विदेशी मुद्रा भंडार: अर्थ, रचना, प्रयोजन और लाभ | Foreign Exchange Reserves: Meaning, Composition,Purpose and Benefits in hindi
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भारत की विदेशी मुद्रा भंडार: अर्थ, रचना, प्रयोजन और लाभ | Foreign Exchange Reserves of India: Meaning, Composition,Purpose and Benefits in hindi
विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थ क्या है ?
विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी मुद्रा, स्वर्ण आरक्षित, एसडीआर और आईएमएफ, ट्रेजरी बिल, बॉन्ड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियों के साथ जमा की जाने वाली संपत्ति हैं।
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img src : timesofindia |
यह रिजर्व सरकार की देनदारियों की तरह समर्थन प्रदान करने के लिए आयोजित किया जाता है सरकार या वित्तीय संस्थानों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास जमा किए गए विभिन्न बैंक भंडार और केंद्रीय बैंक द्वारा स्थानीय मुद्रा जारी करना। RBI भारत में विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है।
अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आयोजित किए जाते हैं, जबकि चीन दुनिया में सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा आरक्षित धारक है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार यूएस $ 3,091,459 मिलियन (यूएस $ 3 ट्रिलियन) था
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और जापान इसके बाद 1,368,679 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह अच्छा लगता है कि भारत शीर्ष 5 देशों में है। नीचे दी गई तालिका देखें,
विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना
विदेशी मुद्रा आरक्षित विदेशी मुद्रा आस्तियों, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), और आईएमएफ में आरक्षित स्थिति से बना है। भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कुल संग्रह यूएस $ 487039 मिलियन था। इस कुल संग्रह में उपर्युक्त वस्तुओं का एक संयोजन है।
15 मई 2020 तक; भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कुल भंडार यूएस $ 487039 मिलियन या यूएस $ 487 बिलियन था।
इस रिजर्व में सबसे बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा आस्तियों का है यानी यूएस $ 448670 मिलियन का सोना (US $ 32906 मिलियन) , US $ 1425 मिलियन का SDR और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ आरक्षित।
भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार इस प्रकार है
विदेशी मुद्रा रिजर्व का उद्देश्य और लाभ
1. विदेशी मुद्रा भंडार कई उद्देश्यों की पूर्ति करता है, लेकिन इसकी होल्डिंग के पीछे सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक केंद्रीय सरकारी एजेंसी (भारतीय रिजर्व बैंक) के पास बैकअप फंड्स हैं यदि उनकी राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से अवमूल्यन करती है या सभी एक साथ दिवालिया हो जाती है।
2. विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग मौद्रिक नीति को प्रभावित करने के लिए भी किया जाता है। यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण घरेलू मुद्रा का मूल्य घटता है तो भारत या अन्य देशों की केंद्र सरकार भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचती है ताकि भारतीय मुद्रा के मूल्यह्रास की जाँच की जा सके।
3. विदेशी मुद्रा के अच्छे भंडार वाले देश की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी छवि है क्योंकि व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं। भारत 1991 के वित्तीय संकट के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिफॉल्टर घोषित करने के कगार पर था।
4. अच्छे विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश विदेशी व्यापार का एक अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों में विश्वास अर्जित करता है।
विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में अन्य जानकारी
1. अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आयोजित किए जाते हैं क्योंकि यह दुनिया में सबसे अधिक कारोबार वाली मुद्रा है।
