सुश्री येलेन की यह यात्रा द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में निहित अवसरों और चुनौतियों को भी उजागर करती है। वाशिंगटन में बैठी वर्तमान सरकार ने खास तौर पर व्यापार के मसले में ट्रम्प प्रशासन के भारत विरोधी फैसलों की वजह से रिश्तों में आई दरार को पाटने के लिए कई कदम उठाए हैं। ट्रम्प प्रशासन के भारत विरोधी फैसलों में वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) के तहत भारतीय निर्यातकों के लिए शुल्क-मुक्त पहुंच की सुविधा को वापस लेने के साथ-साथ भारत को उसकी मुद्रा संबंधी चलन को लेकर उसे फिर से अमेरिका की ट्रेजरी की ‘निगरानी
पारस्परिक लाभ: भारत – अमेरिका व्यापारिक सहयोग
पिछले सप्ताह ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन की भारत यात्रा ने संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और ‘अमेरिका के अपरिहार्य भागीदारों में से एक’ के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किए जाने के तथ्य को रेखांकित किया है। व्यापक आर्थिक, व्यापारिक एवं रणनीतिक चुनौतियों में उलझा वर्तमान वैश्विक माहौल दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए अपने व्यापारिक संबंधों को पारस्परिक रूप से लाभकारी तरीके से गहरा करना और भी अधिक जरूरी बनाता है। दिल्ली में, सुश्री येलेन ने इस बात पर जोर दिया कि “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत एक ऐसी दुनिया में अपनी पारस्परिक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में रुचि रखते हैं जहां कुछ सरकारें व्यापार को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं”। अमेरिका खास तौर पर आपूर्ति-श्रृंखला में आने वाले व्यवधानों के लिहाज से अपनी नाजुक स्थिति को दुरूस्त करने के लिए उत्सुक है और इसलिए वह भारत के साथ ‘फ्रेंडशोरिंग’ की रणनीति अपना रहा है। ‘फ्रेंडशोरिंग’ की यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला में ‘भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी जोखिम पेश करने वाले देशों’ पर उसकी निर्भरता को कम करने की योजना का एक प्रमुख तत्व है। यूक्रेन पर हमले का हवाला देते हुए और मास्को द्वारा यूरोप को प्राकृतिक गैस की अपनी आपूर्ति को एक ‘हथियार’ के तौर पर इस्तेमाल किए जाने के साथ - साथ सौर पैनलों जैसे उत्पादों के उत्पादन में चीन के वर्चस्व की चुनौतियों को रेखांकित करते हुए, उन्होंने चुनिंदा आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने में मदद के उद्देश्य से विकासशील देशों में स्थानीय भागीदारों को विकसित करने की वाशिंगटन की दिलचस्पी को रेखांकित किया।
भारत वैश्विक निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक निवेश गंतव्य, ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता जल्दः गोयल
Edited By: India TV Paisa Desk
Published on: September 06, 2022 15:38 IST
Photo:PTI piyush goyal
Highlights
- गोयल ने कहा कि भारत सर्वश्रेष्ठ निवेश अवसर देता है
- चार्टर्ड अकाउंटेंट ‘ब्रांड इंडिया’ के प्रतिनिधि के तौर पर काम करें
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत को सर्वश्रेष्ठ निवेश स्थल बताते हुए कहा कि यह भारत और अमेरिका के भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में सहयोग और सरोकार के लिए उपयुक्त समय है। यहां अमेरिका और भारत के उद्योग जगत के अगुआओं को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ कि दोनों देश वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता और जुझारू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा दे सकते हैं। अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री ने कहा, ‘‘भारत-अमेरिकी संबंध से अनेक प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सकते हैं। हमारी आपूर्ति श्रृंखला का जुझारुपन, अमेरिका को भारत ने जिस प्रकार की प्रतिभाएं दी हैं और अमेरिका ने भारत को जो निवेश दिए हैं, ये सब कारोबार की दृष्टि से बहुत अच्छा है।’’ गोयल ने कहा कि भारत सर्वश्रेष्ठ निवेश अवसर देता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थल को आप छोड़ नहीं सकते। यह अरबों आकांक्षाओं का बाजार है।’’ अमेरिका के कारोबारों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए मंत्री ने कहा कि ‘‘परस्पर हितों के क्षेत्रों में हम सबके के सहयोग के लिए यह समय उपयुक्त है।’’
भारत और अन्य देशों के बीच सेतु बनें सीए
