बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने 2017 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के आरोपों की जांच शुरू की थी. तब इसने बच्चन परिवार को नोटिस जारी कर भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत प्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत 2004 से अपने विदेशी प्रेषण को एक्सप्लेन करने के लिए कहा था.

भारत में ‘उद्यम पूंजी’ से बढ़ता कारोबार

संदर्भ
हाल ही में डाटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म, सीबी इन्साइट्स (CB Insights) की एक रिपोर्ट 'एशिया टेक इन्वेस्टमेंट' से यह अच्छी खबर सामने आई है कि पिछले साल अर्थव्यवस्था में ‘उद्यम पूंजी’ (Venture Capital) में हुई गिरावट के बाद इस वर्ष इसमें निवेश बढ़ा है। देश के शीर्ष पूंजीपतियों ने भी कहा कि अब उनका ध्यान उन उद्यमियों पर केंद्रित है जो अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में उभर रहे हैं तथा उन कंपनियों पर भी है जो पूंजी कुशल हैं। इससें अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ने की उम्मीद है तथा स्टार्ट-अप कंपनियों के माध्यम से नए उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत की तकनीकी कंपनियों में से कुछ को छोड़ दिया जाए तो पिछले साल की तुलना में फंडिंग की गई कुल पूंजी में 550% की बढ़ोतरी हुई है।
  • इस वर्ष पूंजी आकर्षित करने वाले शीर्ष क्षेत्रों में इंटरप्राइज़-टेक, हेल्थ-टेक, फाइन-टेक, खुदरा और शुद्ध-तकनीक शामिल हैं। इन क्षेत्रों में अप कैपिटल क्या हैं? कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence), ड्रोन, थ्री-डी प्रिंटिंग आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमता से संबंधित कंपनियों को स्थानीय क्षेत्रों (local Sectors) से समर्थन भी मिल रहा जो एक अच्छी बात है।
  • इस वर्ष निवेश की दृष्टि से देखें तो सीरीज़-जे में फ्लिपकार्ट का 1.4 अरब डॉलर, सीरीज़-एच में ओला कैब का 330 करोड़ डॉलर और ई-कॉमर्स के सीरीज़-ए में पेटीएम का 200 मिलियन डॉलर शामिल है।
  • रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार से अनिश्चितता दूर हो रही है और निवेश में सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहे हैं।
  • यह अच्छी बात है कि निवेशक ‘खाद्य तकनीक’ क्षेत्र की कंपनियों की तरफ भी अपना रुझान बढ़ा रहे हैं जहाँ पिछले दो सालों में अनेक उद्योग बंद हुए हैं।
  • इस वर्ष भारतीय टेक स्टार्ट-अप्स कंपनियों में 4.74 अरब डॉलर का निवेश हुआ जो वर्ष 2016 के 4.55 अरब डॉलर के निवेश की तुलना में अधिक रहा।

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Small Companies New Rule: छोटी कंपनियों के लिए बिजनेस करना हुआ आसान, देखें क्या हैं नए नियम

By: ABP Live | Updated at : 16 Sep 2022 07:58 PM (IST)

Edited By: Sandeep

Small Company New Definition Applicability : देश की छोटी कंपनियों (Small Companies) को लेकर कई तरह की योजना मोदी सरकार (Modi Government) चला रही है. जिसके तहत इन कंपनियों को अप कैपिटल क्या हैं? होने वाली परेशानियों का निदान जल्द किया जाता है. सरकार की ओर से इन कंपनियों को कई तरह की रियायतें भी दी जाती है. आपको बता दे कि केंद्र सरकार ने छोटी कंपनियों की पूंजी और टर्नओवर (Capital and Turnover) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया जाता है.

