजिंग स्टार कंपनी ऑफ द ईयर एट इंडिया इंश्योरेंस अवार्ड्स 2020
  • लाभ क्रांति कैसे काम करती है इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा सर्वश्रेष्ठ बीएफएसआई ब्रांड्स 2019 में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त
  • जोखिम प्रबंधन के लिए गोल्डन पीकॉक अवार्ड 2019 का विजेता - सामान्य और जीवन बीमा उद्योग दोनों के लिए

मैग्मा एचडीआई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी क्यों चुनें?

किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में अपना पैसा लगाने से पहले, आपको कंपनी के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में निवेश करने से पहले, आपको कुछ मापदंडों के बारे में पढ़ना चाहिए जैसे कि नेटवर्क अस्पतालों की उपलब्धता, क्लेम सपोर्ट, सॉल्वेंसी रेशियो और वार्षिक प्रीमियम।

लड़कर नहीं, मिलकर करेंगे समाधान

जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने.

लड़कर नहीं, मिलकर करेंगे समाधान

जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान व्यापक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे और आगे बढ़ेंगे। अब, जबकि भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाल ली है, तो मैं अपने आप से यह पूछता हूं कि क्या जी-20 और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण के लिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव लाने की पहल कर सकते हैं?
हां, ऐसा कर सकते हैं। यह मेरा विश्वास है।
हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। पूरे इतिहास के दौरान मानवता का जो स्वरूप होना चाहिए था, उसमें एक प्रकार की कमी दिखी है। हम सीमित संसाधनों के लिए लड़े, क्योंकि हमारा अस्तित्व दूसरों को उन संसाधनों से वंचित कर देने पर निर्भर था। विभिन्न विचारों, विचारधाराओं और पहचानों के बीच टकराव और प्रतिस्पद्र्धा को ही जैसे आदर्श मान बैठे। दुर्भाग्य से, हम आज भी उसी शून्य-योग (छीनने और हासिल करने) की मानसिकता में अटके हुए हैं। इसे हम तब देखते हैं, जब विभिन्न देश क्षेत्र या संसाधनों के लिए आपस में लड़ते हैं। हम इसे तब देखते हैं, जब आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को हथियार बनाया जाता है। हम इसे तब देखते हैं, जब कुछ लोगों द्वारा टीकों की जमाखोरी की जाती है, भले ही विश्व के अरबों लोग बीमारियों से असुरक्षित हों।
कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि टकराव और लालच मानव स्वभाव हैं। मैं इससे असहमत हूं। अगर मनुष्य स्वाभाविक रूप से स्वार्थी है, तो हम सभी में मूलभूत एकात्मता की हिमायत करने वाली इतनी सारी आध्यात्मिक परंपराओं के स्थायी आकर्षण को कैसे समझा जाए? भारत में प्रचलित ऐसी ही एक परंपरा है, जो सभी जीवित प्राणियों और यहां तक कि निर्जीव चीजों को भी पांच मूल तत्वों से बना हुआ मानती है, यानी पंचतत्व से निर्मित मानती है। ये तत्व हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन तत्वों का सामंजस्य हमारे भीतर और हमारे बीच भी, भौतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कल्याण के लिए आवश्यक है।
भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने का काम करेगी, इसीलिए हमारी थीम है- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य। यह सिर्फ एक नारा नहीं है। यह मानवीय परिस्थितियों में आए उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूप से विफल रहे हैं। आज हमारे पास दुनिया के सभी लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं। हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ने की जरूरत नहीं है। इसे ‘युद्ध का युग’ बनाने की जरूरत नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए। आज हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी जिन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है।
सौभाग्य से, आज की जो तकनीक है, वह हमें मानवता के आगे खड़ी विशाल समस्याओं के समाधान का साधन भी प्रदान करती है। आज हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, उससे हमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों की व्यापकता का भी पता चलता है। भारत इस सकल विश्व का एक सूक्ष्म जगत है, जहां दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वासों की विशाल विविधता है। सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। यह लोकतंत्र की जननी लाभ क्रांति कैसे काम करती है है, इसलिए इसकी राष्ट्रीय सहमति किसी आदेश से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाजों को एक सुरीले स्वर में पिरोकर बनाई गई है।
आज, भारत सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए, हमारा नागरिक-केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिये पर खड़े लोगों का भी ख्याल रखता है। हमने राष्ट्रीय विकास को ऊपर से नीचे की ओर के शासन की कवायद नहीं, बल्कि एक नागरिक नेतृत्व वाला ‘जनांदोलन’ बनाने की कोशिश की है। हमने ऐसी डिजिटल सुविधाएं निर्मित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है, जो खुली, समावेशी और अंतर-संचालनीय है। इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है। इन सभी कारणों से भारत के अनुभव संभावित वैश्विक समाधानों के लिए अंतरदृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
जी-20 की अध्यक्षता के दौरान, हम अपने अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को दूसरे देशों, विशेषकर विकासशील राष्ट्रों के लिए एक आदर्श के रूप में पेश करेंगे। हमारी जी-20 प्राथमिकताएं न केवल इस समूह के सहयोगी देशों, बल्कि हमारे साथ कदम बढ़ाने वाले दुनिया के दक्षिणी हिस्से के देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी कर दी जाती हैं, के साथ परामर्श से निर्धारित की जाएंगी। हमारी प्राथमिकताएं ‘एक पृथ्वी’ को संरक्षित करने, हमारे ‘एक परिवार’ में सद्भाव पैदा करने और हमारे ‘एक भविष्य’ को आशान्वित करने पर केंद्रित होंगी। अपनी धरती को बेहतर बनाने के लिए, हम भारत की प्रकृति की देखभाल करने वाली परंपरा के आधार पर हम स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साहित करेंगे।
मानव-परिवार में सद्भाव बढ़ाने के लिए हम खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बनें। जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए। हमारी आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने के लिए, हम बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होने वाले जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सबसे ताकतवर देशों के बीच ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहित करेंगे।
भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक होगा। आइए, हम भारत की जी-20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने के लिए एकजुट हों। आइए, मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को गढ़ने के लिए हम साथ मिलकर काम करें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