2. चीन के पास दुनिया का सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार यानी US $ 3.1 ट्रिलियन है
3. यह काफी आश्चर्यजनक है कि यूएसए के पास मार्च 2020 में सिर्फ $ 129,264 मिलियन का विदेशी मुद्रा आरक्षित है।
4. भारत में भारत का पांचवा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है।
5. भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार ने 6 मार्च, 2020 को 487 बिलियन अमेरिकी डॉलर का जीवन स्तर छू लिया था।
अर्थशास्त्रियों को लगता है कि किसी मुद्रा में विदेशी मुद्रा भंडार रखना बेहतर है जो सीधे देश की घरेलू मुद्रा से जुड़ा नहीं है।
विदेशी मुद्रा आरक्षित एक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य मीटर की तरह है। यदि किसी देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार का एक अच्छा हिस्सा है, तो उसकी वित्तीय स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा माना जाता है।
मजबूत होते रुपए से आपको मिलेंगे ये फायदे, किसानों से लेकर भारतीय कंपनियों को मिलेगा लाभ
कोरोना काल में दूसरे करेंसी के मुकाबले भारतीय रुपए में तेजी देखी गई है। मजबूत होते रुपए से एक और जहां इंपोर्ट करने वाली कंपनियों को लाभ मिलेगा। वहीं भारत के किसानों को भी इसका फायदा होता है और महंगाई पर भी इसका असर विदेशी मुद्रा लाभ देखा जा सकता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया बीते कुछ दिनों में लगातार मजबूत हुआ है। दरअसल विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में पूंजी डाली है जिसके चलते रुपए में मजबूती का रुख है। बीते हफ्ते से लेकर अबतक रुपए की चाल ज्यादातर मजबूत रही है। इस हफ्ते की बात करें तो मंगलवार 39 पैसे की मजबूती के साथ खुला था। वहीं बीते हफ्ते रुपए की चाल ज्यादातर मजबूत रही थी। देश की करेंसी मजबूत होने का फायदा एक ओर जहां इंपोर्ट करने वाली कंपनियों को मिलता है वहीं इससे आम आदमी से लेकर किसानों तक को इसका लाभ मिलता है।
कैसे तय होती है रुपए की चाल
करेंसी एक्सपर्ट के मुताबिक रुपए की कीमत डिमांड और सप्लाई पर निर्भर होती है। किसी भी देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटने बढ़ने के साथ ही उस देश की करेंसी की चाल बदलती रहती है। दरअसल ज्यादातर देशों का कारोबार डॉलर करेंसी में होता है। इसलिए अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है। चूकिं भारत भी अपना कारोबार डॉलर में ही करता है। ऐसे में डॉलर की कीमतें बदलने का असर भारतीय रुपए पर देखा जा सकता है।
रुपया मजबूत होने से लाभ
रुपए के मजूबत होने से कई क्षेत्रो को लाभ होता है जो इस तरह से हैं।
कम होगी महंगाई – विदेशी मुद्रा लाभ भारत बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है। अगर रुपए में मजबूती आती है तो इस क्षेत्र को फायदा होता है क्योंकि उन्हें क्रूड इंपोर्ट करने के लिए कम डॉलर चुकाना होगा। जिसके चलते कच्चे तेल के लिए भारत को कम चुकाना होगा। कच्चा तेल सस्ता होगा तो पेट्रोल ड़ीजल की कीमतें कम होंगी। पेट्रोल डीजल की कीमतें कम होने से महंगाई घटेगी। क्योंकि माल ढुलाई से लेकर यातायात का सबसे बड़ा साधन डीजल को ही माना जाता है।
किसानों को फायदा – रुपए के मजबूत होने से किसानों को भी फायदा है। दरअसल भारत बड़ी मात्रा में उर्वरक का आयात करता है। रुपए के मजबूत होने से यह सस्ता होगा। आयात करने वालों के लिए यह काम दाम में ज्यादा मिलेगा। जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा।
सस्ते होंगे इलेक्ट्रॉनिक समान – रुपया मजबूत होने से भारत सस्ते इलेक्ट्रॉनिक गुड्स ज्यादा मात्रा में आयात कर सकेगा। जिससे इसकी कीमतों में असर देखने को मिलेगा। रुपए की मजबूती का सकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर देखा जा सकेगा। इससे यह सस्ता होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा।
विदेशी मुद्रा लाभ
- सार्वजनिक सूचना - ऋण के लिए धोखाधड़ी प्रस्ताव के खिलाफ सावधानी
- वार्षिक रिपोर्टें
- वार्षिक विवरणी
- सहायक कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट
- वित्तीय परिणाम
- निवेशकों के लिए - कॉर्पोरेट जानकारी
- विदेशी मुद्रा पोर्टफोलियो
- बॉण्ड
- सामान्य जानकारी/संपर्क
- बॉण्ड
- अदावी बॉण्ड
- रजिस्ट्रार एवं ट्रांसफर एजेंट (संपर्क एवं पता)
- 54ईसी की धारा के अधीन पूंजीगत लाभ कर छूट बॉण्ड
- सामान्य फॉर्म
