S L kashyap मार्च 22, 2021 1

[Swing Trading] What is Swing Trading in Hindi | Swing Trading meaning in Hindi

हेल्लो दोस्तों, आज हम इस पोस्ट में जानगे की What is Swing Trading in Hindi और ये Swing Trading Meaning in Hindi । यदि आपने कभी भी Trading के बारे में सुना होगा तो आपने कभी न कभी Swing Trading के बारे में जरुर सुना होगा । जिसका चलन Trading industry में बहुत ही ज्यादा है । ऐसे में यदि सभी Traders intraDay Trading से ज्यादा Swing Trading को पंसद किया जाता है । जिसके चलते सभी लोग आज के समय Swing Trading को बहुत ज्यादा पसंद करते है ।

ऐसे में यदि आभी Swing Trading करना चाहते हो लेकिन आपको नही पता की Swing Trading kaise ki jati hai या फिर आपको Swing स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं Trading Meaning in Hindi क्या होता है इसके बारे में कोई भी जानकारी नही है तो ये पोस्ट आपके लिए खास होने वाली है । जहाँ पर हम आपको Swing Trading कैसे की जाती है इसके बारे में step by step आसानी से समझायेगे ।

What is Swing Trading in Hindi

आज के समय Trading करने का सबसे अच्छा विकल्प Swing Trading को ही माना जाता है। क्युकी इसमें स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं आप अपने Share Buy कर आप Same Day नही बेच सकते है। बल्कि आपको इसमें अपने Shares को पहले दिन न बेच कर 1 हफ्ते से लेकर कुछ हफ़्तों के बिच में अपने Shares को Profit के साथ कभी भी बेच सकते है । इसका मतलब ये नही की आप इसमें कुछ हफ़्तों के बिच में आपको अपने Shares Sell करने ही होंगे। बल्कि आप इसको पुरे 1 महीने के लिए स्थान्तरित भी कर सकते है । जिससे की आप आसानी से समय पर प्रॉफिट के साथ Profit के साथ Trading कर सको । जिसके चलते बहुत से Traders इस निति का उपयोग कर अपने लिए Profit Book कर लेते है । Swing Trading में ट्रेडर Trading krne ke lie Technical Analysis का उपयोग करते है । जिसे हम Swing Trading kehte hai ।

Swing Trading Meaning in Hindi

इस Swing Trading का मतलब आपको आपको अपने Share Buy कर पहले दिन न बेच कर कुछ हफ़्तों के बिच में अपने Shares को Profit के साथ Sell करना होता है । जिसे हम Swing Trading के नाम से जानते है ।

Swing Trading strategy kaise banae

जब भी आप अपने पैसे Swing Trading me invest करते हो तो सबसे पहले आपको अपनी एक strategy जरुर बना लेनी चाहिये की आप कितना Loss झेल सकते है और कितना नही । ऐसे में यदि आप बिना strategy के Trading करते है तो आप अपना सारा पैसा एक झटके में खो सकते है । इसलिए आपको ऐसे Shares Choose करना चाहिये जिसमे लगातार उतार चढाव आते रहे, क्युकी यदि महीनो महीनो शेयर में कोई उतार चढाव ही नही आएगा तो आप अपने लिए Profit कैसे कमायेगे ।

इसलिए आपको सहीStock को चुनना होगा, शेयर को चुनने के पश्च्यात आपको Every Day Share Price पर नजर रखनी होगी और इसके साथ ही साथ आपको रोजानाStock related news के साथ update रहना होगा । जिससे की आपको आसानी से पता लग जाये की आपके ख़रीदे हुए Share Prices बढ़ रहे है या घट रहे है ।

Best Swing Trade Stock Screener

Swing Trading Books

निष्कर्ष

मैं आशा करता स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं हूँ, आप सभी को Swing Trading क्या है और Swing Trading का मतलब क्या है अच्छे से समझ आया होगा । यदि अभी भी आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप हमें comments में जरुर बता सकते है । हमें आपके सभी सवालों का जवाब देते हुए बहुत ख़ुशी होती है । इसी प्रकार की Share Trading related jankari , Day Trading, Swing Trading, difference between Day Trading and Swing Trading, what is Day Trading, what is Swing Trading,Stock Trading method,Stock Trading pattern अदि के बारे में अगले आने वाले articles में बताएगे। हमारे साथ जुड़े रहने के लिए हमे Social media पर फॉलो करे। धन्यावाद।

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Syan Gyan काफी समय से Money Investment , Money Management , Finacial , Share market , Mutual Fund रिलेटेड जानकारी के लिए बुक्स स्टडी कर रहे है और Finance related आर्टिकल लिख रहे है। यह हमारा मकसद आसान भाषा में Share market , Finace रेलतद जानकारी देना है। धन्यावाद।

क्या आप शेयर ट्रेडिंग के बारे में ये बातें जानते हैं?

आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी होती है, तब शेयर खरीदने का सबसे अच्छा समय माना जाता है.

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आपको यह ध्यान में रखना होगा कि शेयरों में निवेश से काफी जोखिम जुड़ा होता है. अगर आप खुद कंपनियों के नतीजे समझने, उसके शेयरों का मूल्यांकन करने और बाजार की चाल समझ सकते सकते हैं तभी आपको शेयरों में सीधे निवेश करना चाहिए.

किसी कंपनी के शेयर में निवेश करने से पहले उसके कारोबार, शेयरों की सही कीमत (मूल्यांकन) और उसके कारोबार की संभावनाओं को जानना जरूरी है. शेयर बाजार में शेयरों के भाव स्थिर नहीं रहते. आम तौर पर जब शेयर का भाव कम होता है या बाजार में कमजोरी पर शेयर खरीदने के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है.

आपने जो शेयर खरीदा है, जब उसका दाम बढ़ जाए तो उसे आप बेच सकते हैं. शेयर मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत बहुत कम रकम से की जा सकती है.

शेयर ट्रेडिंग कितने तरह के होते हैं?

1. इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra Day Trading)
इंट्रा-डे ट्रेडिंग में एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसे बेच दिया जाता है. मार्केट खुलने के बाद आप शेयर खरीदते हैं और मार्केट बंद होने से पहले उसे बेच देते हैं.
इसे डे-ट्रेडिंग, MIS (Margin Intra day Square off) आदि भी कहते हैं.

Intra Day ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद रकम का 20 गुना आप को मुहैया कराता है. इसका मतलब यह है कि आप उधार रकम लेकर शेयर खरीद सकते हैं और उसी दिन बेच कर उसे वापस कर सकते हैं. यह वास्तव में वैसे निवेशकों के लिए जिन्हें बाजार की बहुत ज्यादा समझ होती है.

2. स्कैल्पर ट्रेडिंग ( Scalper Trading)
यह शेयर ट्रेडिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें शेयर को खरीदने के 5-10 मिनट के अंदर ही बेच दिया जाता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग किसी कानून के आने या आर्थिक जगत की किसी बड़ी खबर आने पर की जाती है.

शेयर मार्केट के पुराने दिग्गज स्कैल्पर ट्रेडिंग करते हैं. इसमें जोखिम सबसे ज्यादा होता है. स्कैल्पर ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कंपनियां मार्जिन मुहैया कराती हैं.

3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) या शार्ट टर्म ट्रेडिंग
स्विंग ट्रेडिंग थोड़े लंबे समय के लिए किया जाता है. इसमें आम तौर पर शेयर खरीदने के बाद उसकी डीमैट अकाउंट में डिलीवरी ले ली जाती है. स्विंग ट्रेडिंग के लिए ब्रोकर कोई मार्जिन मुहैया नहीं कराता है.

अगर आप अपने निवेश के लक्ष्य के हिसाब से 5-10 % लाभ की उम्मीद पर शेयर बाजार में ट्रेडिंग कर रहे है, तो स्विंग ट्रेडिंग से आप पैसे कमा सकते हैं.

4. LONG TERM ट्रेडिंग
जब आप किसी शेयर को खरीद कर लंबी अवधि के लिए रख लेते हैं तो उसे Long term ट्रेडिंग कहते हैं. स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के बाद अगर आप एक निवेशक के रूप में किसी शेयर में 6 महीने से लेकर कुछ साल तक बने रहें तो यह लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग है.

अगर आप किसी कंपनी के शेयर को एक, तीन या पांच साल या इससे ज्यादा अवधि के लिए खरीदते सकते हैं. कंपनी के कारोबार में अगर तेजी स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं से वृद्धि हो तो लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग में आप बहुत अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

आप जिन बड़े निवेशकों के बारे में सुनते हैं वे सभी लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से ही मुनाफा कमाते हैं. इनमें राकेश झुनझुनवाला, पोरिन्जू वेलियथ, डॉली खन्ना जैसे नाम शामिल हैं.

