SEBI New Margin Rules in Hindi | Share Market के नए नियम | Buy/Sell
सेबी ने हाल ही मैं कई निवेशकों के नुकसान को देखते हुए अपनी तरफ से SEBI New Margin Rules in Hindi लागु किये है. जिनसे निवेशकों को फायेदा होगा या नुकसान इस बात के बारे में हम इस पोस्ट में जानेंगे साथ ही साथ सेबी के new rules के बारे में भी जानेंगे .
सेबी के रूल्स को जानने से पहले आपको Share Market के rules के बारे में जानकरी होनी चाहिए क्योंकी अगर आपको शेयर मार्किट के रूल्स के बारे में जानकारी नहीं है. तो आपको सेबी के ने नियम समझ नहीं आएंगे और आप और भी ज्यादा confuse हो जायेंगे की क्या करे या नहीं .
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- Share Kaise Kharide
- Demat Account Kya Hai
- Trading Account Kya Hai
- Trading Kya Hai Kaise Kare
share market new rules in hindi
शेयर मार्किट के नियम एक निवेशक के हितों को ध्यान में रख कर बनाये गए है तो अगर आप इनका पालन नहीं करते तो आपको शेयर मार्किट में आपको नुकसान हो सकता है .
लेकिन अगर आप शेयर सेबी के नए मार्जिन नियम मार्किट के नियमो का पालन करते है तो आपको शेयर मार्किट में कोई नुकसान नहीं होता. तो अगर आप शेयर मार्किट के ने नियमो के बारे में जानना चाहते है तो उसके लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट पढ़े .
SEBI New Margin Rules in Hindi
New SEBI Margin Rules in Hindi के नए Margin नियम के अनुसार आप अपने Demat Account, Trading Account में दी जाने वाली Margin Money का उपयोग तब ही कर पाएंगे जब आपके खाते में margin money का 20% balance पहले से ही उपलब्ध हो.
अगर हम इसे उधाहरण के तौर पर समझे तो मान लीजिये की आपके Demat Account, Trading Account में 1,00,000 की Margin Money की limit आपको मिली है. इस अनुसार आप शेयर मार्किट में 1,00,000 रूपए के शेयर खरीद सकते है . लेकिन तब जब आपके खाते में पहले से ही 20,000 रूपए balance हो अन्यथा आप 1,00,000, रूपए के शेयर तो नहीं खरीद पाएंगे .
यहाँ जरूरी नहीं है की आपके Demat Account, Trading Account में आपको 1,00,000 रूपए की limit मिलती है.
यह limit दरअसल Margin Money कहलाती है. Margin Money क्या है और यह कैसे काम करती है यह जानने के लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े
SEBI ने F&O मार्जिन नियमों को किया लागू, बढ़ाई गई तारीख
डीएनए हिंदी: SEBI ने गुरुवार यानी कि 24 फरवरी को एक सर्कुलर जारी कर दिया. इस सर्कुलर में F&O (फ्यूचर एंड ऑप्शन) मार्जिन से जुड़े नियमों को लागू करने की अवधि बढ़ा दी है. बता दें कि इन नियमों के तहत क्लाइंट के स्तर पर सेबी के नए मार्जिन नियम कोलेट्रल की निगरानी और उसे अलग रखने से जुड़े नए कंप्लायंस सिस्टम लागू होने थे.
सेबी की नोटिस
SEBI की मूल नोटिस के अनुसार नए कंप्लायंस सिस्टम को 1 दिसंबर 2021 से प्रभावी हो जाना चाहिए था. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग से जुड़े एक विवाद के चलते इसकी अवधि बढ़ाकर 28 फरवरी 2022 कर दी गई. एक मामले के मुताबिक कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने क्लाइंट के शेयरों को बिना उनकी इजाजत के लोन के बदले में गिरवी रख दिए थे.
अवधि बढ़ाई गई
SEBI ने अब कंप्लायंस सिस्टम को लागू करने के लिए अवधि को बढ़ाकर 2 मई 2022 कर दिया है. SEBI ने बताया कि नए कंप्लायंस सिस्टम को लागू करने से पहले बदलावों को अपनाने के लिए कई शेयरधारकों ने अवधि बढ़ाने की मांग की थी. इस मांग के चलते ही डेडलाइन बढ़ा दी गई है.
नियमों में सुधार होगा
SEBI ने डिपॉजिटरी और पार्टिसिपेंट्स से जुड़े नियमों में सुधार करने को लेकर नोटिफाइड कर दिया है. SEBI ने नए नियमों में लेनदेन करने वाले शेयरधारकों के लिए टोटल अमाउंट की अवधी बढ़ा दिया है.
नियमों में बदलाव करने के पीछे शेयरधारकों की बढ़ती भागीदारी और जोखिमों को कम करने की वजह है.