- निवेशकों की शिकायतों की स्थिति
[email protected] – पीएफसी के पूंजीगत लाभ बॉण्ड में आवेदन, आवंटन और बॉण्ड प्रमाण पत्र की प्राप्ति / डीमैट खाते में क्रेडिट सहित किसी भी प्रश्न के लिए।
[email protected] – ब्याज प्राप्त न होने, पते/बैंक विवरण में परिवर्तन, ट्रांसमिशन आदि सहित किसी भी आवंटन-पश्चात प्रश्न के लिए।
सेलिनियम टावर बी, प्लॉट नंबर 31 एवं 32, फाइनेंशियल डिस्ट्रिकट,
नानकरामगुड़ा, सेरिलिंगमौली, हैदराबाद रंगरेड्डी, तेलंगाना- 500 032
संपर्क व्यक्ति - श्री मुरली कृष्ण , श्री आर विलियम्स
दूरभाष: +91 40 67162222 Fax:+91 40 2343 1551
4 सी एवं डी, सिद्धिविनायक चेंबर्स, गांधी नगर, मिग क्रिकेट क्लब के सामने ,
भारत: लगातार पांच हफ़्ते बढ़ने के बाद विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट
New Delhi: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले हफ़्ते लगभग 571 मिलियन डॉलर की कमी आई है. जबकि पिछले पांच हफ़्तों से विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही थी. शुक्रवार को जारी हुए आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार 16 दिसंबर को ख़त्म हुए हफ़्ते में गिरकर 563.499 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इससे पिछले हफ़्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 2.91 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी जिससे ये 564.06 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. अक्टूबर 2021में भारत का मुद्रा भंडर अपने सबसे ऊंचे स्तर 645 अरब डॉलर पर था.
विदेशी मुद्रा भंडार कम होने की वजह ये है कि डॉलर के मुक़ाबले गिरते रुपये को बचाने के लिए आरबीआई ने मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया था. रुपये की कीमत डॉलर के मुक़ाबले लगातार गिर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक फिलहाल रुपये की कीमत 82.76 रुपये है. हालांकि, इससे पहले कीमत 82.81 रुपये थी जिसमें अभी थोड़ा सुधार विदेशी मुद्रा लाभ हुआ है.
Pakistan की आर्थिक स्थिति बिगड़ी, 8 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार
इस्लामाबाद। पड़ोसी देश पाकिस्तान (pakistan) की आर्थिक स्थिति (economic situation) दिन-ब दिन बदतर होती जा रही है। आलम यह है कि वहां विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) आठ साल के सबसे निचले स्तर (lowest in eight years) पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को घोषणा की कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) (State Bank of Pakistan (SBP)) का विदेशी मुद्रा भंडार 16 दिसंबर तक 58.4 करोड़ डॉलर गिरकर 6.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, यह अप्रैल 2014 के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे निचला स्तर है। आंकड़ों को देखें तो पिछले 12 महीनों में स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में 11.6 अरब डॉलर की गिरावट आई है।
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दिसंबर 2021 में यह 17.7 बिलियन डॉलर था, जो अब गिरकर 6.1 बिलियन डॉलर रह गया है। यह राशि मुश्किल से एक महीने का आयात कर पाने में ही सक्षम है। देश के वाणिज्यिक बैंकों के पास भी शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार अब 5.विदेशी मुद्रा लाभ 9 बिलियन डॉलर ही है। यानी पाकिस्तान में कुल तरल विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 12 बिलियन डॉलर बचा है।
पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का डिफॉल्टर होने का भी खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान ने वर्ष 2019 में 6 बिलियन डॉलर का कर्ज IMF से लिया था, जिसे इस वर्ष की शुरुआत में बढ़ाकर 7 बिलियन डॉलर कर दिया गया है। आईएमएफ की नौवीं समीक्षा अभी होनी बाकि है। इस बीच आईएमएफ अधिकारियों और पाकिसातन सरकार के बीच 1.18 बिलियन डॉलर और जारी करने के लिए बातचीत भी हो रही है।
खस्ता हाल अर्थव्यवस्था और राजनीतिक उठा-पटक की वजह से पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। पिछले छह महीने में पेट्रोल की कीमतों में 85 पाकिस्तानी रुपये की बढ़ोत्तरी की जा चुकी है। खाने-पीने के अन्य सामान भी ऊंचे दाम पर मिल रहे हैं।
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