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शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती हैं

S L kashyap मार्च 22, 2021 1

Types of Trading Style
Types of Trading

आज हम समझेंगे Types of Trading Style कि हम कितने प्रकार से ट्रेडिंग कर सकते हैं जब एक बार आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने का निर्णय ले लेते हैं तो उसके बाद सबसे बड़ा निर्णय यह होता है कि आप किस प्रकार की शेयर ट्रेडिंग करना चाहते हैं शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद हैं आज इन्ही तरीकों को समझने का प्रयास करेंगे ट्रेडिंग करने का कोई सा भी तरीका बहुत ज्यादा अच्छा या बुरा नहीं होता है बल्कि आपकी बाजार से उम्मीदें बाजार की जानकारी और रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए सही या गलत हो सकता है एक अच्छा ट्रेडिंग स्टाइल चुनने के लिए आपको आपके इमोशन Technical Analysis की जानकारी और ट्रेडिंग साइकोलॉजी का Analysis करना पड़ता है यह जानने के लिए कि कौन सा ट्रेडिंग स्टाइल आपके लिए अच्छा है ट्रेडिंग की शुरुआत में आप सभी ट्रेडिंग स्टाइल को ट्राई करके जरूर देखें और उसके बाद यह Analysis करिए कि कौन से ट्रेडिंग स्टाइल में आपका सक्सेस रेट अच्छा है उसके बाद जिस ट्रेडिंग स्टाइल पर आपको पूरा विश्वास है कि आप उसे सही तरीके से कर सकते हैं उसी ट्रेडिंग स्टाइल को चुनिए

तो चलिए अब हम कुछ ट्रेडिंग टाइप को समझ लेते हैं जो कि शेयर बाजार में बहुत ही पॉपुलर हैं सबसे पहले हम समझते हैं स्कल्पिन ट्रेडिंग को

दोस्तों यह ट्रेडिंग करने का सबसे छोटे समय का तरीका है स्कल्पिग ट्रेडिंग में शेयर्स को लेने के बाद कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटओं में बेच दिया जाता है इससे बाजार में जो छोटे-छोटे मोमेंट आते हैं उनका फायदा उठाया जाता है और बाजार के बंद होने तक बहुत सारे ट्रेड किए जाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिए ABC शेयर का प्राइस ₹100 और आपने ₹100 के प्राइस पर 10000 शेयर खरीद लिए आप जैसे ही ABC शेयर का प्राइस ₹100 से बढ़कर ₹100.50 पैसे हो जाता है आप यह 10000 शेयर बेच देते हैं तो इसमें आपको ₹5000 का प्रॉफिट होगा इसे ही स्कल्पिग ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं दूसरा तरीका इसे कहते हैं BTSTऔर STBT मतलब कि Buy Today Sell Tomorrow, Sell Today Buy Tomorrow इस में शेयर्स को आज के दिन की आखरी कैंडल में खरीदा या बेचा जाता है और अगले दिन बाजार आज की कैंडल के क्लोज प्राइस से ज्यादा या कम ओपन होता है इसका फायदा उठाने को बीटीएसपी और एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

उदाहरण:- के लिए मान लीजिए कि abc शेयर का प्राइस स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं आज 10% गिर चुका है और आपको Technical Analysis की मदद से यह लगता है कि कल शेयर और गिरेगा यह शेयर बहुत गिर चुका है कल यह थोड़ा सा ऊपर जाएगा तो इस आधार पर अगर आप आज शेयर खरीदारी करते हैं या बिकवाली करते हैं और कल बाजार खुलते ही Exit कर लेते हैं इसे ही बीटीएसटी एंड एसटीबीटी ट्रेडिंग कहते हैं

अब हम समझते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग को जिसे day ट्रेडिंग भी कहते हैं इंट्राडे ट्रेडिंग के अंदर शेयर्स को खरीदकर कुछ घंटों या मार्केट बंद होने से पहले बेंच दिया जाता है इसमें दिन के दरमियान आने वाले मोमेंट का फायदा उठाया जाता है

उदाहरण:- के लिए मान abc शेयर की कीमत ₹100 आपने इस शेयर को ₹100 की प्राइस पर खरीद लिया है अब बाजार बंद होने से पहले abc शेयर का जो भी प्राइस हो आपको प्रॉफिट हो या लॉस। बुक करके निकलना ही होगा इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं

हम समझते हैं स्विंग ट्रेडिंग को जब शेयर्स को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रखकर सेल कर दिया जाता है तो इससे स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं उदाहरण:- के लिए मान लीजिए abc शेयर अभी 100 रुपए पर चल रहा है और शेयर ने आज ही breakout दिया है तो आने वाले 1 से 2 हफ्तों में जो शेयर का मोमेंट होगा उसका फायदा उठा कर पैसा कमाना स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है

अब हम समझते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग को इसमें किसी शेयर को खरीद कर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों या 1 साल के अंदर बेच दिया जाता है इसे पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं इसमें लंबे मूवमेंट का फायदा उठाकर प्रॉफिट कमाया जाता है

उदाहरण के लिए मान लीजिए कि abc शेयर्स जिसका प्राइस ₹100 और अपने कंपनी के फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस की मदद से यह जान लिया है कि abc शेयर आने वाले स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं 8 से 10 महीनों में 140 से ₹150 तक जा सकता है और शेयर खरीदकर 10 महीने बाद बेच देते हैं इसे ही पोजीशनल ट्रेडिंग कहते हैं

शेयर मार्केट में कितने प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं

अब हम समझते हैं मोमेंटम ट्रेडिंग को जब स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं किसी शेयर में ब्रेक आउट होता है तो उस ब्रेकआउट पर ट्रेडिंग करने को मोमेंटम ट्रेडिंग कहते हैं ब्रेकआउट कई प्रकार के होते हैं

Swing Aur Position Trading Kya hai - in hindi - स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं Swing and position Trading क्या है - What is Swing and position Trading

0 Admin November 17, 2022

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Swing Trading Kya hai - Swing Trading क्या है

Swing Trading एक type का ट्रेडिंग है जिसमे हम अपना share price में होने वाले movent से Profit करते है

Swing Trading में share को एक दिन या कुछ दिन तक ही hold किया जाता है और इसमें buy और sell decision technical analysis के आधार पर लिया जाता है और कबि कबि trades fundamental analysis पर भी Swing Trading करते है

Swing Trading intraday Trading से अलग होता है intraday trading में हम अपने trades को एक दिन के अंदर ही sell करना होता है और Swing Trading में हम अपना Trades को एक दिन से जयदा दिन तक hold करते रख सकते है Swing Trading में हम अपना trades को तब तक hold करते रख सकते है जब तक की हमरा trades Profit में नहीं आ जाता

Swing Trading में Buy और Sell करते का decision लेना का सही time का धेयान रखना बहुत जरुरी होता है क्युकी buy और sell के decision पर ही depend होता है की हमे अपना trades में कित्तना Profit और loss होगा

  • Position Trading Kya hai - position Trading क्या है

Forex Trading के ये प्रकार लंबी-अवधि के होते हैं Forex Position Trading में हम अपना Currency को बहुत लम्बे time तक hold करके रख सकते है इस Position Trading में loss का chance बहुत काम होता है हम Position Trading में अपनी buy की हुई Currency को एक महीने या 2 महीने लिए लिए hold करके रख सकते है

Position Trading के Trades fundamental analysis पर निर्भर लरता है। position trader अपने निर्णय का आधार forex chart analysis और forex market Trand analysis को रखते हैं। position trader fundamental और Technical Analysis के Combination का उपयोग करते हैं।

  • Forex Trading Kya hai - In hindi - Forex Trading क्या है

Forex Exchamge वह बाजार है जहां currency का एक-दूसरे के साथ आदान- प्रदान याकि Buy -Sell किया जा सकता है। Forex Trading प्रमुख रूप से currency को खरीदने और बेचने का काम है और यह उन बाजारों में से एक है जहां सबसे भारी Trading होता है।

Forex Trading में Currency Pairs में Trading होती है। Currency के Pairs तीन प्रकार के होते हैं माइनर, Major Currency और Exotic Currency । Major Currency Pairs सबसे अधिक बार ट्रेड की जाने वाली करेंसी हैं, जबकि Minor Currency में अमेरिकी डॉलर शामिल नहीं होता है। Exotic Currency वे हैं जिनमें एक करेंसी मेजर है और दूसरी किसी सबसे अच्छी Economy की करेंसी होती है

Forex Trading बहुत सारे Type के होते है हम आप को 4 Type के Forex Trading के बारे में आज बताएँगे ये 4 Type के Forex Trading बहुत जयदा लोग use करते है

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.

पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?

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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.

जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.

पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :

पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)

सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :

सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर

सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :

रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर

रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.

टाइम फ्रेम

ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.

पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?

पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.

पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?

पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.

पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा स्विंग ट्रेडिंग क्या होता हैं वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.

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