दरअसल बुधवार को SEBI ने नोटिफिकेशन जारी किया था. इसके मुताबिक संशोधित नियमों में स्टॉक ब्रोकरों के पास नोटिफिकेशन की तारीख से एक साल के भीतर 3 करोड़ सेबी के नए मार्जिन नियम रुपये नेटवर्थ होना जरूरी है. वहीं नोटिफिकेशन की तारीख से दो साल के भीतर कुल राशि को बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये किया जाएगा.
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सेबी का नया नियम: शेयर बेचने के एक दिन के भीतर होगा निवेशकों को भुगतान, 25 फरवरी से लागू होगी टी प्लस वन व्यवस्था
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य के आधार की जाएगी।
विस्तार
शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों को अगले साल से बिक्री के एक दिन के भीतर ही भुगतान कर दिया जाएगा। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को नई सेटलमेंट व्यवस्था टी प्लस वन लागू करने का रोडमैप पेश किया। 25 फरवरी, 2022 से इस नियम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बताया कि शेयर बाजार एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरी के संयुक्त फैसले के बाद नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत वास्तविक कारोबार के एक दिन के भीतर ही निवेशकों के पैसों का निपटान सुनिश्चित करना होगा। फिलहाल बीएसई पर टी प्लस टू व्यवस्था लागू है, जिसमें वास्तविक कारोबार के बाद निपटान पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
पहले यह व्यवस्था एक जनवरी, 2022 से लागू होनी थी, जिसे अब 25 फरवरी सेबी के नए मार्जिन नियम से चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। सबसे पहले इसमें शुरुआती 100 छोटी कंपनियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद मार्च से अगली 500 छोटी कंपनियों पर नई व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह, हर महीने के आखिरी शुक्रवार को अगली 500 कंपनियों पर नियम लागू होते जाएंगे। अगर शुक्रवार को अवकाश होगा, तो अगले कारोबारी दिवस पर लागू करना होगा।
अक्तूबर के आधार पर होगी कंपनियों की रैंकिंग
टी प्लस वन सेटलमेंट व्यवस्था लागू करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों की रैंकिंग अक्तूबर के औसत दैनिक बाजार पूंजीकरण के आधार पर की जाएगी। यदि कोई स्टॉक एनएसई और बीएसई दोनों ही एक्सचेंज पर सूचीबद्ध है, तो बाजार पूंजीकरण की गणना उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले एक्सचेंज में स्टॉक की कीमत के आधार पर होगी। जो कंपनियां अक्तूबर के बाद सूचीबद्ध हुई हैं, उनके बाजार पूंजीकरण की गणना कारोबार शुरू होने के 30 दिन के औसत ट्रेडिंग मूल्य के आधार की जाएगी।
Stock Market news : पीक मार्जिन नियमों में हुआ बदलाव, ट्रेडरों को होगा फायदा : एक्सपर्ट
सेबी ने बीते साल पीक मार्जिन नियम लागू किया है। इसने ब्रोकरों की ग्राहकों की इंट्राडे पोजीशन को फंड करने की व्यवस्था पर पाबंदी लगा दी है। अपडेटेड NSE Span files के आधार पर मार्जिन जरूरतों को इंट्राडे में 5 गुना तक बदल दिया गया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। बाजार नियामक सेबी ने अधिकतम मार्जिन नियमों (peak margin rules) में बदलाव किया है, जिससे व्यापारियों और ब्रोकरेज हाउसेज को बड़ी राहत मिलेगी, जो अब तक High Margin penalities भर रहे हैं। विशेषज्ञों ने बुधवार को यह राय दी। उनके मुताबिक नए फ्रेमवर्क के तहत दिन की शुरुआत में मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा। यह केवल अपफ्रंट मार्जिन के कलेक्शन के संबंध में है।
FYERS के सीईओ तेजस खोडे के मुताबिक बीते साल लागू पीक मार्जिन नियम ने ब्रोकरों की ग्राहकों की इंट्राडे पोजीशन को फंड करने की व्यवस्था पर पाबंदी लगा दी है। इसके अलावा अपडेटेड NSE Span files के आधार पर मार्जिन जरूरतों को इंट्राडे में 5 गुना तक बदल दिया गया है। इसलिए भले ही ग्राहक 100 प्रतिशत मार्जिन का एडवांस पेमेंट करते थे, उन पर अपडेटेड स्पैन जरूरतों के आधार पर भारी जुर्माना लग सकता था। उन्होंने कहा कि यह ट्रेडर के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण था क्योंकि ट्रेडिंग शुरू होने के बाद स्पैन मार्जिन कितना बदल सकता है, यह तय करने का कोई तरीका नहीं था।