डिजिटल क्रांति व गहराती खाई

digitalization and startup campaign started in coronavirus lockdown

वैसे तो पिछले दो दशकों में हमारे देश में डिजिटल सेवाओं का बड़ा विस्तार हुआ है। उसका सबसे बड़ा प्रभाव बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में देखने मिलता है। सरकार द्वारा ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देने के कारण ऑनलाइन लेन देन में आशातीत बढ़ोतरी हुई है। माना जाता है कि अब लगभग चालीस प्रतिशत लेनदेन ऑनलाइन माध्यमों से हो रहा है। देशभर में पंचायत स्तर तक नागरिक सुविधा केंद्रों यानी कॉमन सर्विस सेंटर का जाल बिछाया गया है जो कई तरह की सेवाएंप्रदान कर रहे हैं। वह किताबें हों, कपड़े हों या घरेलू उपयोग का कोई और सामान, घर बैठे मंगवाया जा सकता है। और अब तो राशन और सब्जियां आदि भी सीधे स्टोर से घर पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। शिक्षा , आवागमन , यातायात, चिकित्सा, शोध और विकास जैसे सभी क्षेत्रों में सूचना तकनीक ने अपना हस्तक्षेप बढ़ा लिया है। यह प्रगति की दिशा में एक अच्छा है।

National Milk Day 2022: हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है दूध, इसके नुकसान जानकर आपको भी नहीं होगा यकीन

Milk Day 2022: दूध पीना आपकी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. जी हाँ आपने बिल्कुल सही पढ़ा है दूध पीना नुकसानदायक भी हो सकता है. दरअसल दूध को फुल पॉवर पैक ड्रिंक माना जाता है लेकिन आपको बता दें कि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं.

National Milk Day 2022: हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है दूध, इसके नुकसान जानकर आपको भी नहीं होगा यकीन

Disadvantages Of Milk: यहां दूध से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में बताया गया है.

Disadvantages Of Milk: आपने अक्सर दूध पीने के तो ढेर सारे फायदे सुने होंगे और लोगों को यह कहते हुए भी सुना होगा कि दूध पियोगे तो मजबूत बनोगे. पर क्या आपने कभी सुना है कि दूध पीने से नुकसान हो सकता है. दूध पीना आपकी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. जी हाँ आपने बिल्कुल सही पढ़ा है दूध पीना नुकसानदायक भी हो सकता है. दरअसल दूध को फुल पॉवर पैक ड्रिंक माना जाता है लेकिन आपको बता दें कि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं. आज नेशनल मिल्क डे पर हम आपको दूध पीने के कुछ नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है नेशनल मिल्क डे? | Why Is National Milk Day Celebrated?