मंत्रालय से अध्यादेश जारी
केन्द्रीय कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) ने एक अध्यादेश जारी कर दिया है, जिसमें छोटी कंपनियों को नए सिरे से परिभाषित (Redefined) किया है. साथ ही अप कैपिटल क्या हैं? छोटी कंपनियों के पेडअप कैपिटल (Paid-Up Capital) के दायरे को अधिकतम 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर अब 4 करोड़ रुपये कर दिया गया है. नए नियमों के तहत मंत्रालय ने छोटी कंपनियों के टर्नओवर की सीमा, जो पहले अधिकतम 20 करोड़ रुपये थी उसे बढ़ाकर अब 40 करोड़ रुपये कर दिया है.

क्या है नई परिभाषा
कारोबार को “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया था. इस परिभाषा को अब और संशोधित किया है, जिसके अनुसार चुकता पूंजी की सीमा को “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से “4 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया तथा कारोबार को “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “40 करोड़ रुपये से अधिक अप कैपिटल क्या हैं? नहीं” कर दिया है.

अब मिलेगी ये सुविधाएं

  • अब वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं.
  • छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिये जरूरी नहीं रहा है कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता अप कैपिटल क्या हैं? प्रस्तुत करे.
  • कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है.
  • संक्षिप्त वार्षिक रिटर्न तैयार और फाइल करने का लाभ.
  • लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत नहीं.
  • बोर्ड की बैठक वर्ष में केवल 2 बार की जा सकती है.
  • छोटी कंपनियों के लिये कम जुर्माना.

Capital Gain Tax: क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स, निवेशकों को चुकाना होता है ये टैक्स? कैसे उठा सकते हैं फायदा, जानिए सबुकछ

CAPITAL GAIN को आसान शब्दों में समझें तो पूंजी लाभ. अब ये लाभ कई तरह से हो सकता है, चाहे किसी तरह के गहने बेचने पर हो या फिर संपत्ति. इसे सरकार द्वारा आपकी आय का हिस्सा ही माना जाता है, इसलिए इस पर टैक्स लिया जाता है.

सरकार इन्वेस्टर्स पर कई तरह के टैक्स लगाती है ताकि इनकम हासिल की जा सके. इन्हीं में से एक है कैपिटल गेन (Capital Gain Tax) टैक्स. जब कोई इन्वेस्टर (Investor) अपनी संपत्ति, घर, कार, बैंक एफडी आदि बेचता है तो इसके बिक्री से हासिल होने वाले मुनाफे पर टैक्स लिया जाता है जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं. क्योंकि इसे सरकर आय का ही एक हिस्सा मानती है. 2018 में इसे स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया था. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी पूंजी या संपत्ति को बेचकर हुए मुनाफे में लगने वाला टैक्स ही कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) है.

ऐसे लगता है टैक्स


अगर आप संपत्ति को एक्वायर करने के 36 महीनों बाद इसे बेचते हैं तो इससे हुए लाभ पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. तोहफे में मिली संपत्ति को बेचने से हुए मुनाफे पर भी ये टैक्स लगाया जाता है. इंडेक्सेशन के बेनेफिट के साथ रीयल एस्टेट पर 3 % के सेस के साथ 20 % की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है.


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Panama Papers Leak: ऐश्वर्या राय से साढ़े 5 घंटों तक चली पूछताछ, दागे गए ये सवाल

Aishwarya Rai

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2021,
  • (अपडेटेड 20 दिसंबर 2021, 11:11 PM IST)
  • ऐश्वर्या राय से साढ़े 5 घंटों तक चली पूछताछ
  • ऐश्वर्या राय को अप कैपिटल क्या हैं? पहले भी तलब किया जा चुका

बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन सोमवार को पनामा पेपर्स मामले में ईडी के सामने हाजिर हुईं. जांच एजेंसी ने दिल्ली में ऐश्वर्या राय का बयान दर्ज किया. उन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का उल्लंघन कर विदेशों में धन जमा करने के आरोप हैं. ऐश्वर्या राय से ईडी ने करीब साढ़े 5 घंटे पूछताछ की, इस दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए.

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