सेबी ने मंगलवार को नियमों में बदलाव किया, जिसके तहत डेरिवेटिव सेगमेंट (कमोडिटी डेरिवेटिव सहित) में इंट्रा-डे स्नैपशॉट के लिए विचार की जाने वाली मार्जिन जरूरतों का कैलकुलेशन fixed Beginning of Day (BOD) मार्जिन स्टैंडर्ड के आधार पर होगा। नया नियम एक अगस्त से लागू होगा। बीओडी मार्जिन पैरामीटर में सभी स्पैन मार्जिन पैरामीटर के साथ-साथ अत्यधिक loss margin requirements शामिल होंगी। खोडे के मुताबिक संशोधित पीक मार्जिन नियम उन ट्रेडरों और ब्रोकरेज हाउसेज को राहत देता है जो अब तक उच्च मार्जिन जुर्माने का पेमेंट कर रहे हैं। ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने सेबी के इस कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे कई तरह के भ्रम दूर होंगे।
उनके मुताबिक सेबी द्वारा पेश किया गया पीक मार्जिन निवेशकों और ट्रेडरों के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर रहा है। कभी-कभी बाजार में उथल-पुथल बढ़ने के कारण पोर्टफोलियो में बिना किसी बदलाव के मार्जिन बढ़ जाता था।
एक अगस्त से असर: अब शेयर बेचने से पहले भी 20 प्रतिशत देनी होगी मार्जिन, रिटेल निवेशक पर पड़ेगी ज्यादा मार, शेयर बेचने के दो दिन बाद ही खरीद पाएंगे नया स्टॉक
पूंजी बाजार नियामक सेबी का काम एक रेगुलेटर के तौर पर निवेशकों की सुरक्षा करना और बाजार को सही तरीके से चलाने का है। लेकिन उसके एक सर्कुलर ने रिटेल निवेशकों की कमर तोड़ दी है। एक अगस्त से अगर आप शेयर बेचेंगे तो आपको इस पर कम से कम 20 प्रतिशत का कैश या शेयरों के गिरवी के रूप में मार्जिन देना होगा। साथ ही आप शेयर बेचने के दो दिन बाद ही नया शेयर खरीद पाएंगे। क्योंकि आप कोई भी शेयर बेचते हैं तो उसका पैसा दो कारोबारी दिनों के बाद आपके खाते में आता है।
नया नियम क्या है?
दरअसल सेबी ने कुछ समय पहले ही एक सर्कुलर जारी किया था। इसके मुताबिक अब हर निवेशक को शेयर बेचने पर भी मार्जिन देना होगा।पहले केवल शेयर खरीदने पर मार्जिन देना होता था। साथ ही अब आप किसी शेयर की बिक्री करते हैं तो उसके पैसे से शेयर दो दिन बाद ही खरीद सकते हैं।
नए नियम का असर किस पर होगा?
सेबी के इस नियम ने ब्रोकर्स हाउस के साथ-साथ रिटेल निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। रिटेल निवेशक इसलिए ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उनके सेबी के नए मार्जिन नियम पास मार्जिन के लिए पैसे जुटाना मुश्किल है। इससे बाजार में नए और पुराने निवेशकों पर मार पड़ेगी।
कैसे असर होगा?
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी ने सोमवार को 100 रुपए का शेयर बेचा। अब उसे इसे बेचने से पहले 20 रुपए का कैश मार्जिन एक्सचेंज को देना होगा। जब तक वह इस मार्जिन को नहीं देगा, तब तक शेयर नहीं बेच पाएगा। दूसरा पहले यह था कि आपने आज शेयर बेचा और आज ही दूसरा शेयर खरीद लीजिए। इसमें बिक्री से मिले पैसे को सेटल कर दिया जाता था।
फायदा किसको हो सकता है?
वैसे कुछ सूत्रों का कहना है कि बाजार में जिस तरह से डायरेक्ट निवेशक आ रहे थे, उससे म्यूचुअल फंड को ज्यादा घाटा हो रहा था। हाल में म्यूचुअल फंड से काफी पैसा निवेशकों ने निकाला है। माना जा रहा है कि इस फैसले से म्यूचुअल फंड को ज्यादा फायदा होगा।
ब्रोकर और मार्केट क्या कह रहा है?
इन लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह से निवेशकों के विरोध में नियम है। अगर मेरे पास 100 रुपए की पहले से ही कोई चीज है। आप बोलिए कि पहले 20 रुपए दो फिर बेचो। ऐसा कैसे हो सकता है? मेरे पास जब 100 रुपए है तो यह तो खुद ही सुरक्षा के रूप में है। इन लोगों का कहना है कि इसमें ज्यादा बड़े पैसों पर मार्जिन लगाई जा सकती है ताकि रिटेल निवेशकों को दिक्कत न हो।
मेरे पास अगर 20 रुपए नहीं होगा तो मै सेबी के नए मार्जिन नियम सेबी के नए मार्जिन नियम क्या करूंगा? शेयर ही नहीं बेचूंगा और जब तक शेयर नहीं बेचूंगा दूसरा खरीद नहीं पाऊंगा। इससे निवेशक बाजार में आएंगे ही नहीं।
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