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श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन के जन्म दिवस 26 नवंबर को नेशनल मिल्क डे यानी राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है. दरअसल भारत में श्वेत क्रांति के जनक और देश में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले वर्गीज कुरियन का जन्मदिन होता है और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए ये दिन मनाया जाता है. उन्हें देशभर में मिल्क मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो दूध हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है. यह दांतों, हड्डियों और दिमाग को मजबूत बनाता है लेकिन आज हम आपको दूध से होने वाले कुछ नुकसान के बारे में भी बताने जा रहे हैं.

दूध पीने से होने वाले नुकसान (Disadvantages Of Drinking Milk)

1) फैटी लीवर की समस्या

जो लोग लीवर की समस्या से परेशान है उन्हें दूध का सेवन कम से कम करना चाहिए, क्योंकि फैटी लीवर वाले लोगों को दूध डाइजेस्ट करने में काफी दिक्कत होती है. इससे लिवर में स्वेलिंग आ सकती है और फैट भी बढ़ सकता है. यही वजह है ऐसे लोग जिन्हें लीवर की समस्या है उन्हें दूध अवॉइड करने की सलाह दी जाती है.

2) एसिडिटी बढ़ा सकता है

जिन लोगों को डाइजेशन संबंधी दिक्कतें होती हैं और पेट में गैस बनती है, उन लोगों को दूध कम मात्रा में ही लेना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टोज पाया जाता है, जो डाइजेशन संबंधी समस्याओं को और बढ़ाता है.

3) लैक्टोज इनटॉलरेंस

ये एक तरह की एलर्जी होती है जो कुछ लोगों को डेयरी प्रोडक्ट्स के कारण होती है, ऐसे लोग जिन्हें दूध से एलर्जी होती है उन्हें लैक्टोज इनटॉलरेंस कहा जाता है. इन लोगों को दूध पीने से पेट में स्वेलिंग, दर्द और दस्त जैसी समस्या हो सकती है.

4) बढ़ जाती है पिंपल्स की समस्या

जी हां, जो लोग फुल फैट या हैवी क्रीम वाला दूध या मिल्क प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं, उन्हें स्किन प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं. ऐसे में जिन लोगों की स्किन ऑयली या सेंसिटिव है या जिन्हें बार-बार पिंपल्स निकलते हैं उन्हें दूध कम से कम पीना चाहिए.

5) गलती से भी ना पिएं कच्चा दूध

कई लोग सोचते लाभ क्रांति कैसे काम करती है हैं कि दूध बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है तो वो दूध को बिना उबाले ही पी लेते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कच्चा दूध पीना सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है. ती जब भी आप दूध पिएं उसे उबालकर गुनगुना ही पीएं. इससे वायरस और कीटाणु मर जाते हैं और शरीर को नुकसान नहीं होता. जबकि कच्चा दूध पीने से उल्टी और दस्त आपको परेशान कर सकता है.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

चुनाव नतीजे-कल सुबह, 24 महिला व 388 पुरुष कैंडिडेट के लिए आज की रात भारी-Video

सुबह 8 बजे से 68 मतगणना केंद्रों पर मतगणना शुरू होगी

चुनाव नतीजे-कल सुबह, 24 महिला व 388 पुरुष कैंडिडेट के लिए आज की रात भारी-Video

Update: Wednesday, December 7, 2022 @ 6:34 PM

शिमला। हिमाचल प्रदेश में 14वीं विधानसभा (14th Legislative Assembly) के चुनावी परिणाम 8 दिसंबर यानी कल आएंगे। सुबह 8 बजे से 68 मतगणना केंद्रों पर मतगणना (Counting) शुरू होगी। मतगणना के लिए लगभग 10 हजार कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रदेश की सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि आम आदमी पार्टी ने 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं।

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बहुजन समाजवादी पार्टी के 53 राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के 29ए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 11ए हिमाचल जन क्रांति पार्टी के 6, हिन्दू समाज पार्टी तथा स्वाभिमान पार्टी के 3-3, हिमाचल जनता पार्टी, भारतीय वीर दल, सैनिक समाज पार्टी तथा राष्ट्रीय लोकनीति पार्टी तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का 1-1 उम्मीदवार चुनाव मैदान में प्रत्याशी है। निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या 99 है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग (Chief Electoral Officer Manish Garg) ने बताया कि इस बार कुल 412 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें 24 महिला जबकि 388 पुरुष उम्मीदवार हैं।

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