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यहां भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट से कहा कि वे ‘ब्रांड इंडिया’ के प्रतिनिधि के तौर पर काम करें और निवेशों को भारत की ओर आकर्षित करने में मदद करें। गोयल ने यहां सोमवार को इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अगले 30 वर्ष में 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अभी भारत की अर्थव्यवस्था 3300 अरब डॉलर की है। विदेशों में रह रहे भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट से गोयल ने कहा कि वे भारत में आने वाले निवेश को बढ़ाने में मदद देकर देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आप अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को भारत में अपार निवेश अवसरों की जानकारी दे सकते हैं। आप भारत और अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सों के बीच सेतु बन सकते हैं।’’ गोयल ने कहा, ‘‘आप ‘ब्रांड इंडिया’ के ‘ब्रांड एम्बसेडर’ बन सकते हैं।’’
लगातार दूसरे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना अमेरिका
अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था।
17.42 अरब डॉलर रहा व्यापार अंतर
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा। 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था। अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था।
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता, पहले दौर की वार्ता संपन्न
भारत और ब्रिटेन ने भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए पहले दौर की वार्ता संपन्न की। वर्चुअल तरीके से लगभग दो सप्ताह से अधिक समय तक चली पहले दौर की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि कोविड वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद इसे आगे बढ़या जा सकता है।
26 नीतिगत क्षेत्रों पर विशेष जोर
पहले दौर की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के तकनीकी विशेषज्ञ 32 अलग-अलग सत्रों में चर्चा के लिए एक साथ आए। इसमें 26 नीतिगत क्षेत्रों को कवर किया गया जिनमें वस्तुओं का व्यापार, वित्तीय सेवा एवं दूरसंचार सहित सेवाओं में व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा, सीमा शुल्क एवं व्यापार सुविधा, स्वच्छता एवं सइकोसैनिटरी उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, प्रतिस्पर्धा, लिंग, सरकारी खरीद, एसएमई, स्थिरता, पारदर्शिता, व्यापार एवं विकास, भौगोलिक संकेतक और डिजिटल शामिल हैं।
वार्ता काफी उपयोगी रही और वह दुनिया की 5वीं एवं 6वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक सौदे के लिए हमारी साझा लक्ष्यों को दर्शाती है। पहले दौर में सकारात्मक चर्चा ने भारत और ब्रिटेन के बीच कुशल प्रगति के लिए आधार तैयार किया है।
अर्थ जगत में बजा भारत का डंका, मुक्त व्यापार समझौते के लिए ब्रिटेन भी तैयार
भारत के लिए अर्थ जगत के मोर्चे से एक और बड़ी खबर आई है। दरअसल, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की प्रतिबद्धता दोहराई है। इस समझौते से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को और आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी।
FTA को लेकर क्या बोले ब्रिटिश पीएम ?
ज्ञात हो, इस संबंध में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। ब्रिटिश पीएम ने आगे कहा कि भारत के साथ यह समझौता करने पर ब्रिटेन विचार कर रहा है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पिछले महीने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में पदभार ग्रहण करने के बाद विदेश नीति पर दिए पहले भाषण में इसका जिक्र किया। उन्होंने सोमवार रात, 28 नवंबर 2022 को लंदन के लॉर्ड मेयर के औपचारिक भोज में यह भाषण दिया।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर में ”स्वतंत्रता और खुलेपन” के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटेन प्रतिबद्ध है। गौरतलब हो, पिछले महीने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनका प्रमुख विदेश नीति के संबंध में पहला भाषण था।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी हाल ही में हुआ FTA
ज्ञात हो, हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी मिल चुकी है। बीते एक दशक में ये पहली बार था कि जब भारत ने किसी विकसित देश के साथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता किया। बता दें ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच हुए समझौते के आधार पर दोनों देशों के बीच 100 फीसदी टैरिफ लाइन खोलने का फैसला किया गया था। अब इसी क्रम में ब्रिटेन और भारत के बीच भी जल्द ही बड़ा समझौता भारतीय व्यापारियों के लिए सर्वश्रेष्ठ होने के आसार नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक कारोबार को लेकर भारत का नजरिया अब बदल चुका है। भारत लगातार द्विपक्षीय कारोबार के संबंधों पर ज्यादा जोर दे रहा है। यूएई के साथ ऐतिहासिक समझौते के बाद ऑस्ट्रेलिया से करार और अब इसी कतार में खड़े ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौते के इशारे से साफ है कि भारत का कारोबारी जगत आगामी दिनों में और अधिक बेहतर ग्रोथ हासिल करने वाला है।
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